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दिल्ली सरकार तथा दिल्ली शिक्षा निदेशालय निष्क्रिय, क्या होगा भारत का भविष्य : महेश मिश्रा

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अभिभावकों ने किया असंवैधानिक फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन

ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार जहां शिक्षा के नाम पर लगातार अपनी पीठ थपथपाते नही थकती है वहीं दिल्ली के निजी स्कूलों पर शासन प्रशासन का कोई भय नहीं दिखता निजी स्कूल लगातार मनमानी कर फीस बढ़ोत्तरी कर अभिभावकों की जेब खाली करने में जुटी हैं क्योंकि दिल्ली सरकार व दिल्ली शिक्षा निदेशालय नाकाम संवैधानिक नियमो को लागू करने में, वही इनकी नाकामी से भारत का भविष्य (बच्चे/विधार्थी) अंधकारमय क्योंकि जो संविधान/नियमो का पालन करने की शिक्षा उन्हे स्कूलों में दी जाती है वह धरातल पर नदारद है।

राजधानी दिल्ली के निजी स्कूलों की मनमानी से परेशान अभिभावकों द्वारा निजी स्कूलों के साथ जनप्रतिनिधियों, शासन – प्रशासन की अनदेखी के विरुद्ध विगत सोमवार को पीतमपुरा स्थित महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल के 150 से अधिक अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय के मुख्यालय, विधानसभा पर एकत्रित हो कर प्रदर्शन किया।

अभिभावक हितेश ने बताया कि अभिभावक गण 10 बजे तक वहां एकत्रित हो संबधित अधिकारियों से मिलना चाह रहे थे परंतु उन्हें अधिकारियों से मिलने नही दिया गया। जब अभिभावकों को इंसाफ का कोई रास्ता नजर आया तो उन्होंने वहा प्रदर्शन शुरू किया ।


दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्षा अपराजिता गौतम ने कहा शिक्षा निदेशालय द्वारा पुलिस को बुला अभिभावकों को डराने धमकाने को कोशिश की गई यहां तक धारा 144 का हवाला भी दिया लेकिन वर्षो से अत्याचार सहते अभिभावक जिसमे 70% सीनियर सिटीजन एवम महिलाए थी ने ठान रखा था वह यहां से तब तक नही जाएंगे जब तक उन्हें समाधान नहीं मिल जाता।

अभिभावक प्रियंका ने कहा महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल लगातार कई वर्षो से दिल्ली शिक्षा निदेशालय की बिना मंजूरी के फीस बढ़ाए जा रहा है। जो की मंजूर फीस से लगभग 190 प्रतिशत अधिक है। जबकि स्कूल के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा डीएसईएआर एक्ट 1976 के अंतर्गत आवंटित भूमि पर बना हुआ है। जिसके चलते बिना शिक्षा निदेशालय की अनुमति के फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है लेकिन दिल्ली के निजी स्कूल अधिकारियों के साथ साठगांठ कर सभी नियम, कानून, सविधान की अनदेखी कर रहे हैं। अभिभावकों ने बताया की वह समय से हर महीने मंजूर फीस का भुगतान करते आ रहे है लेकिन स्कूल ने उन्हें नोटिस जारी कर दिए साथ ही दसवीं, बारहवी तथा अन्य कक्षाओं के 200 से अधिक बच्चो को स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट थमा दिया जो 3 अक्टूबर से मान्य होगा।

अभिभावकों ने सलोगन बोर्ड एवम बैनर लेकर प्रदर्शन शुरू किया अभिभावक विनीत ने बताया की हम एक बॉक्स लेकर लोगो से चंदा इकट्ठा कर रहे थे जिससे वह अधिकारियों की अगर कोई मांग है तो पूरा कर सके। जिससे कई महीनो से लंबित उनके कई शिकायत पत्रों पर करवाई हो सके, जो अधिकारियों की टेबलों पर धूल फांक रही है।
गौतम ने बताया दो घंटे बाद लगभग 12 बजे शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा सिर्फ 4 अभिभावकों को मिलने के लिए बुलाया गया तब अभिभावकों ने अपनी सारी शिकायते बताई, अधिकारियों ने सिर्फ आश्वाशन दिया।

चूंकि अभिभावक शासन प्रशासन के फाइल फाइल खेलने के रवैए से काफी परेशान थे इस लिए मुख्य मंत्री एवं शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना से भी मिले परंतु वहां भी सिर्फ आश्वासन ही मिला कि स्कूल पर जल्द ठोस कार्यवाही की जाएगी।
अभिभावकों ने अपनी शिकायत उपराज्यपाल के कार्यालय में भी दर्ज कराई।

महेश मिश्रा, समाजसेवी एवं सचिव (फेडेरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रीक्ट वेलफेयर फोरम दिल्ली) तथा राष्ट्रीय महासचिव (राष्ट्रीय युवा चेतना मंच, भारत) जो सामाजिक कुरुतियों एवम शिक्षा संबधित मुद्दों के समाधान करवाने के लिए हमेशा जनता के साथ खड़े रहते है। उन्होंने बताया की यह परिस्थिति सिर्फ दिल्ली के एक निजी स्कूल की नही है, दिल्ली के अभिभावक सालो से दिल्ली शिक्षा मंत्री, दिल्ली शिक्षा निदेशालय, विधायको, सांसदो एवं उपराज्यपाल से इसके समाधान के लिए गुहार लगा रहे लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है ।

मिश्रा ने कहा कि हम शासन प्रशासन से मांग करते हैं की जल्द से जल्द दिल्ली के निजी स्कूलों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए जिससे यह नियमों/संविधान का पालन करे तथा अभिभावकों एवं बच्चों पर हो रहे अत्याचार से निजात दिलाया जाए। तथा बच्चों के जो लिविंग सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं उन्हें रद्द किया जाए। मनमानी अवैध फीस वसूलने के लिए निजी स्कूलों द्वारा जैसे यह एक हथकंडा सा बना लिया है जिसके चलते यह बच्चो के नाम कटना यहां तक की कुछ महीनो पहले एक बहुत बड़े स्कूल द्वारा अवैध फीस वसूली के लिए बच्चों को क्लास में न जाने देकर लाइब्रेरी में बिठाया गया, नाम काटे गए और यह तक समाज में अभिभावकों एवम मासूम बच्चों की छवि को धूमिल करने, मानसिक प्रताड़ना के लिए उनके नाम अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दिया गया जिसकी नेशनल मीडिया एवम अन्य प्रतिष्ठित स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा काफी आलोचना की गई है। मिश्रा ने कहा हम सभी अभिभावकों का मानना है स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए हम मांग करते है कि सभी स्कूलों की फीस वृद्धि प्रस्ताव का सीएजी द्वारा ऑडिट हो, सभी प्रस्तावों के निस्तारण की समय अवधि नए सत्र के दाखिले से पहले खत्म होनी चाहिए, स्कूलों की मान्यता प्राप्त फीस शिक्षा निदेशालय के वेबसाइट पर उपलब्ध हो, पीटीए का निर्धारण विभाग के निरीक्षण के अंदर और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग हो इत्यादि।