Category: राजनीति

  • विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने विधान सभा में उठाए समस्तीपुर के महत्वपूर्ण मुद्दे

    विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने विधान सभा में उठाए समस्तीपुर के महत्वपूर्ण मुद्दे

    पटना/समस्तीपुर। समस्तीपुर विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने बुधवार को बिहार विधानसभा में अपने तारांकित प्रश्न संख्या – 17/14/2803 के माध्यम से समस्तीपुर प्रखंड के मोरदीवा पंचायत के वार्ड संख्या 01 एवं 02 तथा पोखरैरा पंचायत के वार्ड संख्या 08 में बूढ़ी गंडक नदी के तट पर पुनः बोल्डर पिचिंग कार्य कराने की मांग की।

    विधायक शाहीन ने सदन में कहा कि इन क्षेत्रों में बूढ़ी गंडक नदी की धारा तटबंध के बिल्कुल करीब आ गई है, जिससे बरसात के मौसम में तटबंध टूटने का गंभीर खतरा बना रहता है। इससे स्थानीय ग्रामीणों में भय और दहशत का माहौल बना हुआ है। उन्होंने संबंधित मंत्री से तटबंध पर बोल्डर पिचिंग कार्य जल्द शुरू कराने का आग्रह किया।

    इसके जवाब में जल संसाधन मंत्री ने विधायक को आश्वासन दिया कि इस दिशा में अपेक्षित पहल की जाएगी और जल्द कार्रवाई होगी।

    संपर्कविहीन बसावटों की सड़कों पर भी विधायक ने उठाई आवाज:

    विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने तारांकित प्रश्न संख्या – 17/14/2804 के माध्यम से समस्तीपुर प्रखंड में एकल संपर्कता विहीन बसावटों के लिए प्रस्तावित 12 सड़कों के निर्माण का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता, समस्तीपुर ने इन सड़कों का प्राक्कलन तैयार कर मुख्य अभियंता, दरभंगा को तकनीकी अनुमोदन के लिए भेजा है, लेकिन अब तक इसे स्वीकृति नहीं मिली है।

    इस पर मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि प्रस्तावित 12 सड़कों में से प्राथमिकता के आधार पर पहले 4 सड़कों का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा, जबकि शेष 8 सड़कों का निर्माण अगले वित्तीय वर्ष में किया जाएगा।

  • मुख्यमंत्री ने जलापूर्ति योजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास

    मुख्यमंत्री ने जलापूर्ति योजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास

    पटना। विशेष संवाददाता।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को 1, अण्णे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में आयोजित कार्यक्रम में ‘हर घर नल का जल’ निश्चय योजना के तहत 7,166 करोड़ 6 लाख रुपये की लागत से निर्मित जलापूर्ति योजनाओं और भवन संरचनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इसी अवसर पर मुख्यमंत्री ने 83 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मुख्यालय भवन का भी शिलान्यास किया।

    नियमित और निर्बाध जलापूर्ति का लक्ष्य:

    इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने बताया कि राज्य में सभी ग्रामीण परिवारों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से जलापूर्ति की जा रही है, जो राष्ट्रीय औसत से 16 लीटर अधिक है। उन्होंने बताया कि ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत निर्मित सभी जलापूर्ति योजनाओं का संचालन एवं रखरखाव लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा किया जा रहा है।

    मुख्यमंत्री का संबोधन:

    मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन योजनाओं का आज शिलान्यास किया गया है, उन्हें निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि योजना का संचालन बेहतर ढंग से हो और मेंटेनेंस में किसी प्रकार की लापरवाही न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के प्रत्येक नागरिक को नियमित रूप से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाए ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।

    सम्मान एवं प्रस्तुति:

    कार्यक्रम के दौरान लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने मुख्यमंत्री को हरित पौधा एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की योजनाओं पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रस्तुत की गई।

    उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:

    इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के विशेष सचिव संजय कुमार समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

    वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के सभी जिलाधिकारी और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अधिकारी भी इस कार्यक्रम से जुड़े रहे।

  • जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने की राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक

    जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने की राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक

