Category: राजनीति

  • पूर्वोत्तर उपचुनावों में भाजपा की जीत मणिपुर में कांग्रेस की संभावनाओं पर डाल सकती है असर

    पूर्वोत्तर उपचुनावों में भाजपा की जीत मणिपुर में कांग्रेस की संभावनाओं पर डाल सकती है असर

    नई दिल्ली| 2022 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगियों ने उत्तर पूर्व उपचुनावों में जोरदार जीत हासिल की है। बता दें कि उपचुनाव के परिणाम मंगलवार को घोषित किए गए। हालांकि कांग्रेस पिछली बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन क्षेत्रीय सहयोगियों के समर्थन से भाजपा ने सरकार बनाई। कांग्रेस पार्टी तब से राज्य में विधायकों के दलबदल का सामना कर रही है।

    राज्य कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने उत्तर पूर्व उपचुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया मांगने के लिए कॉल का जवाब नहीं दिया।

    भाजपा सरकार पर हमला करते हुए, मणिपुर के लिए पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक जयराम रमेश ने ट्वीट किया, “बेंगलुरु स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक, पब्लिक अफेयर्स सेंटर ने शासन के मामले में राज्यों को स्थान दिया है। बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश और छोटे राज्यों में मणिपुर है। यह केंद्र और राज्य में भाजपा के होने का परिणाम है।”

    मणिपुर में कांग्रेस के छह विधायकों ने अगस्त में पार्टी छोड़ दी थी, जब कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के कामकाज की शिकायत करते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाया था। हालांकि, विश्वास मत के दौरान आठ विधायक मतदान से दूर रहे। सत्तारूढ़ गठबंधन में अध्यक्ष सहित 29 विधायक थे, जबकि दलबदल के कारण कांग्रेस की संख्या कम हो गई थी। असम के अलावा, त्रिपुरा, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में भाजपा सरकार का नेतृत्व करती है।

    मंगलवार को उपचुनाव परिणामों की घोषणा के बाद, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी सफलता का श्रेय दिया।

    सरमा ने कहा, “पूर्वोत्तर राज्यों के बहुमुखी विकास के लिए प्रधानमंत्री के चौतरफा मिशन के कारण, लोग एनडीए के सहयोगियों को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। सभी राज्यों में हमारी सफलता के साथ, भाजपा और एनडीए की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।” भाजपा और उसके सहयोगियों ने पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय और मिजोरम की सभी नौ विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, जहां 30 अक्टूबर को मतदान हुआ था। इन राज्यों में कई दशकों तक शासन करने वाली कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली।

  • मप्र के उपचुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों को कड़ा संदेश

    मप्र के उपचुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों को कड़ा संदेश

    भोपाल | मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव सियासी तौर पर निर्वाचित प्रतिनिधियों केा बड़ा संकेत देने वाले रहे हैं। नतीजे बताते हैं कि सभी इलाकों में अपने पूर्व में निर्वाचित स्थानीय प्रतिनिधि को लेकर मतदाताओं में संतोष तो नहीं था। खंडवा संसदीय क्षेत्र में भाजपा का जीत का अंतर बहुत कम हुआ है तो वही तीन विधानसभा क्षेत्रों ने अपने यहां बदलाव कर दिया है।

    राज्य के सबसे रोचक मुकाबला और महत्वपूर्ण पृथ्वीपुर विधानसभा में माना जा रहा था। यहां पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन के कारण उप-चुनाव हुआ और कांग्रेस ने उनके बेटे नितेंद्र सिंह राठौर को उम्मीदवार बनाया था। इस सीट पर कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी और यही कारण था कि भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी।

    पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र तो सियासी मैदान का अखाड़ा ही बन गया था। यहां भाजपा के कई मंत्री और विधायक डेरा डाले रहे तो साथ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। दूसरी ओर कांग्रेस का सारा दारोमदार पूर्व मुख्यमत्री कमल नाथ और स्थानीय नेताओं पर था। कुल मिलाकर भाजपा की डॉ शिशुपाल सिंह यादवको बड़ी जीत हासिल हुई।

