मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए : मनोज कुमार

द न्यूज फिफ्टीन
बिजनौर। विधानसभा सत्र के पहले दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस भाषा का उयोग किया है वह असंसदीय है। इस विवादास्पद और अपमानजनक भाषा के लिए मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। यह कहना है पूर्व न्यायाधीश एंव सपा नेता मनोज कुमार का।
मंगलवार को जब विधानसभा का सत्र शूरु हुआ और मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जो सम्बोधन दिया, उस सम्बोधन को सपा नेता एंव पूर्व में रह चूके अपर जिला न्यायाधीश मनोज कुमार ने अपने फेसबुक व सोशल मीडिया पर भाजपा का दोहरा मापदंड बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसा ब्यान नहीं देना चाहिए जिससे संविधान की गरिमा को ठेस पहुंचे। मनोज कुमार ने अपने फेसबुक पर शेयर किया है कि विधानसभा सत्र के पहले दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘कठमुल्ले’ शब्द का उपयोग करते हुए उर्दू भाषा का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की भाषा ना केवल असंसदीय है, बल्कि हमारे समाज के लिए अनुचित संदेश भी देती है। ऐसा लगता है कि महाकुंभ की विफलता को छिपाने के लिए जान बूझकर विशेष समुदाय को अपमानित करने के उद्देश्य से यह टिप्पणी की गई है। सार्वजनिक रूप से संवैधानिक मंचों पर इस तरह की ‘शांति भंग करने के इरादे से अपमान जनक सड़क छाप’ भाषा का उपयोग सत्ताधारी नेताओं से ना तो अपेक्षित है और ना ही स्वीकार्य। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर महामहिम शेख तमीम बिन हमद अल थानी का स्वागत किया। मनोज कुमार ने कहा कि इस अवसर पर जारी स्वागत पोस्टरों में उर्दू भाषा का भी उपयोग किया गया, जो हमारी सांस्कृतिक विविधता और अतिथि सत्कार की परंपरा को दर्शाता है। उर्दू भाषा हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है, और इसे सम्मान देना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने सवाल किया कि आख़िर यह विरोधाभास क्यों? एक ओर मुख्यमंत्री उर्दू भाषा का विरोध कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर केंद्र की भाजपा सरकार इसे सम्मान पूर्वक उपयोग में ला रही है। यह दोहरा मापदंड क्यों? क्या उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार की भाषा को लेकर अलग-अलग विचार धारा है? हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना चाहिए और भाषाई विविधता को सहेजना चाहिए, ना कि इसे ओछे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। सपा नेता ने कहा कि इस विवादास्पद और अपमान जनक भाषा के लिए मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए अन्यथा राष्ट्रपति और राज्यपाल को इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

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