संजय झा ने रोका मनीष वर्मा का कार्यकर्ता समागम कार्यक्रम
प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह को भी कर दिया गया था साइडलाइन
द न्यूज 15 ब्यूरो
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही 15 दिसंबर से महिला संवाद यात्रा निकालने जा रहे हों पर उनके सामने एक नहीं अनेक चुनौतियां हैं। एक तो नीतीश कुमार को यह चिंता सता रही है कि जिस तरह से महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद से हटाकर उप मुख्यमंत्री बना दिया गया। अगले साल होने वाले चुनाव में कहीं उन्हें भी मुख्यमंत्री पद से न हटा दिया जाए। दूसरा उनकी पार्टी जदयू में गुटबाजी चरम पर है। सबसे बड़ी खींचतान तो नीतीश कुमार के राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर है। पूर्व आईपीसी मनीष वर्मा ने जब बीआरएस लेकर जब जदयू ज्वाइन किया तो यह चर्चा होने लगी कि मनीष वर्मा नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनने जा रहे हैं।
मनीष वर्मा ने कार्यकर्ता समागम कार्यक्रम भी चलाया। कई जिलों में उनका यह कार्यक्रम चला भी। पर कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने पत्र जारी कर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा से उनका यह कार्यक्रम रद्द करा दिया। ऐसे ही जब पूर्व आईपीएस आरसीपी सिंह को जदयू में लिए गए और नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी की कमान सौंप दी तो चर्चा चली थी कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनने जा रहे हैं। उन्हें साइड कर दिया गया। ऐसे ही जब चुनाव मैनेजर के नाम से जाने वाले और जन सुराज पार्टी बनाकर नीतीश कुमार को ललकार रहे प्रशांत कुमार जदयू में शामिल हुए थे और नीतीश कुमार ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया तब भी चर्चा चली थी कि प्रशांत किशोर नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बनने जा रहे हैं। बाद में उन्हें साइड लाइन कर दिया गया। दरअसल जदयू ने किसी नेता को नीतीश कुमार के कद बनने नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि नीतीश कुमार वंशवाद से अलग किसी नेता को अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे या फिर अपने बेटे निशांत को।
दरअसल समाजवादियों में देखा गया है कि वे वंशवाद के खिलाफ बोलते तो हैं पर अंत समय में उन्हें अपने बेटे और बेटियों की याद आने लगती है। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह का राजनीतिक उत्तराधिकारी मुलायम सिंह माने जाते थे पर अंत समय में उन्होंने अपने बेटे अजित सिंह को अमेरिका से बुलाकर राष्ट्रीय लोकदल की बागडोर सौंप दी .ऐसे ही मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी उनके भाई शिवपाल यादव के साथ ही कई नेता माने जाते थे पर अंत समय में अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तराधिकारी बनाने के संकेत दे दिए। उत्तराधिकारी तो अखिलेश यादव खुद बन बैठे।
ऐसे ही चौधरी देवीलाल ने अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को अपना उत्तराधिकारी बनाया। शरद यादव ने अपने भतीजे अजित पवार को साइड लाइन कर अपनी बेटी सुप्रिया सुले को अपना उत्तराधिकारी बना दिए। ऐसे ही फारूक अब्दुल्ला ने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला को। मुफ़्ती मोहम्मद ने अपनी बेटी मुफ़्ती महबूबा को। सिबु सोरेन ने अपने बटे हेमंत सोरेन को अपना उत्तराधिकारी बना दिया। लालू प्रसाद ने अपने बेटे तेजस्वी यादव को। तो देखना यह होगा कि नीतीश कुमार अपना उत्तराधिकारी जदयू में से किसी नेता को बनाते हैं या फिर अपने बेटे निशांत को।