Category: उत्तराखंड

  • बिजनौर पहुँचे शिवपाल सिंह यादव का सपा कार्यकर्ताओ ने किया जोरदार स्वागत

    बिजनौर पहुँचे शिवपाल सिंह यादव का सपा कार्यकर्ताओ ने किया जोरदार स्वागत

    बिजनौर एक स्कूल के निजी कार्यक्रम मे पहुंचे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व कैबिनेट मंत्री उ प्र, सरकार श्री शिवपाल सिंह यादव का कार्यकर्ताओ ने खेड़की चौराहे पर जिलाध्यक्ष शेख जाकिर हुसैन,पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल यादव के नेतृत्व मे फूलमालाओ तथा नारों से जोरदार स्वागत किया शिवपाल सिंह यादव जी स्वागत से गदगद नजर आए जिलाध्यक्ष शेख जाकिर हुसैन की पीठ थप थपाई कहा सभी कार्यकर्त्ता एकजुट होकर 2027 के चुनाव की तैयारी करें अबकी बार पीडीए समाजवादी सरकार बनने जा रही है स्वागत करने वालों मे रणवीर पवार,डॉ रहमान,अफजाल लालू ,सत्यवीर यादव,प्रभा चौधरी, चौ दिनेश,अख़लाक़ पप्पू,डॉ इरफ़ान मालिक,चौ ब्रजवीर सिंह,मदन लाल सैनी,राधा सैनी,कृपारानी प्रजापति,मोमिन खान,श्लोक पवार,अशोक आर्य,जाकिर चौधरी लाल सिंह कश्यप,आदि मौजूद रहे

  • वर्षो से छह गांवों के ग्रामीण मोटर मार्ग के इंतजार में

    वर्षो से छह गांवों के ग्रामीण मोटर मार्ग के इंतजार में

    * बीरोंखाल व पोखड़ा विकास खंड की सीमा पर बसे हैं ये छह गांव
    * ग्रामीण मुख्यमंत्री से लेकर हर स्तर पर कर चुके हैं फरियाद, नहीं हुआ समस्या का समाधान
    * आज भी कई किलोमीटर पैदल चलने को विवश हो रहे ग्रामीण
    * पीडब्ल्यूडी व वन विभाग के बीच फाइल लटकी होने के कारण समरेखण तक नहीं पूरा हो पाया है कार्य

    पौड़ी। बीरोंखाल व पोखड़ा विकास खंड की सीमा पर बसे छह गांवों के नागरिक वर्षो से गांव तक मोटर मार्ग के इंतजार में हैं। गांवों के लिए सात साल पहले मोटर मार्ग स्वीकृत हो चुका है, लेकिन लोक निर्माण विभाग व वन विभाग के बीच फाइल लटकी होने के कारण अब तक समरेखण तक का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। गांव के नागरिक मुख्यमंत्री से लेकर हर स्तर पर फरियाद लगा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
    देवकण्डई के प्रधान यशपाल सिंह रावत ने बताया कि बीरोंखाल व पोखड़ा विकास खंड सीमा पर बसे छह गांवों के नागरिक कई किलोमीटर पैदल चलने को विवश हैं। सड़क की मांग को लेकर काफी दिन से संघषर्रत हैं। यशपाल सिंह रावत का कहना है कि साल 2017 में शासन ने पोखड़ा बैजरों मोटर मार्ग से दीवान का बूंगा, देवकण्डाई, भैंस्वाणा व नौखोली के लिए पांच किलोमीटर मोटर मार्ग स्वीकृत किया। सात वर्ष बीत जाने के पश्चात भी सव्रे के सिवाय जमीनी स्तर पर एक इंच भी काम नहीं हो पाया है। स्वीकृत पांच किलोमीटर में से आधा किलोमीटर मार्ग वन भूमि के तहत आने से इसमे अड़चन उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि वन विभाग की स्वीकृति को लेकर गांव के नागरिक लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी किसी तरह की कोई कार्यवाही करने को कतई तैयार नहीं हैं।
    यशपाल सिंह रावत ने बताया कि क्वीराली, छनियाखाल, दीवान का बूंगा, देवकण्डाई, भैंस्वाड़ा, पौण्ड, हनारखोली व नौखोली गांवों के नागरिक मोटर मार्ग के लिए लगातार आवाज बुलंद करने में लगे हुए हैं, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पा रही है। यही वजह है कि आज भी ग्रामीण पांच किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर अपने गांव जाने को विवश हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार गांव में किसी के बीमार पड़ने अथवा प्रसव की अवस्था में ग्रामीणों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
    उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले दो मरीजों ने सड़क तक पहुंचने से पूर्व ही दम तोड़ दिया था। ग्रामीणों का मानना है कि मोटर मार्ग बन जाने से बैजरों से कोटद्वार पहुंचने में 40 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी। बैजरों, थलीसैंण व बीरोंखाल पहुंचने में गांव के नागरिकों को सुविधा मिल सके।

