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चुनावी मुद्दा बना कांग्रेस का घोषणा पत्र!

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चरण सिंह 

 

इन लोकसभा चुनाव में तो गजब देखने को मिल रहा है। किसी पार्टी के घोषणा पत्र को दूसरी पार्टी बड़ी गंभीरता से ले रही है। यह इन चुनाव में पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसी पाटी के घोषणा पत्र पर सत्तारूढ़ पार्टी इतनी हायतौबा मचा रही है। पार्टियों को अपने घोषणा पत्र की चर्चा तो चुनाव में करते देखा है पर किसी दूसरी पार्टी के घोषणा पत्र को इतना तूल देना पहली बार देखने को मिल रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि तूल भी सत्तारूढ़ पार्टी दे रही है। तूल भी प्रधानमंत्री ने दिया है। जी हां न केवल एनडीए के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री कांग्रेस के घोषणा पत्र का मंचों से विरोध कर रहे हैं बल्कि दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यालय पर भाजपा की महिला प्रकोष्ठ ने प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री ने तो कांग्रेस घोषणा पत्र को महिलाओं के मंगलसूत्र से जोड़ दिया है। प्रधानमंत्री का कहना है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो लोगों का सब कुछ छीनकर १५ प्रतिशत लोगों को बांट दिया जाएगा। मतलब हिन्दुओं की कमाई मुस्लिमों को बांट दी जाएगी। घुमा फिराकर प्रधानमंत्री का भाषण हिन्दू मुस्लिम पर आ जा रहा है। प्रधानमंत्री का कांग्रेस के घोषणापत्र को इतनी गंभीरता से लेना। कहीं न कहीं बीजेपी के मन में कांग्रेस के घोषणा पत्र का डर दर्शा रहा है। वैसे भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र से बीजेपी को डरा हुआ बताया है।
दरअसल प्रधानमंत्री बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने महिलाओं के लिए साल में एक लाख रुपये, स्नातक व डिप्लोमाधारियों को अप्रेंटिस और एक लाख रुपये। किसानों को एमएसपी कानून की गारंटी और कर्जा माफी। इस घोषणा पत्र में कांग्रेस ने समाजवाद की बात की है। मतलब जिन लोगों के पास ज्यादा संपत्ति है उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है। गरीबों को बांटी जा सकती है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को नक्सलवाद से तुलना करते हुए देश को अराजकता की ओर धकेलना करार दिया है। कहा है कि मोदी के होते हुए कांग्रेस ऐसा नहीं करने देगी। प्रधानमंत्री भी जानते हैं कि चुनाव में घोषणा पत्र का कोई खास मायने नहीं होते हैं। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों की आय दोगुनी मामले में कह दिया था यह संभव ही नहीं है। प्रतिवर्ष दो करोड़ युवाओं को नौकरी देने को जुमला करार दे दिया था। तो फिर कांग्रेस के घोषणा पत्र पर इतनी हाय तौबा क्यों ?

ऐसे में प्रश्न उठता है कि बीजेपी अपने घोषणा पत्र की चर्चा क्यों नहीं कर रही है। जो काम कांग्रेस को करना था वह तो बीजेपी ही कर दे रही है। जिस घोषणा पत्र को काग्रेस को लोगों तक पहुंचाना था। उस घोषणा पत्र को बीजेपी पहुंचा दे रही है। खुद प्रधानमंत्री मंचों से कांग्रेस के घोषणा पत्र की चर्चा कर रहे हैं। भले ही प्रधानमंत्री कांग्रेस के घोषणा पत्र को घुमा फिराकर बता रहे हों पर प्रधानमंत्री के कांग्रेस के घोषणा पत्र पर भाषण देने के बाद लोग कांग्रेस का घोषणा पढ्ऱेंगे तो जरूर।
ऐस में कांग्रेस का घोषणा लोगों तक तो बीजेपी ही पहुंचा दे रही है। यही वजह रही कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कह दिया कि बीजेपी कांग्रेस के घोषणा पत्र से डर गई है। तो क्या कांग्रेस का घोषणा पत्र चुनावी मुद्दा बन चुका है। यदि चुनावी मुद्दा बन चुका है तो फिर इस मुद्दे का किस पार्टी को फायदा और किस पार्टी को नुकसान होने जा रहा है। कांग्रेस ने जिस तरह का घोषणा पत्र इन चुनाव में तैयार किया है वह घोषणा पत्र बीजेपी की रणनीति पर भारी पड़ रहा है। देश में चल पड़ी फ्री की राजनीति के दौर में कांग्रेस न केवल महिलाओं बल्कि युवाओं और किसानों को भी इस घोषणा पत्र में रिझाया है। अब देखना यह होगा कि इस घोषणा पत्र का कांग्रेस को लाभ पहुंचता है या फिर बीजेपी नुकसान करा देती है।