    मुजफ्फरपुर। आगामी विधानसभा आम निर्वाचन के मद्देनजर जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिला पदाधिकारी श्री सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में समाहरणालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के अध्यक्ष, सचिव और अधिकृत प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

    निर्वाचक सूची और मतदाता आंकड़े पर चर्चा:

    बैठक में जिले की निर्वाचक सूची से संबंधित विभिन्न गतिविधियों और तैयारियों पर चर्चा की गई। बैठक के दौरान बताया गया कि जिले में कुल 34,45,658 मतदाता हैं, जिसमें:

    पुरुष मतदाता: 18,12,622

    महिला मतदाता: 16,32,937

    थर्ड जेंडर मतदाता: 99

    लिंगानुपात: 901

    जिलाधिकारी ने बैठक के दौरान विशेष रूप से महिला मतदाता की संख्या और लिंगानुपात बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए जीविका दीदियों, आंगनबाड़ी सेविकाओं और आशा कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जा रहा है। उन्होंने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी इस दिशा में सक्रिय सहयोग देने की अपील की।

    बीएलए नियुक्ति में तेजी लाने का निर्देश:

    बैठक में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया कि वे विशेष रुचि लेकर मतदान केंद्रवार बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) की नियुक्ति करें और उसकी सूची शीघ्र जिला निर्वाचन कार्यालय को उपलब्ध कराएं।

    दावा-आपत्ति निस्तारण पर जानकारी:

    बैठक में बताया गया कि 7 जनवरी 2025 को अंतिम रूप से प्रकाशित निर्वाचक सूची के बाद प्राप्त हो रहे सभी दावा/आपत्ति से संबंधित प्रपत्रों का समुचित निष्पादन संबंधित निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी द्वारा किया जा रहा है।

    विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित फरवरी माह के सभी निष्पादित प्रपत्र 6, 7 एवं 8 का विस्तृत विवरण (मंथली पुलिंग डेटा) सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को साझा कर दिया गया है।

    बैठक में उपस्थित अधिकारी:

    बैठक में उप विकास आयुक्त, सभी निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी, उप निर्वाचन पदाधिकारी एवं सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।

  • गरीबों के हक की लड़ाई अंतिम दम तक लड़ते रहेंगे : अजीत कुमार

    गरीबों के हक की लड़ाई अंतिम दम तक लड़ते रहेंगे : अजीत कुमार

    मुजफ्फरपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने मंगलवार को मड़वन प्रखंड के फंदा नुनिया टोला में आयोजित किसान-मजदूर-युवा संवाद कार्यक्रम में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि वे गरीबों के हक की लड़ाई अंतिम दम तक लड़ते रहेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि हर हाल में गरीबों को उनका वाजिब हक दिलाया जाएगा।

    श्री कुमार ने मौके पर ही संबंधित अधिकारियों से बात कर प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वे में तेजी लाने और मनरेगा के तहत स्थानीय मजदूरों को काम दिलाने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया।

    उन्होंने कहा कि गरीबों को मिलने वाली पेंशन राशि को ₹1500 तक बढ़ाने के लिए वे केंद्र और राज्य सरकार के समक्ष लगातार अपनी बात रख रहे हैं। उन्होंने ग्रामीणों से ऑनलाइन पेंशन आवेदन करने का आग्रह किया ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति पेंशन से वंचित न रहे।

    झोपड़ियों के ऊपर से गुजर रही 11 हजार केवीए लाइन से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर उन्होंने जल्द ही संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर समाधान कराने का आश्वासन दिया।

    कार्यकर्ताओं को दिए निर्देश:

    श्री कुमार ने उपस्थित कार्यकर्ताओं से कहा कि वे राज्य और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंचाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करें।

    बैठक में मौजूद प्रमुख लोग:

    बैठक की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश महतो ने की। इस अवसर पर जयकिशन कुमार चौहान, मो. शमिम, नवल सिंह, शिवजी महतो, गोनऊर सहनी, मुन्नीलाल सहनी, रघुनाथ सिंह, अमोद सहनी, मंटू महतो, उमेश पासवान, राकेश सिंह, पुटू सिंह, और जितेश महतो सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

