Diwali : काश ! फिर से मनाई जाने लगे आत्मीयता और प्यार मोहब्बत वाली वह दिवाली 

महानगरों में रह रहे युवाओं को अपनी ओर खींच लेती थी गांवों की मिटटी की सौंधी खुशबु 

चरण सिंह राजपूत  

दिवाली का त्यौहार रोशनी का त्योहार माना जाता है और रोशनी का महत्व अंधेरे से होता है। आज भले ही विभिन्न संसाधनों के चलते दिवाली के दिन गांव और शहर जगमगा जाते हों पर किसी समय गांवों की जो दिवाली होती थी उसका कोई जवाब नहीं हो सकता है। उस दौर में जब गांव देहात में बिजली नहीं थी और अमावस्या की रात जब दीये जलाकर रखे जाते थे तो उनकी रंगत कुछ और ही होती थी। उन दिनों भले ही लोग अभाव की जिंदगी जीते हो पर त्योहारों का मजा दिल से लेते  थे। वह दौर आत्मीयता और प्यार मोहब्बत का था। यह दौर चकाचौंध का नहीं बल्कि कैंडिल और दीये का था। आज भले ही घरों को जगमगाने की प्रतिस्पर्धा होती हो पर तब  प्रतिस्पर्धा इस बात की होती थी कि किसका कैंडिल सबसे ऊंचा होगा और ज्यादा समय तक जलेगा।

गांवों में युवा दोपहर से ही लम्बे बांस से कैंडिल को ऊंची करने के लिए लग जाते थे। बांस जमीन में गाड़कर शाम को जब अँधेरा हो जाता था तो कैंडिल में तेल से भरा एक दीया रखा जाता था और रस्सी के सहारे बांस की चोटी पर ऊपर पहुंचाया जाता था। गांवों में एक दूसरे की दीवाली पुजवाने की एक अनोखी परंपरा थी। गांवों में घर-घेर के साथ ही कुएं, कुड़ी, खेत, होली दहन की जगह, गांव के देवता हर जगह दीये रखने की परंपरा रही है जो आज तक चली आ रही है।

वह दौर कच्चे मकानों का था। दिवाली से एक महीने पहले ही घर की पुताई शुरू हो जाती थी। पुताई भी कैसी कि गांवों की महिलाएं तालाब की मिट्टी से घरों की पुताई करती थीं। दिवाली पर जब कच्चे मकानों से गांव की मिटटी की सौंधी खुशबू आती थी तो त्योहारों की रंगत दोगुनी हो जाती थी। वह दौर प्यार मोहब्बत का था। शहर में रहने वाला कोई ही युवा होता होगा जो अपने घर दिवाली मनाने न जाता हो। बसों में धक्के खा खाकर गांवों के युवा अपने घरों को पहुंचते थे। गांवों के लोग भी इन युवाओं को पलकों पर बैठा कर रखते थे।
जहां तक गोवर्धन की बात है तो कई कई घरों के गोवर्धन एक घर में मनाए जाते थे। हमारे खुद के घर में पूरे मोहल्ले के गोवर्धन मनाये जाते थे। जब 100-150 बच्चे, महिलाएं, जवान बूढ़े से एक जगह इकठ्ठा होकर गोवर्धन पूजा करते थे तो दृश्य देखने लायक होता था। वह थे त्यौहार।

वह दौर आज की तरह स्वार्थ का नहीं था। गांवों के अलावा रिश्तेदारों से आत्मीयता से मिला जाता था। कम कमाई से बड़ी ख़ुशी हासिल की जाती थी। आत्मीयता के रिश्ते त्योहारों का मजा कई गुना कर देते थे। कहना गलत न होगा कि आज हम कितने भी संसाधन हासिल कर लें पर त्योहार तो वे ही थे। वह भी गांवों के। हमने कितना भी हासिल कर लिया हो पर आत्मीयता के रिश्ते और प्यार मोहब्बत को हम खोते जा रहे हैं। यदि वास्तव में त्योहार मना रहे हैं तो आत्मीयता और प्यार मोहब्बत फिर से ले आइये। यकीन मानिये फिर न केवल खुशहाली आएगी बल्कि स्वास्थ्य के मामले में भी एक बड़ी क्रांति समाज में आएगी। तो आइये हम इन त्योहारों को आत्मीयता और प्यार मोहब्बत से मनाएं।

दरअसल हिन्दू समाज में ऐसी मान्यता है कि आज के दिन जब राम सीता और लक्ष्मण के साथ लंका पर विजय हासिल कर वनवास को पूरा कर अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने अमावस्या की अंधेरी रात में घी के दीये जलाकर ख़ुशी मनाई थी। तब से देशवाशी दीवाली को दीये के त्योहार के रूप में मनाते हैं। वैसे तो दिवाली पूरे देश का त्यौहार है पर उत्तर भारत में यह त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
  • Related Posts

    गया नहीं, “गयाजी” कहिए

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में…

    Continue reading
    संत शिरोमणि तुलसीदास सम्मान से अलंकृत हुए गुरुग्राम के ओज कवि राजपाल यादव
    • TN15TN15
    • April 28, 2025

    काव्य हिंदुस्तान अंतरराष्ट्रीय साहित्य समूह संस्था द्वारा कल…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    5000 करोड़ के फ्रॉड का आरोप  

    • By TN15
    • May 17, 2025
    5000 करोड़ के फ्रॉड का आरोप  

    पुलिस की बहादुरी पर नोएडा व्यापारी वेल्फेयर एसोसिएशन ने किया सम्मान *

    • By TN15
    • May 17, 2025
    पुलिस की बहादुरी पर नोएडा व्यापारी वेल्फेयर एसोसिएशन ने किया सम्मान *

    भारतीय सोशलिस्ट मंच ने सौंपा ज्ञापन

    • By TN15
    • May 17, 2025
    भारतीय सोशलिस्ट मंच ने सौंपा ज्ञापन

    मां गायत्री एजुकेशन सर्विस का उद्घाटन मदनमोहन तिवारी, गायत्री देवी, समीक्षा शर्मा के द्वारा फीता काट कर किया गया

    • By TN15
    • May 17, 2025
    मां गायत्री एजुकेशन सर्विस का उद्घाटन मदनमोहन तिवारी, गायत्री देवी, समीक्षा शर्मा के द्वारा फीता काट कर किया गया

    सिंदूर की विजय” – मातृभूमि को समर्पित एक ऐतिहासिक क्षण का जश्न

    • By TN15
    • May 17, 2025
    सिंदूर की विजय” – मातृभूमि को समर्पित एक ऐतिहासिक क्षण का जश्न

    वाह। टिम कुक हैं सच्चे लीडर!

    • By TN15
    • May 17, 2025
    वाह। टिम कुक हैं सच्चे लीडर!