Category: देश/विदेश

  • हाजियों की मौतों से सऊदी सरकार की हुई बड़ी किरकिरी 

    हाजियों की मौतों से सऊदी सरकार की हुई बड़ी किरकिरी 

    हज यात्रा में बरस रही आग, 90 भारतीय समेत 900 की मौत

    दीपक कुमार तिवारी

    विदेश से आई यह ख़बर मनहूस करने वाली है। सऊदी अरब में भीषण गर्मी के बीच इस साल हज यात्रा के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि लोग अपने प्रियजनों के शव मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
    हर मुस्लिम में अपने जीवन में एक बार हज यात्रा पर जाना चाहता है। हज 2024 के दौरान दुनियाभर से मुसलमान सऊदी अरब के मक्का और मदीना पहुंचे। लेकिन भीषण गर्मी और लू के कारण यहां 90 भारतीयों समेत 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
    ऐसे में सऊदी सरकार की दुनिया भर में किरकिरी हुई है। क्योंकि सरकार ने गर्मी से निपटने के लिए जरूरी इंतजाम नहीं किए। अभी तक सऊदी सरकार की ओर इस पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न ही मौतों की संख्या को लेकर कोई खुलासा किया है। हालांकि अभी भी सैकड़ों मुस्लिम परिवार अपने परिजनों के शव को वतन ले जाने के लिए इंतजार कर रहे हैं।
    विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पांच दिवसीय हज यात्रा के दौरान कम से कम 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर के 18 लाख से अधिक मुसलमान इस बार हज यात्रा में हिस्सा लिया था। इस दौरान भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिला। सोमवार को मक्का में अधिकतम तापमान 51.8 डिग्री तक पहुंच गया। न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार अकेले मिस्त्र में ही कम से कम 600 लोगों की मौत हो गई। वहीं अलग-अलग देशों द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अब तक 992 लोगों की मौत हो गई।
    सऊदी के राजनयिकों की मानें तो पांच दिवसीय हज यात्रा के दौरान 80 भारतीयों की भी मौत हो गई। मारे गए सभी हजयात्रियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई। मिस्र के अलावा जाॅर्डन, इंडोनेशिया, ईरान, ट्यूनीशिया, ईराक के अलावा सेनेगल ने अपने-अपने नागरिकों की मौत की पुष्टि की है। हालांकि कई मामलों में अधिकारियों ने कारण नहीं बताया है।
    मारे गए हजयात्रियों के परिजन सोशल मीडिया के जरिए अपने रिश्तेदारों की सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। ताकि उनके बारे उन्हें कोई जानकारी मिल सके। बता दें कि हज इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है। इस्लामी कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से अलग होता है और ये हर साल बदलता रहता है।

  • बिकने वाली है हल्दीराम ,खरीदने में जुटी हैं 3 विदेशी कंपनियां

    बिकने वाली है हल्दीराम ,खरीदने में जुटी हैं 3 विदेशी कंपनियां

    जब से हल्दीराम ब्रांड के बिकने की बात सामने आई है, लोगों में चर्चा है कि आखिर यह ब्रांड बिकने की नौबत पर क्यों आया? करीब 87 साल पुराना यह ब्रांड देश और दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। इस ब्रांड के नमकीन देश के लगभग हर घर में पहुंचते हैं। इनकी बिक्री भी काफी होती है। इस ब्रांड को इस बार जिन कंपनियों ने खरीदने में रुचि दिखाई है उनमें दुनिया के सबसे बड़े प्राइवेट इक्विटी फंड ‘ब्लैकस्टोन’, अबू धाबी इंवेस्टमेंट अथॉरिटी और सिंगापुर के जीआईसी शामिल हैं। तीनों विदेशी कंपनियां हैं। हालांकि अभी खरीदारी पूरी नहीं हुई है। सिर्फ बात चल रही है। इस बारे में हल्दीराम की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।

    70 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी खरीदने का ऑफर

    हल्दीराम देश की सबसे बड़ी स्नैक और फूड कंपनी है। कंपनी के दुनियाभर में काफी जगह स्टोर भी हैं जहां कंपनी नमकीन के साथ खाना भी मुहैया कराती है। जिन तीन कंपनियों ने हल्दीराम को खरीदने का ऑफर दिया है, वे हल्दीराम में 74 से 76 फीसदी की हिस्सेदारी चाहती हैं। यह खरीदारी ब्लैकटोन के नेतृत्व में होगी। इस समय हल्दीराम की कुल वैल्यू करीब 70 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है।

    खरीदारी अभी होल्ड पर

    हल्दीराम कंपनी अभी तीन हिस्सों में कारोबार करती है। यह तीनों हिस्से परिवार के बीच में बंटे हुए हैं। परिवार एक हिस्सा कोलकाता से, दूसरा नागपुर से और तीसरा दिल्ली से इस कारोबार को संभालता है। इस डील में सिर्फ दिल्ली और नागपुर से जुड़ा हल्दीराम का बिजनेस ही शामिल होगा। कोलकाता के जिस परिवार के पास हल्दीराम का बिजनेस है, वह देशभर में हल्दीराम के नाम से रेस्टोरेंट चलाता है। वह इस डील का हिस्सा नहीं होगा। अभी हल्दीराम ने इस डील को होल्ड पर रखा है। अगर यह डील होती है तो देश की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्विटी खरीदारी की डील होगी। इससे पहले पिछले साल भी हल्दीराम के बिकने की बात सामने आई थी। उस समय यह बात सामने आई थी कि टाटा ग्रुप हल्दीराम में करीब 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीद सकता है। हालांकि बाद में यह सौदा पूरा नहीं हो पाया।

