Category: देश/विदेश

  • एलन मस्क की कंपनी ‘एक्स’ ने किया भारत सरकार पर मुकदमा

    एलन मस्क की कंपनी ‘एक्स’ ने किया भारत सरकार पर मुकदमा

    कहा- IT एक्ट का इस्तेमाल कर कंटेंट कर रहे ब्लॉक 

    नई दिल्ली/बेंगलुरु। एलन मस्क की कंपनी एक्स कॉर्प ने कर्नाटक हाईकोर्ट में भारत सरकार के खिलाफ याचिका दायर की है। उन्होंने भारत सरकार के आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) पर सवाल उठाए हैं। कंपनी का कहना है कि यह नियम एक गैरकानूनी और अनियमित सेंसरशिप सिस्टम बनाता है, जिसके तहत कंटेंट को ब्लॉक कर प्लेटफॉर्म के संचालन को प्रभावित किया जा रहा है।

    ‘भारत सरकार ने नहीं किया नियमों का इस्तेमाल’

    इस धारा में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में सरकार को इंटरनेट के कंटेंट को ब्लॉक करने का अधिकार होता है। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने कहा है, “कंटेंट हटाने के लिए लिखित में कारण बताना आवश्यक है और फैसला लेने से पहले उचित सुनवाई की व्यवस्था करनी होती है। इसे कानूनी रूप से चुनौती देने का अधिकार भी होना चाहिए.” सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने कहा है कि भारत सरकार ने इन सब में से किसी भी नियम का इस्तेमाल नहीं किया है।

    याचिका में कहा गया है कि सरकार धारा 79(3)(बी) की गलत व्याख्या कर रही है और ऐसे आदेश दे रही है, जो धारा 69ए के नियमों का पालन नहीं करते। इस धारा में बताया गया है कि सरकार किन परिस्थितियों में इंटरनेट के कंटेंट को ब्लॉक कर सकती है। कंपनी ने 2015 के श्रेया सिंघल केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया है।

    ग्रोक एआई को लेकर भारत ने पूछा सवाल

    यह मामला ऐसे समय में हुआ है जब केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक्स कॉर्प से उसके एआई चैटबॉट ग्रोक (Grok) को लेकर सवाल पूछे हैं। ग्रोक कई सवालों के जवाब में गालियों का इस्तेमाल कर रहा है, जिसे लेकर भारत सरकार ने कंपनी से स्पष्ट जवाब मांगा है।  इससे पहले साल 2022 में कंपनी को धारा 69ए के तहत कंटेंट हटाने का आदेश दिया गया था।

  • 45-47… ट्रंप की लाल टोपी पर आखिर ऐसा क्या लिखा था, जो हो गया सच साबित?

    45-47… ट्रंप की लाल टोपी पर आखिर ऐसा क्या लिखा था, जो हो गया सच साबित?

    अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल कर ली और अब वे अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप की टोपी की खूब चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की चुनाव जीतने के साथ ही उनकी लाल टोपी पर लिखी बात सच हो गई है। आपको बताते हैं कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप की टोपी पर क्या लिखा था, जो सच साबित हो गया।

    डोनाल्ड ट्रंप की टोपी पर ये लिखा है

    दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमेशा अपनी चुनावी सभाओं और रैलियों में लाल टोपी पहने नजर आते थे, जिसकी दाहिने तरफ “45-47” रहता था. डोनाल्ड ट्रंप के अलावा उनके समर्थक भी 45-47 लिखी टोपी पहने नजर आते थे। बता दें कि जब चुनावी रैली के दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ था तब भी ट्रंप ने यही टोपी पहनी हुई थी।

    आखिर क्या है 45-47 का मतलब

    डोनाल्ड ट्रंप अक्सर लाल टोपी पहने दिखते थे, जिस पर 45-47 लिखा होता है। आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप पिछली बार राष्ट्रपति बने थे, तब वे अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने थे, वहीं, इस बार चुनाव में जीत हासिल करने के बाद ट्रंप 47वें राष्ट्रपति बनेंगे। उनके समर्थक उन्हें 47वां राष्ट्रपति बनाना चाहते थे। इसी वजह से ट्रंप की लाल टोपी पर 45-47 लिखा होता था. इसमें 45 अंक ट्रंप के पुराने कार्यकाल और 47 अंक नए कार्यकाल से जुड़ा है।

