सी.एस. राजपूत
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी का नाम ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ रखा है। उन्होंने बाकायदा सोमवार को जम्मू में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी के नाम की घोषणा की है। उन्होंने गत 26 अगस्त को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या गुलाम नबी आज़ाद अपनी पार्टी से अपना अलग वजूद बनाएंगे या फिर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की तरह अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर लेंगे।
वैसे भी पार्टी छोड़ने से पहले उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काफी गलबहियां हुई थी। जहां राज्य सभा से विदाई पर प्रधानमंत्री ने गुलाम नबी आज़ाद की खुलकर तारीफ की थी वहीं आज़ाद भी कई बार प्रधानमंत्री की तारीफ में कसीदे पढ़ चुके हैं। वैसे भी यदि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से नाराज होने वाले नेता कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनु सिंघवी जैसे नेता यदि गुलाम नबी आज़ाद के साथ खड़े होते तो कहा जा सकता था कि गुलाम नबी आज़ाद अपनी पार्टी वजूद में आती। आज की परिस्थिति से तो यही लग रहा है कि या तो गुलाम नबी आज़ाद भाजपा के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या फिर बीजेपी के साथ हो लेंगे।हालांकि कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी समेत कई पार्टियां बनीं और वजूद में भी आई पर आज की तारीख में जब कांग्रेस का वजूद ही खतरे में है तो फिर उससे निकले नेताओं द्वारा बनाई गई पार्टियों का क्या हाल होगा ? वैसे भी अमरेंद्र सिंह भी बड़े दावे के साथ पार्टी बनाई थी पर बाद में वह बीजेपी की गोद में जा बैठे।
दरअसल गुलाम नबी आजाद तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को जम्मू पहुंचे हैं। अपनी पार्टी की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी की विचारधारा उनके नाम की तरह होगी और इसमें सभी धर्मनिरपेक्ष लोग शामिल हो सकते हैं। वह पार्टी का एजेंडा भी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं। इसमें जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना, जमीन और नौकरियों के अधिकार स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित करने के लिए संघर्ष जारी रखना शामिल है।
किसी भी पार्टी या नेता से प्रभावित नहीं होगी : नयी पार्टी के लॉन्च के दौरान गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, “डेमोक्रेसी डेमोक्रेटिक के लिए है कि पूरी स्वतंत्र होगी। जिसका मैंने उल्लेख किया कि अपनी सोच होगी। किसी भी पार्टी या नेता से प्रभावित नहीं होगी और आज़ाद रहेगी।” अपनी नई पार्टी को लेकर गुलाम नबी ने कहा कि लगभग 1,500 नाम हमें उर्दू, संस्कृत में भेजे गए थे। हिंदी और उर्दू का मिश्रण हिंदुस्तानी है। हम चाहते थे कि नाम लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और स्वतंत्र हो इसलिए पार्टी का ये नाम तय हुआ।
गुलाम नबी आजाद ने अपने जम्मू दौरे के दौरान नई पार्टी के लिए समर्थकों के साथ चर्चा की थी और दिल्ली में पार्टी के नाम को लेकर मंथन किया था। उन्होंने बताया था कि नई पार्टी की विचारधारा उनके नाम की तरह होगी और इसमें सिर्फ धर्मनिरपेक्ष लोग ही शामिल हो सकते हैं।