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कर मानव से प्यार

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कर मानव विचार।
मानव रूप है ईश्वर का,
कर मानव से प्यार॥
जग में कुछ नहीं तेरा,
फिर क्यों ये तेरा मेरा।
आखिर सांसे खोल छोड़ेगी,
छूट जाएगा ये बसेरा॥
छोड़ यहाँ से जाएगा,
संगी साथी यार।
कर मानव से प्यार॥

पढ़े तूने गीता और वेद,
गए न तेरे मन के भेद॥
सुबह शाम की तूने पूजा,
मनवा नहीं हुआ सफेद॥
ढ़ाई अक्षर प्रेम के,
लाये जीवन में झंकार।
कर मानव से प्यार॥

दुखियों को गले लगा ले,
बेगानों को भी अपना ले। ।
मोह माया के बंधन तोड़,
सद्भावों के नगमें गा ले। ।
समझ पराया दुख अपना,
गिरा घृणा की दीवार।
कर मानव से प्यार॥

प्रियंका ‘सौरभ’
दीमक लगे गुलाब (काव्य संग्रह)