  • प्रवीण लाठर बने करनाल भाजपा जिलाध्यक्ष, जताया शीर्ष नेतृत्व का आभार

    प्रवीण लाठर बने करनाल भाजपा जिलाध्यक्ष, जताया शीर्ष नेतृत्व का आभार

    प्रवीन लाठर बोले : सेवा ही संगठन के सिद्धांत से पार्टी को आगे ले जाने का करेंगे काम

    करनाल (विसु)। भाजपा ने हरियाणा में जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है आज भाजपा जिला कार्यालय कर्ण कमल में करनाल जिलाध्यक्ष के लिए प्रवीण लाठर के नाम की घोषणा की गई।
    इस मौके पर मुख्य रूप से हरियाणा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, जिलाध्यक्ष एवं असंध विधायक योगेन्द्र राणा, करनाल विधायक जगमोहन आनंद, जिला प्रभारी भारत भूषण जुआल,करनाल नगर निगम मेयर रेणु बाला गुप्ता मौजूद रहे।
    जिलाध्यक्ष के लिए प्रवीण लाठर के नाम की घोषणा होते ही मौके पर मौजूद सभी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई और सभी ने भारत माता की जय के उद्घोष के साथ नवनियुक्त जिलाध्यक्ष का फूलों की मालाओं से एवं पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया।
    इस मौके पर जिलाध्यक्ष प्रवीण लाठर ने प्रदेश संगठन, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली, मुख्यमंत्री नायब सैनी,करनाल के सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता,पूर्व जिलाध्यक्ष एवं असंध विधायक योगेन्द्र राणा, जिला प्रभारी भारत भूषण जुआल,कार्यकारी जिलाध्यक्ष बृज गुप्ता,विधायक जगमोहन आनंद, मेयर रेणु बाला गुप्ता का आभार जताते हुए धन्यवाद किया।
    इस मौके पर नवनियुक्त जिलाध्यक्ष प्रवीण लाठर ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिस प्रकार प्रदेश नेतृत्व और आप सभी ने मुझ जैसे छोटे से कार्यकर्ता को यह बहुत बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है में इस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा ओर सभी को साथ लेकर चलते हुए संगठन की मजबूती के लिए काम करूंगा।
    इस मौके पर अपने राजनीतिक सफर के बारे जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने संगठन में बूथ स्तर ,मंडल स्तरऔर जिला में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सहित अन्य कई जिम्मेदारियां का निर्वहन किया है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में भी भाजपा के सेवा ही संगठन के सिद्धांत के मध्य नजर लोगों की सेवा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
    उन्होंने कहा कि वह संगठन की रीति नीति के तहत सभी ज्येष्ठ व श्रेष्ठ कार्यकर्ताओं को साथ लेकर शीर्ष नेतृत्व के दिशानिर्देशों का पालन व संगठन के वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन से पार्टी को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।

  • लालू के बयान के बाद नीतीश के पाला बदलने की अटकलें

    लालू के बयान के बाद नीतीश के पाला बदलने की अटकलें

     बिहार की राजनीति में फिर हलचल

    पटना। दीपक कुमार तिवारी।

    बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के हालिया बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं।

    लालू के बयान से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी:

    होली के अवसर पर लालू प्रसाद यादव ने अपने संदेश में लिखा, “हर पुरानी बात भूलकर आओ करें नई शुरुआत। प्रेम और अपनत्व के भाव से समाज में हो हर बात।” इस तीन लाइन के संदेश को राजनीतिक गलियारों में सीधा-सीधा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में लौटने का अप्रत्यक्ष न्योता माना जा रहा है।

    महागठबंधन में वापसी के संकेत?

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान महज शुभकामना संदेश नहीं, बल्कि बिहार की बदलती सियासी परिस्थितियों में बड़ा राजनीतिक संकेत है। खासकर बिहार में भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदुत्व एजेंडे को आक्रामक रूप से बढ़ावा दिए जाने के बीच इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

    नीतीश कुमार के महागठबंधन में लौटने की संभावनाओं को तब और बल मिला जब राजद नेताओं ने हाल के दिनों में खुले मंच से इसका संकेत दिया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सदन में कहा था, “नीतीश कुमार कब पलटी मार लें, इसकी कोई गारंटी नहीं है।”

