Category: समाज

  • संत शिरोमणि गुरु रविदास लीला का शुभारंभ 

    संत शिरोमणि गुरु रविदास लीला का शुभारंभ 

    संत शिरोमणि गुरु रविदास जी ने अपने दोहों, पदों से जात पात का भेदभाव खत्म कर सबको एक सूत्र में बांधने की कोशिश की : मनोज कुमार

    किरतपुर । किरतपुर, मौजमपुर रोड सरकड़ा खेड़ी में संत शिरोमणि गुरु रविदास लीला का मुख्य अतिथि श्री मनोज कुमार सस्थापक संत शिरोमणि सतगुरु रविदास लीला परिषद महेशपुर खेड़ी, ब्लॉक उपाध्यक्ष राष्ट्रीय पत्रकार संगठन (ए) ने फीता काटकर कर शुभारंभ किया। मनोज कुमार जी ने संत शिरोमणि रविदास जी के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत शिरोमणि सद गुरु रविदास ने अपने दोहों, पदों के माध्यम से जातपात का भेद भाव खत्म कर सबको एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया।

    विशिष्ठ अतिथि पवन कुमार राजपूत जिला मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय पत्रकार संगठन (ए) ने दीप प्रज्वलित कर कहा कि संत शिरोमणि गुरु रविदास जी ने एक ऐसे समाज कल्पना की कि जहां ईर्ष्या, द्वेष, भेदभाव, ऊंच-नीच कुछ न हो सब एक समान रहकर अपने कर्तव्य को निर्वहन करें।आज जरूरत उनके बताए रास्ते पर चलने ,उनके जीवन चरित्र को अपनाने की।प्यारे लाल जी वरिष्ठ समाजसेवी निवासी भोजपुर, बलवीर सिंह वरिष्ठ नागरिक महेशपुर खेड़ी, जगदीश पाल श्रीराम सेना ब्लॉक उपाध्यक्ष किरतपुर, जैनेंद्र सिंह ब्लॉक मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय पत्रकार संगठन (ए) आदि अतिथियों ने श्री संत शिरोमणि सतगुरु रविदास जी की छवि पर माल्यार्पण किया। कमेटी द्वारा सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।

  • बेटी जनमाए हैं तो नाज कीजिए

    बेटी जनमाए हैं तो नाज कीजिए

    देश दीपक 
    बिहार समेत देस भर की नारी शक्ति को हिरदय से परनाम… परसों टीबिया पर समचार देख रहे थे। भीडियो में दू गो लेडिज पुलिस के बहादुरी देख के हम त भक्क काटा हो गए। कट्टा लेले तीन गो लफुआ हाजीपुर में बैंक लूटे घुस जाता है अ गेटे पर एगो लेडिज पुलिस पर कट्टा तान देता है, लग त रहा था कि गोलिये मार देगा… लेकिन दुन्नो लेडिज पुलिस डेराई नहीं, तीनों लफुअवन से भिड़ गई। पहिलकी शांति त तनी शांत करेजा के थी लेकिन दूसरकी जूही त मत पूछ भैवा… फूल के जगह चिनगारी निकली। बेटी-बहिन नहीं, सच्छात झांसी के रानी, उ सबके एक्को डेग आगे बढ़े नहीं दी। फैटा-फैटी होवे लगा। एगो लफुआ रायफल छीने के फेरा में था लेकिन जूहिया के हिम्मत के आगे पस्त पड़ गया। धसोरा-धसोरी में जूहिया गिर गई लेकिन हाथ से रायफल नहीं छोड़ी।
    दुन्नो बेटी मिलके तीनों लफुअवन के चकरघिन्नी जईसा नचा दी। सार सबके मोटरसैकिलिया छोर के भागे पड़ा। चारों पट्टी हल्ला हो गया। मीडिया-पुलिस सब हाजिर। दुन्नो बेटियन के बहादुरी के चरचा। बिहान सब अखबार में नाम-फोटो छपा। एसपी साहेब बोलाए, गुनो गाए आ सार्टीफिटेक (प्रशस्ति पत्र) देके सम्मानित किए। इनाम में कुछ पईसा-कौड़ी दिए कि नैय दिए, मालूम नहीं… पर लफुअवन गोली चला देता अ एक्को गो मर जाती त सरकार को ढेर पईसा (अनुग्रह अनुदान) देवे पड़ता अ जगहंसाईयो होता। बेटियन त सरकार को दुन्नो (पैसा लगे और बदनामी होवे) से बचा ली। खबर है कि हाजीपुर के कांड के बाद लुटेरवन अब लेडिज पुलिस वाला बैंक में घुसे से थरथरा रहा है। उ सब जेंट्स पुलिस वाला ब्रांच खोजे में लगल है। सरकार के चाहिए कि सब बैंक में जेंट्स के जगह लेडिज पुलिस बईठा दे। न इन्फोर्मेशन लीक होगा न पईसा लुटाएगा।
    बहुते बार हमहूं देखे हैं… लेडिज पुलिस सब वर्दी में भी रहती है तो टेम्पू वाला के पूरा भाड़ा देती है। सिपाही जी लोग भाड़ा मांगे पर या तो दांत चियार के चल देता है या वर्दी का धौंस देखा के डेरा देता है। सिविल में रहला पर पांचो रुपया भाड़ा बचावे ला एजेंटी कार्ड देखावे लगता है। कभी-कभी अतहतह कर देता है तो पाब्लिक से थुराइयो जाता है। डिउटी करे में भी लेडिज पुलिस सब टेक्का है। जब जाम के समय सिपाही जी गुमटी के पीछे नुका के खईनी लगाते रहते हैं तब लेडिजे पुलिस छरकी लेके जाम छोड़ाते रहती है। बुद्धा कोलनी मोड़ पर हम एगो लेडिज पुलिस को टोपी से छुपा के किताब पढ़ते देखे थे। पूछे तो बताई थी कि दरोगा के रिटेन के तैयारी में लगल है।
    हुआ कि नहीं…ढेर दिन से देखे नहीं हैं। ई लोग थानो में डिउटी करती है त एकदम परफेक्ट। सिपाही-मुंशी सब सौ-पचास के फेर में दाएं-बाएं करते रहता है लेकिन ई सब न। हालांकि ओहनिये के देखा-देखी ई सब भी कभियो-कभियो गड़बड़ा जाती है।…पईसा केकरा ख़राब लगता है जी ? लेकिन माने पड़ेगा भाई… रजवा ई वाला काम (सिपाही भर्ती में महिला आरक्षण) बढ़िया किया है।
    आज के डेट में हर जगहे बेटियन के बोलबाला है। अब कौनो इलाका छुट्टल नहीं है। घर के चौका-चूला से लेके बोडर के नाथूला तक। पढ़ाई-लिखाई में त बेटवन के कान काटले हईये है। बियाह के बाद ससुरार के जिमदारी के साथे-साथे नईहरो के फिकिर। का जाने काहे हमनी सब आजो बेटा-बेटी में दू भाव करते हैं। अब त मरला पर बेटी सब आगो देबे लगी है। बेटी जनमाए हैं त ओकरा पर नाज कीजिए, सरम नहीं। अभियो सम्हर जाइए… न त भर जवानी बंस बंस (बेटा-बेटा) चिचियाते रहिए अ उमर बीतला पर बूढ़शाला (old age home) में जाए ला तैयार रहिए।
  • Sahara Protest : मोहित कुमार की अगुआई में बिहार बेतिया में सहारा निवेशकों का प्रोटेस्ट 

