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नीतीश कुमार की नियति बनी भाजपा के हाथों अपमानित होना !

चरण सिंह राजपूत 

लालच किसी भी प्रकार का हो, आदमी को कमजोर ही बनाता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज की तारीख में देश का बड़ा उदाहरण हैं। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नीतीश कुमार ने भाजपा से हाथ क्या मिलाया कि उन्हें लगातार अपमानित ही होना पड़ा। कभी मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर तो कभी खुद के मंत्रिमंडल को लेकर और कभी अपनी ही विधानसभा में। आज की तारीख में स्थिति यह है कि कभी नरेंद्र मोदी के सामने प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जाने वाले नीतीश कुमार को अपनी इज्जत बचानी मुश्किल पड़ रही है। गैर संघवाद का नारा देन वाले नीतीश कुमार भाजपा के रहमोकरम पर बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं। यही वजह है कि उन्हें लगातार भाजपा से समझौता करना पड़ रहा है। स्पीकर के सामने मुख्यमंत्री पद की हनक दिखाने वाले नीतीश कुमार को फिर से भाजपा के सामने झुकना पड़ा है।

दरअसल बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा भाजपा के लखीसराय से विधायक हैं। अपने क्षेत्र में वह एक मामले को लेकर डीएसपी को बदलने की मांग कर रहे थे कि सदन में मुख्यमंत्री नीतीश उन पर भड़क गए और संविधान का पाठ पढ़ाने लगे। यह नीतीश कुमार पर बीजेपी का दबाव ही है कि इसके बाद क्या था कि स्पीकर भी नीतीश कुमार पर नाराज हो गए. नीतीश के इस व्यवहार के लिए उनकी आलोचना भी झेलनी पड़ी । अब जब बीजेपी ने नीतीश कुमार को उनका घटता कद याद दिलाया तो उनको फिर झुकना पड़ा। अब  नीतीश कुमार ने लखीसराय के डीएसपी को बदल दिया है। रंजन कुमार की जगह सैयद इमरान मसूद को लखीसराय का नया डीएसपी नियुक्त कर दिया गया है। इस नियुक्ति को बिहार की राजनीति में स्पीकर विजय कुमार सिन्हा की जीत के रूप में देखा जा रहा है।
इस मामले में लखीसराय के डीएसपी रंजन कुमार के साथ-साथ दो एसएचओ को उनके पद से हटा दिया गया है। दरअसल बीजेपी विधायकों ने इनके खिलाफ प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने और स्पीकर के साथ कथित कदाचार के लिए एक विशेषाधिकार नोटिस दिया था।
ज्ञात हो कि लखीसराय में सरस्वती पूजा के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। यहां कोविड नियमों का जमकर उल्लंघन हुआ था। इसका जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो बिहार पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भेज दिया। इस मामले में आयोजकों और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई थी। इस मामले को लेकर स्पीकर ने डीएसपी रंजन कुमार, बीरूपुर एसएचओ दिलीप कुमार सिंह और एसएचओ बरहैया संजय कुमार सिंह पर आरोप लगाया था कि जब उन्होंने इस मुद्दे को उठाया तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। अब भाजपा के सामने बार बार झुकना नीतीश कुमार की नियति बन गई है।
 राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने में भी नीतीश कुमार को झुकना पड़ा है। दरअसल नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा का प्रयास किया तो  बीजेपी एमएलसी नवल किशोर यादव ने तपाक से कह दिया कि केंद्र से कुछ भी मांगा जा सकता है लेकिन हर चीज मिले यह मुमकिन तो नहीं है।   नवल किशोर यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, अगर वह बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की बात करेंगे तो वह उनको कभी नहीं मिलेगा यह बात समझ लेनी चाहिए।
दरअसल बिहार में विशेष राज्य की मांग को लेकर भी जमकर बयानबाजी हुई है। जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह लगातार सोशल मीडिया पर ट्वीट कर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं, वहीं विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। नीतीश कुमार के लिए ये कोई पहले मौके नहीं हैं कि उनको बीजेपी से सामने अपमानित होना पड़ा है।
जब 2019 में फिर से मोदी सरकार नहीं तो नीतीश कुमार कई मंत्री बनवाने के चक्कर में थे पर बीजेपी से सामने उनकी एक न चली और एक मंत्री के रूप में उन्हें संतोष करना प-पड़ा। ऐसे ही अपनी सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार को बार -बार बीजेपी नेताओं के सामने झुककर अपमानित होना पड़ा रहा है।
समाजवादियों में यह अक्सर देखा गया है कि सत्तामोह के चलते उन्हें अपमानित होना पड़ा है। जिन चौधरी चरण सिंह ने अपने गृह मंत्री रहते इंदिरा गांधी को जेल भिजवाया उन्हीं चरण सिंह ने उनके समर्थन से अपनी सरकार बना ली। बाद में इंदिरा गांधी के उनके काम में हस्तक्षेप के चलते उन्हें प्रधानमंत्री पड से इस्तीफा देना पड़ा। जिन राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले के आरोप वीपी सिंह की सरकार के रूप में जनता दल की सरकार बनी,  वीपी सिंह की सरकार गिरने पर उन्हीं राजीव गांधी के समर्थन ने चंद्रशेखर ने अपनी सरकार बना ली और सरक़ार गिरने के रूप में अपमान झेलना पड़ा। ऐसा ही एच.डी. देवगौड़ा और आईके गुजराल के साथ भी हुआ।
 नीतीश कुमार देश के ऐसा नेता हैं जिन्होंने सामजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर के गैर कांग्रेसवाद के नारे की तर्ज पर गैर संघवाद का नारा तक दे दिया था। यह वह दौर था जब नीतीश कुमार को नरेन्द्र मोदी के विकल्प के रूप में देखा जा रहा था। 2019 के आम चुनाव में लालू यादव, तेजस्वी यादव और कई अन्य ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था, हालांकि उन्होंने ऐसी आकांक्षाओं से इनकार कर दिया था। 26 जुलाई, 2017 को सीबीआई द्वारा एफआईआर में उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव के नामकरण के कारण नीतीश कुमार ने फिर से बिहार के मुख्यमंत्री पद से गठबंधन सहयोगी आरजेडी के बीच मतभेद के चलते इस्तीफा दे दिया और कुछ घंटे बाद उन्होंने एनडीए गठबंधन में शामिल होकर मुख्यमंत्री पद की पुनः शपथ ले ली। 2020 में भी वह बीजेपी के रहमोकरम पर फिर से मुखयमंत्री बने। दरअसल नीतीश कुमार की पहचान एक समाजवादी नेता की है। अब जब बीजेपी सबसे अधिक हमला समाजवाद और सेकुलरवाद ही बोल रही है तो स्वभाविक है कि  नीतीश कुमार को अपमानित होना पड़ेगा।
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