Category: स्वास्थ्य

  • सीएचसी बिसरख पर कोरोना से उपचार के सभी इंतजाम : डा. मिश्रा

    सीएचसी बिसरख पर कोरोना से उपचार के सभी इंतजाम : डा. मिश्रा

    बच्चों के लिए बना है सभी सुविधाओं से लेस 10 बिस्तर वाला पीकू वार्ड

    बड़ों के लिए है 20 बिस्तरों का इंतजाम, सभी पर ऑक्सीजन की सुविधा

    द न्यूज 15 

    नोएडा । सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बिसरख पर कोरोना संक्रमण के उपचार को लेकर सभी इंतजाम हैं। बच्चों के लिए यहां दस बिस्तर और बड़ों के लिए यहां 20 बिस्तरों की माकूल व्यवस्था की गयी है।

    प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. सचिन्द्र मिश्रा ने बताया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बिसरख पर बनायी गयी बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (पीकू वार्ड) में ऑक्सीजन से लेकर उपचार की सभी व्यवस्थाएं चाकचौबंद हैं। “हम कोविड काल में बच्चों के उपचार के लिए एकदम तैयार हैं।” डा. मिश्रा कहते हैं कि वैसे तो घर के बड़े यदि सतर्क रहेंगे, एहतियात बरतेंगे और कोविड प्रोटोकाल का पूरी तरह से पालन करेंगे और बच्चों को भी कराएंगे तो बच्चों के संक्रमित होने की नौबत नहीं आयेगी। यदि बच्चे बीमार हो भी जाते हैं तो स्वास्थ्य विभाग ने उनके उपचार की पूरी व्यवस्था की हुई है। यहां दस बिस्तर वाली बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (पीकू) एकदम तैयार है। पीकू वार्ड में ऑक्सीजन से लेकर उपचार के सभी जरूरी उपकरण मौजूद हैं। पीकू वार्ड में ऑक्सीजन की आपूर्ति सीधे प्लांट की गयी है। सीएचसी में एक आक्सीजन प्लांट क्रियाशील है। इस लिए ऑक्सीजन की किसी तरह से किल्लत नहीं होगी।

    उन्होंने बताया सीएचसी में कोरोना संक्रमित वयस्कों के उपचार की भी पूरी व्यवस्था है। उनके लिए यहां 20 बिस्तरों वाला एक वार्ड बनाया गया है, जहां ऑक्सीजन से लेकर उपचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया अभी तक यहां कोई भी मरीज भर्ती होने के लिए नहीं आया है। इस बार ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन में रह कर ठीक हो रहे हैं। कुछ लोग ही गंभीर रूप से संक्रमित हुए हैं उनका उपचार नोएडा सेक्टर 39 स्थित कोविड अस्पताल में चल रहा है।

    घर पर ही सही देखभाल से कोरोना को दें मात : डा. मिश्रा कहते हैं कोविड 19 के मामले बढ़ जरूर रहें हैं लेकिन पहली दो लहर जैसी गंभीर स्थिति संक्रमितों में इस बार नहीं देखी जा रही है । बहुत से लोगों में तो कोई खास लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, फिर भी उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है । ऐसी स्थिति में घर पर ही रहकर कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए और स्वास्थ्य महानिदेशालय से जारी दवाओं के सेवन से कोरोना को आसानी से मात दी जा सकती है । दवा की किट होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपलब्ध करायी जा रही है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि परिवार में कोई व्यक्ति कोविड पाजिटिव है तो होम आइसोलेशन के नियमों का पालन करें और घर से बाहर न निकलें । इसके अलावा यदि खुद कोविड के लक्षणों से ग्रसित हैं तो खुद को परिवार के अन्य सदस्यों से दूर रखें और घर से बाहर न निकलें ।

    इन परिस्थितियों में चिकित्सक से संपर्क करें : लगातार कई दिनों तक 101 डिग्री से अधिक बुखार, सांस फूलना और सांस लेने में परेशानी होना, पल्स आक्सीमीटर से नापने पर आक्सीजन का स्तर 94 फीसद से कम आना, भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने पर।

    बच्चों में कोविड के लक्षण : बुखार, खांसी, जुकाम, लगातार रोना, दूध खुराक लेना बंद कर देना, दस्त लगना, पसली चलना निढाल पड़ जाना, सिर दर्द व बदन दर्द, स्वाद या गंध की चेतना का चला जाना।

