मरते दम तक मैं रखूँ, दिल में हिन्दुस्तान

सत्यवान ‘सौरभ’ लाज तिरंगें की रहे, बस इतना अरमान । मरते दम तक मैं रखूँ, दिल में हिन्दुस्तान ।। ●●● बच पाए कैसे भला, अपना हिन्दुस्तान । बेच रहे हैं…

मांग रही क्यों बेटियाँ, आज दया उपहार

●●● कभी बने है छाँव तो, कभी बने हैं धूप ! सौरभ जीती बेटियाँ, जाने कितने रूप !! ●●● जीती है सब बेटियाँ, कुछ ऐसे अनुबंध ! दर्दों में निभते…

वजीर-ए-आलम डरता है!

केएम भाई  हर गली हर चौराहा खुद से पूछता है, क्या तुम्हारे मुल्क का वजीर-ए-आलम डरता है ..   तुम्हारे मुल्क में लोकतंत्र इतना सस्ता क्यों, कि नारे लगाने वाला…