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दिल्ली तीस हजारी कोर्ट ने किया निवेशकों के साथ  न्याय…  

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स्वपना रॉय पत्नी सुब्रत रॉय, ओपी श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों अलख सिंह और एस बी सिंह की याचिका ख़ारिज

द न्यूज 15 ब्यूरो 
नई दिल्ली। निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर पैसे हड़पने के जुर्म में स्वपना रॉय पत्नी सुब्रत रॉय, ओपी श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों अलख सिंह और एस बी सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया गया है।
दरअसल नियाज़ अहमद ने सहारा इंडिया के नाम पर सहारा इंडिया (पार्टनरशिप फर्म) के फ्रेंचाइजी ऑफिस करोल बाग और ऑफिस पहाड़गंज और काश्मीरी गेट  में फिक्स डिपॉजिट योजना  में 5 वर्ष,6 वर्ष और 10 वर्ष के लिए पैसा जमा कराया था, जब समय पूरा हुआ तो सहारा इंडिया (पार्टनरशिप फर्म) के मैनेजरों व अधिकारियों ने उसके पैसे न देकर हड़पने के उद्देश्य से  टालमटोल करने लगे  और फिर से नए कंपनी के नाम पर बांड ले जाने को बोलने लगे, और पैसा न देकर गुमराह करने लगे जिसकी शिकायत उसने स्थानीय प्रशासन करोल बाग को 2021 में दिया, जिसपर प्रशासन द्वारा कोई कारवाई नही  किया गया तब वो थककर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और धोखाधड़ी कर पैसे हड़पने में शामिल लोगों पर FIR करवायी, जिसकी सुनवाई लगातार न्यायालय में जारी रहा, जिस पर  पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले स्थानीय दो मैनेजरों ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई जिसमें वादी द्वारा स्वास्थ्य ठीक नही रहने के कारण विरोध नही दर्ज कराया गया उसके बाद सहारा इंडिया के उच्च अधिकारियों द्वारा भी अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई जिसमें बाद में वादी और कंपनी के बीच  विवाद में समझौता हो गया मगर वादी का कुछ रुपया कंपनी के वकीलों द्वारा नही चालाकी  दिखाते हुए रोक दिया गया कि बाद में दे देंगे,जबकि वादी द्वारा विश्वास दिलाया गया कि पैसा लेने के बाद समझौता से मुकरेगा नही फिर भी कंपनी के वकीलों द्वारा चालाकियां दिखाकर भुगतान रोका गया। तबतक दिल्ली परिक्षेत्र के अन्य निवेशकों और एजेंटों को भी कंपनी के उच्च अधिकारियों द्वारा लगाई गई अग्रिम जमानत की भनक लग गई जिसमे बुराड़ी ब्रांच के 20 एजेंट और उस्मान पुर ब्रांच के कई निवेशक और एजेंटों ने  पूर्व रिजीनल मैनेजर के आंदोलन में भाग लेने और सहयोग देने के कारण तीस हजारी कोर्ट ने सभी ने लगभग 4 करोड़ की राशि से पीड़ित लोगो ने वकील के साथ विरोध याचिका लगाई जिसपर लगातार 12 बार सुनवाई की गई जिसमें केस को उच्च मूल्यवर्ग की राशि के धोखाधड़ी के कारण EOW को हस्तांतरित किया गया और अग्रिम जमानतकर्ताओं श्रीमती स्वपना रॉय,ओपी श्रीवास्तव, अलख सिंह और एस बी सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी।

नए याचिकाकर्ता उर्मिला गुप्ता (उस्मान पुर),बच्चा  मिश्रा (बुराड़ी) शबाना,सरवर अली, प्रमोद टंडन आदि ने जोरदार मेहनत की।
सबसे बड़ी खास बात ये है कि सहारा इंडिया (साझेदारी फर्म)को बैंक की तरह आम जनता से पैसे लेने का और किसी अन्य कंपनी से बांड जारी करने का कोई अधिकार नही है फिर सहारा इंडिया के मैनेजरों ने ऑफिस और फ्रेंचाइजी ऑफिस खोलकर पैसे लिए और कई सोसायटियों के नाम और कंपनियों के नाम का बांड जारी कर लोगो के साथ धोखाधड़ी किये। जब पैसे लौटाने की बारी आती है किसी अन्य कंपनी में फिर से निवेश करने को दबाव बनाने लगते हैं।