  • पोलैंड में कोरोना के 30,586 नए मामले

    पोलैंड में कोरोना के 30,586 नए मामले

    द न्यूज 15 
    वारसॉ | पोलैंड में कोरोना के 30,586 नए मामले सामने आए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री एडम नीडजिएल्स्की ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि लगभग 20 प्रतिशत नए मामले ओमिक्रॉन वेरिएंट के हैं। उन्होंने कहा, अगले सप्ताह दैनिक मामलों की संख्या लगभग 50,000 से अधिक हो सकती है।

    “हमने सभी लोगों के लिए घर से काम करने के निर्देश दिए हैं” उन्होंने व्यवसायों से प्रोटोकॉल का पालन करने और अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा।

    पोलिश स्वास्थ्य मंत्रालय ने 24 घंटों की अवधि में 375 और मौतों की सूचना दी है।

    लगभग 56 प्रतिशत टीकाकरण दर के साथ पोलैंड अन्य यूरोपीय संघ के देशों से पीछे है।

    2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से, पोलैंड ने कोविड-19 वेरिएंट के लगभग 4.3 मिलियन मामले दर्ज किए हैं। महामारी के कारण देश में अब तक कुल 103,062 लोगों की मौत हो चुकी है।

  • नसबंदी के 3 माह बाद तक सतर्क रहें पुरुष : डॉ. शबीह मजहर

    नसबंदी के 3 माह बाद तक सतर्क रहें पुरुष : डॉ. शबीह मजहर

    नसबंदी के तीन माह तक अपनाएं अस्थाई साधन
    तीन महीने तक गर्भ ठहरने की रहती है आशंका

    द न्यूज 15 
    नोएडा । पुरुष नसबंदी के बाद परिवार नियोजन के लिए तीन महीने तक एहतियात रखना जरूरी है क्योंकि तीन महीने तक गर्भ ठहरने की आशंका रहती है। इसलिए पुरुष नसबंदी के बाद तीन महीने तक परिवार नियोजन का कोई भी अस्थाई साधन अपनाना आवश्यक है। यह कहना है जिला अस्पताल में तैनात शल्य चिकित्सक डॉ. शबीह मजहर का। डॉ. मजहर जनपद की एक मात्र महिला शल्य चिकित्सक हैं, जो पुरुष नसबंदी भी करती हैं। अब तक वह 65 पुरुषों की नसबंदी कर चुकी हैं।

    डा. शबीह ने बताया पुरुष नसबंदी के बाद परिवार नियोजन के लिहाज से कम से कम तीन महीने तक एहतियात बरतना जरूरी होता है, क्योंकि तीन महीने तक शुक्राशय में शुक्राणु सक्रिय रहते हैं। यदि इस बीच शारीरिक संबंध बनाये जाते हैं तो महिला के गर्भ ठहरने का डर बना रहता है। उन्होंने बताया हालांकि नसबंदी करने के बाद पुरुष को इसके बारे में हिदायत दे दी जाती है, साथ ही बताया जाता है कि इन तीन महीने के दौरान वह निरोध अथवा कोई भी परिवार नियोजन का अस्थायी साधन जरूर अपनाए। उन्होंने बताया पुरुषों में प्राकृतिक रूप से तीन महीने तक शुक्राशय में शुक्राणु सक्रिय रहते हैं। शुक्राशय से शुक्राणु को पूरी तरह से खाली करने के लिए 25 से 30 बार उनका निष्कासन (इजेकुलेशन) होना जरूरी है। यदि शुक्राणु निष्कासन नहीं होता है तो तीन महीने बाद वह स्वत: ही निष्क्रिय हो जाते हैं। उन्होंने बताया नसबंदी के तीन महीने बाद सीमन विश्लेषण (एनालेसिस) होता है। इसके बाद ही पुरुषों को नसबंदी का प्रमाण दिया जाता है।

    गलत फहमी के चलते नहीं कराते पुरुष नसबंदी

    डा. शबीह कहती हैं घर संभालने का मामला हो, या परिवार संभालने की बात हो, अथवा परिवार नियोजन का मुद्दा हो, हर दम समाज का हर तबका महिलाओं को आगे कर देता है। नसबंदी के मामले में तो पुरुषों की भागीदारी बहुत कम है। सरकार द्वारा तमाम जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाने के बाद भी इसको लेकर गलत फहमी और भ्रांतियां बरकरार हैं। जहां पढ़े लिखे लोगों को लगता है कि नसबंदी कराने के बाद उन्हें शारीरिक कमजोरी हो जाएगी और संबंध बनाने में दिक्कत आएगी वहीं मजदूर वर्ग समझता है कि नसबंदी के बाद शारीरिक कमजोरी के चलते वह काम करने लायक नहीं रहेगा और उसके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा यह सब बातें एकदम गलत हैं। नसबंदी से किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती है। नसबंदी कराने के अगले दिन से पुरुष कामकाज कर सकता है।