    Sahara Protest : मोहित कुमार की अगुआई में बिहार बेतिया में सहारा निवेशकों का प्रोटेस्ट 

    ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा ने बिहार में खोल रखा है 

    बिहार में ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के अध्यक्ष मोहित कुमार की अगुआई में सहारा निवेशकों ने बड़ा मोर्चा खोल रखा है। गुरुवार को सहारा निवेशक और जमाकर्ताओं ने बैनर और पोस्टरों के साथ बेतिया कलेक्ट्रेट पर प्रोटेस्ट किया।

    इस अवसर पर पुलिस प्रशासन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ज्ञापन देने जा रहे मोहित कुमार को रोकने का प्रयास किया पर निवेशकों के उग्र रूप को देखकर पुलिस प्रशासन ने बाद में निवेशकों को जाने दिया। इस अवसर पर सहारा इंडिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। दरअसल बिहार में मोहित कुमार और अनिल सिंह एडवोकेट ने सहारा इंडिया प्रबंधन के साथ ही शासन और प्रशासन को ललकार दिया है। इन लोगों ने ऐलान कर दिया है कि यदि निवेशकों का भुगतान नहीं होता तो जेपी क्रांति की तर्ज पर बिहार में आंदोलन होगा ओैर इसका खामियाजा राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार को भुगतना पड़ेगा।

    दरअसल देश के जितने बड़े आंदोलन हुए हैं वह बिहार से ही हुई हैं। चाहे महात्मा गांधी का सत्याग्रह आंदोलन हो या जेपी आंदोलन या फिर देश की कोई भी बड़ी रैली सभी बिहार से ही हुए हैं। दरअसल बिहार की धरती आंदोलन के लिए बड़ी उपजाऊ मानी जाती है। यह माना जाता है कि राजनीति और पत्रकारिता दोनों के लिए बिहार का अनुभव अपने आप में मायने रखता है। ऐसे ही आंदोलनकारियों के लिए भी यह धरती बड़ी उपजाऊ है। यही वह धरती है जिस पर एक गरीब ब्राह्मण चाणक्य ने नंद वंश को समाप्त करने का संकल्प लिया और उसे समाप्त करके ही दिखाया। सम्राट अशोक भी बिहार की धरती पर ही जन्मे। महात्मा बुद्ध ने भी बिहार की धरती पर ही ज्ञान प्राप्त किया। यह बिहार की ही जिसने एक से बढ़कर एक क्रांतिकारी दिये हैं।

  • Hindu Society : बस पश्चिमी नकल भर है आधुनिकता

    Hindu Society : बस पश्चिमी नकल भर है आधुनिकता

    जिसे हम आधुनिक कहते है वो वास्तव में केवल पश्चिमी नकल है। जब मैं किसी अन्य धर्म के परिवार के पांच साल के बच्चे को भी बाक़ायदा नमाज़ पढ़ते देखता हूँ तो लगता है मुस्लिम परिवारों की ये अच्छी चीज़ है कि वो अपना मजहब और अपने संस्कार अपनी अगली पीढ़ी में ज़रूर देते हैं। कुछ पुचकार कर तो कुछ डराकर, लेकिन उनकी नींव में अपने मूल संस्कार गहरे घुसे होते हैं। यही ख़ूबसूरती सिखों में भी है। सरदार की पगड़ी या उसके केश आदि पर उंगली उठाते ही उसी वक़्त तेज़ आवाज़ आप को रोक देगी।

    लगभग हर धर्म में नियमों के पालन पर विशेष जोर दिया जाता है। लेकिन हम हिन्दू अपने धर्म को चाहें कितना ही पुराने होने का दावा कर लें पर इसका प्रभाव अब सिर्फ सरनेम तक सीमित होता जा रहा है और धीरे धीरे कुलनाम भी लगाने में भी शर्म आने लगी है। गोत्र तो शायद ही किसी को पता हो।

    मैं अक्सर देखता हूँ कि, एक माँ आरती कर रही होती है, उसका बेटा जल्दी में प्रसाद छोड़ जाता है, लड़का कूल-डूड है, उसे इतना ज्ञान है कि प्रसाद आवश्यक नही है। बेटी इसलिए प्रसाद नहीं खाती कि उसमें कैलोरीज़ ज़्यादा हैं, उसे अपनी फिगर की चिंता है। छत पर खड़े अंकल जब सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो लड़के हँसते हैं।

    इस पर मां कहती हैं कि अरे ये आज की पीढ़ी है आधुनिक हो रही है। पिताजी खीज कर कहते हैं कि ये तो हैं ही ऐसे इनके मुंह कौन लगे। दो वक़्त पूजा करने वाले को हम सहज ही मान लेते हैं कि वह दो नंबर का पैसा कमाता होगा, इसीलिए इतना पूजा-पाठ करता है। “राम-राम जपना, पराया माल अपना ये तो फिल्मों में भी सुना है।”

    नतीजतन बच्चों का हवन पूजा के वक़्त उपस्थित होना मात्र दीपावली तक सीमित रह जाता है। यही बच्चे जब अपने हमउम्रों को हर रविवार गुरुद्वारे में मत्था टेकते या हर शुक्रवार विधिवत नमाज़ पढ़ते या हर रविवार चर्च में मोमबत्ती जलाते देखते हैं, तो बहुत आकर्षित होते हैं। सोचते हैं ये है असली गॉड! मम्मी तो यूं ही थाली घुमाती रहती थी। उनको गंगा जी मे डुबकी लगाकर पाप धोना पाखंड और चर्च में जाकर पापो की स्वीकारोक्ति करना बहुत खूब लगता है। इसका अर्थ है कि जैसे खाली बर्तन में कुछ भी भरा जा सकता है… ठीक वैसे ही आस्था विहीन बच्चो या व्यक्ति को कोई भी गलत दिशा देकर बहका सकता है। अब क्योंकि धर्म बदलना तो संभव नहीं, इसलिए मन ही मन खुद को नास्तिक मान लेते हैं।

    सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं, गर तुम सनातनी अर्थात हिन्दू कुल में जन्मे हो तो गर्व करों की तुम हिन्दू हो… क्योंकि सभी धर्म में भगवान के दूत की उपासना होती है जबकी सनातन धर्म में स्वयं भगवान की…!!

