Category: पर्यटन

  • अयोध्या के राम मंदिर से देश को हुआ कितना फायदा ?

    अयोध्या के राम मंदिर से देश को हुआ कितना फायदा ?

    अयोध्या में राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इस पूरे कार्यकर्म की झलक देखने को मिली वही श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से देश की economy में सनातन कारोबार का एक नया अध्याय बहुत ही मजबूती से जुड़ गया है। जिसके तेजी से देशभर में विकास की बड़ी संभावना देखी जा रही है। अकेले 22 जनवरी को ही देशभर में एक लाख से ज़्यादा कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इनमें 2 हजार शोभायात्रा, 5 हजार से अधिक फेरी, 1000 से अधिक श्री राम संवाद कार्यक्रम, 2500 से ज्‍यादा संगीतमय श्री राम भजन और श्री राम गीत कार्यक्रम आयोजित किए गए. 50 हजार से अधिक जगहों पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, अखंड रामायण और अखंड दीपक के कार्यक्रम किए गए तो 40 हज़ार से ज्यादा भंडारे व्यापारियों ने आयोजित किए । देश भर में करोड़ों की संख्या में श्री राम मंदिर के मॉडल, माला, लटकन, चूड़ी, बिंदी, कड़े, राम ध्वज, राम पटके, राम टोपी, राम पेंटिंग, राम दरबार के चित्र, श्री राम मंदिर के चित्र की भी ज़बरदस्त बिक्री हुई. करोड़ों किलो मिठाई और ड्राई फ्रूट की प्रसाद के रूप में बिक्री की गई. यह सब आस्था और भक्ति के सागर में डूबे लोगों ने किया और देश में ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया. Confederation of All India Traders (कैट) ने ये कहा कि एक मोटे अनुमान के अनुसार श्री राम मंदिर के कारण से देश में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का बड़ा कारोबार हुआ जिसमें अकेले दिल्ली में लगभग 25 हजार करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का सामान और सेवाओं के जरिए व्यापार हुआ।

    वही बात करे अयोध्या की तो अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है । अयोध्या भक्तों की भीड़ से भर गई है। पहले दिन दर्शन के लिए इतने लोग यहां शामिल हुए कि कई सारे लोग तो दर्शन भी नहीं कर पाए । 4000 संतों का ग्रुप भी आया । रामलला के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिसकर्मियों को पहले दिन दर्शन के लिए 50 हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन, करीब 5 लाख लोग अयोध्या पहुचे । ऐसे में पुलिस की ओर से विशेष योजना तैयार की गई। आनन-फानन में एक हजार सुरक्षाकर्मियों को अयोध्या राम मंदिर की व्यवस्था को संभालने के लिए तैनात किया गया। रामलला के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी है। इसको देखते हुए मंदिर में एंट्री को रोक दिया गया ।

    अब तक राम मंदिर को 5500 करोड़ रुपये का दान मिल चुका है. बता दें इस समय राम मंदिर ट्रस्ट के बैंक खाते 3 PSU बैंक में है. इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक का नाम शामिल है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कुछ समय पहले जानकारी शेयर की गई थी, जिसमें बताया गया था कि मार्च 2023 के आखिर तक बैंक की कुल जमा लगभग 3000 करोड़ रुपये थी. वहीं, ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण के लिए 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं.

    इसी बीच न्यूज एजेंसी PTI ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि के हवाले से जानकारी दी है कि राम मंदिर के निर्माण पर अब तक 1,100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. हालांकि, अभी मंदिर का पूर्ण निर्माण करने के लिए 300 करोड़ रुपए की और जरूरत होगी. वही आपको बताते हैं राम मंदिर को बनाने में किसने कितना दान दिया है. राम मंदिर के निर्माण के लिए संत मोटारी बापू ने 18.6 करोड़ रुपये का दान दिया है । यह महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता भारत से 11.30 करोड़ रूपये, ब्रिटेन और यूरोप से 3.21 करोड़ रुपये और अमेरिका, कनाडा और विभिन्न अन्य देशों से 4.10 करोड़ रुपये के योगदान से एकत्र की गई थी. वेटरन एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने भी राम मंदिर को गुप्त दान दिया है. इसके अलावा अक्षय कुमार समेत कई बॉलीवुड सेलेब्रिटीज ने भी करोड़ों का दान दिया है.

  • Ayodhya Ram Mandir के पास Amitabh Bachchan ने कितने करोड़ की Property खरीदी ?

    Ayodhya Ram Mandir के पास Amitabh Bachchan ने कितने करोड़ की Property खरीदी ?

    इस समय हर तरफ राम मंदिर की धूम है।  हर कोई रामलला का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।  आम जनता से लेकर बड़े-बड़े से बड़ा स्टार हो या मंत्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का हिस्सा बनना चाहता है।  ऐसे में सदी के महानायक यानी अमिताभ बच्चन ने रामनगरी में एक जमीन खरीद ली है।  जी हां बिग बी जल्द ही अयोध्या में अपना घर बनवाने वाले हैं।  इसके लिए एक्टर ने अभिनंदन Lodha ग्रुप के जरिए वहां पर जमीन खरीदी है।  बता दें अभिनंदन लोढ़ा ग्रुप अयोध्या में सेवन स्टार टाउनशिप विकसित कर रहा है।

    बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने राम मंदिर उद्घाटन से पहले अयोध्या में घर बनवाने के लिए प्लॉट खरीदा है। प्लॉट की कीमत 14.5 करोड़ रुपए है। जबकि इसका दायरा 10 हजार वर्ग फुट है। अमिताभ बच्चन ने इसे मुंबई स्थित Developer The House of Abhinandan Lodha (HoABL) से 7-STAR वाले Enclave, THE सरयू में खरीदा है। कंपनी के अध्यक्ष ने इसे मील का पत्थर करार दिया है। हालांकि उन्होंने जमीन का सौदा कितने में हुआ है, इस पर कोई बात नहीं है। अमिताभ द सरयू एन्क्लेव में प्लॉट खरीदने वाले पहले शख्स हैं। सरयू एन्क्लेव राम मंदिर से लगभग 15 मिनट की दूरी पर और अयोध्या अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 30 मिनट की दूरी पर स्थित है।
    अमिताभ बच्चन ने कहा, ‘मैं अयोध्या में द हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा के साथ आध्यात्मिक नगरी अयोध्या में घर बनाने के लिए Excited हूं। अयोध्या एक ऐसा शहर है, जो मेरे दिल में एक special place रखता है। अयोध्या की Eternal spirituality और cultural richness ने geographical boundaries से परे एक emotional connection बनाया है। यह अयोध्या की आत्मा में एक हार्दिक यात्रा की शुरुआत है, जहां परंपरा और आधुनिकता मूल रूप से सह-अस्तित्व में हैं।

    वही आपको बता दे अयोध्या में आने वाली 22 जनवरी को भगवन श्री राम मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. जिसमे , रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, टाइगर श्रॉफ, जैकी श्रॉफ, रणदीप हुडा, आयुष्मान खुराना, अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, अक्षय कुमार, अजय देवगन, सनी देओल, चिरंजीवी, माधुरी दिक्षित, अनुपम खेर, संजय लीला भंसाली, धनुष, मोहनलाल, ऋषभ शेट्टी, कंगना रनौत, मधुर भंडारकर, प्रभास, अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया जैसे बड़े सितारे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होंगे.

    2019 के बाद से आसमान छू रहे जमीन के दाम

    2019 में सुप्रीम कोर्ट से बाबरी मस्जिद-श्रीराम जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद अयोध्या में जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं। अक्टूबर 2023 में एक आकलन में Anarock Group के chairman अनुज पुरी ने कहा कि फैसले के तुरंत बाद शहर में संपत्ति की कीमतें लगभग 25-30% बढ़ गईं। अयोध्या के बाहरी इलाके में जमीन की औसत कीमतें 1,500 रुपए प्रति वर्गफुट से 3,000 रुपए प्रति वर्गफुट तक बढ़ गई हैं। जबकि शहर में कीमतें 4,000 रुपए प्रति वर्गफुट से 6,000 रुपए प्रति वर्गफुट तक बढ़ गई।

  • PM मोदी ने शुरू किया 11 दिन का खास अनुष्ठान, आखिर क्या है इस अनुष्ठान का महत्व ?