  • शुगर के मरीजों को फायदा, लाइलाज घावों का इलाज : BHU

    शुगर के मरीजों को फायदा, लाइलाज घावों का इलाज : BHU

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पुराने व लाइलाज समझे जाने वाले घावों के उपचार की दिशा में महत्वपूर्ण शोध किया है। कि जो घाव महीनों से नहीं भरे थे वो चंद दिनों में ठीक हो गए। इस रिसर्च से मधुमेह रोगियों को खासतौर से होगा फायदा होगा। यह रिसर्च हाल ही अमेरिका में प्रकाशित हुई है। सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान BHU के प्रमुख प्रोफेसर गोपाल नाथ की अगुवाई में हुए इस शोध में अत्यंत उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। ये शोध अमेरिका के संघीय स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय जैवप्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र में 5 जनवरी, 2022 को प्रकाशित हुआ है।

    BHU ने बताया कि किसी घाव को चोट के कारण त्वचा या शरीर के अन्य ऊतकों में दरार के रूप में परिभाषित किया जाता है। एक तीव्र घाव को हाल के एक विराम के रूप में परिभाषित किया गया है जो अभी तक उपचार के अनुक्रमिक चरणों के माध्यम से प्रगति नहीं कर पाया है। वे घाव जहां सामान्य प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया या तो अंतर्निहित विकृति (संवहनी और मधुमेह अल्सर आदि) के कारण रुक जाती है या 3 महीने से अधिक के संक्रमण को पुराने घाव के रूप में परिभाषित किया जाता है।

    पुराने घाव लगभग निरंतर रूप से संक्रमित होते रहते हैं, एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया से संक्रमण और बायोफिल्म निर्माण सामान्य उपचार प्रक्रिया को रोकने वाले महत्वपूर्ण कारक है।

    ये घाव महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रुग्णता का कारण बनते हैं, उदाहरण के लिए, दर्द में वृद्धि के कारण कार्य और गतिशीलता का नुकसान होता है। इससे संकट, चिंता, अवसाद, सामाजिक अलगाव, और विच्छेदन, यहां तक कि मृत्यु भी संभव है। पुराने घावों को एक वैश्विक समस्या माना जाता है। केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, (यूएस) में त्वचा संक्रमण की प्रत्यक्ष चिकित्सा लागत लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि इस राशि का 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर पुराने घाव के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।

    विश्वविद्यालय के मुताबिक बायोफिल्म का गठन घावों के बने रहने का प्राथमिक कारण है क्योंकि पारंपरिक एंटीबायोटिक चिकित्सा काम नहीं करती है। एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्प की तलाश अब एक मजबूरी बन गई है। सौभाग्य से, बैक्टीरियोफेज थेरेपी एंटीबायोटिक के लिए एक पुन उभरता समाधान है। बैक्टीरियोफेज एमडीआर जीवाणु संक्रमण के उपचार के लिए वैकल्पिक रोगाणुरोधी चिकित्सा के रूप में कई संभावित लाभ प्रदर्शित करते हैं। लाभों में नैदानिक सुरक्षा, जीवाणुनाशक गतिविधि, जरूरत पड़ने पर माइक्रोबायोम में नगण्य गड़बड़ी, बायोफिल्म डिग्रेडिंग गतिविधि, अलगाव में आसानी और तेजी और फार्मास्युटिकल फॉमूर्लेशन की लागत-प्रभावशीलता शामिल हैं। सबसे विशेष रूप से फेज ही एकमात्र दवा है जो वास्तव में असरकारक है।

    प्रो. गोपाल नाथ के नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की टीम ने जानवरों और नैदानिक अध्ययनों में तीव्र और पुराने संक्रमित घावों की फेज थेरेपी की है। टीम ने चूहों के घाव मॉडल में स्यूडोमोनास एरुगिनोसा के खिलाफ उनकी प्रभावकारिता भी दिखाई। टीम ने मेथिसिलिन प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस के कारण होने वाले तीव्र और जीर्ण दोनों प्रकार के ऑस्टियोमाइलाइटिस के पशु मॉडल में संक्रमण में फेज कॉकटेल की प्रभावकारिता का मूल्यांकन किया। इसके अलावा खरगोशों के घाव संक्रमण मॉडल में भी तार से बायोफिल्म उन्मूलन देखा है।