    अंतर्राष्ट्रीय वसुंधरा परिवार

  • Bharat : वेदों की भाषा अलंकारिक है जिसको पुराणकारों ने वास्तविक संदर्भ और उचित में ना लेकर अनर्थ किया है

    Bharat : वेदों की भाषा अलंकारिक है जिसको पुराणकारों ने वास्तविक संदर्भ और उचित में ना लेकर अनर्थ किया है

    देवेंद्र सिंह आर्य 

    वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ है।
    वेद अपौरुषेय है।
    वेदों में नदियों ,पहाड़ों, राजाओं के नाम नहीं है।
    वेदों में राजाओं का कोई इतिहास नहीं है।
    वेदों में किसी भी राजा की वंशावली नहीं है।
    वेदों की भाषा अलंकारिक है जिसको पुराणकारों ने वास्तविक संदर्भ और उचित में ना लेकर अनर्थ किया है और इतिहास होने का भ्रम पैदा किया है।

    पुराण वेदों की अपेक्षा अर्वाचीन हैं।
    पुराणकार ऋषि नहीं थे।
    पुराणों में कुछ ऐतिहासिक तथ्य अवश्य है परंतु पूर्णतः सत्य नहीं है।

     

    आर्यों का यह अटूट विश्वास है कि आदि सृष्टि के समय मनुष्य को परमात्मा की ओर से ज्ञान की प्रेरणा हुई ।वही ज्ञान वेद है, परंतु वेदों की इतनी लंबी प्राचीनता पर, उनकी आदिकालीनता पर तथा अपौरुषेयता पर अनेक विद्वानों को विश्वास नहीं है। वे कहते हैं कि वेदों में जिन ऐतिहासिक नामों का उल्लेख पाया जाता है और ज्योतिष संबंधी जिन घटनाओं के संकेत पाए जाते हैं उनसे वेदों का समय प्राचीनतम पुस्तक के संबंध में सिद्ध नहीं होता ।परंतु इस आरोप में कोई बल नहीं है क्योंकि वेदों में ऐतिहासिक अथवा ज्योतिष संबंधी किसी भी घटना का उल्लेख नहीं है। जिससे वेदों की आदिकालीनता पर यह आक्षेप किया जा सके। क्योंकि आर्यों की लिखित सभ्यता बहुत अधिक प्राचीन प्रमाणित है। जो यूनानी राजदूत मेगास्थनीज ने सम्राट चंद्रगुप्त के समय में स्वयं अपनी पुस्तकों में उल्लेख किया है।

     

    लेकिन यह सत्य है कि वेदों में ऐतिहासिक राजाओं का वर्णन नहीं है और न वेदों में किसी ज्योतिष की घटना का उल्लेख है। वेदों से इस प्रकार का समय निश्चित करने का अवसर पुराण वालों ने ही दिया है क्योंकि पुराणों ने राजाओं की नामावलियों को वंशावली बनाकर और वैदिक अलंकारों को राजाओं के इतिहास के साथ जोड़कर ऐसा झंझट पैदा कर दिया है कि क्या वेदों में किसी इतिहास या ज्योतिष घटना का उल्लेख है।
    पुराणों में जो वंशावलियां दी हुई है उनको दो विभागों में विभाजित कर सकते हैं ।पहला विभाग महाभारत युद्ध से उस पार का है और दूसरा विभाग इस पार का है। पहला विभाग वंशावली नहीं प्रत्युत नामावली है पहला विभाग अत्यंत प्राचीन है उसके संबंध में साहित्य की उपलब्धता न्यूनतम है। इसलिए वह इस स्मृति एवं श्रवण से परे है। उपरोक्त के अतिरिक्त दूसरा विभाग वंशावली है।
    ऐसी 10 __ 20 नामों से बनी हुई उल्टी-सीधी साधारण सूचियों से आर्यों का, मवन्तरों का और वेदों का इतिहास निकालना भला कैसे ठीक हो सकता है?
    इसलिए पौराणिक वन्शावलियों को नामावलियां ही समझना चाहिए क्योंकि पौराणिक वंशावली या जिन प्राचीन नामावलीयों के आधार पर बनी हैं उनके कुछ उदाहरण अब तक ब्राह्मण ग्रंथों में पाए जाते हैं।
    और वे नाम केवल चक्रवर्ती राजाओं के मिलते हैं। उसमें पूरे वंश का उल्लेख ही नहीं है। इसलिए उनको वंशावली नहीं कह सकते बल्कि जहां- तहां जिस वन्श में जो चक्रवर्ती सम्राट अथवा सार्वभौम राजाओं के मात्र नाम दिए हुए हैं इसलिए नामावली कहेंगे। यह सभी नाम महाभारत से उस पार के हैं दूसरा विभाग जो महाभारत से इस पार का है उसमें चार वंशावली बृहद्रथ वंश से आरंभ होकर नन्द वंश तक की हैं। महर्षि दयानंद ने अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश में महाभारत के पश्चात हुए आर्य राजाओं के नाम वंश क्रम में दिए हैं,जो ठीक हैं। सेस और वंशावलियां ही हैं। परंतु वेदों का समय उनसे अथवा आर्यों के किसी वंशावली से नहीं निकल सकता। चाहे वह महाभारत के इस पार की हों या उस पार की। इसका शुद्ध कारण यह है कि वेदों में इतिहास से संबंध रखने वाली कुछ भी सामग्री नहीं है।

    परंतु यह भी उतना ही सत्य है कि वेदों में जो ऐतिहासिक सामग्री दिखती है उस ऐतिहासिक सामग्री का कारण भी पुराण हीं हैं।जिस प्रकार नामावलियों को वंशावली बनाकर पुराणों ने आर्यों के इतिहास की दीर्घकालीनता में संदेह उत्पन्न करा दिया है उसी प्रकार वेदों के चमत्कारपूर्ण अलंकारिक वर्णनों को ऐतिहासिक पुरुषों के साथ मिलाकर वेदों में इतिहास का भी भ्रम उत्पन्न करा दिया है ।पुराण कारों ने प्रयत्न तो यह किया था कि वेदों के चमत्कार पूर्ण वर्णन को ऐतिहासिक घटनाओं के साथ मिलाकर उनका रहस्य जनता तक भी पहुंचा दिया जाए जो वेदों की सूक्ष्म बातें नहीं समझ सकती।
    “भारतव्यपदेशेन ह्याम्नायारथश्च दर्शित:”
    (श्रीमद्भगवत एक / चार /29)

