आजम खान के नाम से मुस्लिमों को साध रहे चंद्रशेखर आजाद!

चरण सिंह
अपना समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनने के बाद फुल फॉर्म में हैं। चाहे सड़क हो या फिर संसद या कोई भी मंच वह अन्याय के खिलाफ बोलते दिखाई दे रहे हैं। जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के पक्ष में चंद्रशेखर आजाद लगातार बोल रहे हैं। संसद में भी उन्होंने बजट पर बोलते हुए शिक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने जहां एक ओर नगीना में आईआईटी, आईआईएम स्थापित करने की मांग की वहीं दूसरी ओर आईआईएम  में एससीएसटी के छात्रों के लिए आरक्षण की बात भी की। चंद्रशेखर आजाद ने रामपुर के मोदिया में स्थापित मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस शिक्षा केंद्र को बंद करने का लक्ष्य गलत है।
चंद्रशेखर आजाद ने संसद में सपा के कद्दावर नेता रहे आजम खान के पक्ष में ऐसे ही आवाज नहीं उठाई है। उन्होंने आजम खान को जेल में डालने का कारण राजनीतिक बताया है। चंद्रशेखर आजाद ने जिस तरह से शिक्षा का मुद्दा संसद में उठाया है, उसके  आधार पर कहा जा सकता है कि वह आजम खान के माध्यम से मुस्लिमों को साधने में लगे हैं। बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी एक रणनीति के तहत आजम खान के पक्ष में सड़कों पर नहीं उतरी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि समाजवादी पार्टी और बीजेपी की आजम खान को लेकर कोई डील हुई है। इसी के चलते आजम खान को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। अब चंद्रशेखर आजाद ने आजम खान का मुद्दा उठाकर मुस्लिमों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की है। इसमें दो राय नहीं कि चंद्रशेखर आजाद संसद में जमीनी मुद्दे उठा रहे हैं। यह सब उप चुनाव जीतने के लिए हो रहा है।
चंद्रशेखर आजाद ने जिस तरह से सांसद बनने के तुरंत बाद उप चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए अपने कार्यकर्ताओं से कह दिया था, उससे ही लगने लगा था कि चंद्रशेखर आजाद पूरी ताकत के साथ उप चुनाव में उतरने जा रहे हैं। अब उन्होंने 10  सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिये हैं। चंदन चौहान के बिजनौर से सांसद बनने के बाद मीरापुर सीट पर हो रहे उपचुनाव में भी चंद्रशेखर आजाद का प्रत्याशी मजबूत स्थिति में माना जा रहा है। खैर में भी चंद्रशेखर आजाद मजबूती से चुनाव लड़ाएंगे। इन उप चुनाव में दिलचस्प बात यह है कि बसपा भी चुनाव लड़ रही है, जबकि बसपा उप चुनाव से बचती रही है। बसपा के उप चुनाव लड़ने का बड़ा कारण चंद्रशेखर आजाद का बढ़ता प्रभाव माना जा रहा है।
दरअसल बसपा मुखिया मायावती को अंदेशा है कि उनके चुनाव न लड़ने की स्थिति में यदि दलित वोटबैंक चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी की ओर ट्रांसफर हो गया तो वापस लाने में बहुत दिक्कत होगी। चंद्रशेखर आजाद भी 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह उप चुनाव लड़ रहे हैं। चंद्रशेखर आजाद का मानना है कि यदि उप चुनाव में एक या दो सीटें उन्होंने निकाल ली तो 2027 के विधानसभा चुनाव में उनका दबाव बन जाएगा। उनके पास प्रत्याशियों की भीड़ लग जाएगी। ऐसे में वह जिताऊ प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में लड़ा सकते हैं।

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