    दूसरी ओर, लालू यादव ने भी कुछ समय पहले मीडिया से कहा था कि “नीतीश कुमार के लिए राजद का दरवाजा हमेशा खुला है।”

    भाजपा के बयान से भी गर्माई सियासत:

    इस बीच, भाजपा नेताओं के हालिया बयान भी संकेत दे रहे हैं कि प्रदेश में सियासी समीकरण बदल सकते हैं। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती समारोह में कहा था कि “अटल जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी, जब बिहार में भाजपा की सरकार बनेगी।”

    गृहमंत्री अमित शाह के बयान कि “बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका निर्णय संसदीय बोर्ड करेगा” भी इन अटकलों को और बल देता है।

    ‘खेला’ की संभावना पर राजद का दावा:

    राजद नेताओं का मानना है कि भाजपा के बढ़ते दबाव के चलते नीतीश कुमार एक बार फिर राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। राजद नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि “राजनीति में कोई स्थायी मित्र या दुश्मन नहीं होता, अगर नीतीश सांप्रदायिक ताकतों को छोड़कर लौटते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा।”

    2025 के चुनाव की तैयारी में नए समीकरण:

    बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन अपने पुराने समीकरण के तहत चुनावी रणनीति बनाने में जुटा है। राजद के लगातार नीतीश को लेकर दिए जा रहे बयान यह संकेत दे रहे हैं कि उनकी वापसी के लिए माहौल तैयार किया जा रहा है।

    बिहार में नीतीश कुमार के राजनीतिक रुख को लेकर असमंजस बना हुआ है, लेकिन लालू यादव के संदेश और भाजपा नेताओं के बयानों ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति किस करवट बैठती है।

  • बिहार की राजनीति में ‘वंशवाद’ का नया अध्याय

    बिहार की राजनीति में ‘वंशवाद’ का नया अध्याय

    निशांत कुमार को लेकर क्यों मच रही हलचल?

    पटना। दीपक कुमार तिवारी।

    बिहार की सियासत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। इस बार चर्चा का केंद्र हैं नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार। राजनीति से दूर रहने वाले निशांत कुमार को लेकर अचानक जेडीयू और बीजेपी के बड़े नेताओं द्वारा उन्हें ‘भविष्य का मुख्यमंत्री’ बताए जाने से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

    कौन छेड़ रहा है ये सियासी राग?

    इस चर्चा की शुरुआत जेडीयू के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह ने की, जिन्होंने निशांत कुमार को ‘सीएम मटेरियल’ बताते हुए उन्हें राजनीति में सक्रिय होने का खुला न्योता दे डाला। जय कुमार सिंह ने कहा, “हम लोग चाहते हैं कि निशांत कुमार विधानसभा चुनाव लड़ें। उनमें मुख्यमंत्री बनने की पूरी क्षमता है। वे योग्य और काबिल भी हैं।”

    उन्होंने यह भी दावा किया कि निशांत की राजनीति में एंट्री हो चुकी है और कार्यकर्ताओं की मांग है कि वे जल्द ही पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाएं।

    बीजेपी नेता ने भी किया समर्थन:

    सिर्फ जेडीयू ही नहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी निशांत कुमार के नेतृत्व की संभावनाओं का समर्थन किया। चौबे ने कहा कि यदि निशांत राजनीति में आते हैं, तो वे तेजस्वी यादव से कहीं अधिक योग्य साबित होंगे। उन्होंने कहा, “निशांत युवा हैं, इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और उनमें ऊर्जा भरी हुई है। वे मुख्यमंत्री बनने की क्षमता रखते हैं और बिहार को आगे ले जाने में सक्षम हैं।”

    ‘वंशवाद’ का नया अध्याय?

    बिहार की राजनीति में जेपी आंदोलन के तहत वंशवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी, लेकिन अब वही वंशवाद की राजनीति बिहार में मजबूती पकड़ रही है।

    तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद यादव की विरासत संभाली।

    चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकारी बने।

    अब नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के लिए भी ‘वंशवाद’ की यह कहानी गहराने लगी है।

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चर्चा उस वक्त तेज हो रही है जब बिहार में आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं।

    क्या निशांत की होगी राजनीति में एंट्री?