    बिकने की नौबत आने के ये हैं 3 कारण

    1. परिवार की नई पीढ़ी इस बिजनेस को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं दिखा रही है।
    2. नई पीढ़ी ने खुद को कंपनी के डे टू डे ऑपरेशन से भी अलग कर लिया है।
    3. परिवार से जुड़े शख्स ने खुद को CEO पर पर नियुक्त करने के बजाय केके चुटानी को यह जिम्मेदारी दी है।

     

  •  कंबोडिया अंगकोर एयर ने 16 जून से नोम पेन्ह नई दिल्ली सीधी उड़ान की शुरू

     कंबोडिया अंगकोर एयर ने 16 जून से नोम पेन्ह नई दिल्ली सीधी उड़ान की शुरू

    ऋषि तिवारी
    नई दिल्ली। कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज वाहक, कंबोडिया अंगकोर एयर कंपनी लिमिटेड (IATA कोड: K6) ने कंबोडिया की जीवंत राजधानी, नोम पेन्ह और नई दिल्ली के हलचल भरे महानगर के बीच सीधी उड़ानें शुरू करने की घोषणा की। भारत। उड़ान कोड K6760/K6761 के तहत सप्ताह में चार बार (सोमवार, बुधवार, शुक्रवार और रविवार) उड़ान भरने के लिए तैयार, यह अभूतपूर्व सेवा इन दोनों देशों के बीच पहली बार सीधे संपर्क का प्रतीक है, जो निर्बाध हवाई यात्रा के एक नए युग की शुरुआत करती है।
    2024 के “कंबोडिया-भारत सांस्कृतिक पर्यटन वर्ष” के दौरान कंबोडिया अंगकोर एयर की सीधी उड़ानों की ऐतिहासिक शुरुआत, दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यटक आदान-प्रदान को बढ़ाने की दिशा में एक गहरा कदम है।

     

     

    “हमारी ऐतिहासिक प्रत्यक्ष सेवा के माध्यम से भारत और कंबोडिया के बीच पारंपरिक मित्रता को गहरा करना मेरे लिए सम्मान की बात है। हम सुरक्षित और आरामदायक यात्राएं प्रदान करते हुए ‘खमेर स्माइल’ को गर्मजोशी से दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं; जल्द ही सिएम रीप को दिल्ली और नोम पेन्ह को भारत के अन्य शहरों से जोड़ने वाले नए मार्ग खोलने की योजना है,” कंबोडिया टूरिज्म बोर्ड (सीटीबी) के निदेशक, कंबोडिया अंगकोर एयर के उपाध्यक्ष और सीईओ डॉ. डेविड युहोंग झान कहते हैं। उन्होंने यह भी कहा, “यह नया मार्ग न केवल कंबोडिया और भारत के बीच सीधी कनेक्टिविटी की बढ़ती मांग को पूरा करता है, बल्कि यात्रियों को अद्वितीय सेवा, आराम और सुविधा प्रदान करने के हमारे समर्पण को भी मजबूत करता है।”

     

    रोड शो के दौरान एच.ई. भारत में कंबोडिया के राजदूत कुओंग कोय ने रेखांकित किया कि कैसे सीधी उड़ानें भारतीय उद्यमियों को जीवंत कंबोडिया में निवेश करने की सुविधा प्रदान करती हैं, जबकि एच.ई. कंबोडिया पर्यटन मंत्रालय की अवर सचिव सेइला हुल ने भारतीय पर्यटकों को हार्दिक निमंत्रण दिया। इसके अलावा, दोनों देशों के पर्यटन और नागरिक उड्डयन के साथ-साथ मीडिया आउटलेट्स के लगभग दो सौ प्रतिनिधियों ने विभिन्न सहयोग के अवसरों की खोज करते हुए इस कार्यक्रम में भाग लिया।
    उद्घाटन उड़ान के लिए श्रद्धांजलि के रूप में, कंबोडिया अंगकोर एयर कंबोडियाई और भारतीय आतिथ्य का सर्वोत्तम अनुभव करने के लिए इस मार्ग पर टिकट बुक करने वाले यात्रियों के लिए विशेष प्रचार किराया प्रदान करेगा। बुकिंग पूछताछ और कंबोडिया अंगकोर एयर के नोम पेन्ह से दिल्ली मार्ग के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया www.cambodiaangkorair.com पर जाएं।

     

