घटते छात्र, बढ़ते स्कूल: क्या शिक्षा नहीं अनुकूल?

सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन छात्रों का नामांकन घट रहा है। हरियाणा में साल 2023-24 में सरकारी स्कूलों में नामांकन 22.30 लाख रहा, जो साल 2022-23 के 24.64 लाख से कम है। साथ ही, साल 2023-24 में राज्य में कुल नामांकन 56.41 लाख रहा, जबकि साल 2022-23 में यह 57.76 लाख था।साल 2022-23 में लड़कियों का नामांकन (माध्यमिक) 4.4 प्रतिशत था, जो साल 2023-24 में 4.2 प्रतिशत रह गया। दो सालों में लड़कों का नामांकन 5.7 प्रतिशत से गिरकर 5.4 प्रतिशत हो गया। शिक्षा प्रणाली में कुछ चुनौतियाँ हैं जिनके कारण भारत इष्टतम विकास को पूरा करने में सक्षम नहीं है। भारत में शिक्षा के परिदृश्य को बेहतर बनाने एवं छात्रों के नामांकन को बढ़ाने के लिए उन नीतियों पर सख्ती से काम करने की आवश्यकता है जो भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करें।

 

प्रियंका सौरभ

शिक्षा के लिए एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्कूलों की संख्या बढ़ रही है, पर स्कूली छात्रों की संख्या घट रही है। स्कूली छात्रों की संख्या घटना न केवल चिंताजनक और विचारणीय है बल्कि नये भारत-सशक्त भारत निर्माण की एक बड़ी बाधा भी है। भारत में स्कूलों की संख्या में करीब 5, 000 की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तरों सहित 14, 89, 115 स्कूल हैं। ये स्कूल 26, 52, 35, 830 छात्रों को पढ़ाते हैं। इनमें से कुछ स्कूलों को उनकी प्रतिष्ठा, स्थापना के वर्षों, महत्त्वपूर्ण स्कूल परिणामों, मार्केटिंग रणनीतियों आदि के कारण उच्च छात्र नामांकन प्राप्त होते हैं लेकिन पर साल 2022-23 व 2023-24 के बीच स्कूली छात्रों के नामांकन में 37 लाख की कमी आई है। यह स्थिति अनेक सवाल खड़े करती है। क्या स्कूली शिक्षा ज्यादातर बच्चों की पहुँच के बाहर है? क्या शिक्षा का आकर्षण पहले की तुलना में घटा है?
सरकारी स्कूलों में बेहतरीन सुविधाएँ उपलब्ध होने के बावजूद, दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही है। सरकारी स्कूलों में बेहतर सुविधाओं के बावजूद, खराब गुणवत्ता वाली शिक्षा, अपर्याप्त शिक्षक प्रशिक्षण, जवाबदेही की कमी, निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा और कुछ क्षेत्रों में अच्छे सरकारी स्कूलों की उपलब्धता के बावजूद निजी स्कूलों में बेहतर शिक्षण परिणाम देने की धारणा के कारण अक्सर छात्रों का नामांकन कम रहता है; इससे माता-पिता निजी स्कूलों को चुनते हैं, भले ही वे सरकारी शिक्षा का ख़र्च वहन कर सकें। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आजकल छात्र और उनके माता-पिता सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों में दाखिला लेना पसंद करते हैं। हम ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही प्रवृत्ति देखते हैं, जहाँ अधिकांश माता-पिता कृषि पर निर्भर हैं और कम आर्थिक वर्ग से हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे स्कूलों में बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करें ताकि अधिक से अधिक छात्रों को सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए आकर्षित किया जा सके। सुविधाओं में सुधार के बावजूद सरकारी स्कूलों में कम नामांकन के मुख्य कारण हैं अपर्याप्त शिक्षक प्रशिक्षण, कम प्रेरणा और शिक्षकों की उच्च अनुपस्थिति सरकारी स्कूलों में सीखने की गुणवत्ता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है, जिससे माता-पिता बेहतर शिक्षक मानकों वाले निजी स्कूलों का विकल्प चुनते हैं। जब सरकारी स्कूलों में अच्छा बुनियादी ढांचा होता है, तब भी माता-पिता के बीच यह धारणा बनी रहती है कि निजी स्कूल बेहतर शिक्षा प्रदान करते हैं, जिससे निजी संस्थानों को प्राथमिकता मिलती है। सरकारी स्कूलों में खराब निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली शिक्षा की असंगत गुणवत्ता को जन्म दे सकती है, जिससे माता-पिता का आत्मविश्वास और भी कम हो सकता है।
सुविधाओं और मार्केटिंग रणनीतियों वाले निजी स्कूलों की तेज़ी से वृद्धि अक्सर छात्रों को सरकारी स्कूलों से दूर कर देती है, यहाँ तक कि उन क्षेत्रों में भी जहाँ सार्वजनिक शिक्षा के अच्छे विकल्प हैं। कुछ मामलों में, माता-पिता सामाजिक दबाव या उच्च सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले साथियों के नेटवर्क तक पहुँचने की इच्छा के कारण निजी स्कूलों का चयन कर सकते हैं। सरकारी स्कूल हमेशा अपने पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों को आधुनिक शैक्षिक प्रथाओं के साथ संरेखित करने के लिए अपडेट नहीं कर सकते हैं, जिससे गुणवत्ता में अंतर पैदा होता है। हमें सच्चाई को स्वीकार करना होगा, हालाँकि यह कड़वी है। अपर्याप्त सुविधाएँ, शिक्षकों की कम उपस्थिति और पुरानी शिक्षण पद्धतियाँ कुछ ऐसे कारण हैं, जिनके कारण लोग मुफ्त सरकारी स्कूलों को छोड़कर महंगी फीस वाले निजी संस्थानों को चुन रहे हैं, जो कि बहुत अच्छा संकेत नहीं है।
समस्या केवल यह नहीं है कि निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों की तुलना में दाखिले अधिक होते हैं। सरकारी स्कूलों में देखभाल और ध्यान कम होगा। सरकारी स्कूलों में प्रक्रिया पर औसत नज़र रहेगी। उचित बुनियादी ढांचे की उपलब्धता का सवाल ही नहीं उठता। अपर्याप्त स्टाफ़ के साथ चलने वाले ज़्यादातर स्कूलों में यह बहुत आम बात है। मुख्य रूप से माता-पिता के प्रति उनके बच्चों की शिक्षा के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है। जबकि निजी स्कूलों में उपर्युक्त रणनीति के फॉर्मूलेशन उपलब्ध होंगे, इसके अलावा स्कूल की क्षमता बढ़ाने के लिए व्यावसायिक हथकंडे भी जोड़े जाएँगे। देश के स्कूली इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुए सुधार के साथ ही उन अहम दिक्कतों की भी झलक देती है, जिन्हें दूर किया जाना बाक़ी है। बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बेहतर होने के बावजूद छात्रों की संख्या का घटना गहन विमर्श का विषय है।
सरकारी स्कूलों में शिक्षण मानकों को बेहतर बनाने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण, योग्य शिक्षकों की भर्ती और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन को प्राथमिकता दें। स्कूल के प्रदर्शन की निगरानी करने, सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने और छात्रों के सीखने के परिणामों के लिए स्कूलों को जवाबदेह बनाने के लिए मज़बूत सिस्टम लागू करें। विश्वास बनाने और सरकारी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए स्कूल के निर्णय लेने में माता-पिता और समुदाय के नेताओं को शामिल करें। प्रासंगिकता और वर्तमान आवश्यकताओं के साथ संरेखण सुनिश्चित करने के लिए पाठ्यक्रम की नियमित समीक्षा करें और उसे अद्यतन करें। अनुकूल शिक्षण वातावरण प्रदान करने के लिए सरकारी स्कूलों में भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार करने में निवेश करना जारी रखें। नकारात्मक धारणाओं को दूर करने और नामांकन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी स्कूलों में उपलब्ध शिक्षा की गुणवत्ता को उजागर करने वाले अभियान चलाएँ।
शिक्षा प्रणाली में कुछ चुनौतियाँ हैं जिनके कारण भारत इष्टतम विकास को पूरा करने में सक्षम नहीं है। भारत में शिक्षा के परिदृश्य को बेहतर बनाने एवं छात्रों के नामांकन को बढ़ाने के लिए उन नीतियों पर सख्ती से काम करने की आवश्यकता है जो भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करें॥