    PM मोदी ने शुरू किया 11 दिन का खास अनुष्ठान, आखिर क्या है इस अनुष्ठान का महत्व ?

    उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होगा। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुओं के आराध्य भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। प्रधानमंत्री इससे पहले एक विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनूंगा। प्रभु ने मुझे इस दौरान, सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है।’ प्रधानमंत्री मोदी ने आगे लिखा, ‘इसे ध्यान में रखते हुए मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं। मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं। इस समय अपनी भावनाओं को शब्दों में कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने अपनी तरफ से एक प्रयास किया है…।’ प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में एक यूट्यूब लिंक भी share किया है, जिसमें उन्होंने लोगों को एक संदेश दिया है।

    नासिक से शुरू करेंगे अनुष्ठान

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने यूट्यूब संदेश में कहा कि शास्त्रों के अनुसार किसी भी प्राण प्रतिष्ठा, यज्ञ और आराधना से पहले कठोर व्रत करना होता है, इसलिए वो यह अनुष्ठान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने अनुष्ठान की शुरुआत महाराष्ट्र के नासिक में स्थित पंचवटी से शुरू करेंगे, जहां श्रीराम ने अपने जीवन का काफी समय बिताया था। उन्होंने कहा कि वह राम मंदिर उन लोगों की प्रेरणा लेकर जाएंगे, जिन्होंने इसके लिए अपना जीवन समर्पित किया।

    क्या है अनुष्ठान का महत्व

    आपको बता दें कि शास्त्रों में देव प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा एक विशद एवं वृहद प्रक्रिया है. इसके लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं जिनका प्राण प्रतिष्ठा के कई दिन पहले से पालन करना होता है. एक रामभक्त के रूप में प्रधानमंत्री जी राममंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के प्रति एक आध्यात्मिक साधना के भाव से समर्पित हैं. उन्होंने तय किया कि अपनी तमाम व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद वो प्राण प्रतिष्ठा के दिन और उसके पूर्व के सभी नियमों और तपश्चर्याओं को उतनी ही दृढ़ता के साथ पालन करेंगे, जैसा कि शास्त्रों में निर्देश दिया गया है.इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व 11 दिवसीय यम-नियम पालन का अनुष्ठान शुरू किया है.

    कांग्रेस पार्टी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का किया बहिष्कार

    रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश-विदेश की कई जानी-मानी हस्तियों को न्योता दिया गया है। इसमें विपक्ष के नेता भी शामिल हैं। हालांकि, देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने राम मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार करते हुए निमंत्रण को ठुकरा दिया है। कांग्रेस पार्टी के तीन नेताओं सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी को निमंत्रण दिया गया, लेकिन तीनों प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। इसकी कांग्रेस पार्टी के अंदर भी एक वर्ग की ओर से कड़ी आलोचना हो रही है।

    प्रधानमंत्री ने अपनी मां को किया याद

    पीएम मोदी ने माता जीजाबाई को भी याद किया और कहा कि सोने पर सुहागा ये है कि आज माता जीजाबाई की जन्म जयंती है. उन्होंने कहा कि माता जीजाबाई ने छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में एक महामानव को जन्म दिया. आज हम भारत को जिस अक्षुण्ण रूप में देख रहे हैं, इसमें माता जीजाबाई का बहुत बड़ा योगदान है. पीएम ने कहा कि जब मैं माता जीजाबाई को याद कर रहा हूं तो सहज रूप से मुझे अपनी मां की भी याद आ रही है. मेरी मां जीवन के अंत तक माला जपते हुए सीता-राम का ही नाम भजा करती थी. उन्होंने कहा कि लोग अपने शब्दों और भावों को नमो ऐप के जरिए उन तक पहुंचा सकते हैं.

  • जापान में लैन्डिंग के समय 2 विमानों में टक्कर , लगी भीषण आग !

    जापान में लैन्डिंग के समय 2 विमानों में टक्कर , लगी भीषण आग !

    जापान को शायद इस व्यक्त किस की बुरी नज़र लगी है नये साल के मौके पर जहा सारी दुनिया जशन मन रहा था , वहीं जापान भूकंप के कई झटकों से दहल उठा. जापान में साल के पहले दिन 7.6 तीव्रता का भूकंप आया. अब इसके बाद जापान से आज के बड़ी खबर सामने आरही है । जहां टोकियो एयरपोर्ट पर एक प्लेन लैंड करते समय अचानक भीषण आग की चपेट में आ गया. इस हादसे की पुष्टि जापानी न्यूज एजेंसी एनएचके ने की है. मामले में अबतक मिली जानकारी के अनुसार, प्लेन हादसे की ये दुर्घटना विमान लैंडिंग के वक्त, किसी दूसरे विमान से टकराने की वजह से पेश आने का शक है. हालांकि अबतक इसकी असल वजह का साफ पता नहीं चल पाया है. वहीं संबंधित विभाग लगातार मामले में तफ्तीश कर हकीकत का पता लगाने में जुटे हैं…
    गौरतलब है कि,इस घटना की CCTV फुटेज जारी की है, जिसमें विमान की खिड़की और इसके नीचे से आग की लपटों को निकलते साफ देखा सकता है. वीडियो में देखा जा सकता है कि अग्निशमन दल आग बुझाने प्रयास कर रही है. NHK मुताबिक, जिस फ्लाइट में आग लगी है इसका नंबर JAL 516 था और इस फ्लाइट ने होक्काइडो से उड़ान भरी थी. जानकारी के अनुसार, आग विमान के विंग में लगी थी जिसमें इंजन सेट रहता है. देखते ही देखते आग विंग के आसपास के हिस्से में भी फैल गई. इसके बाद विमान को तुरंत रोका गया और इमजरेंसी एग्जिट से सभी यात्रियों को बाहर निकाला गया. जापान टाइम्स के मुताबिक, फ्लाइट से कुल 367 यात्री सवार थे जिन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.
    रिपोर्ट के मुताबिक इस विमान में 367 यात्री और 12 क्रू मेंबर सवार थे, लेकिन सभी को बाहर निकाल लिया गया. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक जापान कोस्ट गार्ड ने कहा कि विमान से टक्कर की सूचना के बाद 5 क्रू-मेंबर सदस्य लापता हैं. वीडियो में विमान के इंजन के पास आग की तेज लपटें निकलती नजर आ रही है. दमकल आग पर पानी डालकर उसपर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं. इस घटना के बाद हनेडा के सभी रनवे को बंद कर दिए गए हैं. वहीं कुछ उड़ानों को डायवर्ट भी किया गया है.

  • जोशीमठ में भारी दरार, कैसे होगी चारधाम की यात्रा पार

    जोशीमठ में भारी दरार, कैसे होगी चारधाम की यात्रा पार

    चारधाम यात्रा पर सकंट के बादल हटने का नाम नहीं ले रहें है। चारधाम यात्रा की तैयारिया तो हो रही है लेकिन एक सवाल जो तीर्थ यात्रियों में बना हुआ है वो ये है कि ये तैसारी कैसी है ? 2 महिने से भी कम समय बचा है चारधाम की यात्रा के शुरू होने में। लेकिन बद्रनाथ हाइवे पर दरारों से जो नजारा बना हुआ है वो लोगों में दहशत पैदा कर रहा है।इतना ही नहीं लोगों को ये भी डर है कि कही जोशीमठ और बद्रीनाथ में तुर्किये जैसे हालात ना पैदा हो जाये। आज कि इस वीडियों में हम इसी विषय पर बताने जा रहें है तो post में एंड तक बने रहिएगा….

