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दिल्ली पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह का​ किया भंडाफोड़

ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली क्राइम ब्रांच पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश किया और यह गिरोह देशभर में महंगी और लग्जरी कारों की चोरी और तस्करी में सक्रिय है। बता दे कि इस गिरोह को दुबई में बैठा मास्टरमाइंड आमिर पशा चला रहा है। जिसके पास से पुलिस ने अब तक 15 महंगी गाड़ियां बरामद की हैं और इसके अलावा नकली नंबर प्लेट, फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और डुप्लीकेट चाबियां भी बरामद की गई हैं।

 

क्राइम ब्रांच की डीसीपी ने किया खुलासा

 

बता दे कि डीसीपी अपूर्वा गुप्ता ने कहा है कि गिरफ्तार हुए आरोपियों में से प्रमुख नाम ताज मोहम्मद, इमरान खान, कुनाल जैसवाल, अकबर, मतीन खान, नागेंद्र सिंह, मनीष आर्य और नदीम हैं. इन आरोपियों पर पहले से भी कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें वाहन चोरी, डकैती, आर्म्स एक्ट और एनडीपीएस जैसी धाराएं शामिल हैं। एक अभियान के तहत दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में छापेमारी कर चोरी की गई गाड़ियों के साथ-साथ फर्जी नंबर प्लेट, फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और डुप्लीकेट चाबी भी बरामद की हैं. बरामद गाड़ियों में क्रेटा, सेल्टोस, फॉर्च्यूनर, इनोवा क्रिस्टा, ब्रेजा, स्विफ्ट और बलेनो जैसे मॉडल शामिल हैं. इस गिरोह का सरगना आमिर पशा दुबई से पूरे नेटवर्क को तकनीकी उपकरणों और पैसों के जरिए चलाता था. वह अपने नेटवर्क को इस तरह चलाता था कि एक सदस्य को दूसरे की जानकारी नहीं होती थी, जिससे पुलिस को पकड़ने में मुश्किल हो.

 

महंगे गाड़ी हैक कर करते थे चोरी

 

बता दे कि डीसीपी के मुताबिक गिरोह के सदस्य पहले पार्किंग या कम निगरानी वाले इलाकों में खड़ी महंगी गाड़ियों की पहचान करते थे और उसके बाद एडवांस्ड की-प्रोग्रामिंग डिवाइस से गाड़ियों की सुरक्षा प्रणाली को हैक कर लेते थे। चोरी के बाद गाड़ियों को देश के दूर-दराज़ इलाकों जैसे पूर्वोत्तर भारत, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल भेजा जाता था, जहां उन्हें या तो बेच दिया जाता था या पार्ट्स में तोड़कर ब्लैक मार्केट में बेचा जाता था।

 

 

मास्टरमाइंड आमिर पाशा दुबई से चलाता था गिरोह

 

बता दे कि गिरोह का सरगना आमिर पाशा दुबई से पूरे नेटवर्क का संचालन करता था। आमिर पाशा संभल हिंसा का आरोपी सारिख साका का भतीजा है। वह तकनीकी उपकरण जैसे कि की-प्रोग्रामर, ब्लैंक चाबी और जीपीएस स्कैनर भारत भेजता था। गिरोह के सदस्य एक-दूसरे की पहचान नहीं रखते थे जिससे पुलिस तक पहुंचना मुश्किल हो जाता था।

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