चरण सिंह
अखिलेश यादव ने सोचा न होगा कि जिन चंद्रशेखर आजाद को उन्होंने ऐन वक्त पर धोखा दिया वह चंद्रशेखर आजाद नगीना लोकसभा क्षेत्र से बड़ा संदेश देने लगेगा। जी हां आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे चंद्रशेखर आजाद इंडिया गठबंधन से चुनाव लड़ने जा रहे थे। नगीना लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई थी तो यह माना जा रहा था कि नगीना लोकसभा सीट चंद्रशेखर आजाद को लड़ने के लिए दी जाएगी। जब समाजवादी पार्टी की ओर से पूर्व जज मनोज कुमार को चुनावी समर में उतार दिया गया तो लोगों की समझ में आ गया कि चंद्रशेखर के साथ धोखा हो चुका है। संघर्ष के बल पर खड़े होने वाले चंद्रशेखर आजाद जिस तरह से नगीना लोकसभा सीट पर लोकप्रियता बटोर रहे हैं उसको देखकर कहा जा सकता है कि चंद्रशेखर आजाद नगीना लोकसभा सीट से न केवल जीत रहे हैं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करने जा रहे हैं। दलित समाज आज की तारीख में चंद्रशेखर आजाद को अपना आदर्श मानकर चल रहा है। ऐसे कितने युवा हैं जो बहुजन समाज पार्टी से जुड़े हैं पर वोट चंद्रशेखर आजाद को करने की बात कर रहे हैं।
यह चंद्रशेखर आजाद का संघर्ष ही है कि नगीना लोकसभा सीट पर उनका चुनाव चिन्ह केतली चर्चा का विषय बनी हुई है। हर ओर से केतली-केतली की आवाज सुनने में आ रही है। दरअसल चंद्रशेखर आजाद के पक्ष में न केवल मुस्लिम बल्कि दलित और दूसरे वर्ग का वोट बैंक भी खड़ा दिखाई दे रहा है। लोग उन्हें संघर्षशील नेता मान रहे हैं। लोगों को लग रहा है कि चंद्रशेखर आजाद उनके क्षेत्र की समस्याओं को लोकसभा में उठाने के लिए उपयुक्त सांसद साबित हो सकते हैं। नगीना लोकसभा सीट पर 6 लाख मुस्लिम और साढ़े तीन लाख दलित बताये जा रहे हैं। अधिकतर मुस्लिमों और दलितों का रुझान चंद्रशेखर आजाद की ओर देखा जा रहा है। यहां तक जिस राजपूत समाज से टकराकर चंद्रशेखर आजाद ने राजनीतिक वजूद बनाया वह राजपूत समाज भी चंद्रशेखर आजाद की तारीफ करता देखा जा रहा है। कहना गलत न होगा कि चंद्रशेखर आजाद की लोकप्रियता सभी दलों के प्रत्याशियों पर भारी पड़ रही है।