    इसका अर्थ है की पुराणों में भी भारत के इतिहास के विषय से वेदों का रहस्य खोला गया है। इसके कारण ही महाभारत में भी यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इतिहासपुराणाभ्याम वेदम समुपन्बृहयेत अर्थात इतिहास पुराणों में वेदों के मर्म का उद्घाटन करें। परंतु इस चातुर्य का फल यह हुआ कि लोग वेदों में ही पौराणिक इतिहास निकाल रहे हैं।
    वे कहते हैं कि वेदों में पुरुरवा, आयु, नहुष, ययाति, वशिष्ठ, जमदग्नि, गंगा ,जमुना, अयोध अयोध्या, ब्रज और अरव आदि नाम है। इतना ही नहीं प्रत्युत वेदों में राजाओं के युद्ध का वर्णन भी बताते हैं । इससे सिद्ध होता है कि वेदों की यह ऐतिहासिक सामग्री वही है जिसका विस्तार पुराणों में किया गया है । परंतु पुराण कारों ने जो प्रयास किया था वह समाज के लिए उल्टा पड़ा और इससे समाज में केवल भ्रांतियां ही पैदा हुईं। इसलिए वेदों में इतिहास होने के इस आरोप में कुछ भी बल नहीं है। इससे वेदों में इतिहास सिद्ध नहीं होगा। इसका कारण यह है कि वेदों, ब्राह्मणों और पुराणों के सूक्ष्म अवलोकन से ज्ञात होता है कि संस्कृत के समस्त साहित्य में इतिहास से संबंध रखने वाले असंभव, संभवासंभव और संभव तीन प्रकार के वर्णन पाए जाते हैं। जो तीन भागों में विभाजित हैं। इसमें जितना भाग असंभव वर्णन से संबंध है वह वेद का है । और किसी न किसी चमत्कारिक अथवा जातिवाचक पदार्थ से संबंध रखता है ।किसी मनुष्य नगर, नदी और देश आदि व्यक्तिवाचक पदार्थ से नहीं ।परंतु जितना भाग संभवासंभव और संभव वर्णन से संबंध रखता है वह पुराण और ब्राह्मण ग्रंथों में ही आता है वेदों में नहीं।
    उदाहरण के तौर पर कल्पना करो कि वेद ने किसी पदार्थ के लिए कोई चमत्कारिक वर्णन किया ।उधर ब्राह्मण काल में उसी नाम का कोई मनुष्य हुआ ।जिसका चरित्र साधारण मानुषी था ।अब कुछ काल बीतने पर किसी कवि ने पुराण काल में कल्पना की और कल्पना में दोनों प्रकार के वर्णन मिला दिए ।जो आगे चलकर यह सिद्ध करने की सामग्री बन गए कि दोनों एक ही है। ऐसी दशा में यह निर्णय करना कठिन हो जाता है कि कितना भाग ऐतिहासिक है और कितना आलंकारिक।
    संस्कृत साहित्य में इस विषय के अनेक प्रमाण विद्यमान हैं। विश्वामित्र और मेनका वेद के चमत्कारिक पदार्थ हैं ।इधर दुष्यंत और शकुंतला मनुष्य हैं ।परंतु दोनों को एक में मिलाने से भरत को इंद्र के यहां जाना पड़ा। इंद्र भी चमत्कारिक पदार्थ है ।ऐसी दशा में भरत और दुष्यंत को मेनका और विश्वामित्र के साथ जोड़कर यही तो भ्रम करा दिया गया है कि वेदों में भरत के पूर्वजों का वर्णन है। परंतु यदि वेदों को खोलकर विश्वामित्र मेनका वाले मंत्रों को पढ़िए तो उसमें मानुषी वर्णन लेश मात्र भी नहीं मिलेगा। तो इंद्र के यहां जाने वाले वैदिक भरत का इस अलौकिक भरत से कोई संबंध न दिखेगा।
    शांतनु की शादी गंगा से हुई ।इधर शांतनु के भीष्म हुए ।इनमें से पहला वर्णन वैदिक है। जो चमत्कारिक पदार्थों का है। जबकि दूसरा ऐतिहासिक है। किंतु एक में जोड़ देने से परिणाम यह हुआ है कि लोग भीष्म को गंगा नदी का पुत्र समझते हैं ।गंगा और शांतनु को मिलाकर वैदिक अलंकार बनता है। और सीधे-साधे शांतनु और सीधे-साधे भीष्म को लेकर सांसारिक इतिहास बनता है। कहने का तात्पर्य यह है कि इस दूसरे समुदाय का वर्णन बहुत ही ध्यानपूर्वक पढ़कर कहने योग्य है। हिंदुओं का चाहे जो इतिहास वेद में बतलाया जाए उसे देख लेना चाहिए कि उसमें कहीं चमत्कारी वर्णन तो नहीं है ।ऐसा करने से उसमें अपूर्वता मिलेगी और वह अमानुषी अथवा अपौरुषेय सिद्ध होगा।

    यह भ्रांति अथवा गलती कहां से शुरू हुई?

    परंतु मध्यम कालीन कवियों और पुराणकारों ने वैदिक और ऐतिहासिक समान शब्दों के वर्ण व्यक्तियों का सम्मिलित वर्णन करके महान झंझट फैला दिया है। इसी से पूर्व पुरुषों की चमत्कारिक उत्पत्तियों के गुणों का क्रम चल पड़ा और यहीं से वेदों में ऐतिहासिक घटनाओं की मिथ्या भ्रांति होने लगी।
    कहने का निष्कर्ष यह है कि प्रथम विभाग वाले चमत्कारिक वर्णन वेदों के हैं। और दूसरे विभाग के वर्णन का कुछ भाग वेदों का है और कुछ उस नाम के व्यक्तियों के इतिहासों का है ।जिससे आधुनिक कवियों ने एक में मिला दिया है। अतः संभव और असंभव की कसौटी से दोनों को पृथक
    करके विभेद कर लेना चाहिए। निस्संदेह रूप से शेष तीसरे विभाग के व्यक्ति तो ऐतिहासिक है ही। इस प्रकार की छानबीन से वेदों में इतिहास का भ्रम निकल जाएगा।