    निशांत कुमार अब तक राजनीति से दूरी बनाए हुए हैं। वे सार्वजनिक जीवन में बहुत कम सक्रिय रहते हैं और अपनी निजी जिंदगी में लो-प्रोफाइल रहते आए हैं। हालांकि, पिता के उत्तराधिकारी के रूप में बढ़ती चर्चाओं के बीच अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या निशांत कुमार बिहार की राजनीति में नई भूमिका निभाएंगे या यह सिर्फ राजनीतिक शिगूफा बनकर रह जाएगा।

  • बिहार विधान परिषद में देखने को मिली देवर भाभी की बहस!

    बिहार विधान परिषद में देखने को मिली देवर भाभी की बहस!

    चरण सिंह 

    होली के अवसर पर अक्सर देवर भाभी की ठिठोली की बात होने लगती है। बिहार में तो विधान परिषद् में ही देवर भाभी की भिड़ंत हो गई। राबड़ी देवी ने यह क्या कहा कि सरकार में कोई काम नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी भाभी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से भिड़ बैठे। नीतीश कुमार ने उठकर राबड़ी देवी का विरोध किया और कहा कि हमने ही तो महिलाओं के लिए काम किया है। तुम्हारे राज में तो महिलाएं शाम को घर से ही नहीं निकल पाती थीं।

    दरअसल विधान परिषद् में राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के बीच में तीखी बहस देखने को मिली। राबड़ी देवी ने पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार पर महिलाओं को अपमानित करने के आरोप लगा दिया। उन्होंने नीतीश कुमार को भंगेड़ी तक बोल दिया।
    राबड़ी देवी का कहना था कि नीतीश कुमार को चार लोग उकसा रहे हैं। उन्होंने बाकायदा ललन सिंह, संजय झा, अशोक चौधरी और विजय चौधरी का नाम तक ले दिया। राबड़ी देवी नीतीश कुमार पर इतनी नाराज थी कि उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए यहां तक कह दिया कि क्या मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के घर की महिलाएं 2005 से पहले कपड़े नहीं पहनती थी।

    दरअसल नीतीश कुमार की भाषा आजकल तीखी देखी जा रही है। वह एकदम ग़ुस्से में हैं। एकदम रिएक्ट कर देते हैं। राबड़ी देवी रिश्ते में उनकी भाभी लगती हैं। राबड़ी देवी भी नीतीश कुमार को देवर मानती हैं। नीतीश कुमार लालू प्रसाद को बड़ा भाई मानते हैं और लालू नीतीश कुमार को छोटा भाई। आजकल नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में देखे जा रहे हैं। राबड़ी देवी ने भी यह बोला है कि नीतीश कुमार के पास कोई पावर नहीं है। उनकी पावर आरएसएस और बीजेपी के पास है। माना यह जा रहा है कि यदि एनडीए में नीतीश कुमार को उनके अनुसार सीटें नहीं मिली तो वह एनडीए से अलग भी हो सकते हैं। हालांकि वह बात दूसरी है कि वह यह भी बोल रहे हैं कि  कहीं नहीं जाने जा रहे हैं।
    नीतीश कुमार के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता वह तो यह कहते थे कि मर जाएंगे पर बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। माना यह भी जा रहा है कि यदि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वह कुछ भी कर सकते हैं। पर जिस तरह की उनकी बॉडी लैंग्वेज है उसके अनुसार से कहा  जा सकता है कि नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में है।
  • 3 महीने में एसटीएफ ने वारदात से पहले 16 से अधिक कांड को रोका

    3 महीने में एसटीएफ ने वारदात से पहले 16 से अधिक कांड को रोका

    -घटना होने से पहले एसटीएफ ने गुप्तचर, जन सहयोग और तकनीकी विश्लेषण के जरिए इनका लगाया पता
    -दिसंबर 2024 में 4, जनवरी 2025 में 4 और फरवरी में 8 से अधिक कांडों में अपराधियों को योजना बनाते ही दबोचा
    -इसमें हत्या के सबसे ज्यादा 11 मामलों को रोका गया, जबकि लूट या डकैती के 5 योजनाओं को किया गया विफल

