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संपर्क व कनेक्शन तो बहुत पर सच्चा रिश्ता मुश्किल से

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ऊषा शुक्ला

कनेक्शन और संपर्क दो अलग-अलग शब्द हैं जिनका दो चीजों के जुड़ने के तरीके से लेना-देना है। लेकिन, कनेक्शन दो वस्तुओं के बीच भौतिक संबंध को संदर्भित करता है, जबकि संपर्क उस तरीके को संदर्भित करता है जिसमें दो वस्तुएं एक-दूसरे से जुड़ी या जुड़ी होती हैं। एक युवा पेशेवर द्वारा एक पुराने शिक्षक का साक्षात्कार लिया जा रहा था। पेशेवर ने पूर्व नियोजित योजना के अनुसार शिक्षक का साक्षात्कार लेना शुरू किया।युवा पेशेवर- *सर, अपने पिछले व्याख्यान में आपने हमें बताया था “संपर्क” और “कनेक्शन”, यह वास्तव में भ्रमित करने वाला है। क्या आप समझा सकते हैं? शिक्षक मुस्कुराए और स्पष्ट रूप से प्रश्न से विचलित होकर युवा पेशेवर से पूछा: क्या आप इसी शहर से हैं?
पेशेवर : हाँ! टीचर: घर में कौन कौन हैं?
पेशेवर ने महसूस किया कि शिक्षक उसके प्रश्न का उत्तर देने से बचने की कोशिश कर रहा था; क्योंकि यह एक बहुत ही व्यक्तिगत और अनुचित प्रश्न था। फिर भी युवा पेशेवर ने कहा: मां का देहांत हो गया था। पिता हैं, तीन भाई और एक बहन! सभी की शादी हो चुकी है! शिक्षक ने अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ फिर पूछा: क्या आप अपने पिता से बात करते हैं?
युवा पेशेवर नाराज दिख रहा था! शिक्षक: आपने उनसे आखिरी बार कब बात की थी? युवा पेशेवर ने अपनी झुंझलाहट को दबाते हुए कहा: एक महीने पहले! शिक्षक: क्या आपके भाई-बहन अक्सर मिलते हैं? आप आखिरी बार पारिवारिक सभा के रूप में कब मिले थे? इस बिंदु पर युवा पेशेवर के माथे पर पसीना आ गया। ऐसा लगता था कि शिक्षक युवा पेशेवर का साक्षात्कार ले रहे थे। पेशेवर ने कहा: हम आखिरी बार दो साल पहले त्योहार पर मिले थे। टीचर : तुम सब कितने दिन साथ रहे?
पेशेवर ने अपने माथे पर पसीना पोंछते हुए कहा: तीन दिन! शिक्षक: आपने अपने पिता के साथ कितना समय बिताया ठीक उनके पास बैठकर?
युवा पेशेवर परेशान और शर्मिंदा दिख रहा था और एक कागज पर कुछ लिखने लगा!
शिक्षक: क्या आपने नाश्ता, दोपहर का भोजन या रात का खाना एक साथ किया? क्या आपने पूछा कि वो कैसे हैं? क्या आपने पूछा कि माँ की मृत्यु के बाद उनके दिन कैसे बीत रहे हैं? युवा पेशेवर की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। शिक्षक ने युवा पेशेवर का हाथ पकड़ा और कहा: शर्मिंदा, परेशान या उदास मत हो। मुझे खेद है अगर मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई है, लेकिन यह मूल रूप से आपके प्रश्न का उत्तर है! “संपर्क और कनेक्शन” आपका अपने पिता के साथ ‘संपर्क’ है लेकिन आपका ‘कनेक्शन’ नहीं है। आप उनसे जुड़े नहीं हैं। कनेक्शन दिल और दिल के बीच होता है! एक साथ बैठना, भोजन करना और एक-दूसरे की देखभाल करना, छूना, हाथ मिलाना, आँख मिलाना, कुछ समय एक साथ बिताना! आपके सभी भाई-बहनों का एक-दूसरे से ‘संपर्क’ है लेकिन कोई ‘कनेक्शन’ नहीं है!* युवा पेशेवर ने अपनी आँखें पोंछीं और कहा: *धन्यवाद सर, मुझे एक अच्छा और अविस्मरणीय पाठ पढ़ाने के लिए।*यही है आज की हकीकत। चाहे घर में हो या समाज में सभी के बहुत सारे संपर्क हैं, लेकिन कोई संबंध नहीं है। सब अपनी अपनी दुनिया में मशगूल हैं! आइए न रहे।”संपर्क” में, लेकिन “कनेक्टेड” बने रहें, “केयरिंग”, “शेयरिंग” समय बिताते हुए हमारे सभी प्रियजनों के साथ!*घमंडी व्यक्ति जीवन में सफल नहीं हो सकता है। जिस व्यक्ति में एक बार घमंड पैदा हो गया तो वह अपने आगे किसी को भी नहीं मानता है। जब व्यक्ति का घमंड टूटता है तो वह अर्श से फर्श पर होता है लेकिन हम अच्छे संस्कारों से बुराई पर जीत हासिल कर सकते हैं। हमारे नैतिक मूल्य अच्छे घर, परिवार, समाज व देश की पहचान होते हैं। नैतिक मूल्यों का आधार हमारी प्राचीन संस्कृति है। मनुष्य की अमूल्य निधि उसकी संस्कृति और संस्कार होते हैं। यह एक ऐसी निधि है जिससे व्यक्ति सुसंस्कारित तथा सभ्य सामाजिक प्राणी बनता है। साथ ही यह हर प्रतिकूल परिस्थिति को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता पैदा करती है।बच्चे देश का भविष्य होते हैं परंतु नैतिक मूल्यों की कमी उनके जीवन को तबाह कर सकती है। बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देना आवश्यक है। नैतिकता ही वह खूबी है जो हमारे सामाजिक, सभ्य और सुसंस्कारित होने की पहचान करवाती है और जीवन को बेहतर ढंग से जीना सिखाती है। बच्चों के नैतिक मूल्यों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि हम घर का वातावरण अच्छा बनाए रखें, बच्चों को शेयरिग और केयरिग की सीख दें। बच्चों को मानवता की इज्जत करना सिखाएं तथा ईमानदारी का पाठ पढ़ाएं।