    बात सतना की रैगांव विधानसभा सीट की करें तो यहां की जनता ने की अपने प्रतिनिधि में बदलाव किया है। इस बार यहां भाजपा की हार मिली है। यहां कांग्रेस लगभग तीन दशक बाद जीतने में सफल हुई है। यह कांग्रेस ने अपनी रणनीति के मुताबिक पिछला चुनाव हारने वाली कल्पना वर्मा को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया तो वहीं भाजपा ने परिवारवाद के दरकिनार करते हुए प्रतिमा बागरी को मैदान में उतारा। पार्टी के भीतर बड़े पैमाने पर विरोध था और उसका नतीजा सामने आया, परिणाम स्वरूप कांग्रेस के खाते में जीत गई।

    बात अगर अलीराजपुर के जोबट विधानसभा की करें तो यहां पिछला चुनाव कांग्रेस की कलावती भूरिया ने जीता था और उनके निधन के कारण उपचुनाव हुआ था। यहां कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई सुलोचना रावत को मैदान में उतारा और यह फैसला भाजपा के लिए फायदेमंद रहा। सुलोचना रावत ने जीत दर्ज की।

    खंडवा संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां शुरूआती दौर में मुकाबला कमजोर लग रहा था मगर कांग्रेस ने टक्कर दी। यहां बीते एक साल से पूर्व मंत्री अरुण यादव तैयारी कर रहे थे मगर पारिवारिक कारणों से चुनाव लड़ने से इनकार किया तो पार्टी ने राज नारायण को मैदान में उतारा। पिछले चुनाव में नंदकुमार सिंह चौहान लगभग पौने तीन लाख वोटों से जीते थे,तो वही इस बार का अंतर 82 हजार पर आकर सिमट गया । भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल ने जीत दर्ज की।

    कुल मिलाकर इन चारों चुनाव पर गौर किया जाए तो जनता ने एक संदेश तो दे ही दिया है कि अगर स्थानीय जनप्रतिनिधि उसकी इच्छा पर खरा नहीं उतरेगा, तो वह सबक सिखाने में पीछे नहीं रहेगी । यही कारण रहा कि जिन स्थानों पर पिछले चुनाव में कांग्रेस जीती थी पृथ्वीपुर और जोबट तो वहां अब भाजपा में कब्जा किया है। इसके अलावा रैगांव की जनता ने भाजपा को हराकर कांग्रेस के उम्मीदवार को चुना है इसकी तरह खंडवा में भी भाजपा की जीत का अंतर एक चौथाई के करीब रह गया है।

  • यूपी के 169 विधानसभा क्षेत्रों में वीआईपी फूलन देवी की प्रतिमाएं बांटेगी

    यूपी के 169 विधानसभा क्षेत्रों में वीआईपी फूलन देवी की प्रतिमाएं बांटेगी

    लखनऊ| उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में उतर रही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) 169 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच पूर्व डाकू रानी से नेता बनीं फूलन देवी की प्रतिमाएं बांटेगी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने वीआईपी को 25 जुलाई को फूलन की पुण्यतिथि के मौके पर 18 मंडल मुख्यालयों में उनकी 18 फीट की मूर्ति स्थापित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

    वीआईपी नेता इस दिन को ‘शहादत दिवस’ के रूप में भी मनाना चाहते थे।

    वीआईपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी 15 नवंबर से दिवंगत नेता की प्रतिमाएं बांटेगी।

    वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा, “पार्टी अब पूर्वाचल में निषाद भाइयों और बहनों के हर घर में उनकी प्रतिमा स्थापित करेगी। हमने जिन 169 सीटों की पहचान की है, उनमें 12-18 प्रतिशत निषाद मतदाता हैं। पार्टी का जनसंपर्क कार्यक्रम 15 नवंबर से हर ब्लॉक में शुरू हो जाएगा।”

    वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी बिहार के मंत्री भी हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, “इन निर्वाचन क्षेत्रों में हर ब्लॉक में मूर्तियों का वितरण किया जाएगा।”

    पार्टी का उद्देश्य उनकी विरासत को ऐसे समय में भुनाना है, जब अन्य निषाद नेता और निषाद केंद्रित राजनीतिक संगठन भी उनकी विरासत पर अपना दावा ठोक रहे हैं।

    फूलन देवी ने सांसद के रूप में अपने कार्यकाल में कई मौकों पर निषादों के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया था और अधिकांश निषाद-केंद्रित दल अभी भी इसके लिए लड़ रहे हैं।

    वीआईपी ने अक्टूबर में पूर्वाचल के 13 जिलों में आयोजित अपनी निषाद जनचेतना रैलियों को अभी खत्म किया है। इसने फूलन देवी को ‘वीरांगना’ (शहीद महिला) के रूप में संबोधित करना भी शुरू कर दिया है।

