
नई दिल्ली/इंदौर। हाल के एक शोध में यह मामला सामने आया है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट साइलेंट हार्ट अटैक और थायराइड जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। जिसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मिलकर किया है।
साइलेंट हार्ट अटैक का जोखिम
डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित लोगों में हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे साइलेंट हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। यह स्थिति खतरनाक होती है क्योंकि इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते, जैसे छाती में दर्द या सांस की तकलीफ, जिसके कारण मरीज को पता नहीं चलता कि उसे हार्ट अटैक हुआ है।
अन्य प्रभाव
अध्ययन में यह भी पाया गया कि डेल्टा वेरिएंट थायराइड की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।
शोध का आधार: यह रिसर्च कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट के मरीजों के ऊपर किए गए प्रोटिओमिक विश्लेषण पर आधारित है, जिसमें प्रोटीन स्तर पर होने वाले बदलावों का अध्ययन किया गया।
शोध का आधार: यह रिसर्च कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट के मरीजों के ऊपर किए गए प्रोटिओमिक विश्लेषण पर आधारित है, जिसमें प्रोटीन स्तर पर होने वाले बदलावों का अध्ययन किया गया।
सावधानियां और सुझाव
नियमित स्वास्थ्य जांच, खासकर हृदय और थायराइड की, कोविड-19 से उबरने के बाद जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और धूम्रपान से दूरी बनाए रखें। लक्षणों पर नजर रखें: सांस लेने में तकलीफ, थकान, चक्कर आना या सीने में हल्की असहजता जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। यह खुलासा कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को समझने में महत्वपूर्ण है, और विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के जोखिमों से बचने के लिए जागरूकता और समय पर चिकित्सा जांच महत्वपूर्ण है।