  • बरेली में मौलाना तौकीर रजा का भड़काऊ बयान और मच गया

    बरेली में मौलाना तौकीर रजा का भड़काऊ बयान और मच गया

    बरेली । उत्तर प्रदेश के बरेली में मौलाना तौकीर रजा ने जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया है। हल्द्वानी हिंसा और ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले के खिलाफ रजा ने विरोध का ऐलान किया था। इसके बाद उनके समर्थन में तमाम लोग सड़कों पर आ गए। इस दौरान रजा के विवादित बयान से माहौल और अशांत हो गया है। जुमे की नमाज के बाद रजा के समर्थन में तमाम लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इसे लेकर प्रशासन भी चौकन्ना हो गया है। बरेली और आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। तौकीर रजा समेत 20 लोगों को नोटिस जारी किया गया है।

     

    हल्द्वानी हिंसा पर दिया विवादित बयान

     

    दरअसल, बनभूलपुरा के इंदिरा नगर क्षेत्र में मलिक के बगीचे में बने अवैध मदरसे और नमाज स्थल को नगर निगम की टीम ने जेसीबी मशीन लगाकर ध्वस्त कर दिया। इस दौरान मौके पर नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय, सिटी मैजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, उप जिलाधिकारी परितोष वर्मा समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान मलिक के बगीचे के आसपास रहने वाले तमाम कथित अराजक तत्वों ने पुलिस और प्रशासन के ऊपर पथराव कर दिया जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस दौरान वहां मौजूद कई पत्रकारों को भी चोटें आयीं। अराजक तत्वों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और फिर हल्का बल प्रयोग किया।

    हल्द्वानी की घटना के बाद इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल यानी आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि हमें अपने देश से प्यार इसलिए हमने अब तक चुप्पी साधे रखी थी। हमारी चुप्पी को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। अब पानी सिर से ऊपर हो गया है। लोकतंत्र में अगर हमारी बात नहीं सुनी जाएगी तो ऐसी आजादी हमें नहीं चाहिए। तौकीर रजा ने कहा कि आज देश में ऐसी सरकार शासन कर रही है, जो हमारी आवाज दबा रही है। हल्द्वानी हिंसा पर तौकीर रजा ने कहा कि हमारी आवाज को अब दबाया नहीं जा सकता है। मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि हम किसी बुलडोजर को अब बर्दाश्त नहीं करेंगे।

    रजा ने जुमे की नमाज के बाद गिरफ्तारी का ऐलान किया है। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि देश में नफरत का माहौल बना दिया गया है। हम सब की जिम्मेदारी है कि अपनी इबादतगाहों को बचाए रखने के लिए संविधान में दिए अधिकार के साथ हम शांतिपूर्वक अपना विरोध दर्ज कराएं। मौलाना रजा ने कहा कि हमसे बोलने का अधिकार छीना जा रहा है। जुल्म को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार की स्थिति हम नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम जब कुछ नहीं कर सकते तो ऐसी आजादी से बेहतर जेल जाना है।

  • हल्द्वानी में क्यों और कैसे भड़की हिंसा ,क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी जिस पर चला है बुलडोज़र