    जोशीमठ से लेकर माड़वारी तक दहशत

    इस वक्त जो संकट बद्रनाथ हाइवे पर बना हुआ है वो तीर्थ यात्रियों को लगातार सता रहा है। बता दें 10 जगह सड़क धसी है। लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में बड़ी दरारें आई है, जो लोगों को डरा रही है। बद्रीनाथ हाइवे,जोशीमठ से लेकर माड़वारी तक दहशत की इन दरारों ने कई सवाल खड़े कर दिये है। वही तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप से भी बड़ा भूकंप उत्तराखंड क्षेत्र में भी आने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि वैज्ञानिक अभी इसके समय के बारे में ठीक जानकारी नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन इसकी वार्निंग दे दी गयी है। यह भूकंप कभी भी आ सकता है। वैज्ञनिकों का कहना है कि इसकी तीव्रता तुर्की में आए भूकंप से भी ज्यादा हो सकती है। जोशीमठ (Joshimath Crisis) समेत कई इलाकों में हो रहे भू धंसाव का खतरा अभी थमा भी नहीं है कि ऐसी चेतावनी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

    बद्रीनाथ यात्रा कैसे होगी पूरी

    बतां दे उत्राखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। राजमार्ग पर दरारों के कारण लोगों की चिंता बढ़ गई है।इस साल बद्रीनाथ यात्रा 27 अप्रेल से शुरू होने वाली है। ऐसे में वहा के जो स्थानीय लोग है वे बेहद ही परेशान है। इसी सिलसिले में शिवरात्रि के त्योहार पर आपदा प्रभावितों ने आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतेश्वर मंदिर में जोशीमठ को बचाने के लिए पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने तहसील में धरना देकर अपनी मांगें दोहराई।

    25 अप्रैल को खुलेंगे केदरनाथ के कपाट

    उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा की घोषणा कर दी है। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन भी जल्द ही शुरू हो जाएगी। बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को जबिक केदरनाथ के कपाट 25 अप्रैल को खुलेंगे। बता दें कि कोरोना महामारी के चलते तीन साल तक चार धाम यात्रा स्थगित कर दी गई थी। पिछले साल इस यात्रा की दोबारा शुरुआत हुई तो रिकॉर्ड 17.6 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ पहुंचे थे। इस बार भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

    यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ जाएंगे

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (JBSS) के एक अधिकारी संजय उनियाल के मुताबिक यह खतरा काफी बड़ा है। चूंकि चार धाम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु बद्रीनाथ जाएंगे। उनके बद्रीनाथ पहुंचने के लिए यही एकमात्र रास्ता है। ऐसे में भू धंसाव और दरारों की वजह से उनकी जान पर बन सकती है।

    बद्रीनाथ राजमार्ग पर उठ रहे सवाल

    एक वरिष्ठ भूवैज्ञानिक ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘जिन जगहों पर दरारें दिखाई दी हैं, उनकी विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से जांच की जानी चाहिए, जिससे ये पता लग सके कि समस्या कहां है। हालांकि चमोली के जिला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना ने मीडिया से कहा है कि एक टीम दरारों की जांच कर रही है और यह चिंता का कारण नहीं है। हालाकि अभी भीड़ नहीं हैं लेकिन जब यात्रा शुरू होगी तब क्या होगा।
    वही कुछ एक्सपर्ट के अनुसार बद्रीनाथ राजमार्ग पहले से ही धंसाव का सामना कर रहा है। और ऐसे में जो दरारें पड़ी ही वो बेहद ही चिंता का विषय है। उन्होंने कहा “हम नहीं जानते कि चार धाम यात्रा के चरम समय के दौरान जब हजारों वाहन सड़क पर दौड़ेंगे तो क्या होगा। बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे, जबकि केदारनाथ की यात्रा 25 अप्रैल से शुरू होगी, इसकी घोषणा सरकार ने शनिवार को की। बता दें कि पिछले साल रिकॉर्ड 17.6 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ पहुंचे थे।”

    भूकंप की तारीख कंफर्म नहीं

    जानकारों के अनुसार उत्तराखंड में सतह के नीचे बहुत तनाव पैदा हो रहा है। ये भूगर्भीय तनाव एक बड़े भूकंप आने के बाद ही खत्म हो पाएगा। डॉ. राव की चेतावनी के मुताबिक भूकंप की तारीख और समय की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, लेकिन वहां होने वाली तबाही कई भौगोलिक कारकों पर निर्भर करेगा। ये भौगोलिक कारक विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होते हैं। उन्होंने आगे कहा, “हम सटीक समय और तारीख की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन उत्तराखंड में कभी भी भारी भूकंप आने से तबाही मच सकती है।

    अब भी धंस रहे मकान

    वहीं, भू-धंसाव से सबसे अधिक प्रभावित सिंहधार वार्ड में अब भी मकान धंस रहे हैं. यहां कई मकानों की छत, आंगन और कमरे धंस गए हैं जबकि पूर्व में एक मंदिर भी भू-धंसाव से क्षतिग्रस्त हो गया था. सिंहधार वार्ड के प्रभावित क्षेत्र में चार आवासीय भवन डेंजर जोन में हैं. इन मकानों की छत और आंगन धंस गए हैं. बाथरूम और किचन भी तिरछे हो गए हैं। क्षेत्र में लगातार भू-धंसाव हो रहा है। मकान उनकी आंखों के सामने ही टूट रहे हैं. रात को राहत शिविरों में रहने के बाद दिन में एक बार अपने घरों को देखने जाते है।

     

     

  • Amrit Udyan- कल से आम जनता के लिए भी खुल जायेगा अमृत उद्यान

    Amrit Udyan- कल से आम जनता के लिए भी खुल जायेगा अमृत उद्यान

    दिल्ली- सरकार ने शनिवार को मुगल गार्डन का मान बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है। वही इस विषय उन्होंने कहा कि आजादी के 15 साल के पूरे होने के उपलक्ष में अमृत महोत्सव की थीम को ध्यान में रखते हुए मुगल गार्डन का नाम बदला गया है। जिसके बाद रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Droupadi Murmu) ने उद्यान उत्सव (Amrit Udyan) 2023 को उद्घाटन किया। आपको बता दें अमृत उद्यान कल से आम जनता के लिए भी खोल दिया जायेगा। गौरतलब है कि अमृत उद्यान को देखने के लिए देश और दुनियाभर से सैलानी आते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर उम्र के पर्यटक इस मशहूर उद्यान को देखने के लिए जाते हैं। अमृत उद्यान बेहद सुंदर है और यहां फूलों की कई किस्मे हैं जिन्हें सैलानी करीब से देखते हैं और इसकी अनुपम सुंदरता का लुत्फ उठाते हैं। ये उद्यान साल में सिर्फ दो महीने के लिए ही खोला जाता है।

    दिल्ली का नाम बदलने की उठी थी मांग

    दरसअल समय समय पर दिल्ली शहर का नाम बदलने की मांग भी उछती रहती है। इस दिशा में कई बार अखिल भारतीय हिंदू महासभा और संत महासभा ने प्रधानमंत्री मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र भी लिखा है और कहा है कि दिल्ली का मान इंदप्रस्थ होना चाहिए।

    मुगल गार्डन में देखने लायक क्या-क्या है? 