    पटना। दीपक कुमार तिवारी।

    पिछले कुछ महीने में एसटीएफ की सक्रियता बढ़ने की वजह से आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में कामयाबी मिल रही है। पिछले 3 महीने के दौरान यानी दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक हत्या, लूट, डकैती जैसी संगीन वारदातों को अंजाम देने से पहले इनमें शामिल अपराधियों या इनके गिरोह को दबोच लिया गया। इससे इन आपराधिक गतिविधियों को नाकाम करने में कामयाबी मिली है। इसमें सर्वाधिक संभावित हत्या से जुड़े कांड़ों को एसटीएफ ने अपनी चौकसी और मुस्तैदी की बदौलत विफल किया है। इन तीन महीनों में एसटीएफ ने हत्या से जुड़े 11 वारदातों को समय पर विफल करने में कामयाबी हासिल की है, जिससे इन वारदातों को समय रहते रोक लिया गया।

    पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2024 में 4 आपराधिक कांड़ों को विफल किया जा सका है, जिसमें 2 हत्या एवं 2 डकैती या लूट से जुड़े मामले शामिल हैं। इसी तरह इस वर्ष जनवरी में हत्या के 3 के अलावा लूट या डकैती के 2 तथा फरवरी में हत्या के 6 एवं डकैती या लूट के 2 संभावित वारदातों को विफल करने में सफलता मिली है। इस तरह कुल 16 से अधिक वारदातों को अंजाम देने से पहले ही एसटीएफ ने विफल कर दिया।

    एसटीएफ ने गुप्तचर, जन सहयोग और उच्च तकनीकों के विश्लेषण की बदौलत आपराधिक गिरोह या इसके सदस्यों और कई कुख्यात अपराधियों को दबोचने में कामयाबी मिली है। एसटीएफ की एक विशेष टीम किसी आपराधिक वारदातों में शामिल सक्रिय अपराधियों या गिरोह के सदस्यों का पता लगाने में सतत जुड़ी रहती है। किसी घटना के बाद कई संबंधित कई पहलुओं पर विश्लेषण करने के बाद अपराधियों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र की जाती है।

    इन प्रमुख घटनाओं को रोका:

    – 4 दिसंबर को पटना के टॉप-10 अपराधियों की फेहरिस्त में शामिल पंकज राय को अवैध हथियार के साथ पटना के दीघा से गिरफ्तार किया गया। उस समय वह अन्य अपराधियों के साथ बिल्ला गैंग के सक्रिय सदस्य दीपक राय की हत्या की योजना बना रहा था।
    – 12 दिसंबर को राज्य के इनामी अंतरराज्यीय अपराधी अजय पासवान को झारखंड के चतरा के हंटरगंज थाना के पिंडरा से अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार किया गया। वह अपने गैंग के साथ बैंक डकैती की योजना बना रहा था।
    – मुजफ्फरपुर के टॉप 10 अपराधियों में शामिल सुबोध महतो को जिले के करजा थाना के खलीलपुर से गिरफ्तार किया गया। वह करजा थाना निवासी हेमन राय की हत्या की फिराक में था।
    – 8 जनवरी 2025 को गया में एक ज्वेलरी दुकान को लूटने की योजना बना रहे अपराधी प्रकाश कुमार को गया से दो सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया गया।
    – 7 फरवरी को शुभम कुमार को अन्य अपराधियों के साथ पटना के मोकामा से गिरफ्तार किया गया है। इसके मोबाइल को सर्विलांस पर रखते हुए पूरे गैंग को दबोचने में सुविधा हुई। इनकी योजना दो मोटरसाइकिल सवार को गोली मारकर हत्या करने की थी।
    – 17 फरवरी को पटना के कुख्यात अपराधी गिरोह शालू उर्फ फ्रैक्चर, चांद, अभिषेक और बंटी खान को शहर के सोनार टोली से गिरफ्तार किया गया। इनकी योजना पटना सिटी इलाके में किसी बड़ी लूटी की योजना को अंजाम देने की थी। इन अपराधियों ने इस इलाके में रंगदारी वसूलने की नियत से फायरिंग करके दहशत फैलाने का काम किया था।

  • गोबर पीने तक का ज्ञान दे रहे हैं नेता लोग?

    गोबर पीने तक का ज्ञान दे रहे हैं नेता लोग?