    हल्द्वानी में क्यों और कैसे भड़की हिंसा ,क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी जिस पर चला है बुलडोज़र

    उत्तराखंड का हल्द्वानी हिंसा की आग में जल रहा है। नैनीताल जिले में हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में उस वक्त हिंसा की आग भड़क उठी जब नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण हटाओ अभियान चला रहा था। हिंसा की आग इतनी भयावह थी कि पूरा शहर इसकी चपेट में आ गया। इस हिंसा में अब तक पांच लोगों के मारे जाने की खबर है और 300 पुलिस वाले और नगर निगम के कर्मचारी घायल हैं। फ़िलहाल पुरे इलाके में तनाव की इस्थिति बानी हुई है।

    दरअसल ,हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार को नगर निगम ने ‘अवैध’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दिया। इस एक्शन का रिएक्शन ऐसा हुआ कि पूरे इलाके में हिंसक स्थिति पैदा हो गई। माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि तुरंत कर्फ्यू लगा दिया गया और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए। पुलिस की मानें तो घटना में 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। घायलों में हल्द्वानी के एसडीएम (अनुमंडलाधिकारी) भी शामिल हैं। इसने कहा कि शहर के बनभूलपुरा इलाके में हिंसा के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए लगभग 300 से अधिक लोगों में से अधिकांश पुलिसकर्मी और नगरपालिका कर्मचारी हैं, जो एक स्थानीय मदरसे की विध्वंस कार्रवाई में शामिल थे।

    हल्द्वानी डीएम वंदना सिंह ने शुक्रवार को बताया कि अतिक्रमण हटाने से पहले ही टीम पर हमले की प्लानिंग कर ली गई थी। भीड़ ने पहले पत्थर फेंके, जिन्हें फोर्स ने तितर-बितर कर दिया। इसके बाद दूसरा जत्था आया और उसने पेट्रोल बम से हमला किया। मीडिया से बात करते हुए एक महिला पुलिस ने बताया महिला पुलिसकर्मी के मुताबिक, हम बहुत बचकर आए। बचने के लिए हम 15-20 लोग एक घर में घुस गए। लोगों ने पथराव किया, बोतलें फेंकीं। आग लगाने की कोशिश की। चारों तरफ, गलियों, छतों से पथराव हो रहा था। उन्होंने गलियां घेर ली थीं। जिसने हमें बचाया, उन लोगों ने उसे भी गालियां दीं, घर तोड़ दिया। हम लोगों ने फोन किया, लोकेशन भेजी, तब फोर्स आई तो हमें बाहर निकाला।

    अभी क्या हैं हालात
    फिलहाल, हालात ये हैं कि हिंसा बढ़ने पर हल्द्वानी की सभी दुकानें बंद कर दी गईं हैं। कर्फ्यू लगने के बाद शहर और आसपास कक्षा 1-12 तक के सभी स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजधानी देहरादून में उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा की तथा अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिए। इलाके में भारी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती है। कुल मिलाकर इलाके में पूरी तरह से लॉकडाउन वाले हालात हैं। केवल जरूरी कार्यों को ही करने की छूट है।