    राष्ट्रपति भवन के पीछे बने मुगल गार्डन 13 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसकी लंबाई 200 मीटर है। जबकि चौड़ाई 175 मीटर की है। गार्डन को चार भागों में बांटा गया है – चतुर्भुज आकार, लम्बा उद्यान, पर्दा गार्डन तथा वृत्ताकार उद्यान। क्या आप फूलों के शौकीन हैं ? भारत में इससे अच्छा कोई बाग़ नहीं मिलेगा। भारत के किसी भी स्थान पर इतने सारे फूलों की बागवानी एक जगह पर नहीं होती है।इस बगीचे में 3000 से ज्यादा फूलों के पौधे हैं। 135 प्रकार के सिर्फ गुलाब के फूल हैं। 33 जड़ी बूटी के पौधे तथा 300 बोनसाई है अगर आप जाएंगे तो आपको पछतावा नहीं होगा। फूलों को देख कर आपका दिल बाग-बाग हो जाएगा। पूरे परिवार के साथ एक बार मुगल गार्डन जा सकते हैं। किसी प्रकार का एंट्री फीस नहीं लगता है।

    अब तक इन जगहों के बदले गए है नाम

    • कनॉट प्लेस- राजीव चौक
    • मुगल गार्डन- अमृत उद्यान
    • राजपथ- कर्तव्य पथ
    • महरौली- बदरपुर रोड- आचार्य महाप्रज्ञ मार्ग
    • रेस कोर्ड रोड- लोक कल्याण मार्ग
    • डलहौजी रोड- दाराशिकोह रोड
    • तीन मूर्ति चौक- तीन मूर्ति हाइफा चौक
    • लाजपत नगर फ्लाईओवर- झूलेलाल सेतु
    • मोहम्मदपुर गांव- माधवपुरम
    • फिरोजशाह कोटला स्टेडियम- अरुण जेटली स्टेडियम
    • प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन- सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन
    • बारापूला एलिवेटेड रोड- बाबा बंदा सिंह बहादुर सेतु
    • औरंगजेब रोड- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग
    • मुकरबा चौक: शहीद कैप्टन विक्रम बतरा चौक
  • Ujjain Corridor : 865 करोड़ में बना उज्जैन का “महाकाल लोक” कॉरिडोर

    Ujjain Corridor : 865 करोड़ में बना उज्जैन का “महाकाल लोक” कॉरिडोर

    Ujjain Corridor : मंगलवार 11 Oct के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन में श्री महाकालेश्र्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे, इस कॉरिडोर को ‘महाकाल लोक’ बताया जा रहा है। इस कॉरिडोर की परियोजना के पूरे होने पर मंदिर का क्षेत्र 47 हेक्टेयर हो जाएगा।

    महाकाल लोक 900 मीटर लंबा गलियारा है जो कि रुद्रसागर झील के चारो ओर स्थित है, इस कॉरिडोर के बनने के बाद से मंदिर के परिसर का सौन्दर्यीकरण तो होगा लेकिन साथ ही श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करना आसान होगा।

    क्यों खास है महाकाल लोक –

    महाकाल लोक को 865 करोड़ रुपये की लागत से दो फेज में डेवलप किया जा रहा है, इस कॉरिडोर (Ujjain Corridor) को बनाने के लिए राजस्थान के पहाड़पुर क्षेत्र में मिलने वाले बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है।

    भक्त महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक पहुचने के लिए 946 मीटर लंबे कॉरिडोर को पार करके पहुंच सकेंगे। इसमें 25 फीट ऊँची और 500 मीटर लंबी म्युरल वॉल बनाई गई है। इससे भीड़ को आसानी से नियंत्रित किया जा सकेगा।

    Ujjain Corridor
    उज्जैन का नव निर्मित कॉरिडोर

    108 नक्काशीदार स्तंभ और 93 शिव मूर्तियों का निर्माण कराया गया है, शिव की विभिन्न मुद्राओं और भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप को भी दर्शाया गया है।

    यह भी पढ़े – डीवाई चंद्रचूड़ बनेंगे नए चीफ जस्टिस

    महाकाल पथ के किनारे दीवार पर बने चित्र, शिव पुराण की कहानियों पर आधारित हैं। इसके अलावा कमल के तालाब, ओपन एयर थिएटर के साथ ही लेक फ्रंट एरिया और ई-रिक्शा और इमरजेंसी वाहनों के लिए भी रास्ता बनाया गया है।

    प्रधानमंत्री करेंगे लोकार्पण –

    महाकाल लोक कॉरिडोर के दो राजसी द्वार है, नंदी द्वार और पिनाकी द्वार, प्रधानमंत्री मंदिर में दर्शन के बाद महाकाल कॉरिडोर के नंदी द्वार पर पहुंचेंगे, इसके बाद प्रधानमंत्री महाकाल लोक को देश को समर्पित करने के साथ ही यहां पर पूजन-अर्चना कर महाकाल पथ देखेंगे।

    Ujjain Corridor
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन “महाकाल लोक” कॉरिडोर के लोकार्पण के दौरान

    इसके बाद वे कार्तिक मेला ग्राउंड पर सभा को संबोधित करेंगे, नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के लिये 6 हजार जवानों को तैनात किया गया है।

    इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण 40 देशों में किया जाएगा, जहां गायक कैलाश खेर महाकाल स्तुति गान करेंगे, इसके अलावा मध्यप्रदेश, केरल, गुजरात, झारखंड के कलाकार संस्कृतिक प्रस्तुति देंगे।

    यहां क्लिक कर आप The News 15 के YouTube Channel पर जा सकते है।

    यह कॉरिडोर भोपाल से 200 किलोमीटर की दूरी पर है, खास इस कार्यक्रम (Ujjain Corridor) के लिए इंदौर से लेकर उज्जैन क्षेत्र के 60 किलोमीटर के रास्ते को सजाया गया है।

  • Heritage : बड़वा में हैं अंग्रेजों के जमाने की शानदार यादें 

    Heritage : बड़वा में हैं अंग्रेजों के जमाने की शानदार यादें 

    Heritage : गगनचुंबी हवेलियां, मनमोहक चित्रकारी, कुंड रुपी जलाशय, हाथीखाने, खजाना गृह, कवच रुपी मुख्य ठोस द्वार और न जाने क्या-क्या 

    डॉ. सत्यवान सौरभ

    दक्षिण-पश्चिम हरियाणा में शुष्क ग्रामीण इलाकों का विशाल विस्तार है, जो उत्तरी राजस्थान के रेतीले क्षेत्रों से सटे हुए है, यहाँ बड़वा नामक एक समृद्ध गांव स्थित है। यह राजगढ़-बीकानेर राज्य राजमार्ग पर हिसार से 25 किमी दक्षिण में है।

    गढ़ बड़वा जिसे गाँव में ठाकुरों की गढ़ी (एक किला) कहा जाता है। ठाकुर बाग सिंह तंवर के पूर्वज, जो कि बृजभूषण सिंह के दादा थे, ने 600 साल पहले राजपुताना के जीतपुरा गाँव से आकर अपने और अपने संबंधों के लिए इस गाँव की संपत्ति की नक्काशी की थी। संयोग से, राजपूतों की तंवर शाखा ने भिवानी शहर के आसपास के कई गाँवों में खुद को मजबूती से स्थापित किया था। नतीजतन, भिवानी तंवर खाप का प्रधान बन गया यानी गाँवों का एक समूह। मध्ययुगीन काल में, तंवर राजपूतों ने उस समय की राजनीतिक उथल-पुथल से उखाड़ फेंका जब मुस्लिम आक्रमणकारी इस भूमि पर कब्जा करने और अपना वर्चस्व स्थापित करने की प्रक्रिया में थे, हरियाणा और पहाड़ी क्षेत्रों से हिमाचल प्रदेश में चले गए। हालांकि, मुगल काल में, तंवर राजपूत शांतिपूर्वक भिवानी के आसपास अपने गाँव में व्यापार करते थे। लगभग 15,000 की आबादी वाला बड़वा का गाँव, अब भिवानी जिले का एक हिस्सा है।

    बाग सिंह तंवर के पूर्वजों, जिन्होंने बारिश के पानी से भरे एक बड़े प्राकृतिक तालाब के आसपास झोपड़ियों में बसे थे, ने गाँव में 14,000 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया था। नतीजतन, बहुत सारी जमीन गांव में उनके वंशजों और अन्य समुदायों को हस्तांतरित कर दी गई थी। मौजूदा गढ़ी, एक मध्ययुगीन शैली का एक विशाल स्मारक, जिसे ब्रांसा भवन भी कहा जाता है, रामसर नामक एक बड़े तालाब के किनारे गाँव के उत्तर-पश्चिम में स्थित है, जिसे 1938 में बनाया गया था, जो गाँव के पुराने लोगों के अनुसार था एक साल मानसून की विफलता के कारण, फसलों को उस वर्ष नहीं उगाया नहीं जा सका। इसलिए, बाग सिंह ने गढ़ी के निर्माण में अपने रिश्तेदारों को शामिल करने के बारे में सोचा और उपयोगी रोजगार पाया। रेतीले टीले पर पारंपरिक स्थापत्य शैली में निर्मित गढ़ी में आज भी लोहे की प्लेट और लकड़ी का एक बड़ा और मजबूत गेट है। आवास और सार्वजनिक उपस्थिति के लिए कई विशाल कमरे, पुआल और अनाज के भंडारण के लिए कई तिमाहियों की एक पंक्ति बिल्डरों द्वारा प्रदान किए गए थे।

