इस महाशिवरात्रि पर करें ये खास उपाय, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

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महाशिवरात्रि के पवित्र अवसर पर भक्त देव आदि देव महादेव का जल अभिषेक कर अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करते है। मान्यता ऐसी है कि इस दिन महादेव और माता पार्वति का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है।आज के दिन अगर आप भी अपनी कोई मनोकमना पूरी करना चाहते है तो हम आपको इस खास उपाये के बारे में बताएंगे तो एंड तक पोस्ट में बने रहिएगा..

महाशिवरात्रि का अध्यात्तमिक और वैज्ञानिक दोनों तगह से महत्व है। शिवरात्री का अर्थ है हर महीने का 14 वा दिन जो अमावस्या से एक दिन पहले आता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी की 1 वर्ष में 12 से 13 शिवरात्री आते है। इन सभी शिवरात्रियों में से वो शिवरात्री जो फरवरी मार्च के महिने में आता है उसे ही महाशिवरात्री कहते है। सनातन धर्म में इस दिन महादेव और माता पार्वति की शादी हुई थी। इस साल ये पर्न 18 फरवरी को मनाया जाएगा।इस दिन महादेव की उपासना से व्यक्ति की हर कामना पूर्ण हो सकती है. विवाह की बाधाओं के निवारण और आयु रक्षा के लिए इस दिन शिव जी की उपासना अमोघ है. इस दिन पूजा पाठ मंत्रजाप तथा रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। r

महाशिवरात्री का महत्व

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती (Shiv Parvati Vivah) का विवाह हुआ था. शिवजी और माता पार्वती की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामना पूरी होती हैं और जीवन के कष्ट दूर होते हैं. माना जाता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है और भोले नाथ भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं.

महाशिवरात्रि के नियम 

महाशिवरात्रि का महापर्व स्वयं परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद दिलाता है इस व्रत के विधान में सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास रखा जाता है महाशिवरात्रि के उपवास के भी कुछ नियम हैं । कुछ श्रद्धालु निर्जल उपवास रखते हैं तो कुछ फलाहार करते हैं। वैसे उपवास में फल और जल का मिश्रण होना चाहिए, यानी यदि आपको प्यास लग रही है तो आपको जल का सेवन करना चाहिए और यदि आपको भूख है तो आपको फल का सेवन करना चाहिए।महाशिवरात्रि पर ध्यान और उपवास एक साथ करने से हमारी इच्छाएं फलित होने लगती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति महाशिवरात्रि व्रत का पालन पूरी निष्ठा से करता है, भगवान शिव की कृपा उस पर बरसती है और उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

महाशिवरात्रि 2023 पूजा उपाय

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना करने से शनि देव भी प्रसन्न होते हैं और इससे व्यक्ति के जीवन में शनि ढैय्या और साढ़े साती का दुष्प्रभाव कम हो जाता है। बता दें कि इस समय कुंभ, मकर और धनु राशि के कुंडली में शनि की साढ़े साती चल रही है और वृश्चिक व तुला राशि के कुंडली में शनि ढैय्या है। इसलिए इन राशियों को महाशिवरात्रि के ज्योतिष शास्त्र में बताए गए कुछ उपायों का पालन करना चाहिए और पूजा के समय शिवलिंग पर कुछ विशेष चीजों को अर्पित करना चाहिए। आइए जानते हैं-

1-दूध- भगवान शिव को दूध बहुत प्रिय है। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन अभिषेक के लिए गाय का शुद्ध दूध भोलेनाथ को अर्पित करें। इससे शनि का प्रकोप कम हो जाएगा।

2-गंगाजल- भगवान शिव की जटाओं से गंगा निकलती हैं। इसलिए इस दिन गंगागल से शिवलिंग का अभिषेक करने से कई प्रकार के दोष और मुख्यतः शनि दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

3-दही– शनि ढैय्या और साढ़े साती से पीड़ित जातकों को महाशिवरात्रि पर शिव जी को दही अर्पित करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए इस उपाय को बहुत कारगर माना गया है।

4-शहद– शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए भगवान शिव को महाशिवरात्रि के दिन शुद्ध शहद अर्पित करें। ऐसा करने से सभी दुःख दूर जाएंगे और सभी मनोकामना पूर्ण होगी।

5-पांच मुखी-  इसके अलावा पांच मुखी रुद्राक्ष को पानी से साफ करके सुखा लें। सुखने के बाद इसे अपने बाएं हाथ में रखें और दाएं हाथ से बंद करके अपनी सारी इच्छाएं बोल दें। साथ ही मन में सोचें कि यह मेरा एक जादुई रुद्राक्ष है जो मेरी सारी इच्छाओं को पूरा करेगा। इसके बाद इसे कहीं सुरक्षित जगह पर रख दें और दिन में एक बार जरूर देखें।

6-एक काली मिर्च और सात काली तिल्ली के दाने हथेली में रखकर मन से कामना करें और शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने से आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। शिवरात्रि के दिन 21 बेलपत्र लेकर सभी पर चंदन से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिख कर शिवलिंग पर अपनी इच्छा बोलते हुए चढ़ा दें।

भूलकर भी ना चढ़ाए ये चीज़े

सिंदूर- भगवान शिव की पूजा के समय शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, श्रीफल आदि सामग्री चढ़ाई जाती हैं. लेकिन कभी भी भी सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है. दरअसल, हिंदू धर्म में महिलाएं सिंदूर को अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं, जबकि भगवान शिव का एक रूप संहार करने वाला भी माना जाता है. उनके संहारक स्वरूप के चलते ही शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाना वर्जित माना गया है।

हल्दी- हिंदू धर्म में हल्दी को अत्यंत शुद्ध और पव‍ित्र माना गया है. इसके बावजूद शिव पूजन में इसका प्रयोग नहीं होता है. शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी का संबंध स्त्रियों से होता है. यही कारण है क‍ि भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. न केवल महाशिवरात्रि, बल्कि किसी भी अवसर पर भगवान शिव या शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है।

भगवान शिव को भूलकर भी ना चढ़ाए ये फल

श‍िवल‍िंग पर कभी न भी नार‍ियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। हालांक‍ि यहां यह स्‍पष्‍ट कर दें क‍ि शिवजी की पूजा तो नारियल से होती है लेकिन नारियल वर्जित है।

वैज्ञानिक दृष्टि से जाने महत्व

जैसा कि आप सभी जानते हैं, भगवान शिव त्रिलोकी शक्तियों में एक है। साक्षात शक्ति का स्वरुप है। भगवान शिव को त्रिभुवन की व्यवस्थाओं में संहार का दायित्व दिया गया है। अतः भगवान शिव दुष्टों का विनाश करने, अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित करने, असत्य पर सत्य की विजय स्थापित करने दुष्ट शक्तियों पर दिव्य शक्तियों का प्रभाव स्थापित करने हेतु संहार करते हैं। तथा उस शक्ति का ह्रास करते हैं। हरण करते हैं। जो सत्यता को अप्रकाशित करती है।

यदि हम वैज्ञानिक महत्व की बात करें, तो इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है। कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु व्यक्ति को ऊर्जा कुंज के साथ सीधे बैठना पड़ता है। जिससे रीड की हड्डी मजबूत होती है और व्यक्ति एक सुपर नेचर पावर का एहसास महसूस करते हैं।

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