नई दिल्ली। देश में बदलते मौसम से विभिन्न संस्कृति, रीति रिवाज आदि जुड़े है तो वही कुछ मौसम के बदलाव से जनता को कुछ परेशानियों से भी दो चार होना पड़ता है ऐसा ही गर्मी के बाद और सर्दी का मौसम शुरू होने से पहले बरसात का मौसम होता है जिससे कई फायदे है तो कई प्रकार की बीमारियां एवं महामारियां भी फैलती है जो कि ज्यादातर मच्छरों से होती है। इस मौसम में मच्छर बहुत ज्यादा हो जाते है तब मच्छरों से जानता को बचाने के लिए ही तीनों दिल्ली नगर निगम द्वारा फ्यूमिगेशन (धुएं का प्रयोग) कर इसकी रोकथाम करती है।
उपरोक्त संदर्भ पर विख्यात समाजसेवी, फेडरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रीक्ट वेलफेयर फोरम सचिव एवं राष्ट्रीय युवा चेतना मंच भारत के राष्ट्रीय महासचिव महेश मिश्रा ने बताया कि आजकल नगर निगम मच्छरों पर रोकथाम के लिए जो फ्यूमिगेशन कराती है वोह दिन में कराती है ओर वह भी सिर्फ घरों के अंदर जबकि अगर हम वर्षों पहले की
मिश्रा ने आगे बताया कि जहां पहले के अधिकारी इन बातों को समझते थे और उचित समय पर फ्यूमिगेशन कराते थे वहीं आजकल के दिल्ली नगर निगम के अधिकारी जनता के खून पसीने की कमाई को दिन धुएं में उड़ाती है फिर शाम को वोही मच्छर उसी जनता का खून चूसते उनके स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते है जिससे अच्छा खासा प्रत्यक्ष और और अप्रत्यक्ष टैक्स भरने के बाद बची कुची कमाई का हिस्सा वह अस्पताल/डाक्टरों के पास भरते है मगर बात यही खत्म नहीं होती कई बार मच्छरों का हमला इतना खतरनाक होता है कि कइयों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है।
इसलिए हम दिल्ली नगर निगम के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी व निगमायुक्त से निवेदन करते है कि फ्यूमिगेशन का समय शाम को निर्धारित किया जाए व फ्यूमिगेशन पूरे क्षेत्र में किया जाए न कि कुछ घरों में जैसा कि दशकों पहले से होता आ रहा था तथा इसको बदलने वाले अधिकारियो से रिपोर्ट ली जाए कि समय बदल कर जनता के खून पसीने की कमाई के टैक्स का पैसा तथा उसके बाद उनकी बची हुई कमाई और उस सबसे भी बढ़कर उनकी जान माल की हानि को बढ़ावा देने वाली प्रक्रिया किस आधार पर शुरू की गई?