उप चुनाव में लंबी छलांग मारने को बेताब चंद्रशेखर आजाद!

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चरण सिंह
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद नगीना से सांसद बनने के बाद पूरी तरह से फॉर्म में आ गये हैं। चुनाव जीतने के तुरंत बाद उन्होंने उप चुनाव लड़ने की बात तो कही ही थी अब अलीगढ़ में गौरव हत्याकांड पर उत्तर प्रदेश सरकार को पूरी तरह से ललकार दिया है। चंद्रशेखर आजाद न केवल गौरव के परिजनों के साथ धरने में शामिल हुए बल्कि उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि दलितों की हत्या के लिए बोली लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि दलितों पर हो रहे जुल्म नहीं रुके तो उत्तर प्रदेश में राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। साथ ही उन्होंने खैर विधानसभा चुनाव में होने वाले उप चुनाव के लिए कमर कसने की भी बात कही।
दरअसल लोकसभा में सांसद का चुनाव लड़ने की वजह से उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा फूलपुर, मझवा, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी और खैर सीटें खाली हुई हैं। मतलब इन सभी सीटों पर उपचुनाव होना है। चंद्रशेखर आजाद की निगाहें इन सभी सीटों पर है। नगीना से लोकसभा सीट जीतने के बाद चंद्रशेखर आजाद का आत्मविश्वास आसमान पर है। चंद्रशेखर आजाद मायावती की कमजोरी का फायदा उठाना चाहते हैं। चंद्रशेखर आजाद का प्रयास है कि लोकसभा चुनाव में जो वोट बैंक इंडिया गठबंधन में गया है वह वोट बैंक उप चुनाव में आजाद समाज पार्टी को दिलवा लिया जाए। देखने की बात यह भी है कि बसपा मुखिया मायावती उप चुनाव नहीं लड़ती हैं पर इस बार परिदृश्य अलग है। इस बार मायावती को अपना वोट बैंक बचाना है। बसपा यदि उप चुनाव न लड़ी तो उसे अपना वोट बैंक पूरी तरह से खिसकने का अंदेशा है।
राजनीतिक रूप से मायावती को सबसे बड़ा खतरा चंद्रशेखर आजाद से है। इसका बड़ा कारण यह है कि एक तो चंद्रशेखर आजाद भी मायावती की तरह जाटव समाज से हैं और दूसरे वह संघर्षशील के साथ संयमशील नेता भी हैं। दलित युवाओं का रुझान चंद्रशेखर आजाद की ओर है। यह मायावती भी जानती हैं कि दलित वोट बैंक समाजवादी पार्टी की ओर नहीं जा सकता है। वह तो मायावती का अपने भतीजे आकाश आनंद को घर बैठाना और संविधान और आरक्षण बचाने का माहौल क बनना रहा कि दलित वोट बैंक इंडिया गठबंधन की ओर चला गया। हां कांग्रेस से मायावती को जरूर डर होगा। क्योंकि किसी समय दलित वोट बैंक कांग्रेस का वोट बैंक था। मतलब इन उप चुनाव में बसपा के भी चुनाव लड़ने के पूरे आसार हैं। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद को इन चुनाव में साबित करना है।
देखने की बात यह भी है कि दलित वोट बैंक लेने के लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और भाजपा सभी दल बेताब रहते हैं पर अलीगढ़ में जब एक दलित युवक की हत्या की गई तो चंद्रशेखर आजाद ने वहां पहुंचकर गौरव की परिजनों को ढांढस बंधाया। इसमें दो राय नहीं कि आंदोलन के नाम पर चंद्रशेखर आजाद आगे रहते हैं। यह उनका संघर्ष करने का तरीका ही रहा है कि नगीना लोकसभा सीट पर उन्हें दलितों और मुस्लिमों के साथ हर वर्ग का सहयोग मिला। चाहे अखिलेश यादव रहे हों, राहुल गांधी हों, जयंत चौधरी हों या फिर आकाश आनंद इन सबमें चंद्रशेखर आजाद संघर्ष करने के मामले में सबसे आगे रहते हैं।

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