नहीं चाहिए आवारा पशु और आवारा सरकार : सोशलिस्ट किसान सभा 

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द न्यूज 15 

लखनऊ। सोशलिस्ट किसान सभा ने कहा है कि उ.प्र. के नए मुख्य सचिव ने कार्य सम्भालते ही बोला था कि खुले पशुओं को लेकर वे सभी जिलों में अभियान चला कर उन्हें 1 से 10 जनवरी के बीच पकड़ा जाएगा। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अकेले हरदोई जिले के भरावन विकास खण्ड के उदाहरण से समझा जा सकता है।
दरअसल सोशलिस्ट किसान सभा लगभग एक वर्ष से खुले पशुओं का मुद्दा हरदोई, उन्नाव व बाराबंकी जिलों के उठा रही है। 1 जनवरी  को वि.ख. भरावन के ढेहुआ बाजार, से तिरवा ग्राम सभा के सैकड़ों ग्रामीण अपने जानवरों के साथ भटपुर मार्ग पर लखनऊ की ओर चल दिए थे। इस ऐलान के साथ कि वे अपने पशुओं को योगी आदित्यनाथ के यहां ले जाकर बांधेंगे ताकि मुख्यमंत्री उनके पोषण की जिम्मेदारी लें। रास्ते में अन्य गांवों के लोग भी अपने जानवरों के साथ जुड़ते गए। 7-8 किलोमीटर चलने पर उप-जिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी, सण्डीला, आए व करीब 17 गाड़ियां मंगवा कर तिरवा, दूलानगर, छावन, आदि गांवों के पशुओं को गौशालाओं में पहुंचाया। ऐरा काकेमऊ व भरावन के लोग माल मार्ग से अपने जानवरों के साथ 4 जनवरी को लखनऊ के लिए निकल पड़े।

करीब 15 किलोमीटर चलने पर जब लोग पशुओं के साथ लखनऊ जिले की सीमा में प्रवेश कर गए तब उप-जिलाधिकारी व ख.वि.अ. आए एवं वहीं सड़क के किनारे सांडा दखलौल ग्रा.स. में एक अस्थाई गौशाला बना कर पशुओं की वहीं व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया। फिर 5 जनवरी को भटपुर ग्रा.स. के लोग पशुओं को लेकर करीब 5 किलोमीटर चलकर जब सीतापुर की सीमा में प्रवेश कर गए तब ख.वि.अ. आए एवं सभी जानवरों की व्यवस्था एक हफ्ते में करने को कहा। तब तक मोहम्मदापुर के जखवा पावर हाऊस पर 110 पशु, बंजरा व लालपुर, दोनों ग्रा.स. ऐरा काकेमऊ मे ंक्रमशः 30 व 50, कौड़िया ग्रा.स. में गांवों कठौनी व मड़ौली में 200-200, भरावन में 130, दूलानगर में 50, जीवन खेड़ा में 20, श्यामदासपुर में 250, हन्नीखेड़ा में 150, ग्रा.स. हीरूपुर गुट्टैया में 150, ग्रा.स. महीठा के कल्याणखेड़ा व डालखेड़ा में 50-50, व ग्रा.स. भटपुर के भटपुर में 150, कूड़ा में 300, रसुलवा में 300, सिकरी में 50, गोकुलवा में 40, कोल्हौरा में 50, कटका कलां में 50, लक्ष्मणपुरवा में 50, रमपुरवा में 40, इैश्वरीपुरवा में 25 व धन्नापुरवा में 50 जानवर एकत्र कर लिए गए थे। सभी जानवरों की व्यवस्था गौशालाओं मे ंकर पाना प्रशासन के लिए सम्भव नहीं था।
जिला प्रशासन ग्राम प्रधानों के ऊपर दबाव बना रहा है कि वे व्यवस्था करें किंतु ग्राम प्रधान कहते हैं कि बिना पैसे के वे कैसे व्यवस्था कर सकते हैं? कुछ गांवों में गाड़ियों भेजी गई जानवरों को लाने के लिए किंतु कुछ गाड़ियों ने गौशालाओं में जगह न होने के कारण जानवरों को बीच में ही उतार दिया तो कुछ गाड़ियां वापस लौट आईं। अंत में तंग आकर लोगों ने इकट्ठा किए हुए जानवर छोड़ दिए। किसानों के लिए अपने खेत बचाना मुश्किल हो रहा है। हमारी मांग है कि सरकार प्रति जानवर रु. 30 प्रति दिन सीधे किसान के खाते में पैसा भेजे ताकि किसान जानवर को पाल सके।असल में किसान सम्मान निधि और कुछ नहीं किसानों की फसल जो खुले जानवर बरबाद कर रहे हैं उसका मुआवजा है। लेकिन किसानों का नुकसान सालाना रु. 6,000 के कहीं ज्यादा है। हमारी मांग है कि सरकार किसानों को खुले पशओं से हुए असल नुकसान का मुआवजा दे। खुले पशु योगी आदित्यनाथ सरकार की देन हैं। किसान दोनों से ही तंग आ चुका है और दोनों से ही छुटकारा चाहता है। यह जानकारी प्रेस रिलीज़ जारी कर सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पांडेय, संडीला प्रत्याशी मुन्ना शुक्ल, बांगरमऊ के प्रत्याशी अनिल मिश्र ने संयुक्त रुप से दी।

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