    गगनचुंबी हवेलियां, मनमोहक चित्रकारी, सूक्ष्म नमूनों से सजे कपाट, कुंड रुपी जलाश्य, हाथीखाने, खजाना गृह की मजबूत दीवार, कवच रुपी मुख्य ठोस द्वार और न जाने क्या क्या। मन में गहरी जिज्ञासा पैदा करती हैं, ये हवेलियां। इन्हें बनाने वालों ने उम्र ही यहां बिता दी। इनकी कब्रें मृत्युपरांत यहीं बनाई गईं। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित उपमंडल का गांव बड़वा की।

    पनघट पर आई थी ‘चंद्रो’ : दक्षिण में स्थित कुएं का निर्माण यहां के दूसरे सेठों ताराचंद तथा हनुमान ने करवाया था। सेठ हनुमान व ताराचंद के पुत्रों ने गांव के रूसहड़ा जोहड़ पर चार स्तंभों वाला आकर्षक कुआं बनवाया। इसी के इर्द-गिर्द प्रसिद्ध हरियाणवी फिल्म चंद्रावल और बैरी के कुछ दृश्यों को फिल्माया गया। अंग्रेजों के जमाने की गाड़ी और रथ आज भी हवेलियों में मौजूद हैं। यहां विद्यमान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक-धरोहरें गांव के अतीत के इतिहास को बयां कर रही है। हवेलियों की आयु का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है लेकिन यह सच है कि ये द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व की है।

    अंग्रेजों के जमाने की गाड़ी और रथ : बड़वा में एक दर्जन हवेलियां हैं। इनमें सेठ परशुराम की हवेलियां खासी प्रसिद्ध हैं। इन्हें बनवाने के लिए पिलानी से कारीगर बुलाए थे। अंग्रेजों के जमाने की गाड़ी और रथ आज भी हवेलियों में मौजूद है। हवेलियों से भी बढ़कर रोचक इतिहास यहां के कुओं तथा तालाबों का भी है। प्राचीन समय में इस स्थान पर एक छोटा सा कच्चा तालाब था। अक्सर सेठ परशुराम की बहन केसर यहां गोबर चुगती थी जो उनके लिए अशोभनीय था। लोगों के ताने सुनकर उन्होंने कच्चे तालाब की जगह एक ऐतिहासिक तालाब का निर्माण करवाया जिसकी पहचान अब केसर जोहड़ के रूप में होती है। इसी के इर्द-गिर्द प्रसिद्ध हरियाणवी फिल्म चंद्रावल और बैरी के कुछ दृश्यों को फिल्माया गया। प्राचीन समय में इस स्थान पर एक छोटा सा कच्चा तालाब था। भिवानी जिले के बड़वा गांव की सेठो की बड़ी-बड़ी हवेलियों के अलावा, तालाब, कुँवें, हवेलियां, नोहरा, धर्म शालाएं, छतरियां आदि में, अनेकों ऐसे चित्रण मिले हैं। इन चित्रों में राजस्थान के चित्रों जैसी विशेषताएं पाई गई।

    सेठ परशुराम द्वारा निर्मित केसर तालाब : यह तालाब सेठ परशुराम ने अपनी बहन की यादगार में बनवाया, कहा जाता है कि सेठ परशुराम ने यहाँ पर केसर तालाब का निर्माण करवाया जोकि यात्रियो का प्रमुख आकर्षण केंद्र रहा है। ऐसा कहा जाता है परशुराम की बहन गोबर चुगती थी। यह सेठ परिवार के लिए शर्म की बात थी और लोग अक्सर ऐसा छोटे कार्य के प्रति ताने मारते थे तब सेठ ने यहां पर मौजूद तालाब को पक्का करवाया और उसका नाम केसर तालाब रखा। इस तालाब का प्रयोग दैनिक क्रियाकलापों के लिए इस्तेमाल होता था। इसके पास एक गहरा जल कुंड है जिसमें दुखी महिलाऐं कूदकर अपनी जान दे ती थी, इसलिए इसको मुक्ति धाम भी कहा जाता है। यहां के लोग इसे आगौर भी कहते हैं। इस तालाब के किनारे के ऊपर की छत पर गुंबद/छतरियां बने हुए हैं जिनमें राधा कृष्ण की रासलीला को चित्रों के माध्यम से प्रमुखता से दर्शाया गया है । इनमें राधा कृष्ण एक दूसरे का हाथ पकड़े घेरे में नृत्य कर रहे हैं और इनके पीछे वाद्य-यंत्रों की आकृतियां चित्रित की गई है जैसे ढोलक, नगाड़े, बाँसुरी, हारमोनियम, शहनाई आदि। और यह शायद किसी समारोह को चित्रित कर रहा है । चित्रों में गतिशीलता और लय है। लाल भूरे रंग उपयोग किया गया है।

    श्रीकृष्ण को नीले रंग में दिखाया गया है जबकि राधा का रंग गोरा दिखाया गया है। इन आकृतियों के पीछे पशु पक्षियो को दिखाया गया है, जिनमें मोर, तोता, चिड़ियां आदि है। इसमें लाल, पीले, नीले रंग का इस्तेमाल किया गया है। गुंबद के केंद्र में वृत्ताकार ज्यामितीय अलंकरण किया गया है । गुंबंदों की आकृतियों को गतिशील और समान अनुपात में दिखाया गया है। इनका छोटा कद व चेहरा गोल है। समय के अनुसार आज इनके रंग धूमिल पड़ गए हैं परन्तु केंद्र में फूल आज भी अपने अतीत को समाए हुए हैं।

    सेठ हुकुम चंद लाला सोहन लाल की हवेली : यह हवेली लगभग आज से डेढ़ सौ साल पुरानी है, जिसके प्रमुख द्वार पर एक हष्ट-पुष्ट हाथी को सुसज्जित एवं गतिशील अवस्था में दिखाया गया है। इस हाथी की पीठ एक चतुर्भज ज्यामीतिय डिजाइन का कपड़ा एवं उस पर लकड़ी की काठी को सुसज्जित किया गया है, जिसमें राजा-रानी आमने-सामने और सेवक पीछे चंवर ढूला रहा है। इसमें राजा रानी को फूल देता हुआ अपने प्यार का इजहार कर रहा है। हाथी केसर पर भी चकोर ज्यमीतिय आकार की टोपी रखी गई है जो उसकी शोभा बढ़ा रही है । इसके अलावा यहां दीवार पर धार्मिक चित्र मौजूद है जैसे विष्णु जी लक्ष्मी के साथ अपनी सवारी पर विराजित हैं तथा दूसरे चित्र में शेरावाली माता अपनी सवारी पर विराजित है। इसके अलावा चित्र यहाँ राधा रानी के प्रेम मिलाप को दर्शा रहा है। हाथी का चित्रण कोटा शैली में अधिक किया गया है ।

    सेठ लक्ष्मीचंद का कटहरा : बड़वा में लक्ष्मी चंद के कटहरा के अंदर छत पर राजाओं-महाराजाओं व देवी-देवताओं को एक साथ चित्रित किया गया है । इस चित्र में बाएं ओर से राधा रानी की सवारी को दिखाया गया है जो रथ पर सवार है तथा कुछ महिलाएं रथ के पीछे चल रही है जोकि उनकी सेविकाएं प्रतीत होती हैं । एक घुड़सवार एक हाथ में राज्य का निशान लिए चल रहा है तथा अन्य घुड़सवार पीछे पीछे चल रहे हैजो कि महाराज के अंगरक्षक हैं और सुरक्षा को सुनिश्चित कर रहे हैं। कृष्ण राधा की चोटी बनाते हुए -इस चित्र में श्री कृष्ण जी कुर्सी पर विराजे हैं और राधा मुड्ढे पर बैठी हैं। श्री कृष्णजी राधा की चोटी गूंथ रहे हैं और राधिका हाथ में शीशा पकड़े बैठी हैं। शीशे में राधा का चेहरा स्पष्ट दिर्खाइ दे रहा है। इस चित्र में दिखाए गए कुर्सी व मुड्ढे से इस चित्र पर स्थानीय प्रभाव नजर आता है तथा पहनावे से राजस्थानी प्रभाव नजर आता है।