    ‘कंबोडिया अंगकोर एयर के बारे में

    कंबोडिया अंगकोर एयर ने कंबोडिया राष्ट्रीय ध्वज वाहक के रूप में काम किया है, जिसका इतिहास 1956 में खोजा जा सकता है। यह न केवल वाणिज्यिक उड़ानों, बल्कि शाही और सरकारी वीआईपी मिशनों को भी संभालता है। एक मजबूत प्रबंधन प्रणाली के साथ, यह आईओएसए सुरक्षा ऑडिट प्रमाणन प्राप्त करने वाला एकमात्र कंबोडियाई वाहक है, जो उत्कृष्टता, सुरक्षा और ग्राहक संतुष्टि के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को पहचानता है। विमान के आधुनिक बेड़े और सेवा उत्कृष्टता के प्रति समर्पण के साथ, कंबोडिया अंगकोर एयर क्षेत्र में हवाई यात्रा के लिए मानक स्थापित करना जारी रखता है।

  • बीजेपी का आरोप भारत को इस्लामिक देश बनाना चाहती है कांग्रेस, जाने क्या है मामला?

    बीजेपी का आरोप भारत को इस्लामिक देश बनाना चाहती है कांग्रेस, जाने क्या है मामला?

    बीजेपी ने देश में मुस्लिम आबादी बढ़ने की रफ्तार पर चिंता जताई। पार्टी ने हैरानी जताई कि मुसलमानों को आरक्षण देने पर तुली कांग्रेस अगर सत्ता में आती है, तो इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण पर क्या असर पड़ेगा। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की ओर से हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदू आबादी का हिस्सा 7.82 फीसदी घटा। मुसलमानों की आबादी 43.15 फीसदी बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि 1950 में देश में आबादी में जैन समुदाय की हिस्सेदारी 0.45 फीसदी थी। ये 2015 में घट कर 0.36 फीसदी रह गई। यह रिपोर्ट लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की वोटिंग से पहले आई है।

    बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस रिपोर्ट पर कहा, ‘अगर आप 1951 की जनगणना को देखें तो हिंदुओं की आबादी 88 फीसदी और मुसलमानों की 9.5 फीसदी थी। 2011 की जनगणना में हिंदुओं की आबादी 80 फीसदी से घटकर 79.8 फीसदी रह गई जबकि मुसलमानों की आबादी 14.5 फीसदी से अधिक हो गई।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर इस रफ्तार से देश की आबादी बढ़ती है और जिस प्रकार से कांग्रेस मुस्लिमों को आबादी के आधार पर आरक्षण देने पर तुली हुई है तो वे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के हिस्से में कटौती करेंगे।’

    सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ भविष्य में आरक्षण के हिस्से में बदलाव करना जारी रखेगी। उन्होंने कहा, ‘इसकी ज्यादा संभावना है क्योंकि उनमें में कई शादियों का चलन है।’ उन्होंने कहा कि धर्मांतरण और घुसपैठ के कारण भी आरक्षण में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ती रहेगी, क्योंकि उन्हें (कांग्रेस का) धर्मनिरपेक्ष कवर मिल गया है।

    बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह रिपोर्ट कई सवाल उठाती है, क्योंकि एक विशेष समुदाय अपनी जनसंख्या को इस तरह से बढ़ा रहा है जिससे भारत की जनसांख्यिकी के बदल जाने की संभावना है। चंद्रशेखर ने पूछा, ‘मुस्लिमों की आबादी में इस बढ़ोतरी का अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और अवसरों (उपलब्ध) पर क्या प्रभाव पड़ा है? जैन, बौद्ध, सिख और ईसाई भी हैं। क्या इन समुदायों पर असर पड़ा है?’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक दल संविधान को बदलने और धर्म आधारित आरक्षण लाने का बड़ा प्रयास कर रहे हैं।

    1950 से 2015 तक अल्पसंख्यकों के मुकाबले हिंदुओं की आबादी कम होने के संबंध में जारी रिपोर्ट की टाइमिंग को लेकर सियासी घमासान तेज होने लगा है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, CPI-M और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। इन राजनीतिक दलों ने रिपोर्ट को लोकसभा चुनाव के बीच राजनीतिक चाल बताया। CPI-M पोलित ब्यूरो के सदस्य और पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट जारी करने के बजाय सरकार को जनगणना करानी चाहिए। सलीम ने कहा कि 2021 में होने वाली जनगणना को कोविड महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। अगर जनगणना हो जाती तो जनसंख्या की वास्तविक तस्वीर सामने आ जाती। उन्होंने कहा कि आरएसएस के अजेंडे के तहत चुनाव के बीच यह रिपोर्ट जारी की गई है।

    तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य समीरुल इस्लाम ने कहा कि चुनाव के बीच जारी इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बीजेपी में हार का डर बैठ गया है। उन्होंने कहा, ‘इसी डर की वजह से बीजेपी हर तरह के कार्ड खेल रही है। यह कवायद काफी समय पहले शुरू हुई थी और चुनावों के बीच भी जारी है। लेकिन ये चालें इस बार काम नहीं करेंगी।’ पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के सदस्य शुभंकर सरकार ने कहा, ‘2011 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल में हिंदू आबादी में वृद्धि मुसलमानों की तुलना में अधिक थी। तो वे कैसे कह सकते हैं कि भारत में हिंदू खतरे में हैं?’

    बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट पर संदेह जताया। उन्होंने पूछा कि बिना जनगणना कराए केंद्र ने कैसे हिंदू-मुस्लिम जनसंख्या रिपोर्ट तैयार कर ली। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान देश के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हिंदू-मुस्लिम के बीच दरार पैदा कर रही है। उन्होंने पूछा, ‘आप जनगणना कराए बिना ही आंकड़ों पर (कैसे) पहुंच गए? क्या 2021 में जनगणना नहीं होनी थी? आप देश के प्रधानमंत्री हैं…कृपया हिंदू-मुस्लिम की भावना त्यागें और मुद्दों पर बात करें।’

  • नेतन्याहू और बाइडेन हुए आमने सामने, इजरायल ने कहा वो दुश्मनों को नाखूनों से भी नोचेगा

    नेतन्याहू और बाइडेन हुए आमने सामने, इजरायल ने कहा वो दुश्मनों को नाखूनों से भी नोचेगा

    इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के खिलाफ युद्ध में अगर जरूरत पड़ी तो उनका देश ‘अकेला भी खड़ा’ रहेगा. नेतन्याहू का यह बयान, बृहस्पतिवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की उस चेतावनी के बाद आया जिसमें कहा गया है कि अमेरिका, इजराइल को दक्षिणी गाजा शहर रफह पर हमले के लिए हथियार मुहैया नहीं करेगा. इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यदि हमें अकेला खड़ा रहना होगा तो हम अकेले ही खड़े रहेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो हम अपनी पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे….’इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि अगर हथियार खत्म हुए तो एक-एक इजरायली दुश्मनों को नाखूनों से नोचेगा। उन्होंने कहा कि इजरायल हार नहीं मानेगा और अकेले खड़ा रहेगा। इजरायल प्रधानमंत्री जो बाइडन के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि अगर इजरायल राफा में आबादी वाले इलाकों में अपना सैन्य अभियान शुरू करता है तो अमेरिका हथियारों की आपूर्ति रोक देगा। इजरायल राफा पर हमले की तैयारी कर रहा है, जो गाजा में हमास का आखिरी बचा गढ़ है। यहां पर 10 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी मौजूद हैं।

    रफह ऑपरेशन जारी रखेगा इजरायल

    उधर मिस्र के काहिरा में इजरायल-हमास संघर्ष विराम वार्ता विफल होने के बाद इजरायली सेना दक्षिणी गाजा पट्टी के शहर रफह में अपना अभियान जारी रखेगी. एक इजरायली अधिकारी ने मीडिया को ये जानकारी दी. सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि रफह के साथ सीमा पर बड़े पैमाने पर इजरायली सैनिकों की तैनाती की गई है.

    काहिरा छोड़ चुके हैं इजरायली अधिकारी

    एक इजरायली अधिकारी ने गुरुवार को पुष्टि की कि काहिरा में वार्ता विफल होने के बाद इजरायली प्रतिनिधिमंडल काहिरा छोड़ चुका है. अधिकारी ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि क्या इजरायल गाजा के दक्षिणी छोर पर रफह में और अधिक क्षेत्रों में आक्रमण का विस्तार करेगा, जहां लगभग 1.2 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित फिलिस्तीनी शरण लिए हुए हैं.

    ‘इजरायल के पास हैं पर्याप्त हथियार’

    इजरायल के सरकारी स्वामित्व वाले कान टीवी की खबर के अनुसार, रफह पर इजरायल के जारी जमीनी हमले के कारण वार्ता रोक दी गई है. रफह शहर पर हमले गहराने पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इजरायल को हथियारों की सप्लाई रोक दी जाएगी. इस पर टिप्पणी करते हुए इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि उसके पास गाजा में अभियान जारी रखने के लिए पर्याप्त हथियार हैं.

    आईडीएफ के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने एक बयान में कहा, ‘आईडीएफ के पास उन ऑपरेशनों के लिए हथियार हैं जिनकी वह योजना बना रहा है, रफा में ऑपरेशन के लिए भी.’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हमें जो चाहिए वो हमारे पास है.’

  • 127 साल पुरानी गोदरेज ग्रुप के बंटवारे में किसे क्या मिला? जानें

    127 साल पुरानी गोदरेज ग्रुप के बंटवारे में किसे क्या मिला? जानें

    गोदरेज फैमिली जिसे पुराने कारोबारी घरानों में शामिल किया जाता है। एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। बता दें कि गोदरेज ग्रुप 127 साल पुराना है। अब इस ग्रुप को दो हिस्सों में बांटा जाएगा।

    गोदरेज ग्रुप की शुरुआत आजादी से पहले हुई है। इसे देश के सबसे पुराने वाले कारोबारी घरानों में शामिल किया जाता है। गोदरेज ग्रुप एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। दरअसल ग्रुप के बंटवारे पर परिवार द्वारा मौहर लग गई है। बता दें कि गोदरेज ग्रुप की टोटल वैल्यू लगभग 2.34 लाख करोड़ रुपये है।

