द न्यूज़ 15
नई दिल्ली। शुक्रवार को पुलिस को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अंतर-धार्मिक जोड़े को सुरक्षा देने का आदेश दिया, जिसकी हाल ही में विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत शादी हुई है। दरअसल, महिला ने आरोप लगाया कि पैतृक घर में उसे बंधक बनाकर रखा गया है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ महिला के पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता दानिश खान के अनुसार, लड़की के माता-पिता शादी के खिलाफ हैं क्योंकि वह एक मुस्लिम है।
वर्चुअल सुनवाई के दौरान महिला के पिता ने कहा कि वह शादी को मंजूरी नहीं देंगे क्योंकि दूल्हा दूसरे धर्म का है।
अदालत ने कहा, “हमने महिला के साथ लंबी बातचीत की है और उसने अपने पति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने आगे पुष्टि की है कि उसने विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उससे शादी की है। उसने कहा कि उसे पैतृक घर में इच्छा के विरुद्ध बंधक बनाकर रखा गया है। वर्तमान बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को अनुमति दी गई है, अगर वह चाहती है तो उसे अपने पति के साथ रहने की अनुमति है।”
साथ ही अदालत ने स्थानीय थाने के थाना प्रभारी को महिला को पति सहित उसके घर भेजने और दंपत्ति को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया
इसमें कहा गया कि शकरपुर थाना पुलिस के एसएचओ को नवविवाहितों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है ताकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।