    चलाया गया था 45-47 अभियान

    चुनाव के पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जिताने के लिए 45-47 नाम से अभियान चलाया गया था। ट्रंप के समर्थक उन्हें 47वें राष्ट्रपति के तौर फिर से देखना चाहते थे।

    चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को दी मात

    लंबे चुनावी अभियान, रैली, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के बाद रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को चुनाव में मात दी है और अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने।

  • सुंदर पिचाई रास्ता न भटकते तो न मिलता लोगों का रास्ता!

    सुंदर पिचाई रास्ता न भटकते तो न मिलता लोगों का रास्ता!

    बात 2004 की है, जब भारतीय मूल के सुंदर पिचाई अमरीका में रह रहे थे और अल्फाबेट (गूगल इसी का प्रोडक्ट है) में काम कर रहे थे। सुंदर के एक दोस्त ने उन्हें सपरिवार अपने घर डिनर पर आमंत्रित किया। सुंदर पिचाई सीधे ऑफिस से दोस्त के घर डिनर के लिए पहुंचना चाहते थे इसलिए उन्होंने पत्नी अंजलि से कहा कि वह भी सीधे दोस्त के घर पहुंच जाएं। अंजलि अपनी कार से ठीक आठ बजे दोस्त के घर पहुंच गईं और सुंदर पिचाई भी ऑफिस से समय से निकल गए लेकिन वह अपने दोस्त के घर का रास्ता भटक गए। किसी तरह वह दो घंटे की देरी से यानी रात करीब दस बजे दोस्त के घर पहुंचे। सुंदर पिचाई के वहां पहुंचने से पहले अंजलि डिनर करके घर के लिए निकल चुकी थीं। इसके बाद सुंदर पिचाई भी वहां से बिना कुछ खाए घर चले गए। समय से डिनर पर न पहुंचने के लिए घर पर अंजलि के साथ उनका झगड़ा हुआ जिससे उनका मूड बेहद खराब हो गया और वह रात में ही फिर अपने ऑफिस के लिए वापस निकल गए। पिचाई ने रात ऑफिस में ही बिताई। इस दौरान वह यही सोचते रहे कि वह रास्ता कैसे भटक गए। अगर वह रास्ता भटक गए तो न जाने कितने लोग ऐसे ही रोज रास्ता भटक जाते होंगे। कुछ ऐसा होता जिससे लोग रास्ता नहीं भटके और समय पर सही जगह पहुंच जाएं। इस बीच उन्हें ख्याल आया कि अगर मैप उनके पास होता और सही रास्ता मिल जाता। सुबह होते ही सुंदर पिचाई ने अपनी पूरी टीम के साथ मीटिंग की और डिजिटल मैप बनाने का आइडिया सबके सामने रखा। मगर पिचाई की टीम ने आइडिया सुनते ही जवाब ना में दिया। सभी ने कहा कि ऐसा हो पाना संभव नहीं है। टीम को उनके आइडिया पर भरोसा भी नहीं था। हालांकि, सुंदर पिचाई ने हार नहीं मानी और अगले कुछ दिन तक मीटिंग करते रहे। इसके बाद एक ऐसा प्रॉडक्टर डिजाइन करने पर सहमति बनी जो लोगों को उनके गंतव्य का रास्ता बताएगा। इसके बाद सुंदर पिचाई, हैसब्रो और उनकी टीम इस नए प्रोजेक्ट पर कई महीनों तक गंभीरता से जुटी रही और कड़ी मेहनत के बाद वर्ष 2005 में गूगल मैप बनाकर सबसे पहले अमरीका में लॉन्च किया गया। इसके बाद इस पर और काम किया गया और वर्ष 2006 में यह ब्रिटेेन में लॉन्च हुआ। भारत में लॉन्च करने से पहले गूगल ने इस पर काफी काम किया और दो साल के अपग्रेडेशन के बाद वर्ष 2008 में यह सर्विस भारत में शुरू हुई। तब से तमाम देशों में चरणबद्ध तरीके से इसकी सेवाएं शुरू की गईं और गूगल मैप आज करीब-करीब सभी देशों में लोगों को रास्ता बताने में उनकी मदद कर रहा है।
    कुल मिला कर बात ये है कि अगर पिचाई शादीशुदा ना होते तो आज गूगल मैप का अविष्कार नहीं होता और आप आज भी रास्ता भटक रहे होते। इसलिए रास्ते पर सही चलने और मंजिल पर पहुंचने के लिए संगिनी का साथ बहुत जरूर है। एक पहिए से जिंदगी तो क्या बैलगाड़ी भी नहीं चलती है।