    वेदों की अलंकारिक भाषा का अनुचित अध्ययन, अनुशीलन, परिशीलन एवं विश्लेषण।

    राजाओं और नदियों आदि के वर्णन जो वेद में आए हैं वह सभी अलंकारिक हैं।
    यथा वेदों में अनार्यों में वृत्र ,दनु ,सुश्न, शम्बर, बंगृद, बली, नमुचि, मृगय, अर्बुद प्रधान रूप से लिखे गए हैं। दनु के वंशीधर दानव थे जिनका कई स्थानों में वर्णन है । यह दोनों वृत्रासुर की माता थी। व्रतृ के 99 किले इंद्र ने तोड़े थे। 99 और 100 वृत्रों का कई स्थानों पर वर्णन आया है ।शम्बर और बंगृद के सौ किले ध्वस्त किए गए। शम्बर के किले पहाड़ी थे। और दिवोदास के कारण इंद्र ने उसे मारा था। दिवोदास सुदास के पिता थे ।इससे शम्बर का युद्ध 26 वीं शताब्दी संवत पूर्व का समझ पड़ता है। सुश्न का चलने वाला किला ध्वस्त हुआ। चलने वाले किले से जहाज का प्रयोजन समझ पड़ता है। पिप्र के 50,000 सहायक मारे गए। बली के 99 पहाड़ी किले थे। यह सभी जीते गए। सिवाय शम्बर के और सब का पूर्वापर क्रम ज्ञात नहीं है।
    अनार्य के बाद आर्यों के नामों पर विचार करते हैं। जो वेदों में प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। आर्यों में ऋषियों के अतिरिक्त मनु ,नहुष, ययाति, इला, पुरुरवा, दिवोदास, मांधाता, दधीच, सुदाश, ययाति के यदु आदि पांचों पुत्र और पृथु की प्रधानता है।यदु जाति के यदु आदि पांचों पुत्रों के वर्णन कई स्थानों पर आए हैं। दिवोदास और सुदाश के सबसे अच्छे क्रमबद्ध वर्णन है। इस विषय में वशिष्ठ का सातवां मंडल बहुत उपयोगी है। इसके पीछे विश्वामित्र का तीसरा मंडल भी अच्छी घटनाओं से पूर्ण है ।दिवोदास तृत्सु लोगों के स्वामी थे। वैदिक समय में सूर्यवंशियों की संज्ञा तृत्सु थी ।ऐसा समझ पड़ता है। सुदास और उनके पुत्र कलमाषदास सूर्यवंशी थे। और पुराणों के अनुसार भगवान रामचंद्र का अवतार इन्हीं के पवित्र वंश में हुआ था। यही लोग वेद में तत्सु कहे गए हैं ।इन्हीं बातों से जान पड़ता है कि सूर्यवंशी उस काल में तत्सु कहलाए थे।

    एक कहानी के अनुसार वेदों में निम्न प्रकार भी आया, जिसको भ्रमवश, अज्ञानतावश इतिहास समझा गया है। उदाहरण के लिए देखें।

    “राजा दिवोदास बहुत बड़े विजयी थे। इन्होंने तुर्वश,द्रहृयु और शम्बर को मारा और गंग लोगों को भी पराजित किया। नहुषवन्शी इनको कर देने लगे थे। इनके पुत्र सुदाष ने इनकी विजयों को और भी बढ़ाया। सुदास का युद्ध वैदिक युद्दों में सबसे बड़ा है। नहुषवन्शी यदु ,तुर्वश, अनु,दृहृयु के संतानों ने भारतों से मिलकर तथा बहुत से अनार्य राजाओं की सहायता लेकर सुदास को हराना चाहा। नहुषवन्शियों की सहायतार्थ भार्गव लोग परोदास, पकथ, भलान, अलिन ,शिव, विशात,कवम, युद्धामधि, अज, शिगरु और चक्षु आए और 21 जाति के वैकरण लोग भी पहुंचे। राजा वर्चिन एक बहुत बड़ी सेना लेकर इन का नेता हुआ। कितने ही सिम्यु लोग भी नहुषों की सहायतार्थ आए ।फिर भी नहुष वंश का मुख्य राजा पूरुवंशी इस युद्ध में सम्मिलित न हुआ ।नहुषों ने रावी नदी के दो टुकड़े करके एक नहर निकालकर नदी को पार करना चाहा ।किंतु सुदास ने तत्काल धावा बोल दिया ।जिससे गड़बड़ में नहुषों की बहुत सी सेना नदी में डूब मरी। कवष और बहुत से दृहृयुवंशी डूब गए ।वहां विकराल युद्ध हुआ। जिसमें सुदास ने अपने सारे शत्रुओं को पूर्ण पराजय दी ।अनु और दृहृयु वन्शियों के 66 वीर पुरुष और 6000 सैनिक मारे गए ।और आनवों का सारा सामान लूट लिया गया। जो सुदास ने तृत्सु को दे दिया ।सात किले भी सुदास के हाथ लगे और उन्होंने युद्धामधि को अपने हाथ से मारा। राजा वर्चिन के 100000 सैनिक युद्ध में मारे गए ।अज, शिगरु और चक्षु ने सुदास को कर दिया। इस प्रकार रावी नदी पर यह विकराल युद्ध समाप्त हुआ। सुदास ने तत्पश्चात यमुना नदी के किनारे भेद को पराजित करके उसका देश छीन लिया ।इस प्रकार भेद सुदास की प्रजा हो गया ।आर्यों का नागों से वेद में कोई युद्ध नहीं लिखा गया। केवल एक बार इतना लिखा हुआ है कि पेदु नामक वीर पुरुष के घोड़े ने बहुत से नागों को मारा ।इससे जान पड़ता है कि आर्यों का नागौं से कोई छोटा सा युद्ध हुआ था। विश्वामित्र ने अपने मंडल में भारतीयों का वर्णन बहुत सा किया है। इन लोगों की नहुसों से एकता सी समझ पड़ती है।
    वेदों के आधार पर यह संक्षिप्त राजनीतिक इतिहास इसी स्थान पर समाप्त होता है।
    यह पुराणकार वेदों से इतना ही इतिहास निकाल पाए। परंतु यह इतिहास किसी और ने नहीं देखा न लिखा। इस युद्ध का वर्णन तथा उपर्युक्त सब वीरों राजाओं और जातियों के नाम पुराणों में नहीं मिलते। किंतु ऋग्वेद के सातवें मंडल में महर्षि ने इसका बड़ा हृदयहारी वर्णन किया है ।
    प्रश्न 197
    वेदों के ऐतिहासिक पुरुषों का अर्थात नहुष ययाति के स्वर्ग का वर्णन तो पुराणों ने किया। परंतु इस युद्ध का वर्णन क्यों नहीं किया ।वास्तविक बात तो यह है कि पुराण तो मिश्रित इतिहास कहते हैं इसमें तो मिश्रण भी नहीं है ।यह तो कोरे वैदिक अलंकार है। इंद्र, व्रतृ के वर्णन है। एवं तारा तथा ग्रहों के योग हैं ।इन योगों को गृह युद्ध भी कहते हैं।
    इन सब वर्णनों से नहीं ज्ञात होता कि यह सब मनुष्य थे। इंद्र ,वृत्र, त्रिशंकु,विश्वामित्र ,पुरुरवा ,उर्वशी, नहुष ययाति, शुक्र और देवयानी आदि सब आकाशीय पदार्थ हैं। जिस दिवोदास को आप शम्बर का मारने वाला कहते हैं वह पृथ्वी का मनुष्य कैसे हो सकता है। शम्बर तो मेघ का नाम है। इसी प्रकार चलने वाला किला भी मेघ है । व्रतृ भी मेघ ही है। इंद्र वृत्र का अलंकार तमाम वेदों में भरा है। इंद्र और वृत्र से संबंध रखने वाला समस्त वर्णन मेघ और विद्युत का है। जो आकाश में चरितार्थ हो सकता है। शेष आयु, नहुष, ययाति आदि का वर्णन वेदों में अन्य पदार्थों से संबंधित है।
    इससे सिद्ध हुआ कि वेदों में राजाओं का इतिहास नहीं है। पुरुरवा सूर्य का पर्याय है। उर्वशी उसकी एक किरण है। दोनों अग्नि के रूप में कहे जाते हैं। अग्नि से अग्नि की उत्पत्ति होती है इसलिए आयु भी अग्नि ही है ।अप्सरा भी सूर्य की किरण को कहते हैं। मेनका और अप्सरा सूर्य की किरणें है। नहुष सूर्य के लिए कहते हैं। इन नामों से संबंधित ऋग्वेद में अनेक मंत्र आए हैं्।

