चरण सिंह
कांग्रेस सांसद और प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी हरियाणा में कांग्रेस की सरकार न बन पाने को लेकर बहुत नाराज हैं।उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस की हार की वजह नेताओं के अपने हित पार्टी से ऊपर रखना बताया है। समीक्षा बैठक में रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और कैप्टन अजय यादव को नहीं बुलाया गया था। मतलब राहुल गांधी का इशारा इन तीन नेताओं की ओर है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राहुल गांधी क्लीन चिट दे रहे हैं। जबकि हरियाणा में सरकार न बन पाने के सबसे बड़े जिम्मेदार भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं। उन्होंने अपने सामने किसी की न चलने दी। चाहे आम आदमी पार्टी से गठबंधन की बात हो या फिर कुमारी शैलजा की नाराजगी दोनों मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जिद रही।ऐसे में प्रश्न उठता है कि कुमारी शैलजा जब विभिन्न चैनलों पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रही थीं तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें क्यों नहीं मनाया। मतलब भूपेंद्र सिंह हुड्डा जो कह रहे थे कि जांच होनी चाहिए और जिन नेताओं की वजह से चुनाव हारा गया उन नेताओं पर कार्रवाई की जाए।उसी लाइन पर राहुल गांधी चल रहे हैं। राहुल गांधी यह क्यों नहीं स्वीकार करते कि कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच का विवाद खत्म करने की जिम्मेदारी और जवाबदेही भूपेंद्र सिंह हुड्डा की थी तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर शिकंजा क्यों नहीं कसा जा रहा है। या फिर उन्होंने खुद आगे बढ़कर दोनों को क्यों नहीं मनाया ? कुमारी शैलजा का कद भूपेंद्र सिंह हुड्डा कौन से छोटा है ? क्या हरियाणा का चुनाव मात्र जाटों के बलबूते पर जीता जा सकता था ? ९० में से ७२ टिकट भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कहने पर दिये गये। इनमें से २८ टिकट जाटों को दिये गये थे। जब कांग्रेस ने पूरा का पूरा चुनाव जाटों को सौंप दिया तो दूसरी जातियों में गुस्सा आना स्वाभाविक था। और वही हुआ आरएसएस और बीजेपी ने मिलकर गैर जाट जातियों को हिंदुत्व का पाठ पढ़ा दिया। जाटों के प्रति उनको एकजुट कर दिया। अहीरवाल में बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली। दरअसल कांग्रेस नेतृत्व अपने गिरेबान में झांकने का प्रयास नहीं करता है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भी हरियाणा की तरह ही कांग्रेस के पक्ष में हुआ थी पर कमलनाथ राय पर अंकुश न लगाया जा सकता।कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के छह सीटें मांगने पर उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष को अखिलेश वखिलेश कह दिया। कांग्रेस ने किस पार्टी से कोई गठबंधन नहीं किया। जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ा। ऐसे ही राजस्थान में अशोक गहलोत ने किसी की नहीं चलने दी। ऐसा ही रवैया हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रहा। जब आप लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर सकते हैं तो विधानसभा चुनाव में क्यों नहीं ? जैसे मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन नहीं किया गया। उसे हरियाणा में कांग्रेस ने किसी पार्टी से गठबंधन नहीं किया।कांग्रेस को तो तभी समझ लेना चाहिए था जब इनेलो-बसपा का गठबंधन हुआ, जेजेपी और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन का गठबंधन हुआ था। पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने अहंकार में डूबे रहे । यदि समय रहते शैलजा को मना लिया जाता तो शायद कांग्रेस जीत जाती।
अनुशासन के अभाव में जीता हुआ चुनाव हार जा रही कांग्रेस!
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