The News15

खुद विकलांग होते हुये दिव्यांगों के लिये रोशनी बने हैं एम आर पाशा

Spread the love

द न्यूज फिफ्टीन/मौ० याकूब
बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी एम आर पाशा खुद दिव्यांग हैं, लेकिन अपने जैसे ही दूसरे कइयों की जिंदगी में नया सवेरा करने में जुटे हुए हैं। वह उन्हें सहायक उपकरणों का वितरण और जीविकोपार्जन के लिये सरकारी योजनाओं का लाभ दिला रहे है। जनपद बिजनौर के स्योहारा निवासी एम आर पाशा की मुहिम दिव्यांगता की बेड़ियों को तोड़ अपने जैसे हजारों ठिठके कदमों को उम्मीदों भरीं। नई रफ्तार सौंप रही है। खुद की दिव्यांगता के दंश पर धैर्य खोने की बजाय अपनी हिम्मत के जरिये उन्होंने दूसरे दिव्यांगों के जीवन में उजाला किया है जरूरत मंदों को सहायक उपकरणों के वितरण संग जीविकोपार्जन के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने चुके हैं। गांव बुढ़नपुर में वर्ष 1984 में जन्मे एमआर पाशा दिव्यांग हैं। स्योहारा के एमक्यू इंटर कॉलेज से 12वीं और धामपुर के आरएसएम डिग्री काॅलेज से बीएससी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने बचपन से ही उन्होंने दिव्यांग होने के चलते बहुत सी चुनौतियों का सामना किया। बावजूद इसके कभी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। पढ़ाई के समय से ही उनके मन में दूसरे दिव्यांगों की मदद करने का जज्बा कायम था। वर्ष 2000 में उन्होंने संगठन बनाते हुये दिव्यांगों को एक प्लेटफार्म पर साथ जोड़ने की मुहिम शुरू की। अपनी आजीविका के लिये वह गांव में ही जूनियर हाई स्कूल चलाते हैं। भविष्य में वृद्धाश्रम खोलने के साथ ही कैलिपर्स बनाने की फैक्टरी लगाने को उन्होंने अपना अगला लक्ष्य बताया है। स्योहारा निवासी एमआर पाशा दिव्यांगों को अपनी पहल से कृत्रिम अंग वितरित कर समाज की मुख्य धारा संग जोड़ रहे हैं। साल 2000 में बनाई गई अपनी राष्ट्रीय विकलांग एसोसिएशन के जरिए दिव्यांगों की आवाज को हर स्तर पर बुलंद करते है। हजारों जरूरतमंदों, दिव्यांगों, वृद्ध व असहाय लोगों कृत्रिम अंगों के वितरण संग पेंशन समेत सरकारी अन्य दूसरी योजनाओं का लाभ भी दिला चुके हैं। सर्दियों में लिहाफ-कंबल वितरण की उनकी मुहिम भी लगातार आगे बढ़ रही है।