  • Good Relations : “अपने दोस्तों को करीब और दुश्मनों को और भी ज़्यादा करीब रखें।”

    Good Relations : “अपने दोस्तों को करीब और दुश्मनों को और भी ज़्यादा करीब रखें।”

    अगर हमें अपने सबसे अच्छे दोस्त के बारे में जरा सा भी आभास हो जाए तो क्या होगा? आप उस पर आँख बंद करके विश्वास नहीं करेंगे और आपकी व्यक्तिगत जानकारी साझा करते समय हम थोड़ा सावधान रहेंगे। आपको आसानी से धोखा नहीं मिलेगा। यहां तक कि आपके साथ विश्वासघात भी हुआ, पहले मामले की तुलना में आपके दिल को नुकसान कम होगा। इसमें हम अमेरिका और भारत के संबंधों का उदाहरण ले सकते हैं। यद्यपि हम दावा करते हैं कि अमेरिका भारत का स्वाभाविक भागीदार है, हम अंतर्राष्ट्रीय मंचों में अमेरिका की नीतियों का पालन नहीं करते हैं और आगे भी हम अपने हितों की रक्षा करने का प्रयास करते हैं। इसलिए हमें अपने दोस्तों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखना है न कि “निकटतम”।

    डॉ. सत्यवान सौरभ

    यदि हम अपने आसपास के लोगों को पारिवारिक संबंधों से बाहर श्रेणीबद्ध करें तो उन्हें चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। मित्र, शत्रु, अज्ञात और सेनापति। इस चार श्रेणियों में मित्र और शत्रु हमारे चरित्र, व्यक्तित्व, व्यवहार आदि को ढालने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। इस पवित्र ग्रह पर रहने वाले हर कोई इस दो तरह के लोगों के साथ व्यवहार करता है, दोस्त और दुश्मन। ऐसा कोई नियम नहीं है कि हमें इस तरह के लोगों के साथ ही ऐसा व्यवहार करना चाहिए। यह हमारे पिछले अनुभवों, वृत्ति जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है… लेकिन, इससे पहले कि आप नफरत करें, पसंद करें, प्यार करें… किसी से आपको कुछ तर्कसंगतता का पालन करना चाहिए। अब, हम देखेंगे कि वह तर्कसंगतता क्या है, हम अलग-अलग लोग इसे कैसे मानते हैं। अलग-अलग लोग अलग-अलग।

    पहले हम दुश्मनों के साथ अपने संबंधों पर चर्चा करेंगे, क्योंकि हम भी इस आदमी को पसंद नहीं करते हैं, यह आदमी अप्रत्यक्ष रूप से कई तरह से हमारी मदद करता है। सामान्य तौर पर, हम अपने दुश्मन के साथ तीन अलग-अलग तरीकों से व्यवहार करते हैं। 1. हम उसे अपने घेरे में नहीं आने देते और उससे इस हद तक नफरत करते हैं कि हम उसका नाम लेना भी पसंद नहीं करते। 2. हम उसके साथ संबंध बनाए रखते हैं, हालांकि अक्सर बहुत करीबी संबंध नहीं होते हैं, 3. हम उसके साथ बहुत अच्छे संबंध बनाए रखते हैं, यह सोचकर कि एक न एक दिन वह अपनी मानसिकता का पुनर्गठन करेगा।

    सबसे पहली बात, यदि कोई व्यक्ति अपने शत्रु से घृणा करता है तो क्या होता है और उसके परिणाम क्या होते हैं? इस प्रकार का व्यवहार करने से आपकी जगह नहीं बनेगी और इस प्रकार की मानसिकता से आपको लाभ होने वाला है। इसे समझाने के लिए हम एक अच्छा उदाहरण लेंगे। डीपीएस नामक स्कूल में टॉम और हैरी नाम के दो लोग हैं। टॉम प्रथम रैंकर है और हैरी एक औसत छात्र है। टॉम को इस विषय में बहुत अच्छा ज्ञान है और साथ ही वह हैरी को उचित सम्मान नहीं देता है और उसके कम अंकों के लिए उसका अपमान करता है। अगर हैरी उससे नफरत करता है और उससे बात करने से कतराता है, तो हैरी को इससे कुछ नहीं मिलने वाला है। हैरी ऐसा ही होगा और टॉम भी ऐसा ही होगा। इस तरह के व्यवहार के लिए हमारे पास राजनीति में भी एक उदाहरण है।

    यदि हम अपने शत्रुओं के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखते हैं तो हमें क्या मिलने वाला है? हमें बहुत सारे लाभ मिलने वाले हैं, और हम अपने व्यक्तित्व में सुधार कर सकते हैं। देखें कैसे? हम वही उदाहरण लेते हैं जो हमने पहले लिया था। इस मामले में हैरी टॉम के साथ अच्छे संबंध बनाए रखता है, हालांकि वह एक धमकाने वाला है। इस संबंध के कारण हैरी टॉम के साथ बात कर सकता है और उसके साथ कठिन विषयों पर चर्चा कर सकता है और अपनी अधिकांश शंकाओं को दूर कर सकता है। इस तरह वह अपने विषय और ज्ञान में सुधार कर सकता है। अंतत: हमने उसे अंकों में भी मात दी। यहां हम भारत-पाक संबंधों का भी उदाहरण ले सकते हैं। हालांकि पाकिस्तान सीमा पार से गोलीबारी कर रहा है, घुसपैठ में मदद कर रहा है और आतंकवादियों के लिए एक अभयारण्य बन रहा है, भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे अच्छे संबंध रखने की कोशिश कर रहा है।  इसी तरह चीन भले ही अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा कर रहा हो, लेकिन भारत चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए है। इसकी वजह से हम ब्रिक्स, एआईआईबी, आरसीईपी, ईस्ट एशिया समिट जैसी कई अच्छी चीजें देख पा रहे हैं। राजनीति में भी विपरीत दलों से मधुर संबंध रखना अच्छा होता है, भले ही उनकी विचारधारा अलग हो।