    संस्थान द्वारा शुरू किए गए फेज थेरेपी के क्लिनिकल परीक्षणों ने तीन संभावित खोजपूर्ण अध्ययनों में पुराने घावों के उपचार में सामयिक फेज की प्रभावकारिता की सूचना दी है और पशु मॉडल के परिणामों वाले प्रयोगों से कोई प्रतिकूल घटना नहीं मिली है।

    गुप्ता एट अल (2019) के एक नैदानिक अध्ययन ने एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया से जुड़े पुराने घावों में बैक्टीरियोफेज थेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका का प्रदर्शन किया गया था। अध्ययन ने छह सप्ताह से अधिक की अवधि के लिए पुराने गैर-उपचार अल्सर वाले कुल बीस रोगियों को नियोजित किया। कुछ हफ्तों के भीतर घाव के पूर्ण उपकलाकरण के रूप में एक महत्वपूर्ण सुधार प्राप्त किया जा सकता है। पटेल एट अल (2021) द्वारा एक अन्य अध्ययन में 48 रोगियों को नियोजित किया गया था, जिनमें कम से कम एक पात्र पूर्ण-मोटाई वाला घाव था, जो 6 सप्ताह में कन्वेंशन घाव प्रबंधन के साथ ठीक नहीं हुआ, आशाजनक परिणाम दिखा, और घाव में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। तीन महीने के फॉलो.अप के अंत तक 82 प्रतिशत में ठीक हो जाता है। इसके अलावा, अध्ययन ने अनुमान लगाया कि मधुमेह या गैर-मधुमेह की स्थिति की परवाह किए बिना विशिष्ट फेज थेरेपी समान रूप से प्रभावी है। हालांकि, मधुमेह के रोगियों में उपचार में तुलनात्मक रूप से देरी हुई।

    दोनों अध्ययन लगभग स्पष्ट रूप से इस ओर इशारा करते हैं कि सामयिक फेज थेरेपी पारंपरिक चिकित्सा के लिए दुर्दम्य रोगियों में नैदानिक घाव भरने को पूरा करने के लिए जिम्मेदार है। क्रोनिक घावों में निहित बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक प्रतिरोध की स्थिति का चिकित्सा के बाहर आने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

  • बच्चों के लिए कोरोना संक्रमण की रोक का मजबूत सुरक्षा कवच है, माँ का दूध

    बच्चों के लिए कोरोना संक्रमण की रोक का मजबूत सुरक्षा कवच है, माँ का दूध

    द न्यूज़ 15
    लखनऊ। देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसकी चपेट में गर्भवती महिलाएं न आएं, वह अपने जच्चा बच्चा कैसे सुरक्षित रखे, इसे लेकर डाक्टरों ने कई सुझाव दिए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की वैक्सीन कई तरह के इंफेक्शन को कम कर सकती है इसी के साथ कोरोना से होनी वाले कॉम्पलिकेशन को भी कम कर सकता है। यह अपने आप में मजबूत सुरक्षा कवच है। यूपी की राजधानी के केजीएमयू की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देव का कहना है कि इस बार संक्रमण का प्रसार तेज है। लेकिन उतना घातक नहीं है। फिर भी लोगों को सवाधान रहना होगा। खासकर गर्भवती महिलाओं में पहली और दूसरी लहर के बाद से जागरूकता काफी आ चुकी है। इस लहर में गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाने की गाइडलाइन आ चुकी है, जिससे उन्हें बड़ा सुरक्षा कवच मिल गया है। कहा कि नवजात के लिए मां का दूध से कोविड के संक्रमण का कोई खतरा नहीं है।

    अपोलो अस्पताल नवी मुंबई की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तृप्ति दुबे ने बताया, “कोविड के लक्षण हैं तो क्या करें। पहली बात जिसे सिर्फ दूध पिलाने वाली मां को ही नहीं हर किसी को गाँठ बांध लेनी चाहिए। माँ के दूध से बच्चे के संक्रमण का खतरा अपवाद (रेयर) है। संक्रमण सिर्फ ड्राप्लेट (मुंह और नाक से सांस लेने,खांसने,छीकने या थूकने के दौरान निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदें ) से फैलता है। संक्रमण के लक्षण वाली महिलाएं अगर संभव हो तो जिस कमरे में आइसोलेट हों बच्चे को उससे अलग कमरे में रखें। अपने कमरे में ब्रेस्ट पंप से दूध निकालकर जो बच्चे की देखरेख कर रहा हो, उसे पिलाने को दें। दूध निकालने के पहले हर बार ब्रेस्ट पंप को सैनिटाइज जरूर करें।”