  • जर्मनी, रूस, नाइजीरिया से पिंडदान करने गया पहुंचे विदेशी

    जर्मनी, रूस, नाइजीरिया से पिंडदान करने गया पहुंचे विदेशी

     पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण

     गया। बिहार के गया में विश्व पितृपक्ष मेला 2024 चल रहा है। यहां पर पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देसी ही नहीं, विदेशी भी पहुंच रहे हैं। जर्मनी, रूस, नाइजीरिया सहित कई अन्य देशों के लोग यहां आए हुए हैं। यहां आकर उन्होंने सनातन धर्म के अनुसार, अपने पूर्वजों का पिंडदान किया। इनमें कई ईसाई और मुस्लिम हैं, लेकिन सनातन धर्म से प्रभावित होकर वे पिंडदान कर रहे हैं।
    देव घाट पर विभिन्न देशों से आई विदेशी महिला तीर्थ यात्रियों ने पिंडदान किया। विदेशी महिलाएं भी भारतीय परिधानों में थीं। पुरुषों ने धोती पहना हुआ था। इन्हें देखकर लग नहीं रहा था कि वे विदेशी हैं। गया में पूर्वजों को पिंडदान कर सभी बेहद प्रसन्न नजर आए।
    स्थानीय पुरोहित लोकनाथ गौड़ ने कहा कि करीब 15 विदेशी तीर्थयात्री यहां पहुंचे हैं। देव घाट पर सभी ने पितरों का पिंडदान किया है। इन लोगों ने सनातन धर्म में विश्वास जताते हुए पिंडदान कर्मकांड किया है। कई लोगों ने अपने माता-पिता, तो कई ने बेटे और पत्नी को लेकर पिंडदान किया।
    सनातन धर्म में इनका विश्वास बढ़ा है। यही वजह है कि इन लोगों ने पितृपक्ष मेला के दौरान पिंडदान किया है। नाइजीरिया के विष्णु ने बताया कि पिंडदान करने के लिए वह गया पहुंचे हैं। उनके साथ और भी कई मित्र आए हुए हैं। गया के पिंडदान के बारे में उन्होंने सुना था। ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इसी सोच के साथ वह गया पहुंचे हैं।
    गया में 17 सितंबर से पितृपक्ष मेला आयोजित किया जा रहा है। यह मेला 2 अक्टूबर तक चलेगा। यहां देशभर से लोग अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए पहुंच रहे हैं। एक आंकड़े के अनुसार, इस बार यहां पर करीब आठ लाख से ज्यादा लोग पहुंचे हैं।

  • नेपाल: किशोरी से बलात्कार के आरोप में दो नगर प्रहरी पुलिस के हिरासत में

    नेपाल: किशोरी से बलात्कार के आरोप में दो नगर प्रहरी पुलिस के हिरासत में

    जनकपुर उप महानगरपालिका में कार्यरत दो नगर प्रहरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है। बुधवार को जनकपुरधाम में एक 17बर्षीय किशोरी को दिन दहाड़े दोनो नगर प्रहरी ने बलात्कार किया था लिखित सूचना पीड़िता के परिवार ने स्थानीय प्रहरी चौकी में दर्ज करायी थी। इसके बाद चौकी इंचार्ज ने पीड़िता से वयान लिया तव दोनो नगर प्रहरी पर कारवाई की गयी। गिरफ्तार नगर प्रहरी जनकपुरधाम उप महानगरपालिका वार्ड 12के बबलू महतो तथा 17के विजेन्द्र राउत हैं।

