Sedition Law : जानिए क्या हैं राजद्रोह का कानूुन

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Sedition Law

Sedition Law : अंग्रेजो की तरफ से आंदोलनो को कुचलने के लिए बनाया गया एक कानून जो कि भारत की आजादी के इतने साल बाद भी इतने सालों तक अलग – अलग सरकारों के आने जाने के बाद भी बना रहा और आज सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगा दी है अगले फैसले तक सुप्रीम कोर्ट ने और नये मामलों को दाखिल करने से मना करते हुए। मौजूदा आरोपियों को जमानत के लिए याचिका का अधिकार दिया हैं।

अगर आप इन कानूनों के तहत आए लोगों के नामों की लिस्ट देखे तो आपको पता चलेगा कि सारे स्वतंत्रता सेनानियों को इस कानून के तहत नाप लिया गया। इस कानून के आने के बाद से ही अंग्रेजी हुकूमत ने सरकार के खिलाफ उठने वाले सभी स्वरों को दबाने की कोशिश करने लगी। सरकार के खिलाफ न केवल बोलना बल्कि अच्छी नियत

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सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने  N V Ramana इस मामले की अगली सुनवाई की। अब जुलाई के तीसरे हफ्ते में इसकी सुनवाई होगी। कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस दौरान केंद्र सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिशा निर्देश दे सकती है।

राजद्रोह की परिभाषा (Sedition Law) –

भारतीय दंड संहिता की धारा 124A में राजद्रोह (Sedition Law in India) की परिभाषा बताई गई है। इसके अनुसार, अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी विषय पर लिखा या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124A में राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता साथ ही अगर कोई शख्स देश विरोधी संगठन के खिलाफ अनजाने में भी संबंध रखता है या किसी भी प्रकार से सहयोग करता है तो वह भी राजद्रोह के दायरे में आता है।

छत्तीसगढ़ के IPS जी.पी. सिंह के खिलाफ सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो का मामला, फिर चाहे पत्रकार विनोद दुआ पर हिमाचल पुलिस का मामला हो जिसमें कोरोना के समय पत्रकार पर सरकार के खिलाफ बोलने का मामला जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया । हालही के नवनीत राणा और जिग्नेश मेवाणी का मामला हो । छोटी – छोटी बातों पर समय समय पर भारत में इसका प्रयोग कर सरकार (Sedition Law in India) इस तरह के कानूनों का दुरुपयोग करती रहती हैं।

राजद्रोह के कानून पर सुप्रीम कोर्ट (Sedition Law Supreme Court) के जज CJI N V Ramana ने भी इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा बता कर इस पर टिप्पणी की थी कि ये कानून गांधी और बाल गंगाधर तिलक जैसे क्रांतिकारियों के खिलाफ किया जाता हैं। (Sedition Law Supreme Court)

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इंग्लैंड में इस कानून को 2009 में ही बंद कर दिया गया था। भारत की बात करें तो भारत में किसी प्रकार का कोई भी राजशाही शासन नहीं हैं इसलिए ये कानून किसी मतलब का नहीं हैं। भारत में पहले से ही देशद्रोह को लेकर कई अच्छे तथा कड़े कानून उपस्थित हैं।

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देशद्रोह और राजद्रोह (Sedition Law) में सरकारों का स्पष्ट अंतर रखना चाहिए । सरकार की आलोचना एक लोकतंत्र के लिए अच्छा माना जाता हैं। इसके साथ हर 5 साल में सरकार बदलना ये एक सतत प्रक्रिया है। देखना होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस तरह के मामलों में कभी आएगी या फिर हालात वैसे ही बने रहेगे।

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