    गोदरेज कंपनी किस सेक्टर में करता है कारोबार

    गोदरेज कंपनी की स्थापना 1897 में अर्देशिर गोदरेज ने की थी। यह पेशे से वकील थे पर बाद नें वकालत छोड़कर उन्होंने ताला बनाने का बिजनेस शुरू किया। उनके द्वारा बनाए गए ताले मजबूत के साथ किफायती भी थे।इसके बाद उन्होंने साबुन बनाना शुरू किया। उन्होंने स्वेदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर सबसे पहला एनिमल-फैट-फ्री साबुन बनाया। उन्होंने इस साबुन का नाम छवि दिया।1923 में जब मुंबई में चोरी की मामलों में तेजी देखने को मिली तब उन्होंने इस मौके का फायदा उठाकर अलमारी बनाना शुरू किया। इस अलमारी में उन्होंने लॉकर की सुविधा दी जो लोगों को खूब पसंद आई।इस तरह धीरे-धीरे गोदरेज कंपनी ने अपने व्यापार में तेजी लाई और कई सेक्टर में अपने कारोबार को शुरू किया।

    अगर गोदरेज कंपनी के सेक्टर की बात करें तो गोदरेज ग्रुप का व्यापार कई सेक्टर में फैला है। कंपनी का दबदबा एग्रीकल्चर,रियल एस्टेट, रिटेल और स्पेस सेक्टर में भी है। इसका वैल्यूएशन लगभग 2.34 लाख करोड़ रुपये है।वर्तमान में कंपनी 50 से ज्यादा देशों में बिजनेस कर रही है। इसके अलावा गोदरेज ग्रुप में 20 से ज्यादा कंपनियां है।

    गोदरेज ग्रुप के बंटवारे में किसे क्या मिला

    गोदरेज ग्रुप के बंटवारे पर परिवार द्वारा हस्ताक्षर किया गया, उसके बाद ऐलान किया गया। गोदरेज ग्रुप का बंटवारा दो पक्ष में हुआ है। एक पक्ष 82 वर्षीय आदी गोदरेज और उनके 73 वर्षीय भाई नादिर का है वहीं दूसरे पक्ष में 75 वर्षीय जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज हैं।

    न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बाजार में लिस्टिंग कंपनी गोदरेज इंडस्ट्रीज,गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रोपर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफ साइंसेज की जिम्मेदारी आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर गोदरेज को दी गई है। गोदरेज ग्रुप की नॉन-लिस्टिड कंपनियों की जिम्मेदारी जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज को मिली। इसके अलावा इन्हें लैंड बैंक भी मिला है। लैंड बैंक में मुंबई में 3,400 एकड़ की जमीन भी शामिल है।

    गोदरेज ग्रुप में कौन-किस पायदान पर हैं

    जमशेद गोदरेज गोदरेज एंटरप्राइजेज समूह के चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर होंगे।स्मिता गोदरेज की बेटी न्यारिका होल्कर गोदरेज एंटरप्राइजेज समूह जिसमें गोदरेज एंड बायस और सहयोगी कंपनियां शामिल हैं उसकी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर होंगी।नादिर गोदरेज गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह के चेयरपर्सन होंगे। गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह में गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रापर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज शामिल है।इस बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्षों ने ग्रुप के बोर्ड से इस्तीफा दिया है। आदी और नादिर गोदरेज ने गोदरेज एंड बायस के बोर्ड से इस्तीफा दिया है। वहीं, जमशेद गोदरेज ने जीसीपीएल और गोदरेज प्रापर्टीज के बोर्ड से रिजाइन किया है।

  • एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!

    एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!

     

    आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर /श्रमिक दिवस है। महात्मा गांधी जी ने कहा था कि किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है।कुछ कवियों ने उन्हीं कामगारों को अपनी कविता का विषय बनाया।उनमें से कुछ कवियों की कविताओं को लेकर ये संग्रह तैयार किया गया है।ये संग्रह सभी कामगारों को समर्पित है। इन कविताओं का संकलन किया है नीरज कुमार मिश्र ने।

    (१). मजदूर का जन्म – केदारनाथ अग्रवाल

    ” एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
    हाथी सा बलवान,
    जहाजी हाथों वाला और हुआ !
    सूरज-सा इन्सान,
    तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
    एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
    माता रही विचार,
    अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
    दादा रहे निहार,
    सबेरा करनेवाला और हुआ !!
    एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
    जनता रही पुकार,
    सलामत लानेवाला और हुआ !
    सुन ले री सरकार!
    कयामत ढानेवाला और हुआ !!
    एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !”