  • प्राचीन धरोहरों की वापसी : भारत के इतिहास और संस्कृति का सम्मान

    प्राचीन धरोहरों की वापसी : भारत के इतिहास और संस्कृति का सम्मान

    प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिका ने लौटाई 297 प्राचीन वस्तुएं

    दीपक कुमार तिवारी 

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब अमेरिका ने भारत को 297 प्राचीन कलाकृतियाँ लौटा दीं। ये कलाकृतियाँ न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं, बल्कि देश की अनमोल विरासत की पुनः प्राप्ति का भी प्रतीक हैं। इन प्राचीन वस्तुओं का पुनः भारत लौटना देश के इतिहास के प्रति सम्मान और उसकी धरोहर के महत्व को दर्शाता है।

    मध्य भारत की अप्सरा की मूर्ति (10-11वीं शताब्दी ई.):

    मध्य भारत से प्राप्त यह अद्भुत मूर्ति बलुआ पत्थर से बनाई गई है। यह 10-11वीं शताब्दी ईस्वी की अप्सरा की एक सुंदर प्रतिमा है, जो उस समय की कला और संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी बारीक कारीगरी और शिल्प कौशल भारत की प्राचीन मूर्तिकला की समृद्ध परंपरा को प्रदर्शित करती है।

    जैन तीर्थंकर की कांस्य मूर्ति (15-16वीं शताब्दी ई.):

    मध्य भारत से ही प्राप्त जैन तीर्थंकर की यह कांस्य मूर्ति 15-16वीं शताब्दी की है। इस मूर्ति का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, जो जैन धर्म के दर्शन और आध्यात्मिकता को दर्शाता है। यह उस समय की धातु शिल्पकला का उत्कृष्ट नमूना है, और इसके भारत लौटने से जैन संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण पहलू फिर से उजागर होते हैं।

    पूर्वी भारत का टेराकोटा फूलदान (3-4वीं शताब्दी ई.):

    इस सूची में पूर्वी भारत से प्राप्त टेराकोटा फूलदान भी शामिल है, जो 3-4वीं शताब्दी ईस्वी का है। टेराकोटा शिल्पकला भारत की प्राचीन कला का अभिन्न हिस्सा रही है, और यह फूलदान उस काल की सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक जीवनशैली का प्रतीक है। इसकी विशिष्ट बनावट और डिजाइन उस युग की शिल्पकला की श्रेष्ठता को दर्शाते हैं।

    भारत की सांस्कृतिक धरोहर की पुनः प्राप्ति का ऐतिहासिक क्षण:

    297 प्राचीन वस्तुओं की वापसी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल भारतीय संस्कृति की धरोहर को सुरक्षित रखने का प्रयास है, बल्कि उन प्राचीन कलाकृतियों को उनके मूल स्थान पर पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यह घटना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के प्रति जागरूकता और सम्मान को भी बढ़ावा देती है।

    प्रधानमंत्री मोदी की बाइडेन से महत्वपूर्ण बैठक:

    इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई बैठक भी महत्वपूर्ण रही। इस मुलाकात के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया,

    “मैं राष्ट्रपति बाइडेन को ग्रीनविले, डेलावेयर में अपने आवास पर मेरी मेजबानी करने के लिए धन्यवाद देता हूं। हमारी बातचीत बेहद फलदायी रही। बैठक के दौरान हमें क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला।”

    इस बातचीत ने दोनों देशों के बीच मजबूत होते कूटनीतिक संबंधों को और गहरा किया, जिससे भविष्य में भारत-अमेरिका साझेदारी और सशक्त होगी।

    प्राचीन वस्तुओं की वापसी हमारे इतिहास के सम्मान का प्रतीक है:

    यह घटना भारत के गौरवशाली अतीत और संस्कृति की महत्ता को पुनः स्थापित करती है। प्राचीन वस्तुओं की यह वापसी केवल कलाकृतियों की प्राप्ति नहीं, बल्कि हमारे इतिहास और धरोहर के प्रति वैश्विक सम्मान का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वापस लाने और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसे सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

    यह क्षण न केवल गर्व का है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश भी है कि हमारी संस्कृति और धरोहर की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह देश के अतीत के प्रति सम्मान और इसके संरक्षण के लिए की गई हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

  • श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में परिवारवाद को नकारा जनता ने 

    श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में परिवारवाद को नकारा जनता ने 

    रघु ठाकुर

    श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में श्री अनूरा राष्ट्रपति के पद पर चुने गए हैं और उनके मतों में जो 2019 में मात्र 3.6% थे भारी बढ़ोतरी  हुई है। हालांकि श्रीलंका के संविधान के अनुसार उनके मत भी 42.3%थे अतः पुनः मतगणना में श्री प्रेमदासा के द्वितीय वरीयता के मत मिले।  उनको द्वितीय वरीयता के मत  मिले और अनुरा ने जीत हासिल कर राष्ट्रपति का पद अपने हाथ में लिया है ।इन चुनाव परिणाम के जो संकेत है वह भी अच्छे हैं।एक तो इन चुनाव परिणाम में जनता ने याने श्रीलंका के मतदाताओं ने परिवारवाद को भी पराजित  किया है  श्री नमल राजपक्षे जो राजपक्षे परिवार के हैं को पिछले चुनाव में 52 प्रतिशत से अधिक मिले थे पर इस बार उन्हें मात्र ढाई परसेंट वोट मिले हैं। रानिल राजपक्षे को भी  मात्र सत्रह प्रतिशत वोट मिले ।
    श्री अनूरा की जीत एक प्रकार से नौजवानों के उत्साह की जीत है और बदलाव की जीत है। श्री अनूरा के ऊपर अब बड़ी जिम्मेवारियां हैं और उन्हें न केवल श्रीलंका को आर्थिक संकट से निकालना है बल्कि वहां के नौजवानों के लिए रोजगार की व्यवस्था करना है और दक्षिण एशिया के देशों के बीच में एक समुचित संतुलिन बनाने का भी काम है ।लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी श्री अनूरा को  अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करती है और उम्मीद करती है कि उनके नेतृत्व में भारत और श्रीलंका के संबंध सुधरेंगे। श्रीलंका अंतर भाषाई अंतर धर्मी तनाव से मुक्त होगा और हिंसा से मुक्त होकर एक नया सुंदर बुद्ध के दर्शन के आधार का श्रीलंका बनेगा ।(लेखक लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं)

  • सपाइयों ने किया अम्बेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव का स्वागत

    सपाइयों ने किया अम्बेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव का स्वागत

    मौ० याकूब
    बिजनौर। समाजवादी पार्टी कार्यालय पर बाबा अम्बेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव बनकर पहुंंचे हाजी साजिद का जिलाध्यक्ष शेख जाकिर हुसैन के नेतृत्व में कार्यकर्त्ताऔ ने माल्यार्पण कर जोरदार स्वागत किया। हाजी साजिद ने कहा कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकर पार्टी ने मुझे भेजा है मैंं उसको बखूबी निभाऊंंगा। आने वाले विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर पार्टी की सरकार बनाने में पूरी जी जान से मेहनत करुंंगा। जिलाध्यक्ष शेख जाकिर हुसैन ने कहा कि समाजवादी पार्टी में कार्यकर्त्ता छोटा हो या बड़ा सभी को एक सम्मान से नवाजा जाता है। उनको पूरा सम्मान दिया जाता है। सभी एकजुट होकर अपने बूथों को मजबूत कर आने वाले 2027 के चुनाव मे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनायेंगे। स्वागत कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता अख़लाक़ पप्पू ने किया। जिसमेंं प्रदेश सचिव युवजन सभा डा० सरफराज़, जिलाध्यक्ष महिला सभा प्रभा चौधरी, जाकिर चौधरी, लाल सिंह कश्यप, नमन कुमार, शहबाज सद्दीकी, जानिम एड०, डा० अनवर सुकया अंसारी आदि मौजूद रहे।