    फूलन देवी का जन्म अगस्त 1963 में जालौन के शेखपुर गुढ़ा का पुरवा गांव में एक मल्लाह परिवार में हुआ था। पार्टी के पैम्फलेट में उल्लेख किया गया है कि गांव में एक ‘विशिष्ट समुदाय’ द्वारा उसे बिना रुके उत्पीड़न के लिए रखा गया था, लेकिन वह ‘नहीं झुकीं’ और अंतत: संसद के लिए अपना रास्ता बना लिया।

     

  • पूर्वोत्तर के 3 राज्यों की 9 विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती शुरू

    पूर्वोत्तर के 3 राज्यों की 9 विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती शुरू

    गुवाहाटी/शिलांग/आइजोल| पूर्वोत्तर के 3 राज्यों असम, मेघालय और मिजोरम की 9 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों के लिए मतगणना मंगलवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और सख्त कोविड-19 प्रोटोकॉल के बीच शुरू हो गई। यह जानकारी चुनाव अधिकारियों ने दी। असम की 5, मेघालय की 3 और मिजोरम की एक विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे।

    भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और कई अन्य स्थानीय दलों ने 3 पूर्वोत्तर राज्यों की 9 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।

    गुवाहाटी में चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि गोसाईगांव, भवानीपुर, तामुलपुर, मरियानी और थौरा विधानसभा क्षेत्रों की मतगणना 5 जिलों के 18 मतगणना हॉल में की जा रही है।

    शनिवार को हुए उपचुनाव में 5 विधानसभा सीटों के करीब 8 लाख योग्य मतदाताओं में से 73.77 फीसदी ने 31 उम्मीदवारों के लिए मतदान किया था।

    कोरोना संक्रमण के कारण यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के दो मौजूदा विधायकों की मौत के कारण उपचुनाव कराए गए थे, जबकि कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के दो विधायक अपनी विधानसभा सदस्यता को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।

    मेघालय में पूर्वी खासी हिल्स और पश्चिमी गारो हिल्स जिलों में मावरिंगकेंग, राजाबाला और मावफलांग विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती शुरू हो गई है।

    3 विधानसभा सीटों पर 13 उम्मीदवारों के लिए 1,02,695 योग्य मतदाताओं में से 80.86 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने वोट डाला था।

    यह उपचुनाव मौजूदा विधायकों, डेविड ए. नोंगरम (कांग्रेस, मावरिंगकनेंग), आजाद जमान (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, राजाबाला) और सिंटार क्लास सुन्न (निर्दलीय, मावफलांग) के निधन के बाद कराया गया।

    मिजोरम में, कोलासिब गवर्नमेंट कॉलेज में तुइरियाल विधानसभा क्षेत्र के लिए वोटों की गिनती शुरू हुई। शनिवार को हुए उपचुनाव में 18,582 योग्य मतदाताओं में से 81.29 प्रतिशत से अधिक ने 4 उम्मीदवारों के लिए मतदान किया।

    असम की सीमा से लगे कोलासिब जिले में तुइरियाल विधानसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव जोरम पीपुल्स मूवमेंट के मौजूदा विधायक एंड्रयू एच थंगलियाना के निधन के बाद हुआ था।

     

  • हिमाचल उपचुनाव : मतगणना शुरू

    हिमाचल उपचुनाव : मतगणना शुरू

    शिमला| हिमाचल प्रदेश में मंडी संसदीय क्षेत्र और तीन विधानसभा सीटों फतेहपुर, जुब्बल-कोटखाई और अर्की में हुए मतदान के लिए मतगणना मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गई। यह जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पलरासु ने दी। इसके नतीजे दोपहर तक आने की उम्मीद है।

    पलरासु ने कहा कि मंडी संसदीय क्षेत्र के लिए 11 और सभी विधानसभा क्षेत्र के लिए 3 मतगणना पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं।

    साथ ही सभी मतगणना टेबल पर एक माइक्रो ऑब्जर्वर भी लगाया गया है।

    उन्होंने कहा कि 30 अक्टूबर को हुए चुनाव के दौरान मंडी लोकसभा क्षेत्र में 57.73 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

    कांगड़ा जिले के फतेहपुर निर्वाचन क्षेत्र में मतदान प्रतिशत 66.20 प्रतिशत रहा, जबकि सोलन जिले के अर्की में 64.97 प्रतिशत और शिमला जिले के जुब्बल-कोटखाई में 78.75 प्रतिशत मतदान हुआ।