    नेता तोड़ रहे भाषा की मर्यादा, असली मुद्दे गायब गुड़’गोबर’ हुई राजनीति

    चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों की बयानबाजी अक्सर चरम पर पहुंच जाती है। पार्टी नेता अपनी बात बेबाकी से कहने लगते हैं, जिससे आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है। हाल ही में संसद और विधानसभाओं में भी व्यक्तिगत हमले बढ़े हैं। उदाहरण के लिए, हरियाणा के विधायक राजकुमार गौतम ने गोहाना में जलेबी की गुणवत्ता के बारे में टिप्पणी की, जिस पर गोहाना के विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद शर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि गौतम तो गोबर भी खाते हैं और उन्हें जलेबी की गुणवत्ता की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग सार्वजनिक धन की कीमत पर मामूली विवादों में उलझे रहते हैं। इससे हमारे देश के भविष्य को आकार देने वालों की क्षमता पर सवाल उठता है। राजनीति की भाषा तभी सुधर सकती है जब मतदाता अधिक जागरूक और सहभागी होंगे। इन बहसों के बीच शब्दों के अर्थ बदल रहे हैं, जो एक बड़ी चिंता का विषय है। जनता को यह भी सोचना चाहिए कि क्या ऐसा नेता जो ऐसी कठोर और अपमानजनक भाषा का सहारा लेता है, लोकतंत्र के मंदिर में जगह पाने का हकदार है। लोकतंत्र में नेता अपनी शक्ति और अधिकार जनता से प्राप्त करते हैं, जिसका वे प्रयोग भी कर सकते हैं और दुरुपयोग भी कर सकते हैं।

     

    डॉ. सत्यवान सौरभ

    बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास जैसी चिंताओं के बीच, एक परेशान करने वाला नया चलन सामने आया है, राजनीतिक दलों की वादा खिलाफी तथा नेताओं की अमर्यादित भाषा का। राजनीतिक दल अपने वादे पूरे करने में विफल रहे हैं और नेता अनुचित भाषा का सहारा ले रहे हैं। हमारी सड़कों की हालत बहुत खराब है; कई इलाकों में, वे बमुश्किल ही सड़कों जैसी दिखती हैं। जल प्रबंधन और सीवेज सिस्टम जैसी ज़रूरी सेवाओं का अभाव है। चिकित्सा सुविधाएँ भी इसी तरह अपर्याप्त हैं, आबादी के सापेक्ष अस्पतालों की कमी है, और जो मौजूद हैं उनमें अक्सर ज़रूरी संसाधनों की कमी होती है। ऐसा लगता है कि नेता सिर्फ़ दिखावटी बनकर रह गए हैं, जो असली मुद्दों को हल करने की उपेक्षा कर रहे हैं। अतीत में, राजनेता अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करते थे, और राजनीति में जो संस्कृति, सभ्यता और शालीनता की भावना थी वो अब गायब हो गई है। आजकल, नेता अक्सर व्यक्तिगत हमलों में शामिल होते हैं, विमर्श की सीमा को पार करते हैं। राजनीति में भाषा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है; लोकतंत्र में, एक नेता की शक्ति भाषा पर उसके नियंत्रण से बहुत हद तक जुड़ी होती है। स्वतंत्रता के बाद से, राजनीतिक परिदृश्य नाटकीय रूप से बदल गया है, साथ ही राजनेताओं के आरोपों के लहज़े और शैली में भी बदलाव आया है। आज कुछ नेता अपने विरोधियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हैं, जबकि अन्य आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं। क्या हमारे राजनीतिक क्षेत्र में गरिमा की कोई भावना बची है? ऐसी भाषा का सहारा लेने से पहले, ये राजनेता देश और उसके नागरिकों के लिए संभावित नतीजों से बेखबर लगते हैं। अपने विरोधियों को कमतर आंकने की कोशिश में, नेता अक्सर ऐसे बयान देते हैं जो न केवल निरर्थक होते हैं बल्कि आपत्तिजनक भी होते हैं। ऐसी टिप्पणियाँ स्वस्थ और रचनात्मक राजनीति के आदर्शों को धूमिल करती हैं। क्या ये नकारात्मक प्रभाव हमारी राजनीतिक व्यवस्था में स्वीकार्य हैं? ये बयान स्वस्थ्य और अच्छी राजनीति की परिकल्पना पर दाग भी लगाते हैं. फिर भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. क्या राजनीति में ये दाग अच्छे हैं?