  • के.सी त्यागी के राष्टीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा के पीछे छुपे कई राज

    के.सी त्यागी के राष्टीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा के पीछे छुपे कई राज

    अभी हाल ही में जनता दल के यूनाइटेड वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। JDU के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने उनकी जगह राजीव रंजन प्रसाद को नियुक्त किया है। बताया जा रहा है, कि के.सी त्यागी ने कुछ निजी कारणो की वजह से अपने पद से इस्तीफा दिया है। लेकिन क्या सच्च में के.सी त्यागी के अपने पद से इस्तीफा देने के पीछे यही वजह है या कोई और राज छुपा है। चलिए जानते है, की आख़िरकार ऐसी क्या वजह रही। जो के.सी त्यागी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

    अपनी ब्यानबाजी के कारण

    के.सी त्यागी के इस्तीफे के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है, की पिछले कुछ समय में उन्होंने ऐसे कई बयान दिए। जिसमे पार्टी की सहमति नहीं रही थी। जिस से पार्टी के बीच असंतोष की स्थिति बनने लगी थी। आगे जाकर धीरे धीरे इस स्थिति ने गंभीर रूप ले लिया। सिर्फ इतना ही नहीं के.सी त्यागी अपनी इस बयानबाजी के कारण JDU ही नहीं बल्कि NDA से भी मतभेद की खबरे सामने आयी है। ऐसा ज्यादातर विदेशी निति के मुद्दो पर हुआ है। के.सी त्यागी ने इंडिया गठबंधन के नेताओ के साथ देते हुए इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए एक साझा बयान पर हस्ताक्षर कर दिए। के.सी त्यागी का यह कदम JDU की लीडरशिप को असहज करने वाला था। इससे पार्टी के बीच विवाद बढ़ने लगे। इसके अलावा के.सी त्यागी ने अपनी पार्टी के सदस्यों से बिना चर्चा किये एक और बयान जारी किया था। यह बयान SC/ST के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दिया गया। जो पार्टी के सदस्यों को सही नहीं लगा। बहुत बार के.सी त्यागी ने ऐसे ही अपने निजी विचारो को पार्टी की राय और पार्टी की सहमति के रूप में प्रस्तुत किया है। ऐसे ही लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भी के.सी त्यागी ने अपनी निजी राय को पार्टी की राय के रूप में प्रस्तुत किया था। जिसके कारण पार्टी की छवि खराब होने लगी और पार्टी के नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगे। इन्ही सब कारणों की वजह से JDU ने के.सी त्यागी के इस्तीफे को स्वीकार करने का निर्णय लिया। के.सी त्यागी के इस्तीफे के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने JDU के राष्ट्र्य प्रवक्ता पद राजीव रंजन को नियुक्त किया गया है। जिसकी जानकारी पार्टी के महासचिव आफाक अहमद खान ने एक पत्र जारी करके दी है। के.सी त्यागी द्वार दिए गए इस्तीफे को स्वीकार करके JDU ने अंदरूनी मतभेदों की स्थिति को कम करने का प्रयास किया गया है। जिससे की पार्टी एकजुट होकर आगे काम कर सके और आगे भी बढ़ सके। के.सी त्यागी ने अमर उजाला से बातचीत करते हुए कहा है, कि वह नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। वह पार्टी में बने रहेंगे और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता की तरह नहीं, लेकिन एक कार्यकर्ता के तौर पर अपनी बात मजबूती से रखते रहेंगे। उनके पास अभी भी पार्टी के सलाहकार का पद है और वे इस पद पर काम करते रहेंगे। के.सी त्यागी के इस्तीफे के बाद पार्टी की आगे की रणनीति पर सभी की नज़रें टिकी रहेंगी।

  • कवयित्री बबीता सागर की कविता संग्रह ‘सागर लफ्ज़ों का’ प्रचार के लिए प्रेस वार्ता आयोजित