    इस प्रकार चित्रकार के चित्र में तत्कालीन प्रभाव नजर आते हैजो उस समय उसने देखा और चित्रित किया। इस चित्र में आंखें मछली के आकार जैसी , कंलगी व मुकुट से चित्रण में मुग़ल प्रभाव नजर आता है। पृष्ठभूमि हल्के पीले रंग की है तथा शरीर को पतला एवं लंबा दिखाया गया है जबकि बालों की लंबाई शरीर का अनुपात में कम है। दूसरी ओर दाएं से बाएं की ओर देवी देवताओं की सवारी आ रही है जिसमे सभी देवता अपने -अपने वाहन पर बैठे हैं तथा ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसा कि राजा रानी अपने रथ पर सवार होकर देवी देवताओं के स्वागत के लिए पधार रहे हैं। इन चित्रों में हाथी घोड़े आदि को बहुत अच्छे से सुसज्जित किया गया है। इनकी पृष्ठभूमि पीले रंग की है तथा चित्रों में नीला, पीला, हरा, भूरा, आदि रंगो का प्रयोग किया गया है। चित्रो के वस्त्र व आभूषणों को देख इन पर मुगली तथा राजस्थानी प्रभाव प्रतीत होता है।

    .लाला लायकराम फूलचंद की हवेली : यह हवेली लगभग 160 साल पुरानी है, इस हवेली की बरामदे की दीवार के ऊपरी भाग में सिपाही का चित्रण किया गया है। इसमें एक व्यक्ति घोड़े पर सवार है तथा तीन सिपाही आगे पीछे एक कतार में तथा पांच सिपाही समानांतर चल रहे हैं। इसकी पृष्ठभूमि पीली है। यह सिपाही पूरे जोश में दिर्खाइ पड़ रहे है।

    तुलाराम लाला डूंगरमल की हवेली : यह हवेली आज से लगभग 100 साल पहले की बनी हुई है। इसकी बाहरी दीवार पर रेल का इंजन डिब्बों सहित दिखाया गया है। इंजन का रंग काला एवं डिब्बों को नीले रंग से चित्रित किया गया है। रेल की खिड़की के ऊपर के भाग में जाली बनाई गई है जिसमें यात्रियों को दिखाया गया है एवं इंजन से धुआं निकल रहा है। रेलों के पीछे प्राकृतिक दृश्य भी दिखा रखा है । दूसरी ओर लक्ष्मीचंद का कटहरा में चालक रेलगाड़ी चला रहा है जोकि बहुत ही आकर्षक एवं सुंदर हैं इसमें 13 डिब्बे और एक इंजन को दर्शाया गया है। इस गाड़ी में यात्रियों को भी चित्रित किया गया है एवं

    बाहर इसके सामने एक व्यक्ति हाथ में झंडी लिए खड़ा है जो गाड़ी के लिए एक संकेतक का कार्य कर रहा है । इसे देखकर यह लगता है यह चित्र हिंदुस्तान में अंग्रेजों द्वारा 19वी सदी में चलाई गई पहली रेल का चित्रित किया गया है। यह चित्र उस समय की जीवंत व्यवस्था की व्याख्या कर रहा है। डाकिये का चित्र-यहां एक दीवार पर डाकिए का चित्र चित्रित हैं प्रतीत होता है तथा अंग्रेजी भाषा में इन पर कुछ लिखा होना जोकि इस शैली के प्रभाव इसकी आंखें मीनाकृतपान के पत्ते के समान हैं जिसे देख ऐसा प्रतीत होता है कि इस पर स्थानीय कलाकार का प्रभाव रहा है। कपड़े जूतें आदि देखकर इन पर कंपनी शैली का प्रभाव को और सुदृढ़ करता है।

    यशोदा कृष्ण का चित्र : इस चित्र में यशोदा मैया ने श्री कृष्ण को गोद में उठा रखा है तथा यह मातृत्व भाव को दर्शा रहा है। इस चित्र में चेहरा छोटा जबकि शरीर हष्ट पुष्ट बना है, आँखें बादाम जैसी तथा चेहरा गोल है और भोही मोटी-मोटी है। सिर पर कंलगी लगी हुई है जोकि मुग़ल प्रभाव को दर्शाती है। अगर कपड़ों की तरफ देखें तो कपड़ों से राजस्थानी प्रभाव नजर आता है।

    कृष्ण व कालिया नाग का चित्र : चित्र में श्री कृष्ण को नाग पर अपनी लीलाएं करते हुए दिखाया गया है। श्री कृष्ण बांसुरी बजा रहे हैं तथा उनके दोनों और नाग देवियां विशेष मुद्रा में खड़ी हैं जिनका नीचे का हिस्सा सर्प अवस्था में और ऊपर से नाग देवी के रूप में दिखाया गया है । अर्थात अर्ध नागेश्वरी के रूप में उपस्थित हैं जो कि श्री कृष्ण की तरफ मुख करके हाथ जोड़कर विनती अवस्था में खड़ी है । इस चित्र में एक चश्म चेहरों की आकृति में दर्शाया गया है। आंखें मीन जैसी हैं जोकि जयपुर शैली के अंतरगत । पूरे चित्र पर नाथद्वारा शैली का प्रभाव प्रमुखता से दिखाया गया है।

    सरस्वती देवी का हंस पर विराजित चित्र : इस चित्र में सरस्वती देवी हंस पर विराजित हैं तथा हंस के मुख में माला है, यहां एक चश्म चेहरा चित्रित अवस्था में दिखाया गया हैं। सरस्वती मां के एक बाल की लटा कान के पास से चेहरे पर पड़ी है। सरस्वती माँ के एक हाथ में पुस्तक और दूसरे हाथ में फूल हैं जिन्हें हरे रंग से चित्रित किया है। इस चित्र में पीछे महिला चंवर झुला जैसे प्रतीत होती हैं। इसमें दोनों राजस्थानी व मुग़ल प्रभाव का मिश्रण प्रतीत होता है।

    चित्रकार ने अपनी अपनी समझ के अनुसार छवियों के अंदर भेद किया है । हिंदू मिथक के अनुसार देवी सरस्वती को विद्या और संस्कृति की देवी माना गया है। ऋग्वेद में सरस्वती की ख्याति एक पवित्र सरिता के रूप में है। सरस्वती को हंस रूप दिखाया गया है। हरियाणा के अनेक हिंदू आस्था स्थलों पर बनाए गए भवनों और आवासीय भवनों में देवी सरस्वती की छवियों का अंकन हमें भित्ति चित्रों के रूप में उपलब्ध है।

    हवेलियों का निर्माण : भित्ति चित्रों में कलात्मकता भिवानी जिले के अन्तरगत आने वाले गांवों में अनेक पुरानी हवेलियों पर भित्ती चित्र पाए गए, इन हवेलियों का निर्माण लगभग 100-150 वर्ष पूर्व माना गया है। इन हवेलियों का निर्माण कुम्हार जाति के राज मिस्त्रिओं के द्वारा लाखोरी ईटों से किया गया है। भित्ति अलंकरण के लिए चूने का प्रयोग किया गया। इन हवेलियों पर हजारो की संख्या में भित्ति चित्र मिले। इन चित्रो में पौराणिक विषय, महाभारत, रामायण, राधा कृष्ण लीला, पशु पक्षी, सामाजिक क्रिया कलाप एवं अन्य पौराणिक कथाओं से सम्बंधित घटनाओं को प्रमुख रूप से दर्शा या गया है। इसके अलावा उस दौर के राजा महाराजाओं के गौरव गाथाओं का सुंदर चित्रण किया गया। इनके द्वारा महत्वपूर्ण न घटनाओं, प्रसंगों , पात्रों, लीलाओ के आदि पात्रो को चित्र के माध्यम से दर्शाया गया। उन्होंने राधा कृष्ण को अधिक मात्रा में और गणेश जी को रिद्धि सिद्धि के साथ