  • हल्द्वानी हिंसा को लेकर यूपी में भी हाई अलर्ट जारी

    हल्द्वानी हिंसा को लेकर यूपी में भी हाई अलर्ट जारी

    भाजपा शासित उत्तराखंड के हल्द्वानी में भयंकर हिंसा के बाद हालात काफी गंभीर होते जा रहे हैं। उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद यूपी में अलर्ट घोषित किया गया है. डीजीपी प्रशांत कुमार ने उत्तराखंड से सटे सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रहने के आदेश दिए हैं. हल्द्वानी की घटना को लेकर प्रदेश के सभी जिलों को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने को केहा गया है. साथ ही उत्तराखंड से आने वाले वाहनों और लोगों की चेकिंग करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
    नैनीताल जिले में हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके की ताजा स्थिति को देखते हुए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। साथ ही प्रशासन ने सभी स्कूल-कॉलेजों को भी बंद करने का आदेश दिया है। नैनीताल जिले में हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में उस वक्त हिंसा की चिंगारी भड़क उठी, जब नगर निगम अतिक्रमण हटाओ अभियान चला रहा था। हिंसा की आग इतनी भयावह थी कि पूरा शहर जल उठा इस हिंसा में अब तक 6 लोगों के मारे जाने की खबर है और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं।
    DGP प्रशांत कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया पर नजर रखी जाए और हल्द्वानी मामले को लेकर अफवाह फैलाने वालों और गड़बड़ी करने वालों से सख्ती से निपटा जाए. डीजीपी ने बरेली जोन के अफसरों को विशेष सुरक्षा इंतजाम करने को कहा है. फिलहाल, पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. वहीं, सीनियर अधिकारियों द्वारा शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान सभी जिलों में अतिरिक्त मुस्तैदी बरते जाने के साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में कड़े सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं. खासकर, उत्तराखंड बॉर्डर से जुड़े व उसके आसपास के जिलों में गुरुवार रात से ही पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है.
    दरअसल, हल्द्वानी नगर निगम ने शहर में बने एक मदरसे को गुरुवार 8 फरवरी को बुलडोजर से गिरा दिया। यहां नमाज पढ़ने के लिए भी एक बिल्डिंग बनाई जा रही थी, उसे भी गिरा दिया गया। इससे गुस्साए लोगों ने नगर निगम की टीम पर हमला कर दिया। यहीं से हिंसा की शुरुआत हुई। उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को चारों ओर से घेरकर पथराव किया। कई गाड़ियों को जला दिया। ट्रांसफार्मर में भी आग लगा दी, इससे इलाके में बिजली सप्लाई ठप हो गई।
    पथराव में SDM, पुलिस-निगमकर्मी, पत्रकार चोटिल हुए। पुलिस ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़कर उपद्रवियों को खदेड़ा। स्थिति नियंत्रण से बाहर होने के बाद DM वंदना सिंह ने बनभूलपुरा में कर्फ्यू लगा दिया है और उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं। सुरक्षा के लिहाज से पैरामिलिट्री की 4 तो PAC की 2 कंपनियां तैनात की गई हैं।
    CM पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना को लेकर कहा कि अतिक्रमण कोर्ट के आदेश पर हटाया गया है। जिन लोगों ने हमला और आगजनी की है उनकी पहचान कर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। CM धामी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की है। पुलिस के अनुसार बनभुलपुरा में शामिल उपद्रवियों को चिन्हित कर उन पर मुकदमा किया जा रहा है।

  • Haldwani Violence: क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी ?

    Haldwani Violence: क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी ?

    Madrasa Demolition: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर (Haldwani Violence) में मदरसे पर बुलडोजर एक्शन (Madarsa Demolition) को लेकर भड़की हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। गुरुवार को जब पुलिस प्रशासन की टीम कार्रवाई के लिए बनभूलपुरा क्षेत्र में बने मदरसे और मस्जिद को हटाने के लिए पहुंची तो स्थानीय लोगों ने विरोध जताया और पथराव शुरू कर दिया। स्थिति बिगड़ती चली गई और मकानों-दुकानों में तोड़फोड़, आगजनी और गोलीबारी की घटनाएं सामने आने लगीं। पूरे शहार में तनाव फैल गया, जिसके बाद कर्फ्यू लगाना पड़ा और दंगाइयों को दिखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया गया. इस घटना के बाद से बेहद संवेदनशील माहौल बना हुआ है।

    नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने बताया कि हल्द्वानी में हुई हिंसा प्लानिंग के तहत हुई। पुलिस की टीम पर हमले के लिए पहले से ही पत्थर रखे गए थे। हिंसा की वजह से शहर में कर्फ्यू लगाया गया है और चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती भी की गई है।

    हल्द्वानी में कब शुरू हुई हिंसा?