    तीसरा, क्या होगा अगर हम बिना किसी टैब के उसे आंख मूंद कर पसंद कर लें? अधिकतर, आपको धोखा दिया जाएगा। हम उसी उदाहरण को लेंगे, इस मामले में हैरी टॉम को उस हद तक पसंद करता है जब तक कि वह उसके द्वारा धमकाया नहीं गया। इस मामले में टॉम के लिए गलत जानकारी देने और उसे सही रास्ते से विचलित करने की अधिक संभावना है जब हैरी उससे कोई संदेह पूछता है। इस पर चर्चा करने के बाद हम आराम से कह सकते हैं कि अपने दुश्मनों के साथ संबंध बनाना अच्छा है। अब देखते हैं कि हमें अपने दोस्तों के साथ किस तरह का रिश्ता कायम रखना चाहिए। सामान्य तौर पर हम अपने दोस्तों के साथ दो तरह के संबंध बनाए रखते हैं। 1. उन्हें हल्के में लेना और उन पर आंख मूंदकर विश्वास करना 2. हम उन्हें पसंद करेंगे, उन पर विश्वास करेंगे लेकिन हमें उन पर थोड़ा सा आभास होगा।

    क्या होता है अगर हम उन पर आंख मूंदकर विश्वास करते हैं? ज्यादातर, एक न एक दिन, आपका दिल चोटिल, पस्त और धोखा देने वाला होता है। एक प्रसिद्ध कहानी के लिए। एक ऐसा आश्रम है जिसमें गुरु अपने शिष्यों को अच्छे-बुरे सम्बन्धों की शिक्षा दे रहे हैं…अचानक उनके एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा कि इस ब्रह्माण्ड में ऐसा क्या है जो विषैला है? गुरु हँसे और कहा कि जो कुछ भी अधिक है वह विषैला होता है। यदि हम किसी पर आंख मूंदकर विश्वास करते हैं, तो इस बात की अधिक संभावना है कि हम उसके हाथों धोखा खा जाएं। क्योंकि वह दुश्मनों से ज्यादा हमारी कमजोरियों को जानता है। इसमें हम भारत-नेपाल संबंधों का उदाहरण भी ले सकते हैं। भारत ने नेपाल, छोटे हिमालयी राज्य की कई तरह से मदद की, जैसे मुक्त पारगमन, कोई सीमा नहीं, अपने सिविल सेवकों को प्रशिक्षण देना आदि। क्या हुआ ? नेपाल के प्रधानमंत्री ने यूनाइटेड में भारत के खिलाफ शिकायत की

    अगर हमें अपने सबसे अच्छे दोस्त के बारे में जरा सा भी आभास हो जाए तो क्या होगा? आप उस पर आँख बंद करके विश्वास नहीं करेंगे और आपकी व्यक्तिगत जानकारी साझा करते समय हम थोड़ा सावधान रहेंगे। आपको आसानी से धोखा नहीं मिलेगा। यहां तक कि आपके साथ विश्वासघात भी हुआ, पहले मामले की तुलना में आपके दिल को नुकसान कम होगा। इसमें हम अमेरिका और भारत के संबंधों का उदाहरण ले सकते हैं। यद्यपि हम दावा करते हैं कि अमेरिका भारत का स्वाभाविक भागीदार है, हम अंतर्राष्ट्रीय मंचों में अमेरिका की नीतियों का पालन नहीं करते हैं और आगे भी हम अपने हितों की रक्षा करने का प्रयास करते हैं। इसलिए हमें अपने दोस्तों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखना है न कि “निकटतम”।

    दोस्त हमेशा आपके साथ रहेगा और अपना ज्ञान आपके साथ बांटेगा। कई मामलों में समान विचारधारा वाले लोग दोस्त बनेंगे और अक्सर उनके बीच अलग सोच नहीं होगी। अगर हम दुश्मन को लेते हैं तो अलग राय होने की अधिक संभावना होगी और हम उससे लाभान्वित हो सकते हैं और इसके अलावा हम उसकी गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं यदि हमारे बीच घनिष्ठ संबंध हैं। हाँ, यह आपके लिए अच्छा है कि आप “अपने दोस्तों को करीब और दुश्मनों को और भी ज़्यादा करीब रखें।”

    (लेखक रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

  • Himachal Cm: कोविड पॉजिटिव होने से पहले इन लोगों से मिलने पहुंचे थे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

    Himachal Cm: कोविड पॉजिटिव होने से पहले इन लोगों से मिलने पहुंचे थे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

    हाल ही में हिमाचल के नये सीएम से जुड़ी एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है। दरसअल कांग्रेस पार्टी के नये CM सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना पॉजिटिव हो गए है। सीएम के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना कोविड टेस्ट करवाया था। जिसका रिजल्ट आज सुबह आया है। बता दें कुछ दिनों पहले सीएम की तबीयत खराब थी , उन्हें हल्की खांसी के साथ सर्दी- ज़ुखाम और बुखार भी था। CM के पॉजिटिव आने के बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र स्थगित कर दिया गया है।

    दिल्ली के हिमाचल भवन में क्वारैंटाइन

    कोविड पॉजिटिव होने के बाद सीएम की सारे कार्यक्रमों को रद्द करने के बाद उन्हें दिल्ली के हिमाचल भवन में क्वारैंटाइन कर लिया है। 21 दिसंबर को धर्मशाला में उनका अभिनंदन कार्यक्रम भी कैंसिल हो गया है।

    पीएम मोदी से मुलाकात 

    पिछले 5 दिनों से प्रदेश के बाहर होने के कारण इस समय मुख्यमंत्री दिल्ली में हैं और आज उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुबह 11 बजे मिलने का कार्यक्रम था। लेकिन कोरोना संक्रमित होने के कारण अब पीएम मोदी से मुलाकात नहीं होगी।

    कोविड होने से पहले इन लोंगो से की थी मुलाकात

    हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली दौरे पर हैं। यहां उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी। इसके बाद में सभी 40 विधायकों के साथ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल हुए थे।

  • MP : मदरसों के कोर्स पर मचा बवाल, MLA ने की सरस्वती शिशु मंदिर की जांच की मांग

    MP : मदरसों के कोर्स पर मचा बवाल, MLA ने की सरस्वती शिशु मंदिर की जांच की मांग

    एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हाल ही मे मदरसों के कोर्स की जांच का आदेश दिया था। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के कुछ मदरसों में आपत्तिजनक पाठन सामग्री के उपयोग का विषय संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने कहा है कि मदरसों मे पढ़ाए जाने वाले कोर्स और कंटेट की जांच होगी। जिसको लेकर अब विवाद छिड़ गया है। गृह मंत्री की इस आदेश पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद भड़क गए। और उन्होंने इस पर पलटवार करते हुए मध्य प्रदेश के सरस्वती शिशु मंदिरों की जांच की भी मांग कर दी। उन्होंने कहा कि पता चलना चाहिए कि वहां पर क्या पढ़ाई चल रही है। क्या मदरसों को किया जा रहा है टारगेट