    (२). मैं वहाँ हूँ – अज्ञेय

    “यह जो मिट्टी गोड़ता है, कोदई खाता है और गेहूँ खिलाता है
    उस की मैं साधना हूँ।
    यह जो मिट्टी फोड़ता है, मडिय़ा में रहता है और महलों को बनाता है
    उसी की मैं आस्था हूँ।
    यह जो कज्जल-पुता खानों में उतरता है
    पर चमाचम विमानों को आकाश में उड़ाता है,
    यह जो नंगे बदन, दम साध, पानी में उतरता है
    और बाज़ार के लिए पानीदार मोती निकाल लाता है,
    यह जो कलम घिसता है, चाकरी करता है पर सरकार को चलाता है
    उसी की मैं व्यथा हूँ।
    यह जो कचरा ढोता है,
    यह झल्ली लिये फिरता है और बेघरा घूरे पर सोता है,
    यह जो गदहे हाँकता है, यह तो तन्दूर झोंकता है,
    यह जो कीचड़ उलीचती है,
    यह जो मनियार सजाती है,
    यह जो कन्धे पर चूडिय़ों की पोटली लिये गली-गली झाँकती है,
    यह जो दूसरों का उतारन फींचती है,
    यह जो रद्दी बटोरता है,
    यह जो पापड़ बेलता है, बीड़ी लपेटता है, वर्क कूटता है,
    धौंकनी फूँकता है, कलई गलाता है, रेढ़ी ठेलता है,
    चौक लीपता है, बासन माँजता है, ईंटें उछालता है,
    रूई धुनता है, गारा सानता है, खटिया बुनता है
    मशक से सड़क सींचता है,
    रिक्शा में अपना प्रतिरूप लादे खींचता है,
    जो भी जहाँ भी पिसता है पर हारता नहीं, न मरता है-
    पीडि़त श्रमरत मानव
    अविजित दुर्जेय मानव
    कमकर, श्रमकर, शिल्पी, स्रष्टा-
    उस की मैं कथा हूँ।”

    (३). ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें – माखनलाल चतुर्वेदी

    “ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें
    तेरा चौड़ा छाता
    रे जन-गण के भ्राता
    शिशिर, ग्रीष्म, वर्षा से लड़ते
    भू-स्वामी, निर्माता !
    कीच, धूल, गन्दगी बदन पर
    लेकर ओ मेहनतकश!
    गाता फिरे विश्व में भारत
    तेरा ही नव-श्रम-यश !
    तेरी एक मुस्कराहट पर
    वीर पीढ़ियाँ फूलें ।
    ये अनाज की पूलें
    तेरे काँधें झूलें !
    इन भुजदंडों पर अर्पित
    सौ-सौ युग, सौ-सौ हिमगिरी
    सौ-सौ भागीरथी निछावर
    तेरे कोटि-कोटि शिर !
    ये उगी बिन उगी फ़सलें
    तेरी प्राण कहानी
    हर रोटी ने, रक्त बूँद ने
    तेरी छवि पहचानी !
    वायु तुम्हारी उज्ज्वल गाथा
    सूर्य तुम्हारा रथ है,
    बीहड़ काँटों भरा कीचमय
    एक तुम्हारा पथ है ।
    यह शासन, यह कला, तपस्या
    तुझे कभी मत भूलें ।
    ये अनाज की पूलें
    तेरे काँधें झूलें !”

    (४). तोड़ती पत्थर – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

    “वह तोड़ती पत्थर;
    देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-
    वह तोड़ती पत्थर।
    कोई न छायादार
    पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;
    श्याम तन, भर बंधा यौवन,
    नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,
    गुरु हथौड़ा हाथ,
    करती बार-बार प्रहार:-
    सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।
    चढ़ रही थी धूप;
    गर्मियों के दिन,
    दिवा का तमतमाता रूप;
    उठी झुलसाती हुई लू
    रुई ज्यों जलती हुई भू,
    गर्द चिनगीं छा गई,
    प्रायः हुई दुपहर :-
    वह तोड़ती पत्थर।
    देखते देखा मुझे तो एक बार
    उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार;
    देखकर कोई नहीं,
    देखा मुझे उस दृष्टि से
    जो मार खा रोई नहीं,
    सजा सहज सितार,
    सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार।
    एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
    ढुलक माथे से गिरे सीकर,
    लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा-
    “मैं तोड़ती पत्थर।”

    (५). हम मेहनतकश जब अपना हिस्सा मांगेंगे -फैज अहमद फैज

    “हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे,
    इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे.
    यां पर्वत-पर्वत हीरे हैं, यां सागर-सागर मोती हैं
    ये सारा माल हमारा है, हम सारा खजाना मांगेंगे.
    वो सेठ व्‍यापारी रजवाड़े, दस लाख तो हम हैं दस करोड
    ये कब तक अमरीका से, जीने का सहारा मांगेंगे.
    जो खून बहे जो बाग उजड़े जो गीत दिलों में कत्ल हुए,
    हर कतरे का हर गुंचे का, हर गीत का बदला मांगेंगे.
    जब सब सीधा हो जाएगा, जब सब झगडे मिट जाएंगे,
    हम मेहनत से उपजाएंगे, बस बांट बराबर खाएंगे.
    हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे,
    इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे.”