     

    हल्द्वानी में गुरुवार को पुलिस प्रशासन की टीम बनभूलपुरा क्षेत्र में नजूल जमीन (जिस पर किसी का मालिकाना हक ना हो) पर बने मदरसे और मस्जिद को हटाने के लिए गई थी। प्रशासन का कहना है कि मदरसे और मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से हुआ है। हाईकोर्ट ने उसे हटाने का आदेश दिया था, जिस पर कार्रवाई करते हुए टीम वहां पहुंची। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। पहले पुलिस की टीम पर पथराव किया गया और फिर पूरे शहर में हिंसा फैल गई।

     

    हल्द्वानी में कैसे हुई हिंसा?

     

    जैसे ही टीम ने मदरसे और मस्जिद पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो महिलाएं और स्थानीय निवासियों की गुस्साई भीड़ विरोध में सड़क पर उतर गई और पुलिसकर्मियों के साथ उनकी बहस हो गई। फिर नारेबाजी हुई और टीम पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। देखते ही देखते स्थिति तनावपूर्ण हो गई और दंगे शुरू हो गए। ,

    हल्द्वानी में क्यों हुई हिंसा?

     

    बनभूलपुरा क्षेत्र में नजूल जमीन पर बनी मस्जिद और मदरसे को हटाने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया था। आदेश पर की जा रही पुलिस प्रशासन की कार्रवाई का स्थानीय लोग विरोध कर रहे थे।  पुलिस ने आक्रोशित भीड़ पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, लाठीचार्ज किया, लेकिन बवाल बढ़ने लगा. तब रामनगर से अतिरिक्त फोर्स बुलाई गई. बवाल करने वाली भीड़ ने आगजनी की, मकानों और दुकानों पर तोड़फोड़ की, दर्जनों गाड़ियों को फूंक डाला, जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया।

     

    हाईकोर्ट ने मस्जिद और मदरसा हटाने का आदेश क्यों दिया?

     

    डीएम वंदना सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने हल्द्वानी में अवैध निर्माणों को हटाने के निर्देश दिए थे। यह मदरसा और मस्जिद बनभूलपुरा क्षेत्र में तीन एकड़ जमीन पर अवैध तरीके से बनाए गए थे।  प्रशासन ने बताया कि 30 जनवरी को नगर निगम ने इसे ढहाने का नोटिस दिया था और इस जमीन को नगर निगम ने पहले ही अपने कब्जे में लेकर इसको सील कर दिया था।

  • Haldwani Violence : हल्द्वानी हिंसा पर DM बोलीं- ‘भीड़ ने थाने को घेरा, पेट्रोल बम से हमला किया, सख्त कार्रवाई होगी’

    Haldwani Violence : हल्द्वानी हिंसा पर DM बोलीं- ‘भीड़ ने थाने को घेरा, पेट्रोल बम से हमला किया, सख्त कार्रवाई होगी’

    Haldwani Violence News Live: उत्तराखंड एडीजी कानून एवं व्यवस्था एपी अंशुमान ने कहा कि हलद्वानी हिंसा प्रभावित बनभूलपुरा में चार लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजधानी देहरादून में उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा की तथा अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिए।

    Haldwani Violence Live: ‘भीड़ ने थाने को घेर, पेट्रोल बम से किया हमला’- नैनीताल DM
    वन्दना सिंह (डीएम,नैनीताल) ने कहा, “भीड़ ने थाने को घेर लिया और थाने के अंदर मौजूद लोगों को बाहर नहीं आने दिया गया। उन पर पहले पथराव किया गया और फिर पेट्रोल बम से हमला किया गया। थाने के बाहर वाहनों में आग लगा दी गई और धुएं के कारण दम घुटने लगा। पुलिस थाने की सुरक्षा के लिए ही आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.”

  • यूसीसी से उत्तराखंड में क्या बदलेगा और क्या नहीं ?

    यूसीसी से उत्तराखंड में क्या बदलेगा और क्या नहीं ?

    उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने Uniform Civil Code bill आज यानि मंगलवार को पेश किया. आजादी के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है. जहां आजादी के बाद UCC लागू किया जाएगा है. आइए हम आपको उन सवालों के जवाब बताते हैं कि राज्य में यूसीसी लागू होने से क्या बदलेगा और क्या नहीं? और इसका आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा-

     UCC लागू होने के बाद क्या बदलाव किए गए :

    1- सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की minimum age 18 साल होगी (उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर जो ड्राफ्ट सरकार को दिया गया है उसमें कमेटी ने लड़कों के लिए शादी की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल निर्धारित की है)
    2- पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार (यानि यूसीसी लागू होने के बाद पति-पत्नी को तलाक का बराबर हक मिलेगा. यानी सभी धर्मों के लिए तलाक की एक ही नीति होगी)
    3- लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी (शादी के अलावा लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल को भी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. इसके साथ ही माता-पिता को भी रिलेशन के बारे में बताया होगा. पुलिस में भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा.)
    4- लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा (लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत करने में विफल रहने पर अधिकतम 6 महीने की जेल, 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।)
    5- लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार (सभी बच्चों का संपत्ति पर बराबर अधिकार होगा. साथ ही लिवइन रिलेशन में पैदा हुए बच्चों को भी संपत्ति में समान अधिकार होगा.)
    6- महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं ( महिला अगर दोबारा शादी करना चाहती है तो उस पर किसी भी तरह की शर्त नहीं होगी.)
    7- अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर (प्रदेश में सात प्रमुख जनजातियां हैं, जिनके तौर तरीके और नियम अलग हैं। हालांकि, अभी सरकार को इस पर फैसला लेना है। समान नागरिक संहिता वैसे तो प्रदेश के हर नागरिक पर लागू करने का लक्ष्य है, लेकिन अनुसूचित जनजातियों को इससे बाहर रखा जा सकता है। )
    8- बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं (बहु विवाद पर रोक रहेगी. यानी कि पति या पत्नी के जीवित होने पर दूसरी शादी नहीं की जा सकती. केवल एक ही शादी मान्य मानी जाएगी.)
    9- शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं (सभी धर्मों में शादी के बाद रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. बिना रजिस्ट्रेशन के शादी अमान्य मानी जाएगी. साथ ही किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा.)
    10- उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक (संपत्ति में लड़कियों को बराबर का अधिकार मिलेगा. इसके तहत घर हर धर्म के लिए घर की संपत्ति में बेटियों को बराबर का अधिकार होगा.)

    UCC लागू होने के फायदे क्या है ?

    – हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून
    – जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी
    – बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे
    – मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी

    चलिए आपको बता दे की UCC से क्या नहीं बदलेगा?

    – धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं
    – धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं
    – ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे
    – खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं

    क्या होता है समान नागरिक संहिता ?

    Uniform Civil Code यानि समान नागरिक संहिता या यू कह लीजिए कि एक देश एक कानून । Uniform Civil Code यानि UCC के तहत देश में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों के लिए एक कानून होगा। इसमे शादी, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे जैसे topics आते हैं।
    constitution के article 44 में भारत में रहने वाले सभी लोगों के लिए एक समान कानून का प्रावधान लागू करने की बात कही गई है. ऐसे में एक पत्नी के रहते हुए आप दूसरी शादी नहीं कर सकते. फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय होते हैं. ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को भविष्य में लागू किया गया तो सभी धर्मों के लिए वही कानून होगा, जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा.

    गोवा में लागू है UCC

    जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत में गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर UCC लागू है. संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है. इसे गोवा सिविल कोड के नाम से जाना जाता है. वहां हिंदू, मुस्लिम, और ईसाई समेत धर्म जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है. गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, .यहां कोई ट्रिपल तलाक भी नहीं दे सकता.

    कांग्रेस करेगी UCC का विरोध

    उत्तराखंड के बाद एमपी में भी Uniform यानी यूसीसी लागू किए जाने की चचा तेज हो गई है. इसी बीच कांग्रेस ने UCC को अराजकता बढ़ाने वाला बताया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि यूसीसी पर सरकार का रवैया नफरत की नई राजनीति की शुरुआत करेगा. सभी को इसका विरोध करना चाहिए. यह देश को अराजकता की ओर ले जाएगा.

