जानिए ‘दीनापुर’ से दानापुर बनने की कहानी
दीपक कुमार तिवारी
पटना। नई दिल्ली से कोलकाता मेन लाइन पर राजधानी पटना से सटे स्थित है, दानापुर रेलवे स्टेशन। इस स्टेशन ने शतकीय पारी पूरी कर ली है। स्टेशन की उम्र 1 जनवरी, 2025 यानी आज 100 साल की हो गई है। पहले दानापुर को ‘दीनापुर’ स्टेशन के नाम से भी जाना जाता था। स्टेशन की उम्र 100 साल होने की खुशी में पूर्व मध्य रेलवे आगामी 31 जनवरी, 2025 को शताब्दी वर्ष समारोह मनाने जा रहा है। इसकी तैयारी चल रही है। दानापुर पूर्व मध्य रेलवे का एक खास रेलवे स्टेशन है।
नई दिल्ली से कोलकाता के मेन लाइन में स्थित ये स्टेशन वाराणसी और दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन को पटना से जोड़ता है। दानापुर से होकर लंबी दूरी की ट्रेन गुजरती है। दानापुर डिवीजन के एडीआरएम आधार राज ने सोशल मीडिया अकाउंट पर दानापुर के 100 साल पूरे होने की जानकारी दी है। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि शताब्दी समारोह को लेकर कॉफी टेबल बुक के प्रकाशन की तैयारी चल रही है। उसके अलावा एक विशेष पत्रिका का विमोचन किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक शताब्दी वर्ष समारोह मनाने के लिए पुराने जगजीवन स्टेडियम को तैयार किया जा रहा है। इस मौके पर दानापुर रेल मंडल की पुरानी और ऐतिहासिक तस्वीरों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। जानकारी के मुताबिक दानापुर मंडल के पहले अधीक्षक सी आयर्स थे, जिन्होंने स्थापना के पहले दिन यानी 1 जनवरी, 1925 को अपना कार्यभार संभाला था। उसके बाद 1980 में इस पद को बदलकर डीआरएम कर दिया गया। रेलवे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक दानापुर जिसे पूर्व में दीनापुर के नाम से जाना जाता था। उसका निर्माण 1860 के दशक में हुआ था।
रेलवे के मुताबिक दानापुर मंडल का कार्यक्षेत्र काफी बड़ा है। ये फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ़, मोकामा, गुलजारबाग और बिहटा जैसे पुराने स्टेशन दानापुर डिवीजन में ही आते हैं। दानापुर डिवीजन का क्षेत्र झाझा से कुचमन तक फैला हुआ है। इसमें पटना जंक्शन भी शामिल है। पटना बिहार का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। इसके साथ ही राजेंद्र नगर टर्मिनल, दानापुर और पाटलिपुत्र स्टेशन के अलावा, आरा, बक्सर, पटना साहिब, डुमरांव इसी मंडल के अधीन आते हैं।
दानापुर रेल मंडल अपने स्थापना के समय कोलकाता स्थित पूर्वी रेलवे का अभिन्न अंग था। उसके बाद 2002 में जब रामविलास पासवान ने रेल मंत्री रहते हाजीपुर में पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय बनाया, तब से दानापुर उसी के अधीन आ गया। जानकारों की मानें, तो 1925 से भारत सरकार की ओर से इआईआर का प्रबंधन अपने हाथ में लिया गया। उसके बाद इसके छह डिविजन बनाए गए। जिसमें हावड़ा, आसनसोल और दीनापुर यानी दानापुर को निचले डिविजन के रूप में जाना जाता था।
जानकारी के मुताबिक 1925 में हावड़ा से मुरादाबाद के बीच कुल छह रेल मंडल रहे। उसमें दानापुर शामिल था। दानापुर में बाद में यात्री सुविधा का विकास हुआ। अब दानापुर मंडल से होते हुए 180 जोड़ी यात्री ट्रेनें गुजरती हैं। इसके अलावा 160 मालगाड़ी ट्रेनों का परिचालन होता है। दानापुर डिवीजन में 38 फीसदी आय का इजाफा नोट किया गया है। यहां से वंदे भारत, तेजस समेत सभी प्रमुख ट्रेनों का परिचालन किया जाता है। रोजाना पांच से छह लाख यात्री यहां से सफर करते हैं।
रेलवे के मुताबिक दीनापुर से शुरू हुआ दानापुर का सफल अब 100 साल का हो गया है। इसका इतिहास काफी गौरवशाली है। यहां से यात्री देश के कई दिशा के लिए ट्रेन पकड़ते हैं। साउथ हो या नॉर्थ और पश्चिम भारत, हर जगह के लिए यहां से ट्रेनों का परिचालन होता है। इस स्टेशन से वंदे भारत, तेजस राजधानी के अलावा कई प्रमुख ट्रेनें गुजरती हैं। दानापुर स्टेशन का तेजी से विकास किया जा रहा है।