     

  • मीडिया के लिए बड़ी चुनौती है यूपी के विधानसभा चुनाव

    मीडिया के लिए बड़ी चुनौती है यूपी के विधानसभा चुनाव

    यूपी के विधानसभा चुनावनिल सिन्हा
    भारतीय मीडिया खबरों का माध्यम नहीं रह गया है और मनोरंजन करने की अपनी क्षमता भी खो चुका है। ख़बरों की उम्मीद तो लोगों ने पहले ही छोड़ दी थी, अब उन्हें मनोरंजन की उम्मीद भी नहीं रह गई है। हर एक माध्यम का अपना नियम होता है। भारतीय मीडिया ने पहले खबरोें की दुनिया के नियम तोड़े और अब मनोरजन के नियमों को भी तोड़ रहा है।

    यह सचमुच तकलीफ की बात है कि एक समृद्ध विरासत वाले मीडिया की यह दुर्गति हुई है। भारत के अनोखे आज़ादी के आंदोलन से उभरी पत्रकारिता का यह हाल होगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था। भारत का आज़ादी आंदोलन दुनिया का अकेला आंदोलन था जिसका उद्देश्य दुश्मन का मिटाना नहीं था। गाँधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के आधार पर इसे इस तरह खड़ा किया कि अंग्रेज़ों के खिलाफ नहीं बल्कि अंग्रेजी सत्ता के लहलाफ नफ़रत थी। भविष्य की पीढ़ी को इस पर आश्चर्य होगा कि राजनीतिक संघर्ष इतना मनवीय भी हो सकता है. यही वजह है कि सत्याग्रह और सिविल नाफरमानी को डॉक्टर लोहिया एक अनोखा अविष्कार मानते थे। जाहिर है सेकुलरिज्म और हर तबके को बराबरी आज़ाद भारत का वैचारिक आधार बना। बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान के जरिये इसे औपचारिक रूप दिया और सच्चे लोकतंत्र की नींव रखी।
    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दबावों से मुक्त मीडिया इस लोकतंत्र का एक हिस्सा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लोकतंत्र के खिलाफ काम करने वाली ताकतों ने इस पर कब्ज़ा कर लिया है।
    मीडिया के इस आत्म-समपर्ण को हम आसानी से पहचान सकते हैं। खेल का मैदान हो या चुनावी संघर्ष, महामारी हो या प्राकृतिक आपदा, अर्थतंत्र हो या कानून व्यवस्था, हर जगह मीडिया अपने पतन का सबूत देता रहता है। वह क्रिकेट के मैच में मजहबी रंग ढूंढता है और इसका इस्तेमाल समाज में नफरत फैलाने के लिए करता है। खबरों से काम नहीं चलता है तो अफवाहों और मनगढ़ंत खबरों का सहारा लेता है।

    हाल ही में हुए भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से खुशियां मनाये जाने की ख़बरें इसका उदाहरण हैं। कौन नहीं जानता कि भारत के मुसलामानों ने पाक्सितान जाने के विकल्प को ठुकरा कर यहीं रहना तय किया। यह भी ऐतिहासिक तथ्य है कि १९४७ में दंगों के कारण पाकिस्तान गए मुसलमान भी भारत वापस आना चाहते थे और अगर उन्हें मौका मिला होता तो लोग बड़ी संख्या में वापस लौट आते। ऐसे में, आरएसएस की इस काल्पनिक और आधारहीन अवधारणा को सच मान लेना कि मुसलमान पाकिस्तान के समर्थक हैं अल्पसंख्यकों के साथ कितना बड़ा अन्याय है. भारतीय मीडिया का बड़ा हिस्सा इस अपराध का दोषी है।

    हमारा मीडिया सत्ताधारी पार्टी और उसकी विचारधारा का किस तरह भोपूं बन गया है यह हम सिर्फ साम्प्रदायिकता से जुड़े सवालों में नहीं देखते, बल्कि प्रत्येक सवाल में देखते हैं। यह हमें ऐसे सवालों में भी नज़र आता है जो देश को स्थायी नुक्सान पहुंचाने वाले हैं। नोटबंदी ने हमारे असंगठित क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया। लाखों लोगों ने रोजगार गँवा दिया और मध्यवर्ग को भी असीम दिक्कतें उठानी पड़ी, लेकिन भारत का मीडिया सत्ता से सवाल करने से बचता रहा।
    कोरोना की महामारी में भी हमने देखा कि लोगों ने ऑक्सीजन क्वे आभाव में दम तोड़ दिया और गरीबों ने परिजनों का दाह संस्कार किये बिना उन्हें गंगा की रेत में दबा दिया। लेकिन एकाध अख़बारों और चैनलों को छोड़ कर किसी ने सत्ता की आँख में आँख डाल कर सवाल करने की हिम्मत नहीं की।