  • Uttarakhand UCC : उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश, विधानसभा की कार्रवाई स्थगित

    Uttarakhand UCC : उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश, विधानसभा की कार्रवाई स्थगित

    Uniform Civil Code in Uttarakhand Assembly Live : उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक को पेश कर दिया गया है। मंगलवार का दिन उत्तराखंड विधानसभा के लिए ऐतिहासिक बन गया है। उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई है, जहां समान नागरिक संहिता विधेयक पर चर्चा हो रही है। देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात भारतीय जनता पार्टी के शुरुआती घोषणापत्रों में से एक रही है। उत्तराखंड विधानसभा से इसकी शुरुआत होने वाली है। उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड की तर्ज पर कई अन्य प्रदेशों में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाता देखा जा सकता है। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार इस मामले में रिकॉर्ड बनाने में सफल हो गई है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से धार्मिक आधार पर मिलने वाली स्वतंत्रता लोगों से छिन जाएगी। भारतीय कानून के प्रावधान सभी वर्गों पर एक समान लागू होंगे। उत्तराखंड ऐसा करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है।

    पुष्कर सिंह धामी ने बनाया इतिहास

    सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इतिहास रचा है। उन्होंने यूसीसी बिल पेश किया। इसके साथ विधानसभा में बिल पर चर्चा शुरू होने की बात कही गई। धामी सरकार ने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही यूसीसी पर बिल लाने के लिए कैबिनेट से कमेटी का गठन किया। माना जा रहा है कि आज और कल दो दिन इस बिल पर सदन में बहस होगी। बुधवार को इसे पास किया जाएगा।

    यूसीसी बिल की कॉपी सभी सदस्यों में की गई वितरित

    उत्तराखंड यूसीसी बिल की कॉपी सभी सदस्यों में वितरित की गई। तमाम सदस्यों को बिल का अध्ययन करने के लिए करीब तीन घंटे का समय मिला है। माना जा रहा है कि दोपहर 2 बजे से बिल पर चर्चा शुरू होने के बाद विधायक अपना पक्ष रखेंगे। सरकार की कोशिश आज ही बिल को पास कराने की होगी।

    यूसीसी बिल की कॉपी सभी सदस्यों में की गई वितरित

    उत्तराखंड विधानसभा में उत्तराखंड यूसीसी बिल 2024 को सदन के पटल रखा गया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बिल को पेश किया। उनके बिल पास किए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सदस्यों से इस पर राय मांगी। सदस्यों ने जय श्री राम और भारत माता की जय के नारों के साथ बिल का समर्थन किया। वहीं, एक आवाज न की भी आई। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

    उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुआ यूसीसी बिल

    उत्तराखंड विधानसभा ने मंगलवार को यूसीसी बिल पेश कर दिया गया है। इस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा ने इतिहास रच दिया। स्वतंत्र भारत में उत्तराखंड विधानसभा इस प्रकार के बिल पेश करने वाली पहली विधानसभा बन गई है। इस बिल को पास कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पास पर्याप्त बहुमत है। प्रदेश की विधानसभा में भाजपा के पास 47 और कांग्रेस के पास 19 सीटें हैं। इस बहुमत के साथ धामी सरकार को बिल पास कराने में अधिक दिक्कत नहीं होगी। बिल पेश होते ही उत्तराखंड विधानसभा भारत माता की जय और जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।

    उत्तराखंड विधानसभा परिसर में विपक्ष का हंगामा

    उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष की ओर से हंगामा शुरू किया है। विपक्षी दलों के विधायक और नेता हाथों में तख्तियां लेकर पहुंचे हैं। वे सरकार पर सभी वर्गों के हितों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस नेताओं के रुख में बिल पेश किए जाने से पहले बदलाव होता दिख रहा है।