    कवयित्री बबीता सागर की कविता संग्रह ‘सागर लफ्ज़ों का’ प्रचार के लिए प्रेस वार्ता आयोजित

    ऋषि तिवारी
    नई दिल्ली। प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका बबीता सागर ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में अपने प्रशंसित कविता संग्रह ‘सागर लफ्ज़ों का’ (खंड 1 और 2) के प्रचार के लिए एक विशेष संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पुस्तक को व्यापक दर्शकों से परिचित कराना और साहित्य जगत में सागर के योगदान को उजागर करना था। इस मौके पर मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में जाने-माने कवि अंश बसोया भी मौजूद रहे। ‘सागर लफ्ज़ों का’ एक उल्लेखनीय द्विभाषी संग्रह है जिसमें हिंदी और अंग्रेजी दोनों में कविताएँ हैं, जो इसे विविध दर्शकों के लिए सुलभ बनाती हैं। ड्रीम पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक को रोहित आर्य के मार्गदर्शन में प्रकाशित किया गया है। यह पुस्तक प्रेम, हानि और जीवन के सार्वभौमिक विषयों पर प्रकाश डालती है, जो बबीता सागर की विचारोत्तेजक और हार्दिक कविता के माध्यम से पाठकों से जुड़ने की गहन क्षमता को प्रदर्शित करती है।

    चंडीगढ़ में रहने वाली बबीता सागर चंडीगढ़ और पंजाब में लेखन समुदाय की सक्रिय सदस्य रही हैं। उनकी साहित्यिक यात्रा को कई प्रशंसाओं द्वारा चिह्नित किया गया है, जिसमें ‘सागर लफ्ज़ों का’ खंड 2 को कई संगठनों द्वारा चुना गया और बेस्टसेलर का दर्जा प्राप्त किया गया और इस साल की शुरुआत में दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में भी अच्छी बिक्री हुई।

    अपने लेखन करियर के अलावा, बबीता सागर एक कुशल कलाकार, फैशन डिजाइनर और एक पूर्व एनसीसी कैडेट भी हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभाओं को दर्शाती हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों से लेकर पंजाब स्कूल एसर परियोजना में हेल्पडेस्क समन्वयक के रूप में सेवा करने तक उनके विविध अनुभवों ने उनकी कविता को काफी प्रभावित किया है, इसे प्रामाणिकता और गहराई के साथ प्रभावित किया है।
    प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, बबीता सागर ने न केवल अपने काम को बढ़ावा देने की इच्छा पर जोर दिया, बल्कि साहित्यिक क्षेत्र में नए लेखकों को प्रेरित करने और अवसर प्रदान करने के लिए भी जोर दिया। इस कार्यक्रम में ‘सागर लफ्ज़ों का’ से चयनित कविताओं का वाचन किया गया, जिससे उपस्थित लोगों को सागर के काम की गीतात्मक सुंदरता का प्रत्यक्ष अनुभव करने की अनुमति मिली। इसके बाद एक इंटरैक्टिव सत्र हुआ, जहां बबीता सागर ने दर्शकों के साथ अपनी कविता के पीछे की प्रेरणाओं और दो भाषाओं में लिखने की प्रक्रिया पर चर्चा की।

    ‘सागर लफ्ज़ों का’ बबीता सागर के काव्य कौशल और भाषाई सीमाओं को पार करने की उनकी क्षमता का एक वसीयतनामा है। संग्रह को इसकी भावनात्मक गहराई, विशद कल्पना और हिंदी और अंग्रेजी के सहज सम्मिश्रण के लिए सराहा गया है, जो पाठकों को एक अनूठा और समृद्ध अनुभव प्रदान करता है। आज ‘सागर लफ्ज़ों का’ की खोज करें, एक ऐसी कृति जो न केवल दिल को छूती है बल्कि कविता की शक्ति के माध्यम से सांस्कृतिक विभाजन को भी पाटती है। पुस्तक अब अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और देश भर के प्रमुख बुकस्टोर्स पर उपलब्ध है।