    उन्होंने बताया कि अगर संक्रमण के लक्षण नहीं हैं तो ऐसी महिलाएं कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए बच्चे को आइसोलेट होने वाले कमरे में साथ रख सकती हैं। कमरे में बच्चे को दो मीटर की दूरी पर रखें। हर समय प्रॉपर तरीके (ठुड्डी से नाक) से मास्क (एन-95) लगाकर रखें। हर बार दूध पिलाने के पहले कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार साबुन से हाथ को जरूर धुलें। मास्क प्रॉपर तरीके से लगा है कि नहीं यह जरूर चेक कर लें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी कहा है कि कोविड के दौरान भी महिलाओं को बच्चों को दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह दोनों के लिए लाभदायक है।

    डा. दुबे कहती हैं कि “चूंकि गर्भावस्था महिलाओं के लिए एक खास अवस्था होती है ऐसे में उनको सांस संबंधी दिक्कत अधिक हो सकती है। इस अवस्था में वह सांस संबंधी कुछ संस्तुत मेडिकेशन भी नहीं कर सकती हैं। ऐसी महिलाओं के इलाज में यह एक गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था में भी टीका लगवा सकते हैं बिल्कुल, इससे कोई खतरा नहीं है। वैसे तो वह कभी भी टीका लगवा सकती हैं, पर सबसे बढ़िया समय गर्भावस्था के तीन महीने के बाद का होता है। दोनों टीकों के बीच अंतराल भी उतना ही होगा जितना सामान्य लोंगों के लिए। आंख,मुंह,नाक और मास्क को न छूना। सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचना। उन जगहों या चीजों (दरवाजे के हैंडिल,मेज,लाइटर, बाहर से आये समान के गत्ते आदि) को छूने से बचना जिनको लोग छूते हों। कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धुलना, 60 फीसद वाले एल्कोहल वाले सैनिटाइजर का प्रयोग कोविड के ये सामान्य प्रोटोकाल सबके लिए हैं।

  • SC को केंद्र का जवाब : किसी व्यक्ति की मंजूरी बिना नहीं दे सकते वेक्सीनेशन की डोज 

    SC को केंद्र का जवाब : किसी व्यक्ति की मंजूरी बिना नहीं दे सकते वेक्सीनेशन की डोज 

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली। देश भर में फैली कोरोना महामारी के कारण लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। वही कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन को भी बहुत जरूरी बताया जा रहा है, लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को वैक्सीनेशन की अनिवार्यता को लेकर एक बड़ा बयान जारी किया है। जो इस वैक्सीनेशन ट्रायल में एक बहुत बड़ा मोड़ ले आया है।
    दरअसल भारत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया  है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर जारी गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी मंजूरी के बिना जबरदस्ती कोरोना वैक्सीन की डोज नहीं दी जा सकती। यह बात स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में कही गयी  थी । केंद्र सरकार ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी मर्जी के बिना कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
    विकलांगों को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट का सबूत दिखाने के छूट देने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसके द्वारा ऐसी कोई SOP यानी कि दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए है, जिसके तहत कोविड वैक्सीन के सर्टिफिकेट को दिखाना अनिवार्य होगा।
    आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने यह हलफनामा एक NGO “ईवारा फाउंडेशन” की याचिका के जवाब में दाखिल किया है।याचिका में NGO ने विकलांगों का घर-घर जाकर कोरोना वैक्सीन लगाने की मांग की। हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा है कि जारी कोरोना महामारी के मद्देनजर व्यापक जनहित में कोरोना वैक्सीनेशन किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि अलग -अलग प्रचार प्रसार के माध्यमों जैसे प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और विज्ञापनों के जरिये यह सलाह दी जा रही है कि सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवानी चाहिए और इसके लिए व्यवस्था और प्रक्रिया भी निर्धारित की गई है।लेकिन किसी को भी उसकी मर्जी के खिलाफ वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