    लखीमपुर खीरी की घटना का असली कहानी सोशल मीडिया ने ही बाहर लायी। इसी ने किसानों पर गाड़ी चलाने की खबर प्रसारित की और आज कम से कम एक मंत्री का बेटा सलाख़ों के पीछे है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण उदाहरण है सर्वजनिक सम्पत्तियों के बेचने का। देश की संपत्ति चुने हुए पूंजीपति घरानों को सौंपे जा रहे हैं। हवाई अड्डा, रेल, सड़क तो बेचे ही जा रहे हैं, उन उद्योगों को भी बेचा जा रहा है जो जनता की कमाई और उनके श्रम से खड़े हुए हैं। खेती के तीन क़ानून भी कृषि क्षत्र को पूंजीपतियों को सौंपने के इरादे से बने हैं। मीडिया इन मुद्दों को उठाने क्वे बदले इधर-उधर की बातें कर रहा है।

    सबसे बड़ी चुनौती तो उत्तर प्रदेश के चुनावों के रूप में सामने आ रही है। मीडिया ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। उसने नयी नयी कथाएं शुरू कर दी हैं। ऐसी ही एक कथा चुनाव मैनेजर प्रशांत किशोर के हवाले से प्रसारित हो रही है कि बीजेपी अब सालों तक रहेगी। इसमें नया क्या है ? मोदी और शाह तो इसे कई बार कह चुके हैं। मीडिया ओवैसी को रोज दिखने लगा है और विपक्ष में विभाजन की कहानियां बताने लगा है। जान सरोकारों वाले मीडिया की यही चुनौती है कि घुटना टेक चुके मीडिया का मुक़ाबला करे और उत्तर प्रदेश के चुनावों को धार्मिक विभाजन और झूठी कहानियों से मुक्त करे। उत्तर प्रदेश के चुनाव भारत में लोकतंत्र के भविष्य को तय करेंगे।

  • यूपी: जिन्ना का महिमामंडन कर विवादों में घिरे अखिलेश यादव

    यूपी: जिन्ना का महिमामंडन कर विवादों में घिरे अखिलेश यादव

    लखनऊ | समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हरदोई में पार्टी की एक रैली में मुहम्मद अली जिन्ना का महिमामंडन कर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।

    उन्होंने रविवार को रैली में कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और (मोहम्मद अली) जिन्ना ने एक ही संस्थान से पढ़ाई की और बैरिस्टर बने और उन्होंने आजादी दिलाई।”

    हालांकि, बीजेपी ने सपा अध्यक्ष को यह कहने के लिए फटकार लगाई है कि जिन्ना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नायक थे।

    एक ट्वीट में जहां उन्होंने अखिलेश यादव के भाषण की एक वीडियो क्लिप को टैग कर उसमें लिखा, “सरदार पटेल की जयंती पर, अखिलेश यादव जिन्ना की प्रशंसा क्यों कर रहे हैं?”

    बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर चुके अखिलेश यादव की यह बात सुनकर मुलायम सिंह भी अपना सिर ऊंचा रखेंगे। देश मुहम्मद अली जिन्ना को बंटवारे का खलनायक मानता है। जिन्ना को आजादी का हीरो कहना ही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है।”

    बीजेपी सांसद बृजलाल ने अखिलेश यादव पर मुस्लिम तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति को राष्ट्रीय भावनाओं से ऊपर रखने का भी आरोप लगाया।

    अब तक अखिलेश यादव ने अपने अभियान को भाजपा सरकार के खराब शासन और किसानों, युवाओं और महिलाओं की दुर्दशा पर केंद्रित किया है।

    उन्होंने जानबूझकर मुस्लिम तुष्टीकरण में शामिल होने से किनारा कर लिया है लेकिन जिन्ना पर उनकी टिप्पणियों ने अब उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया है।