    विधानसभा के लिए निकले पुष्कर सिंह धामी

    सीएम पुष्कर सिंह धामी समान नागरिक संहिता बिल विधानसभा में पेश करने के लिए घर से निकले। यूसीसी बिल को पेश करने के लिए सीएम धामी भारत का संविधान लेकर निकलते दिखाई दिए। यूपी विधानसभा में सुबह 11 बजे बिल को पेश किया जाएगा।

    कांग्रेस ने की चर्चा का समय देने की मांग

    उत्तराखंड में लाए जा रहे यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने से पहले चर्चा के लिए समय देने की मांग की। कांग्रेस ने कहा कि चर्चा का समय दिया जाए, हम यूसीसी के विरोध में नहीं हैं। इस कानून को लागू किए जाने से पहले विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।

    हरीश रावत का यूसीसी पर हमला

    उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भाजपा को यूसीसी के ड्राफ्ट में केवल वोट नजर आ रहे हैं। यूसीसी के जरिए प्रदेश की आठ फीसदी आबादी को निशाना बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे देश- दुनिया में धर्म से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप से अच्छा संदेश नहीं जाएगा।
  • Joshimath Sinking Updates: आपदा प्रभावितों के पुनर्वास और राहत पैकेज का एलान

    Joshimath Sinking Updates: आपदा प्रभावितों के पुनर्वास और राहत पैकेज का एलान

    Joshimath में हो रहे भू-धंसाव को लेकर, उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में 13 जनवरी यानी शुक्रवार को कैबिनेट बैठक खत्म हुई । इस बैठक के ज़रिए, सरकार ने आपदा प्रभावित लोगों के लिए काफी बड़े फैसले लिए हैं, जिसमें 5000 रुपये तक किराया बढ़ाने का फैसला भी शामिल है । कैबिनेट बैठक के बाद मुख्य सचिव ने बताया कि, सरकार ने प्रभावित लोगों के विस्थापन के लिए 5 जगह चिन्हित की हैं – पीपलकोटी, गौचर, ढाक, कोटिफार्म और सेलांग । बैठक में जोशीमठ के भविष्य को लेकर भी रोडमैप जारी किया गया।

    कैबिनेट की बैठक के बाद, धामी सरकार ने 45 करोड़ की आर्थिक सहायता को जारी करने की मंजूरी दी । साथ – साथ, प्रभावित परिवारों के लिए अब 4 हजार की जगह 5 हजार किराए की दर की । हालांकि, यह सिर्फ मकान मालिक के लिए है जो किराए पर रह रहे थे उनके लिए यह राहत नहीं है । सरकार ने नवंबर से 6 महीने के बिजली-पानी के बिल को भी माफ किया। आपदा के चलते, उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्रियो ने एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला भी लिया है।

    सरकारी घोषणा के मुताबिक, राहत शिवीरी में रह रहे लोगों को खाने के लिए प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 450 रुपये दिए जाएंगे। इसमें भी अगर कोई, राहत शिविर के बजाय खुद से खाना बनाता है तो उसे भी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 450 रुपये खाने का दिया जाएगा। शिविर में एक कमरे के लिए अधिकतम 950 रुपये महीना देने की घोषणा की गई है ।

    सरकार ने विस्थापित पशुओं के लिए भी कुछ अहम फैसले लिए हैं । फैसले के मुताबिक15 हजार रुपये प्रति पशु दिए जाएंगे । गौरतलब है कि, जोशीमठ में 80 बड़े और 45 छोटे पशु हैं । वाणिज्यक व सरकारी बैंक की किस्त पर 1 साल तक रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे ।

    जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते जोशीमठ नगर क्षेत्र के 9 वार्ड में 760 प्रभावित भवनों को अभी तक चिन्हित किया जा चुका है. जिसमें से 128 भवनों को असुरक्षित जोन के अंतर्गत रखा गया है । उत्तराखंड प्रशासन ने अस्थायी राहत शिविरों के रूप में 51 भवनों के 344 कक्षों का चिह्नीकरण कर लिया है. इसमें 1425 व्यक्तियों को ठहराया जा सकता है ।