द न्यूज 15
नई दिल्ली। देश भर में फैली कोरोना महामारी के कारण लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। वही कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन को भी बहुत जरूरी बताया जा रहा है, लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को वैक्सीनेशन की अनिवार्यता को लेकर एक बड़ा बयान जारी किया है। जो इस वैक्सीनेशन ट्रायल में एक बहुत बड़ा मोड़ ले आया है।
दरअसल भारत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर जारी गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी मंजूरी के बिना जबरदस्ती कोरोना वैक्सीन की डोज नहीं दी जा सकती। यह बात स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में कही गयी थी । केंद्र सरकार ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी मर्जी के बिना कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
विकलांगों को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट का सबूत दिखाने के छूट देने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसके द्वारा ऐसी कोई SOP यानी कि दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए है, जिसके तहत कोविड वैक्सीन के सर्टिफिकेट को दिखाना अनिवार्य होगा।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने यह हलफनामा एक NGO “ईवारा फाउंडेशन” की याचिका के जवाब में दाखिल किया है।याचिका में NGO ने विकलांगों का घर-घर जाकर कोरोना वैक्सीन लगाने की मांग की। हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा है कि जारी कोरोना महामारी के मद्देनजर व्यापक जनहित में कोरोना वैक्सीनेशन किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि अलग -अलग प्रचार प्रसार के माध्यमों जैसे प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और विज्ञापनों के जरिये यह सलाह दी जा रही है कि सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवानी चाहिए और इसके लिए व्यवस्था और प्रक्रिया भी निर्धारित की गई है।लेकिन किसी को भी उसकी मर्जी के खिलाफ वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।