  • पीएम मोदी आज उच्च स्तरीय सीओपी26 को करेंगे संबोधित

    पीएम मोदी आज उच्च स्तरीय सीओपी26 को करेंगे संबोधित

    नई दिल्ली/ग्लासगो | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम को जलवायु परिवर्तन पर सीओपी26 में उच्च स्तरीय ‘एक्शन एंड सॉलिडेरिटी: द क्रिटिकल डिकेड’ सेगमेंट को संबोधित करेंगे। सीओपी26 रविवार को शुरू हुआ और 12 नवंबर को समाप्त होगा।

    नई दिल्ली में एक अधिकारी ने कहा, “दो दिवसीय उच्च-स्तरीय सेगमेंट के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी दोपहर लगभग 3 बजे (भारतीय समय अनुसार शाम लगभग 8.30 बजे) संबोधित करेंगे।”

    मोदी दोपहर 12 बजे (ग्लासगो के समय अनुसार) सीओपी26 उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे और उच्च स्तरीय आयोजन से पहले, वह अपने यूके समकक्ष बोरिस जॉनसन के साथ एक द्विपक्षीय बैठक में शामिल होंगे।

    इससे पहले, दिन के लिए उनका कार्यक्रम सुबह 10 बजे समुदाय के प्रतिनिधियों, भारतीय डायस्पोरा और भारतविदों से मिलने के साथ शुरू होगा।

    जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने और वेटिकन में पोप फ्रांसिस के साथ आमने-सामने की बैठक सहित कई द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेने के बाद, मोदी रविवार देर शाम रोम से ब्रिटेन के लिए रवाना हुए।

  • अमित शाह बोले- सपा, बसपा, कांग्रेस परिवारवादी पार्टियां भाजपा रखती है विकास का माद्दा

    अमित शाह बोले- सपा, बसपा, कांग्रेस परिवारवादी पार्टियां भाजपा रखती है विकास का माद्दा

    लखनऊ | गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लखनऊ में यूपी के चुनावी मिशन का आगाज कर दिया। उन्होंने विपक्षियों पर जमकर निशाना साधा कहा कि बीते 5 सालों में जो लोग घर पहुंच गए थे, वे नए कपड़े पहनकर आ गए हैं कि हमारी सरकार बनेगी। सपा बसपा पारीवारिक पार्टियां हैं, सिर्फ भाजपा ही यूपी के 22 करोड़ लोगों का विकास करने का माद्दा रखती है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मेरा परिवार-भाजपा परिवार सदस्यता अभियान का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछली पार्टियों इतने गड्ढे छोड़ दिए कि किसी के बस की नहीं थी, इन्हें भरना लेकिन भाजपा ने दिखाया कि ये कैसे होता है। सपा, बसपा और कांग्रेस परिवारवादी पार्टी भाजपा के अन्दर ही विकास करने माद्दा है। अमित शाह ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि आप कहते थे कि मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे। आपको बताना चाहता हूं कि राम मंदिर की नींव भी रख दी गई है और आप 5,000 रुपया भी देने से चूक गए। अमित शाह ने कहा कि परिवारवादी पार्टी और भाजपा में यही फर्क है। हमारा वादा था कि हम कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाएंगे। इसके लिए हमारे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए बलिदान भी दिया था। अब जाकर हमने इस वादे को पूरा किया है।इस दौरान अमित शाह ने कहा कि मेरा परिवार भाजपा परिवार के नाम से सदस्यता अभियान की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि नवंबर और दिसंबर में यह अभियान चलेगा। गृह मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि महिलाओं, युवाओं और पिछड़ों समेत सभी वर्गों को भाजपा से जोड़ा जाए।

    शाह ने कहा कि भाजपा जनता की इच्छा से ही घोषणा पत्र तैयार करती है। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार ने 90 फीसदी वादों को पूरा कर दिया है। यही नहीं मंच से ही अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ से कहा कि अभी दो महीने बाकी हैं और आप इसे 100 फीसदी तक ले जाइए। भाजपा का यह सदस्यता अभियान नवंबर और दिसंबर महीने में चलेगा। अखिलेश यादव पर सीधा वार करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह प्रदेश महात्मा बुद्ध की कर्मभूमि है। भगवान शिव की धरती काशी है। लेकिन कई सालों से लोगों को यह अहसास नहीं होता था। मुगलों के शासन से लेकर 2017 तक ऐसा महसूस नहीं होता था। 2017 में जब भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार आई तो उसने यूपी को उसकी पहचान वापस दिलाई। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहली बार सिद्ध किया है कि सरकारें परिवारों के लिए नहीं गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए होती हैं।