    हरियाणा विधानसभा में नेताओं द्वारा “गोबर पीने वाले” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दल अक्सर स्वीकार्य भाषा की सीमाओं को लांघ देते हैं। पार्टी नेता अपनी बात बेबाकी से कहते हैं, अक्सर मुखर होकर बोलते हैं। चुनाव के मंच पर आरोप-प्रत्यारोप के अलावा व्यक्तिगत हमले अब संसद और विधानसभाओं में भी होने लगे हैं। उदाहरण के लिए, जब विधायक राजकुमार गौतम ने गोहाना में मिलावटी जलेबी बनने की बात कही, तो गोहाना के विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि गौतम तो गोबर भी पीते हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें जलेबी की गुणवत्ता की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग सार्वजनिक धन की कीमत पर तुच्छ काम कर रहे हैं। हमें सोचना चाहिए कि हमारे देश के भविष्य को आकार देने वालों की भाषा कितनी खराब हो गई है। जागरूक मतदाताओं से ही राजनीतिक विमर्श में सुधार हो सकता है। तर्क-वितर्क और भ्रांतियों के बीच शब्दों के अर्थ विकृत होते जा रहे हैं, जो एक बड़ी चिंता का विषय है। यह स्पष्ट है कि आज के राजनीतिक परिदृश्य में भाषा के सम्मान की अवहेलना की जा रही है, और यह सब उन्हीं सदनों में हो रहा है जो लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए बने हैं। नेताओं द्वारा शब्दों का चयन कई सवाल खड़े करता है। उन्हें यह समझना चाहिए कि उनके अनुयायी उनकी बयानबाजी को ही दोहराएंगे। यह कोई अकेली घटना नहीं है; कई नेताओं ने पहले भी विवादित टिप्पणियों से राजनीतिक क्षेत्र को कलंकित किया है। राजनीतिक मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन वे तेजी से स्पष्ट कलह में बदल रहे हैं। नेताओं को याद रखना चाहिए कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे लोगों में सबसे कटु बात का उत्तर शालीनता से देने का कौशल था।

    भाषा की टूटती मर्यादा आज के समय में घटते राजनीतिक मानकों का पैमाना है। एक नेता की असली क्षमता अक्सर उसके शब्दों के चयन में झलकती है। अगर राजनीतिक नेता यह पढ़ रहे हैं, तो उन्हें यह पहचानना चाहिए कि भाषा का सम्मान उनके कद को बढ़ाता है, जबकि अशिष्टता इसे कम करती है। समर्थक भले ही व्यक्तिगत चुटकुलों का स्वागत करें, लेकिन समझदार मतदाता- जो स्वतंत्र रूप से सोचते हैं- एक ऐसे नेता की स्थायी छाप बनाते हैं जो बाद में चाहे कितनी भी सकारात्मक बातें क्यों न कही जाएं, अपरिवर्तित रहता है। राजनीति में भाषा के बिगड़ने से सवाल करने की क्षमता खत्म हो गई है, क्योंकि नेता अपने बयानों को पूर्ण सत्य के रूप में देखते हैं। अटल बिहारी और इंदिरा गांधी जैसी हस्तियों की वाक्पटुता आज भी लोगों को प्रभावित करती है। दुर्भाग्य से, विरोधी दलों पर तीखे हमले समाज में केवल कलह और अशांति पैदा करते हैं। चुनाव आयोग के लिए ऐसे मानक स्थापित करना महत्वपूर्ण है जो अनुचित टिप्पणी करने वाले नेताओं पर सख्त दंड लगाते हैं। जनता को यह भी सोचना चाहिए कि क्या ऐसा नेता जो ऐसी कठोर और अपमानजनक भाषा का सहारा लेता है, लोकतंत्र के मंदिर में जगह पाने का हकदार है। लोकतंत्र में नेता अपनी शक्ति और अधिकार जनता से प्राप्त करते हैं, जिसका वे प्रयोग भी कर सकते हैं और दुरुपयोग भी कर सकते हैं।