    दरवाजे के प्रवेश द्वार पर या हवेलियों के बाहर टोडो के बीच में चित्रित किया गया। पटना एवं कम्पनी शैली के प्रमुख विषयों में व्यक्ति चित्र,पशु-पक्षी एंव साधारण लोगों के व्यक्ति चित्र थे पशुओं में प्रमुखतः हाथी एंव घोंडों या उनकि सवारियों का अंकन किया गया।

    शैलियों का प्रभाव : इन चित्रों में शेखावटी शैली का प्रभाव दिखाई पड़ता है और यह मुग़ल शैली से भी अछूते नहीं रहे हैं क्योंकि दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में मुग़ल शैली का प्रभाव रहा हैं , उसका विस्तार आसपास के क्षेत्रों में खूब हुआ। लेकिन इसके बावजूद यहां की परम्परागत शैली का भी बोलबाला रहा है। इन चित्रों में कहीं-कहीं दक्षता का बोलबाला और तो कहीं अभाव प्रतीत होता है। लेकिन फिर भी यह अपने भावों को प्रकट करने में सक्षम रही है। इनकी गुणवत्ता व विषय प्रभावशाली रहे है। आज देखरेख के अभाव में देखभाल के अभाव में और इनका ठीक से प्रयोग न करने पर बहुत से चित्र इन हवेलियों से नष्ट हो गए हैं या धुएँ की परत जम चुकी है और इसके कारण यह चित्र रंगों का चटकपन खो चुके हैं लेकिन भीतरी दीवारों पर मौजूद चित्र धूप और बारिश से बचे होने के कारण अपने मूल अवस्था को आज भी संजोए हुए हैं।

    किन्होंने बसाया बड़वा गाँव : बड़वा गांव को बसाने वाले ठाकुर बाघ सिंह तंवर राजपूत वंश से संबंध रखते थे, शायद इसलिए इस गांव की हवेलियों में चित्रांकन करने वाले चितेरे राजपूत क्षेत्र से आए हो । इन चित्रों पर राजपूताना परम्पराओं और उनकी जीवनशैली का प्रभाव दिखाई पड़ रहा है। हवेलियों के चित्रों पर राजपूत व राजसी परिधान का प्रभाव दिखाई पड़ता है। राजसी लोग पशु पक्षी जैसे तोता, हाथी, घोड़ा, ऊंट, आदि पशुओं को पालतू बनाकर रखते थे और शायद इसी कारण उन्हें ही भित्ति-चित्रों के प्रारूप में चित्रित करते थे।अजन्ता की गुफाओं में मनुष्य और महान आत्मा के अन्तर को व्यक्त करने के लिए ये नृत्य मुद्राएं अति उपयुक्त थी पैर की मुद्राओं का भी अजन्ता के चित्रों में विशेष स्थान हैं।

    कई सेठ लोगों ने अपने-अपने वैभव, सामाजिक प्रतिष्ठा को दर्शाने लिए हवेलियों का निर्माण करवाया और उन हवेलियों पर चित्रण कराए गए जोकि वहां मौजूद परपरागत आकृतियों एव चित्रों से कुछ भिन्न प्रतीत होते हैं । बड़वा गांव में ठाकुर की हवेली का निर्माण (गाँव का गढ़) लगभग 1910 ईसवी के आसपास मुस्लिम कारीगरों द्वारा निर्मित की गई थी इसलिए शायद यहां के चित्रों पर मुगल शैली का प्रभाव दिखाई पड़ता है।उस दौरानलोक शैली में शरीर के विभिन्न अवयव और परिदृश्य के अनुपात आदि का ध्यान नहीं रखा जाता था चित्रों में प्रतीकात्मक भी बनाया गया है तथा चित्रों में प्राकृतिक दृश्य दिखाए गए हैं।

  •  Taj Mahal News Today- काले ताजमहल की अनसुनी कहानी, जो आपने भी नहीं सुनी होगी!

     Taj Mahal News Today- काले ताजमहल की अनसुनी कहानी, जो आपने भी नहीं सुनी होगी!

    Taj Mahal News Today- इन दिनों ताजमहल के बंद कमरों की चर्चाएं सुर्खियों में हैं। ताजमहल आठ अजूबों में सें एक हैं। जिसे देखने दुनियाभर के लोग दूर दूर से आते हैं। लेकिन ताजमहल को लेकर न राजनीति खत्म हो रही हैं, न ड्रामा। इसलिए ताजमहल को पिछले महीने सबसे ज्यादा सर्च किया गया है। ( Taj Mahal News Today ) इसका एक उदाहरण यह भी है, कि कुछ लोग ताजमहल को कभी असंतोषजनक टिप्पणी करते हैं तो कभी ईद के दिन पूजा करने की बात करते हैं। और कभी कोर्ट में ऐसी याचिका लेकर पहुँच जाते हैं। जिसके न सर होते है न पैर।

     Also Read– बिना रिजर्वेशन अब यात्रा करने में प्लेटफार्म टिकट करेगा मदद

    यदि आप ताजमहल गए हैं तो वहां के गाइड से आपने इसकी कहानी जरूर सुनी होगी. किस तरह शाहजहां ने नदी के उस पार काले संगमरमर से बने एक मकबरे का सपना देखा था. लेकिन औरंगजेब ने इस काले संगमरमर के मकबरे को बनाने से पहले ही शाहजहां को कैद कर लिया था. और काले ताजमहल के बारे में कहा जाता है कि ये यमुना नदी की दूसरी तरफ सफेद ताजमहल के सामने बनाया जाना था. वही दूसरी ओर दावे के मुताबिक मुगल बादशाह ने अपनी तीसरी बीवी मुमताज महल की तरह अपने लिए भी एक मकबरा बनाने की बात सोची थी।

    शाहजहां ने नदी की दूसरी तरफ अपने लिए मकबरा बनाना शुरू किया था लेकिन उसके बेटे औरंगजेब ने उसको कैद कर लिया था। आगे चलकर ये कहानी काफी प्रसिद्ध हो गई। हालांकि मॉर्डन आर्केलॉजिस्ट इस कहानी को सच नहीं मानते।

     Click Here- अन्य खबरे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    ये तो एक कहानी थी काले ताजमहल की। जो आपने नहीं सुनी होगी। यदि आपने इस कहानी को सुना होगी तो कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। वही अब नज़र डालते हैं आज की अपडेट पर कि ताजमहल क्यों एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।

    Taj Mahal News Today

    आज के समय में किसी को भी अपने तर्क कहने का अधिकार हैं। इसी अधिकार से आजकल कुछ लोग बिना तर्क की बातें करते हैं। इसके बारें में आज आपको बताएंगे, साथ ही बात करेंगें कि ताजमहल के बंद कमरों की कहानी कहां से शुरू हुई और कैसे ताजमहल सुर्खियों में आया।

     दरअसल, भाजपा के अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी डॉ रजनीश सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) तक पहुँच गये। उनका दावा था कि ताजमहल कोई मकबरा शिव मंदिर हैं। वे चाहते थें कि कोर्ट  (Allahabad high court) एएसआई को ताजमहल के 22 कमरें खोलने की इजाज़त दें। जो सील बंद हैं  और सरकार एक फेक्ट फांइडिग कमेठी बनाकर ताजमहल के इतिहास को मालूम कर जांच करें।

    Taj Mahal News Today , Allahabad high court
    Taj Mahal News Today

    ऐसी एक याचिका 2000 में भी आ चुकी है,  जिसमें पीएनओ ने मांग की थी कि ताजमहल को एक हिंदू राजा ने बनवाया था। यह पीएनओ की एक किताब “ताजमहल अ ट्रूथ हिस्टरी” (Taj Mahal a Truth History)  पर आधारित थी।

    इसी याचिका के आधार पर डॉ. राजनीश सिंह कोर्ट पहुँचे और इसी याचिका का हवाला उन्होनें कोर्ट में दिया। परंतु सन् 2000 में आई याचिका कोर्ट (Allahabad high court) ने खारिज कर दी थी। उसी का हवाला देते हुए रजनीश एक बार फिर कोर्ट जा पहुँचे। हालांकि इस बार याचिका में थोड़े बहुत परिवर्तन थे।