    (६). घिन तो नहीं आती है – नागार्जुन

    ” पूरी स्पीड में है ट्राम
    खाती है दचके पै दचके
    सटता है बदन से बदन
    पसीने से लथपथ ।
    छूती है निगाहों को
    कत्थई दांतों की मोटी मुस्कान
    बेतरतीब मूँछों की थिरकन
    सच सच बतलाओ
    घिन तो नहीं आती है?
    जी तो नहीं कढता है?
    कुली मज़दूर हैं
    बोझा ढोते हैं, खींचते हैं ठेला
    धूल धुआँ भाप से पड़ता है साबका
    थके मांदे जहाँ तहाँ हो जाते हैं ढेर
    सपने में भी सुनते हैं धरती की धड़कन
    आकर ट्राम के अन्दर पिछले डब्बे मैं
    बैठ गए हैं इधर उधर तुमसे सट कर
    आपस मैं उनकी बतकही
    सच सच बतलाओ
    जी तो नहीं कढ़ता है?
    घिन तो नहीं आती है?
    दूध-सा धुला सादा लिबास है तुम्हारा
    निकले हो शायद चौरंगी की हवा खाने
    बैठना है पंखे के नीचे, अगले डिब्बे मैं
    ये तो बस इसी तरह
    लगाएंगे ठहाके, सुरती फाँकेंगे
    भरे मुँह बातें करेंगे अपने देस कोस की
    सच सच बतलाओ
    अखरती तो नहीं इनकी सोहबत?
    जी तो नहीं कुढता है?
    घिन तो नहीं आती है?”

    (७).मज़दूर – रामधारी सिंह दिनकर

    मैं मज़दूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
    अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए।
    अंबर में जितने तारे, उतने वर्षों से
    मेरे पुरखों ने धरती का रूप सँवारा।
    धरती को सुंदरतम
    करने की ममता में
    बिता चुका है कई
    पीढ़ियाँ, वंश हमारा।
    और आगे आने
    वाली सदियों में
    मेरे वंशज धरती का
    उद्धार करेंगे।
    इस प्यासी धरती के
    हित में ही लाया था
    हिमगिरी चीर सुखद गंगा की निर्मल धारा।
    मैंने रेगिस्तानों की रेती धो-धोकर
    वन्ध्या धरती पर भी स्वर्णिम पुष्प खिलाए।
    मैं मज़दूर मुझे देवों की बस्ती से क्या?​

    (८). श्रमिक – रांगेय राघव

    “वे लौट रहे
    काले बादल
    अंधियाले-से भारिल बादल
    यमुना की लहरों में कुल-कुल
    सुनते-से लौट चले बादल
    ‘हम शस्य उगाने आए थे
    छाया करते नीले-नीले
    झुक झूम-झूम हम चूम उठे
    पृथ्वी के गालों को गीले
    ‘हम दूर सिंधु से घट भर-भर
    विहगों के पर दुलराते-से
    मलयांचल थिरका गरज-गरज
    हम आए थे मदमाते से
    ‘लो लौट चले हम खिसल रहे
    नभ में पर्वत-से मूक विजन
    मानव था देख रहा हमको
    अरमानों के ले मृदुल सुमन
    जीवन-जगती रस-प्लावित कर
    हम अपना कर अभिलाष काम
    इस भेद-भरे जग पर रोकर
    अब लौट चले लो स्वयं धाम
    तन्द्रिल-से, स्वप्निल-से बादल
    यौवन के स्पन्दन-से चंचल
    लो, लौट चले मा~म्सल बादल
    अँधियाली टीसों-से बादल।”

    (९) मज़दूर बच्चों का गीत – रमेश रंजक

    “माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।
    अपने हाथों की मेहनत से
    अपने-अपने पेट भरेंगे ।।
    जॊ जीता मेहनत के बल पर
    उसकी इज़्ज़त होती घर-घर
    माँ ! तेरी सौगन्ध हमें, हम
    मेहनतकश होकर उभरेंगे ।
    माँ ! हन तो मज़दूर बनेंगे ।।
    इस युग में मेहनत का परचम
    उत्तर-दक्खिन, पूरब-पच्छिम
    लहराएगा निर्भय होकर
    ऐसे-ऐसे काम करेंगे ।
    माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।।
    जिनको मेहनत से नफ़रत है
    उन पर लानत है, लानत है
    हम इस युग के बने नमूने
    इतनी तेज़ रोशनी देंगे ।
    माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।।”

    (१०).कुदाल की जगह – कुमार मुकुल

    “सायबर सिटी की व्यस्ततम सड़क पर
    भटकता बढ़ा जा रहा था श्रमिक जोड़ा
    आगे पुरुष के कन्धे पर
    नुकीली, वज़नी, पठारी खंती थी
    पीछे स्त्री के सिर पर
    छोटी-सी पगड़ी के ऊपर
    टिकी थी
    स्वतन्त्र कुदाल
    कला दीर्घाओं में
    स्त्रियों के सर पर
    कलात्मकता से टिके मटके देख
    आँखें विस्फारित हो जाती थीं मेरी
    पर कितना सहज था वह दृश्य
    अब केदारनाथ सिंह मिलें
    तो शायद मैं उन्हें बता सकूँ
    कि कुदाल की सही जगह
    ड्राइंगरूम में नहीं
    एक गतिशील सर पर होती है।”

