
चरण सिंह
अखिलेश यादव को समझ में आ गया होगा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस को टिकट न देकर गलती की है। एक तो समाजवादी पार्टी दो ही सीटों पर सिमट कर रह गई ऊपर से कांग्रेस की नाराजगी अलग से। समाजवादी पार्टी को संसद में जो दो सीटें अग्रिम पंक्ति में थी, उसमें से कांग्रेस ने अवधेश प्रसाद की सीट पीछे कर दी है। अग्रिम पंक्ति में अखिलेश यादव अकेले ही बैठेंगे। दरअसल विपक्ष में कांग्रेस मुख्य पार्टी है। क्योंकि राहुल गांधी प्रतिपक्ष नेता हैं, इसलिए उन्हें ही तय करना है कि कौन कहां बैठेगा। हालांकि यह मामला सांसद डिंपल यादव ने संसद में उठाया और लोकसभा अध्यक्ष से अवधेश प्रसाद के अग्रिम पंक्ति में बैठने की व्यवस्था की मांग की।
संसद में समाजवादी पार्टी की सीटें छेड़ने से समाजवादी पार्टी को समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस की नाराजगी उसे भारी पड़ने वाली है। दरअसल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हर प्रदेश में समझौता किया फिर भी उसकी सीटें १०० आ गई। कांग्रेस को यह समझ में आ गया है कि यदि वह प्रदेशों में क्षेत्रीय दलों से समझौता न करती तो उसकी और अधिक सीटें आ सकती थी। दरअसल देश का मुसलमान आज की तारीख में राहुल गांधी में अपनी आस्था व्यक्त कर रहा है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में जो ३७ सीटें समाजवादी पार्टी को मिली है, उनमें भी कांग्रेस का बहुत बड़ा योगदान है। देखने की बात यह है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के समाजवादी पार्टी को सीटें न देने से नाराज चल रहे अखिलेश यादव गत लोकसभा चुनाव में भी नखरे दिखा रहे थे । वह तो किसी ने उन्हें समझा दिया कि मुसलमानों का रुख अब कांग्रेस की ओर है। राहुल गांधी की यात्रा के उत्तर प्रदेश में घुसने पर अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और 37 सीटें जीती।
अब जब विधानसभा उप चुनाव को योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था तो अखिलेश यादव को समझ लेना चाहिए था कि सरकार योगी आदित्यनाथ की है। पर अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव की गफलत में रहे और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी। अखिलेश यादव यह नहीं समझ रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही क्षेत्रीय दलों को खत्म करने में लग गई हैं। कांग्रेस अब आने वाले समय में क्षेत्रीय दलों से गठबंधन में परहेज रखेगी। उसकी वजह यह है कि जहां ममता बनर्जी ने कांग्रेस को धोखा दिया वहीं आम आदमी पार्टी ने भी उससे किनारा कर लिया। अखिलेश यादव ने उसे उप चुनाव में सीट नहीं दी। 2027 में सरकार बनाने का सपना देख रही सपा को विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का साथ मिलना मुश्किल ही लग रहा है। उधर डीएमके के सांसद डीआर बालू ने राहुल गांधी से आगे की पंकित में बैठने का अनुरोध किया है।