The News15

पंजाब के वोटरों को दिल्ली के कर्मचारियों ने केजरीवाल की वादा खिलाफ़ी से किया आगाह 

Spread the love

द न्यूज 15 
मोहाली/पंजाब।  दिल्ली सरकार द्वारा अपनी मांगों की अनसुनी किये जाने से क्षुब्ध, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के झूठे वादों के खिलाफ पंजाब जाकर ‘पोल खोल’ अभियान चलाया। अभियान की अगुवाई ऐक्टू से सम्बद्ध यूनियन – ‘डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर’ ने की। पिछले चार दिनों से चल रहा ये कार्यक्रम पंजाब के पटियाला से शुरू होकर, सुनाम, फिरोजपुर, हुसैनीवाला, अमृतसर इत्यादि जगहों से होते हुए मोहाली पहुंचकर सम्पन्न हुआ। पंजाब की आम जनता को दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा कर्मचारियों के साथ की गई वादाखिलाफी के बारे में बताते हुए आगाह कराया गया।
बुधवार को मोहाली में ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई बयान जारी किये। इसके समानांतर मोहाली में ही प्रेस वार्ता करके डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के महासचिव, राजेश कुमार ने कहा कि आज गुरु रविदास जी की जयंती है। वो कहा करते थे कि ‘ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न, छोट-बड़ों सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न’ – परन्तु अगर ठेके और पक्के कर्मचारियों के बीच भेदभाव जारी रहेगा तब समानता आएगी कैसे? अपने चुनावी घोषणापत्र में किये गए वादे अनुसार दिल्ली सरकार को डीटीसी समेत सभी जगह के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पक्का करना चाहिए।
डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेन्टर (ऐक्टू) से जुड़े कर्मचारियों ने अपने ‘पोल खोल’ अभियान के दौरान पंजाब के अलग -अलग इलाको में मज़दूरों- कर्मचारियों से संवाद किया। खुद को जन-विरोधी मोदी सरकार का विकल्प बताने वाले अरविंद केजरीवाल, केंद्र सरकार की तरह ही सत्ता के नशे में चूर हैं। वो चुनाव के दौरान कर्मचारियों से किये वादे भूल चुके हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली परिवहन निगम के निजीकरण को तेज कर रहे हैं, कई डिपो और वर्कशॉप इसके कारण प्रभावित हुए हैं। अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली के मज़दूरों-कर्मचारियों की बात तक नही सुनते और मैनिफेस्टो में किये वादों से पीछे हट चुके हैं, तो जाहिर सी बात है कि पंजाब के लोगों भी आगे धोखा ही मिलेगा।
यूनियन के सचिव और बीस सालों से डीटीसी में कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत नरेश कुमार ने कहा कि, “पंजाब से लौटते हुए दिल्ली सरकार से अभी भी एक ही अपील है – घमंड विनाश का कारण होता है, अहंकार छोड़कर मज़दूरों-कर्मचारियों की बात सुनिये। न तो दिल्ली की फैक्ट्रियों में काम कर रहें मज़दूरों को न्यूनतम वेतन मिल रहा है और न ही पीएफ, बोनस इत्यादि।”
“आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों के प्रदर्शनों के बावजूद दिल्ली सरकार उनकी बात नही सुन रही। हर रोज़ हो रही दुर्घटनाओं में मज़दूर मारे जा रहे हैं फिर भी दिल्ली सरकार मज़दूर संगठनों से बात तक नही कर रही। अगर दिल्ली सरकार भी केंद्र सरकार के रस्ते पर ही चलती रहेगी तो निश्चित तौर पर जनता से पूरी तरह अलगाव में चले जाएगी।”