    (११). हम मज़दूर-किसान – रामकुमार कृषक

    “हम मज़दूर-किसान… हम मज़दूर-किसान…
    हम मज़दूर-किसान रे भैया हम मज़दूर-किसान…
    हम जागे हैं अब जागेगा असली हिन्दुस्तान
    हम मज़दूर किसान… हम मज़दूर किसान…
    अपनी सुबह सुर्ख़रू होगी अन्धेरा भागेगा
    हर झुग्गी अँगड़ाई लेगी हर छप्पर जागेगा
    शोषण के महलों पर मेहनतकश गोली दागेगा
    शैतानों से बदला लेगी धरती लहू-लुहान…
    हम मज़दूर किसान… हम मज़दूर किसान…
    मिल-मज़दूर और हलवाहे मिलकर संग चलेंगे
    खोज-खोज डँसनेवाले साँपों के फन कुचलेंगे
    ख़ुशहाली को नई ज़िन्दगी देने फिर मचलेंगे
    मुश्किल से टकराकर होगी हर मुश्किल आसान…
    हम मज़दूर किसान… हम मज़दूर किसान…
    हरी-भरी अपनी धरती पर अपना अम्बर होगा
    नदियों की लहरों-सा जीवन कितना सुन्दर होगा
    सबसे ऊँचा सबसे ऊपर मेहनत का सिर होगा
    छीन नहीं पाएगा कोई बच्चों कि मुस्कान…
    हम मज़दूर किसान… हम मज़दूर किसान…”

  • आचार संहिता के दौरान 47 अमेरिकन कंपनियां और अधिकारियों से अनुबंध अवैध  

    आचार संहिता के दौरान 47 अमेरिकन कंपनियां और अधिकारियों से अनुबंध अवैध  

  • भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले अरबपति जॉर्ज सोरोस अब अमेरिका में भड़का रहे आग

    भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले अरबपति जॉर्ज सोरोस अब अमेरिका में भड़का रहे आग

    इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध के दौरान दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में इजरायल विरोधी प्रदर्शन अपने चरम सीमा पर है, जहां हजारों की संख्या में अलग-अलग यूनिवर्सिटी के लोग इजरायल का हमास के खिलाफ युद्ध जारी रखने का विरोध कर रहे है। इससे जुड़ा एक बहुत बड़ा सच निकलकर सामने आया है।

    न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल के खिलाफ आग लगाने का काम अरबपति जॉर्ज सोरोस और उनके कट्टर वामपंथी समर्थक कर रहे हैं। अरबपति जॉर्ज सोरोस वहीं व्यक्ति है, जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगला था और उन्हें विरोधी माना जाता है। एक साल पहले फरवरी 2023 में उन्होंने भारतीय बिजनेसमैन गौतम अडानी को लेकर भी जहर उगला था।

    जॉर्ज सोरोस की कई संस्था इजरायली विरोधी प्रदर्शन में फंडिंग करके यूनिवर्सिटी कैंपस में अशांति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। बीते हफ्ते कोलंबिया यूनिवर्सिटी में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पूरे देश में फैल चुका है। इसको लेकर यूनिवर्सिटी से कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, जिसमें कई भारतीय छात्र भी शामिल है।

    हार्वर्ड, येल, बर्कले, ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी और जॉर्जिया में एमोरी समेत कई विश्व विख्यात यूनिवर्सिटी में छात्र टेंट लगाए गए हैं। उन्हें स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन फिलिस्तीन (SJP) और यूएस कैंपेन फॉर फिलिस्तीनी राइट्स (USCPR) द्वारा स्थापित किया गया है।

    अमेरिका में प्रदर्शनकारियों को मिल रहे पैसे

    न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के तीन कॉलेजों में स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन फिलिस्तीन (SJP) और यूएस कैंपेन फॉर फिलिस्तीनी राइट्स (USCPR) विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के पीछे शामिल है। इन लोगों की मदद से प्रदर्शनकारियों को पैसे दिए जा रहे हैं, जिसमें अलग-अलग श्रेणी के लोगों को पैसे दिए जा रहे हैं। हरी प्रदर्शनकारियों को 7800 डॉलर कैंपस के अंदर 2880 से 3660 डॉलर दिए जा रहे हैं। बदले में उन्हें एक हफ्ते में 8 घंटे तक आंदोलन को हिस्सा बनना है। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों को खाने में चिप्स, चिकन और पिज्जा जैसी चीजें उपलब्ध कराई जा रही है।

  •  विश्व खनन कांग्रेस की 105वी अंतरराष्ट्रीय बैठक में कोल इंडिया ने रखा अपना पक्ष

     विश्व खनन कांग्रेस की 105वी अंतरराष्ट्रीय बैठक में कोल इंडिया ने रखा अपना पक्ष

    आशीष मिश्रा
    पांडवेश्वर,कोल इंडिया के तकनीकी निर्देशक डॉ बी वीरा रेड्डी और कोल इंडिया के निर्देशक व्यवसायिक विकास देवाशीष नंदा ने चिली में आयोजित विश्व खनन कांग्रेस की 105वी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन समिति की बैठक में कोल इंडिया का प्रतिनिधित्व किया ,बैठक में 21 देशों के 30 से अधिक वैश्विक खनन कंपनियों ने भाग लिया, कोल इंडिया की ओर से अपनी प्रस्तुति शानदार ढंग से पेश किया गया,और कोल इंडिया के तकनीकी निर्देशक सह सीसीएल के सीएमडी डॉ बी वीरा रेड्डी ने कोल इंडिया की ऊर्जा मिशन को विश्व के पटल पर रखा।