    मध्य प्रदेश में मदरसों के सिलेबस की जांच पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ मदरसों को टारगेट किया जा रहा है। मदरसों में क्या हालात हैं कम से कम यहां से पता चलेगा। 3 साल से मदरसों को फंड नहीं मिला है।

    मदरसों में कहीं देशद्रोहिता की शिक्षा तो नहीं दी जाती – संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर 

    मदरसों के सिलेबस की जांच के आदेश को लेकर मचे बवाल के बीच संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने आरिफ मसूद के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मदरसों में कहीं देशद्रोहिता की शिक्षा तो नहीं दी जा रही, कहीं मानव तस्करी तो नहीं हो रही इसकी चिंता है। जिन मदरसों को अनुमति नहीं दी गई है उन पर नियंत्रण होना चाहिए।

     

  • टीम इंडिया ने इस तरह छुड़ाये बांग्लादेश के छक्के, पहले मैच मे 188 रनों से दी मात

    टीम इंडिया ने इस तरह छुड़ाये बांग्लादेश के छक्के, पहले मैच मे 188 रनों से दी मात

    भारतीय क्रिकेट टीम ने अपनी बेहतरीन मेज़बानी की बदौलत क्रिकेट टेस्‍ट मैच में बांग्‍लादेश को 188 रन से पछाड़कर मात दे दी है। भारत के गेंदबाजो के आगे बांग्लादेश के बल्लेबाज टिक नहीं सके।

    कुलदीप यादव बने मैन ऑफ द मैच

    मेजबान टीम ने आज अपने कल के स्‍कोर छह विकेट पर 272 रन से आगे खेलना शुरू किया और पूरी टीम तीन 324 रन बनाकर आउट हो गई। इस जीत के साथ भारतीय टीम को दो मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-0 से बढ़त मिल गई है। बता दें कि भारत की इस जीत के कई हीरो रहे। इसमें चेतेश्वर पुजारा ने बल्ले से दमदार खेल दिखाया और पहली पारी में 90 और दूसरी पारी में 102 रन बनाए थे। तो वही आठ विकेट लेकर कुलदीप यादव को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया। बता दें बांग्लादेश की टीम को 513 रनों का टारगेट दिया गया था, जिसे बना नहीं सकी और केवल 324 रनों पर ही सिमित रह गई। टीम इंडिया की इस शानदार जीत में चेतेश्वर पुजारा ने भी बल्लेबाज़ो के छक्के छुरा दिये। उन्होंने अपनी दमदार बल्लेबाज़ी से पहली पारी में 90 और दूसरी पारी में 102 रन बनाए ।

    भारत ने पहली पारी मे बनाये इतने रन

    भारत ने पहली पारी में चार सौ चार रन बनाये थे और दूसरी पारी दो विकेट पर दो सौ 58 रन बनाकर घोषित कर दी थी। टीम इंडिया की इस धमाकेदार जीत के बाद कह सकते है कि यह कुलदीप यादव के करियर का अब तक का बेस्ट प्रदर्शन था। टीम इंडिया के लिए शुभमन गिल ने भी इस मैच में शतक जड़ा। जबकि अक्षर पटेल ने पांच और सिराज ने 4 विकेट लिए। बता दें कि बांग्लादेश की टीम सुबह पहली पारी में 55.5 ओवर में 150 रन पर आउट हो गई थी।

     

  • JHARKHAND: इलेक्ट्रिक कटर से किये दूसरी 50 टुकड़े, कुत्ते नोच रहे थे इंसानी मांस के टुकड़े

    JHARKHAND: इलेक्ट्रिक कटर से किये दूसरी 50 टुकड़े, कुत्ते नोच रहे थे इंसानी मांस के टुकड़े

    पुलिस अभी श्रद्धा मर्डर केस की गुत्थी भी सही से सुलझा नही पाई है, मानवता को झंकझोर करने देने वाली एक ओर वारदात सामने आय़ी है। श्रद्धा मर्डर केस मे उसके शरीर के 35 टुकड़े किये गये थे तो वही इस केस मे टुकड़ो की संख्या 50 के पार पहुंच गई है। आइये आपको विस्तार से है बताते हत्या से लेकर 50 टुकड़ो तक का ये खौंफनाक मंजर….

    12 टुकड़ो का ये खौफनाक मंजर

    दरसअल झारखंड के साहिबगंज जिले के बोरियो से ठीक इसी तरह का मामला सामने आया है। जहां एक पति ने अपनी दूसरी पत्नी की हत्या कर उसके शरीर को 12 टुकड़ो मे काट कर जंगलो मे फेंक दिया। इस खौफनाक वारदात का पता पुलिस को तब चला जब मोमिन टोला के लोगों को आंगनवाड़ी भवन के पीछे कुछ कुत्तों का झुंड दिखाई दिया । जो इंसानी मांस के टुकड़े को नोच रहे थे।

    झूठे वादों का झांसा देकर की थी शादी

    शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपी ने महिला को गलत वादा देकर और उसे बहलाया-फुसला कर उससे शादी की। पीड़िता की पहचान रुबिका पहाड़िन के रूप मे हुई है।

    सिर और धड़ को फेंका अलग-अलग हिस्सों मे

    जिसकी सूचना स्थानीय लोगो ने पुलिस को दी। टुकड़े को लेकर पुलिस ने आशंका जताई है कि आरोपी ने हत्या के बाद डेड बॉडी को इलेक्ट्रिक कटर से काटा होगा । उसके सिर और धड़ अलग-अलग हिस्सों में थे। आरोपी ने पूरी बॉडी को छोटे-छोटे टुकड़ों में कटर से काटा था। हालांकि अब उससे पूरे मामले को लेकर पूछताछ की जा रही है।

    पूरी बॉडी को छोटे-छोटे टुकड़ों में कटर से काटा

    जल्द ही पता चलेगा की आखिर कैसे और क्यों अपनी पत्नी को इतनी भयानक मौत दी। आपको बतां दे इस हत्याकांड को उसके पति दिलदार अंसारी ने अंजाम दिया है। मृतक महिला की उम्र 22 साल बताई जा रही है। आरोपी दिलदार ने दो साल पहले महिला से दूसरी शादी की थी। दोनों दो साल से एक साथ रह रहे थे। लड़की आदिवासी समुदाय से है तो वहीं आरोपी विशेष समुदाय से आता है। ऐसे में अब आशंका जताई जा रही है कि यह पूरा मामला लव जिहाद का भी हो सकता है। हालांकि पुलिस ने इस मामले मे अब तक कोई पुष्टि नहीं की है।