(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

  • Related Posts

    Purbo Diganta फाउंडेशन की समाज सेवा की दिशा में एक प्रतिबद्ध पहल

    Purbo Diganta Foundation की समाजसेवा की दिशा में…

    Continue reading
    हरौली के होनहारों का कमाल : 12वीं बोर्ड में 100% परिणाम

    फतेहाबाद जिले के रतिया ब्लॉक स्थित Government Senior…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    अब पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों पर बीजेपी सांसद की विवादित टिप्पणी!

    • By TN15
    • May 24, 2025
    अब पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों पर बीजेपी सांसद की विवादित टिप्पणी!

    बिहार में ऑपरेशन सिंदूर को भुनाने की फ़िराक में बीजेपी ?

    • By TN15
    • May 24, 2025
    बिहार में ऑपरेशन सिंदूर को भुनाने की फ़िराक में बीजेपी ?

    विश्व भारती जनसेवा संस्थान ने सहारा से संपूर्ण भुगतान के लिए बनाया अपना रोड मैप 

    • By TN15
    • May 24, 2025
    विश्व भारती जनसेवा संस्थान ने सहारा से संपूर्ण भुगतान के लिए बनाया अपना रोड मैप 

    वेस्ट दिल्ली के मोहन गार्डन में एमसीडी स्वच्छता अभियान का बोलबाला

    • By TN15
    • May 24, 2025
    वेस्ट दिल्ली के मोहन गार्डन में एमसीडी स्वच्छता अभियान का बोलबाला

    शुभमन गिल भारतीय टीम के नए कप्तान 

    • By TN15
    • May 24, 2025

    बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनेगा ऑपरेशन सिंदूर! 

    • By TN15
    • May 24, 2025
    बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनेगा ऑपरेशन सिंदूर!