    शाह ने कहा कि आज किसी की हिम्मत नहीं है पलायन कराने की। पहले हर जिले में दो-तीन बाहुबली थे लेकिन आज दूरबीन लेकर भी देखता हूं तो कोई बाहुबली नजर नहीं आता। आज 16 साल की बच्ची भी गहने लादकर रात 12 बजे भी स्कूटी पर निकल सकती है। मोदी जी ने प्रदेश के हर घर में बिजली पहुंचाई। हमने 11 करोड़ घरों में गैस पहुंचाया, जिसे पहले लोग मजाक समझते थे। 10 करोड़ लोगों को घर देने का लक्ष्य रखा है जो जल्द पूरा होगा। आप लोगों ने 2019 में दोबारा और 2017 में भाजपा की सरकार बनवाई। मोदी जी अगर पूर्ण बहुमत के साथ दो बार जीते हैं तो उसका पूरा श्रेय यूपी की महान जनता को जाता है। दिल्ली का रास्ता लखनऊ से ही होकर जाता है।

    आपने दोबारा दो-तिहाई बहुमत से जिताया तो मोदी जी ने मंदिर का शिलान्यास कर दिया और देखते ही देखते मंदिर बन जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि 2017 में जब यूपी हमें मिला था तो इसकी अर्थव्यवस्था सातवें नंबर पर थी लेकिन अब ये दूसरे नंबर है। ईज ऑफ डूइंग में 14वां स्थान था और अब दूसरे स्थान पर यूपी है। बेरोजगारी आप 18 प्रतिशत छोड़ गए थे अब 4 प्रतिशत है। 2022 से पहले यूपी में 40 मेडिकल कॉलेज होंगे। पहले धान की खरीद पर 17 हजार करोड़ भुगतान होता था अब 38 हजार करोड़ होता है। हवाई अड्डे चार थे अब नौ बन गए हैं। एक्सप्रेसवे भी बने। कहा सबसे ज्यादा अस्पताल यूपी में बने, 400 ऑक्सीजन प्लांट लगने वाले हैं 193 लग चुके हैं। यूपी में अपराध के क्षेत्र में भयंकर सुधार किया योगी जी ने। एक लाख से ज्यादा पुलिसकर्मियों की भर्ती की गई। इसमें कोई भ्रष्टाचार भी नहीं है।

  • यूपी : अखिलेश के संसदीय क्षेत्र में विश्वविद्यालय की नींव रखेंगे अमित शाह

    यूपी : अखिलेश के संसदीय क्षेत्र में विश्वविद्यालय की नींव रखेंगे अमित शाह

    लखनऊ| केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 13 नवंबर को आजमगढ़ में एक विश्वविद्यालय की नींव रखेंगे और इस मौके पर एक विशाल रैली को भी संबोधित करेंगे। आजमगढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र है।

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को यह घोषणा पार्टी की बैठक में की।

    उन्होंने कहा, “आजमगढ़ ने दो मुख्यमंत्रियों, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की जीत सुनिश्चित की, लेकिन जिला अभी तक एक पहचान के संकट का सामना कर रहा है। हम आजमगढ़ में एक विश्वविद्यालय खोलने जा रहे हैं और इसकी नींव 13 नवंबर को अमित शाह रखेंगे।”

    उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से इस अवसर पर एक विशाल रैली की तैयारी शुरू करने की भी अपील की और कहा कि आजमगढ़ के लोगों को एक हवाई अड्डा और एक्सप्रेसवे का उपहार भी मिलेगा।

    योगी आदित्यनाथ ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे 2017 के बाद राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद हुए परिवर्तनों के बारे में लोगों को बताएं।

    “पहले के मुख्यमंत्री अपने लिए घर बनाते थे, लेकिन हमने 43 लाख लोगों के लिए घर बनाए हैं। इसी तरह, पहले केवल चुनिंदा जिलों को ही बिजली मिलती थी, लेकिन अब सभी जिलों को बिना किसी भेदभाव के बिजली मिल रही है।”

    सपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “मुख्यमंत्री को उन परियोजनाओं की सूची भी देनी चाहिए जो आजमगढ़ और सपा के प्रतिनिधित्व वाले अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में रुकी हुई हैं। हम इसे रैली के बाद करेंगे।”