    Also Read– जरा बचके दिल्ली की फ्री शराब आपको पहुँचा सकती जेल।

    परंतु जजो की बैंच ने याचिका की सुनवाई में कहा कि आदेश केवल आधिकारों के उल्लंघन होने पर ही दिए जाते हैं। बैंच के वकील से कौन से हक की बात कर रहे है पुछनें पर वकील नें सूचना के अधिकार की बात कही।

    सुनवाई में बहस के बाद याचिकाकर्ता के वकील यह साबित करने में न कामयाब रहें कि ताजमहल के बंद कमरो को खुलवाना और जांच कराना कौन से कानून में आता हैं।, तथा उनकी याचिका सूचना के अधिकार के अंतर्गत कैसे आती हैं।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) का फैसला 

    अंत में बैंच ने यह तंज भी कसा कि “जाइए और पढ़कर आइए पहले एम.ए की पढ़ाई फिर पी.एच.डी. इसमें आप अपने विषय को चुनिए और अगर तब उस विषय पर शोध से आपको कोई संस्थान रोके, तो हमारे पास आइएगा”  और बैंच ने फैसला सुनाया “कि सरकार एक फेक्ट फांइडिग कमेठी बनाने की अनुमति नहीं दे सकती और ताजमहल के 22 कमरें खोलने की इजाज़त किसी शोध के तहत सतत प्रक्रिया के अंतर्गत ही दिया जा सकता हैं। अन्यथा नहीं”।

    Click Here:–  अन्य खबरों की जानकारी के लिए हमारे यूटयूब चैनल सें जुड़ें

    Taj Mahal News Today- अंत में आपको बता दें कि ASI   के पूर्व रिजनल डायरेकटर के के मोहम्मद ने एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में बताया कि “ताजमहल में तहखाने के कमरे सील नहीं किए गए हैं। उनमें सिर्फ ताले लगाए गए हैं, ताकि पर्यटक वहां न जा सके। ASI  इन सभी बेसमेंट के कमरों की देख-रेख करता हैं। जब मैं ASI का आगरा चीफ़ था तब मैंने उन कमरों के अंदर कोई धार्मिक चित्र या मूर्ति, चिह्न देखी हैं।

  • Women Focused films:-प्रेरक महिलाओं पर संवाददाता कार्यक्रम कें दौरान जारी की लघु फिल्में

    Women Focused films:-प्रेरक महिलाओं पर संवाददाता कार्यक्रम कें दौरान जारी की लघु फिल्में

    Women Focused films:- 26 अप्रैल मंगलवार को सूचना मंत्रालय तथा नेटफ्लिक्स (Netflix) ने आज़ादी के 75 वें अमृत महोत्सव के उपल्क्ष में देश की सात प्रेरक महिलाओं (Women Focused films) पर लघु फिल्में जारी की। सूचना मंत्रालय और नेटफ्लिक्स नें लघु फिल्मों कें ज़रियें महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण (Environment) और सतत विकास जैसें विषयों पर “आज़ादी की अमृत कहानी” नामक एक श्रंखला की शुरुआत की।

    समाज (Society) में अलग-अलग क्षेत्र में अपने काम सें एक मिसाल पेश करनें वाली महिलायें “आज़ादी के अमृत महोत्सव” का हिस्सा बनेगीं। नेटफ्लिक्स(Netflix) और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इनकी कहानियाँ लघु फिल्मों (short Films) के जरियें बताई जाएगी। कार्यक्रम के दौरान सात लघु फिल्मों(Inspiring women Films ) को जारी किया गया और 3 प्रेरक महिलाओं कों सम्मानित भी किया गया।

    Women Focused films बनेंगी 75वें आजादी के अमृत महोत्सव
    Women Focused films बनेंगी 75वें आजादी के अमृत महोत्सव

    केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नेटफ्लिक्स मंत्रालय के लिए दो मिनट की 25 -30 लघु फिल्में बनाई जाएगी। जिनकों अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और दूरदर्शन पर भी प्रसारित किया जायेगा।

    इस कार्यक्रम में नेटफ्लिक्स (Netflix) की वैश्विक टीवी प्रमुख बेला बजारिया भी मौजूद थी। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर नें उनसें लघु फिल्मों (Netflix) की संख्या 25 -30 सें बढ़ा कर 75 करने का आग्रह भी किया।

    Also Read:- रायसीना डायलॉग के 7वें संस्करण का पीएम मोदी करेंगे आज उद्धघाटन

    सात प्रेरक महिलाओं पर बनेगी लघु फिल्में (Women Focused films)

     संवाददाता सम्मेलन के दौरान रिलीज़ हुई लघु फिल्में सात प्रेरक महिलाओं (Inspiring women Films) पर आधारित है। जिनमें उत्तराखंड (Uttarakhand) की “बसंती देवी” है जिन्होंने उत्तराखंड (Uttarakhand) की कोसी नदी (Kosi Nadi) कें पुनरुद्धार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। जो पर्यावरण पुरस्कार विजेता भी हैं। इसके अलावा माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को एक ही सीज़न में दो बार फ़तेह करने वाली “अंशु जानसेनपा” और भारत की पहली दमकलकर्मी “हर्षिनी कान्हेकर”, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता “पूनम” जो बागेश्वर की रहने वाली है। जिन्होंने बागेश्वर में  कई मिलों पैदल चलकर सभी कों टीका लगाया हैं।

    भारत (India) में मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक “टेसी थॉमस”, भारत (India) की पहली स्टैंड-अप पैडलबोर्डर “तन्वी जगदीश” तथा एक हलके विमान कें जरियें अटलांटिका महासागर को अकेले पार करनें वाली पहली भारतीय महिला कम उम्र में बनी महिला पायलट “आरोही पंडित” भी शामिल हैं।

    हर्षिनी कांहेकर भारत की पहली महिला दमकलकर्मी
    हर्षिनी कांहेकर भारत की पहली महिला दमकलकर्मी

    केंद्रीय मंत्री (Central Minister) अनुराग ठाकुर नें संवाद सम्मलेन के दौरान कहा कि सूचना प्रसारण मंत्रालय देशभर में पोस्ट-प्रोडक्शन(Post Production),  एनीमेशन(Animation),  वीएफ़एक्स(VFX),  संगीत(Music) कार्यक्रम के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन हेतु रचनात्मक पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने के लिए नेटफ्लिक्स (Netflix) कें साथ मिलकर काम करेगा।

    झूठी खबरें फ़ैलानें वाले यूट्यूब चैनल पर कार्यवाही शुरू

    दिल्ली (Delhi) में हुए “संवाददाता सम्मलेन” में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार झूठी और भ्रामक खबरें फ़ैलानें वाले यूट्यूब (YouTube) चैनलों पर कार्यवाही करती रहेगी। उन्होंनें भ्रामक खबरें फ़ैलानें वाले यूट्यूब(YouTube) चेनलों कों चेतावनी देतें हुए कहा की देश में कानून व्यवस्था न बिगाड़े और सांप्रदायिक विद्वेष झूठी और असत्यापित खबरें न चालाये।

    हमारे यूटयूब चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें

    आजकल आप देखते हैं कि सोशल मीडिया (Social Media) पर सबसे ज्यादा भ्रमक खबरें चलाई जाती हैं, जिससे असल खबर का पता नहीं चल पाता हैं और इससें सांप्रदायिक दंगे, भड़काव की स्थिति, आदि होता हैं। इन्हीं सबसे बचने के लिए ठाकुर ने यूटयूब (youTube) चैनलों को चेतावनी दी और कार्यवाही की बात कही।

    सोशल मीडिया(Social media) के फायदे और नुकसान दोनों होतें हैं, इसका इस्तेमाल भारत में “आज़ादी के अमृत महोत्सव” पर किया जा रहा हैं। जिसमें प्रेरक महिलाओं(Inspiring women Films) की कहानियां दुनिया के सामने लाया जाएगा।