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स्वस्थ रहने के लिए पहली शर्त है स्वच्छता

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आलोक रंजन परिभ्रमण के दौरान छात्र छात्राओं ने सीखा वैज्ञानिकों से स्वस्थ जीवन की तरकीब

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। स्थानीय टीचर्स कॉलोनी पूसा स्थित कृष्ण कुंज पब्लिक स्कूल के छात्र छात्राओं ने डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय का परिभ्रमण किया। इस दौरान नन्हे नौनिहालों ने केंद्रीय कृषि विश्वविधालय में चल रहे अनुसंधानों के बारे में ईख अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डा बलवंत कुमार से सीखा। साथ ही वैज्ञानिक डॉ बलवंत कुमार ने छात्र-छात्राओं को विवि के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा वर्ष 1934 के प्रलयकारी भूकंप से मची त्रासदी एवं प्रसार, अनुसंधान एवं कृषि शिक्षा की जननी की जननी के बारे में बताया।

विद्यालय के निदेशक आलोक रंजन ने पोषण वाटिका पर बताया कि स्वस्थ रहने के लिए पहली शर्त ही स्वच्छता है। साथ ही इन्होंने कहा कि पोषण वाटिका उस वाटिका को कहा जाता है, जो घर के अगल बगल में ऐसी खुली जगह पर होती हैं, जहाँ पारिवरिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल के लिए विभिन्न मौसमों में मौसमी फल तथा विभिन्न सब्जियाँ उगाई जाती है।

बाजार में बिकने वाली चमकदार फल सब्जियों को रासायनिक उर्वरक प्रयोग कर के उगाया जाता है। इन रासायनिक दवाओं का कुछ अंश फल सब्जी में बाद तक बना रहता है, जिस के कारण उन्हें इस्तेमाल करने वालों में बीमारियां से लडऩे की ताकत कम होती जा रही हैं। इसलिए हमें अपने घर के आंगन या आसपास की खाली जगह में जैविक खादों का इस्तेमाल कर के रसायन रहित फल सब्जियों को उगाना चाहिए।

जैविक उत्पाद (रसायन रहित) होने के कारण फल व सब्जियों में काफी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। परिवार के लिए ताजा फल सब्जियां मिलती रहती हैं। गृह वाटिका लगा कर महिलाएं अपनी व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं। पशुधन से प्राप्त होने वाले उत्पादों का मानव पोषण मे महत्व के बारे मे बताते हुए कहा की दूध में सभी तत्व पर्याप्त मात्रा में होने के साथ-साथ ही उनमें आपस में उचित अनुपात अथवा संतुलन रहता है जिससे शरीर द्वारा उनका उपयोग अधिकतम होता है।

दूध एक मृदु तथा हल्का आहार है जिसे नवजात शिशु, बच्चे, प्रौढ़ बूढ़े तथा स्तन पान कराने वाली एवं गर्भवती महिलाएं एवं रोगी भी सुचारू रूप से उपयोग कर सकते है। दूध, दही और दूध के उत्पादों से भी अच्छी गुणवत्ता वाला प्रोटीन मिलता है। ये विटामिन-ए, विटामिन-डी और कैल्शियम के अच्छे स्त्रोत है। तंदुरूस्त हड़डियों के लिए विटामिन-डी और कैल्शियम अनिवार्य होता है।

परीक्षणों से यह सिद्ध किया जा चुका है कि दूध पाने वाले छात्रों के शरीर भार तथा ऊँचाई में अधिक वृद्धि होती है। बच्चों का मानसिक विकास भी अधिक होता है। ऐसे परिवार जो मांसाहारी हैं वह घर में खाये जानेवाले सभी खाद्य पदार्थ शिशु को खिला सकते हैं। इन पदार्थों से अच्छी पदार्थ मात्रा और गुणवत्ता वाला प्रोटीन, विटामिन ए और डी मिलता है।

जहां मांसाहारी लोगों को मीट, मछली, अंडा और अन्य विभिन्न प्रकार के एनिमल प्रोटीन के पौष्टिक आहार उपलब्ध हैं वहां शाकाहारियों के हिस्से में मात्र प्रोटीन, दालें और सोयाबीन या मशरूम ही उपलब्ध हैं। भारत में प्रति व्यक्ति लगभग 65 अंडे प्रतिवर्ष खाये जाते हैं जबकि संतुलित आहार पाने के लिए प्रतिवर्ष 180 अंडे खाने की पुष्टि राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद के द्वारा की गई है। अंडों में प्रोटीन, वसा, विटामिन्स (ए,डी, बी6, बी1 और बी12) के साथ ही साथ लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस और अन्य खनिज पदार्थ भी प्राप्त होते हैं।

मौके पर संविदा कर्मी राजीव कुमार के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के विभिन्न शोध संस्थान का भ्रमण किया गया। जिसमें 103 छात्राओं ने भाग लिया मौके पर निदेशक आलोक रंजन प्राचार्या कुमारी प्रियंका, शिक्षक खुशबू कुमारी, रितेश कुमार पाठक, कविता कुमारी, सुमंत कुमार महक, प्रवीण व छात्र मोहम्मद सयद, आराध्या रानी, मंशा प्रवीण, हर्षिता कुमारी, प्रिया कुमारी, राजलक्ष्मी सहित अन्य विद्यार्थियों ने भ्रमण के दौरान जानकारी लिया।