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जलवायु परिवर्तन किसानों के लिए बना चुनौती : कुलपति

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किसानों की समस्या चयन कर वैज्ञानिकों को परियोजना प्रस्तुत करने की जरूरत

सुभास चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा डॉ.राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि में दो दिवसीय अनुसंधान परिषद की विशेष बैठक सोमवार को शुरू हुआ। समारोह की शुरूआत कुलपति समेत अन्य आगत अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर की। अध्यक्षता करते हुए विवि के कुलपति डॉ.पीएस पाण्डेय ने कहा कि दो दिनों के इस विशेष सत्र में 57 अनुसंधान परियोजनाओं की चर्चा की जायेगी। जिसमें वाह्य विशेषज्ञ अनुसंधान के विभिन्न आयामों पर चर्चा करेंगे।

 

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिको को किसानों की समस्याओं में से किसी एक समस्या का चयन करना चाहिए। और उस समस्या को दूर करने के लिए अनुसंधान परियोजना प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन किसानो के लिए बहुत बड़ी समस्या है। जिसे कृषि वैज्ञानिकों को चुनौती के रूप में स्वीकार कर अनुसंधान करने की आवश्यकता है।

इस तरह के अप्रत्याशित किसानों की समस्याओं का असर कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्ट नजर आने लगा है। उन्होंने कहा कि यदि हर वैज्ञानिक किसानों की एक समस्या दूर कर सके तो कृषि क्षेत्र में नई क्रांति आ सकती है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिको को समझना चाहिए की सरकार जनता के पैसे से काफी रूप्ये दे रही है। और उसका फायदा लोगोें को मिलना चाहिए।

उन्होंने और शिक्षको को चरितार्थ निर्माण का आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। जिससे छात्रों और अन्य कनीय लोगों को भी प्रेरणा मिल सके। उन्होंने कहा कि विवि ने अगले एक वर्ष का कार्यक्रम तैयार कर लिया है। जिसे तेजी से लागू करने का सामुहिक प्रयास करने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि कृषि विवि बंगलोर पूर्व निदेशक अनुसंधान डॉ एनआर गंगाधरप्पा ने कहा कि विवि में अनुसंधान के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हो रही है। जिसका प्रमाण 11 पेटेंट एवं एक जीआई टैग मिलना हैं।

उन्होंने कहा कि विवि के वैज्ञानिको को सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने की ओर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य की दो प्रमुख समस्या है। जल प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन। इसको लेकर विवि को बेहतर कार्य करने की आवश्यकता है। झांसी केन्द्रीय कृषि विवि निदेशक अनुसंधान डॉ.एसके चतुर्वेदी ने कहा कि सभी वैज्ञानिको के पास एक अनुसंधान परियोजना का होना विवि की अच्छी पहल है।

उन्होंने कहा कि इससे विवि में अनुसंधान की अच्छा वातावरण का निर्माण होता है। जिसका फायदा छात्रों को भी मिलता है। आईसीएआर, पटना के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.नरेश चन्द्रा ने कहा कि अनुसंधान के परिणाम को वैज्ञानिको को तकनीक में परिवर्तित करना चाहिए। जिससे किसानों को फायदा मिल सके। वैज्ञानिको को यह भी ध्यान तकनीक का मूल्य कम हो जिससे किसान आसानी से खरीद सके।

स्वागत निदेशक अनुसंधान डॉ.अनिल कुमार सिंह ने किया। संचालन डॉ.सुनीता कुमारी मीणा ने किया। मौके पर डॉ.एसके ठाकुर, डॉ.मुकेश कुमार, डीन डॉ.अम्बरीष कुमार, डॉ.उषा सिंह, डॉ.मयंक राय, डॉ.अमरेश चन्द्रा, डॉ. रत्नेश कुमार झा, डॉ.पीपी श्रीवास्तव, निदेशक बीज डॉ.डीके राय, डॉ.एमएस कुंडू, डॉ.कुमार राज्यबर्द्धन आदि मौजूद थे।