बीजेपी-जेडीयू में खींची तलवार, नीतीश कुमार का आगे का यह है प्लान!
पटना। बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच नेम प्लेट को लेकर मतभेद उभर कर सामने आ गया है। भाजपा जहां दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के पक्ष में है, वहीं जदयू इसे अनावश्यक मानती है। भाजपा का कहना है कि नेम प्लेट से पारदर्शिता आएगी और लोग अपनी आस्था के अनुसार दुकानों पर जा सकेंगे। वहीं जदयू का तर्क है कि नेम प्लेट से कोई फायदा नहीं होगा। उनका कहना है कि खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए, न कि दुकानों के नाम की।
यह पहली बार नहीं है जब दोनों दलों के बीच वैचारिक मतभेद सामने आए हैं। राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर भी जदयू ने शुरू में चुप्पी साधे रखी थी। आठ महीने बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बधाई दी थी। विश्लेषकों का मानना है कि जदयू अपनी सेक्युलर छवि को बरकरार रखना चाहती है, इसलिए वह भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे से दूरी बनाए रखती है।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नेम प्लेट लगाने से कुछ नहीं होगा। जरूरत इस बात की है कि दुकानों में बिकने वाली चीजों की गुणवत्ता की जांच हो। उन्होंने कहा कि तेल और मसालों में कितनी मिलावट है, इसकी जांच होनी चाहिए। सामग्री का पूरा विवरण दुकान के आगे चस्पा होना चाहिए। नीरज कुमार ने कहा कि राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए नेम प्लेट की मांग ठीक है, लेकिन मानवीय स्वास्थ्य के लिए खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता की जांच जरूरी है।
वहीं, भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि उत्तर प्रदेश की तरह बिहार समेत पूरे देश में खाने-पीने की दुकानों पर नेम प्लेट लगाना अनिवार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहचान छुपाने की जरूरत उसी को पड़ती है जो गलत काम करता है। आजकल खाने-पीने की चीजों में गंदगी मिलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। अजय आलोक ने कहा कि ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेम प्लेट लगने से लोग अपनी आस्था के अनुसार दुकानों पर जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि 50 साल से यही देख रहे हैं कि खिलाने वाला कोई और रहता है और बनाने वाला कोई और रहता है। वहीं, राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर जदयू की चुप्पी पर अजय आलोक ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बधाई दी है। सीएम नीतीश कुमार ने अयोध्या से सीतामढ़ी तक राम-जानकी मार्ग के निर्माण का भी अनुरोध किया है।
विश्लेषकों का मानना है कि जदयू मुस्लिम वोट बैंक के कारण भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे से दूरी बनाए रखती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और उसे मुस्लिम वोटों का फायदा मिला था। लेकिन लोकसभा चुनाव में जदयू को सीमांचल में हार का सामना करना पड़ा था, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। माना जा रहा है कि जदयू अपनी सेक्युलर छवि को मजबूत बनाए रखना चाहती है ताकि वह अगले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ आकर्षित कर सके।