  • कोविड काल में टीबी व अन्य बीमारियों से ग्रसित बरतें खास सावधानी : डा. जैन

    कोविड काल में टीबी व अन्य बीमारियों से ग्रसित बरतें खास सावधानी : डा. जैन

     द न्यूज 15 
    नोएडा। कड़ाके की सर्दी का मौसम, कोहरा और उस पर कोविड संक्रमण, यह वातावरण स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं है । ऐसे मौसम में स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमार होने का डर बना रहता है। इस लिए सभी को सतर्क रहने की जरूरत है खास तौर पर मधुमेह, टीबी और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से ग्रसित (कोमोर्बिड) लोगों को। यह बात जिला क्षय रोग अधिकारी डा. शिरीश जैन ने कहीं।डा. जैन ने कहा – जनपद में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। ऐसे में टीबी, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा – मधुमेह और टीबी जैसी बीमारियां होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और ऐसे लोगों को कोई भी संक्रमण आसानी से अपनी गिरफ्त में ले लेता है। बेहतर प्रतिरोधक क्षमता के लिए खानपान पर विशेष ध्यान दें। घर में बना खाना ही खाएं। हरी सब्जियां, सलाद और दालों को अपने खानपान में नियमित रूप से शामिल करें और बाहर निकलने से बचें। बहुत जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलें। अच्छी तरह से मॉस्क का इस्तेमाल करें और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर न  जाएं। सेनिटाइजर अपने साथ रखें और घर में साबुन-पानी से अपने हाथों को 40 सेकंड तक अच्छी तरह से धुलें ।टीबी रोगी न छोड़ें अधूरा इलाजडा. जैन ने कहा – इस समय टीबी रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। ध्यान रखें लापरवाही में इलाज बीच में न छूट जाए। उन्होंने जनपद के सभी टीबी रोगियों से अपील की है कि वह किसी भी स्थिति  में इलाज अधूरा न  छोड़ें। टीबी का अधूरा इलाज गंभीर बना सकता है। उपचार शुरू होने पर उसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। पूरा इलाज कराने और सही पोषण से टीबी रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है।लक्षण नजर आने पर कोविड जांच जरूर कराएंजिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा – वैसे तो इस मौसम में खांसी-जुकाम, बुखार होना आम बात है,लेकिन इन्हें सामान्य मानकर स्वयं उपचार करते रहना ठीक नहीं है। बेहतर हो कि  कोविड जांच करा लें और फिर रिपोर्ट के अनुरूप व्यवहार करें।  कोविड पॉजिटिव हो गए हैं तो परिवार के अन्य सदस्यों के बचाव के लिए उनसे दूर रहें। अपने कपड़े आदि अलग रखें और चिकित्सक की सलाह पर ही उपचार लें।टीबी के लक्षणडा. जैन ने कहा यदि किसी को दो सप्ताह से अधिक खांसी रहती है, खांसी में बलगम के साथ खून आता है, बुखार रहता है, वजन कम हो रहा हो, रात में सोते समय पसीना आता हो, तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। किसी भी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करा सकते हैं। टीबी की जांच और उपचार निशुल्क होता है।
  • व्यायाम करो तो पास नहीं आएगा ओमिक्रॉन !

    व्यायाम करो तो पास नहीं आएगा ओमिक्रॉन !

    द न्यूज 15 

    नई दिल्ली। कोरोना वायरस और उसका बेहरूपिया वेरिएंट ओमिक्रॉन दुनियभर में अपना कहर बरपा रहा है। तो ऐसे में खुद को सुरक्षित रखना भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है। लेकिन इन दिनों जिम और पार्क जाना भी ठीक नहीं है, तो सवाल है कि अब क्या करें, हावर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में इसका समाधान छिपा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार अगर आप अपने घर में ही इन 5 एक्सरसाइज को करते हैं, तो कोरोना आपसे कोसो दूर रहेगा।
    रस्सी कूदना : सबसे आसान एक्सरसाइज है रस्सी कूदना। जिसे आप आसानी से घर की छत या घर के अंदर भी किसी खाली जगह आसानी से कर सकते है. इस एक्सरसाइज को करने से काफी कैलोरी बर्न होती है, जिससे वजन कम करने में भी मदद मिलती है। इस एक्सरसाइज को करते समय इस बात को जरूर ध्यान में रखें कि मुंह से सांस न लें और शरीर सीधा रखें। जंप करते समय घुटनों को भी न मोड़े।
    पुशअप्स : पुशअप्स हमारे शरीर की मजबूती के लिए काफी फायदेमंद है।
    यह एक बॉडी वेट एक्सरसाइज है जिसे पुरुष और महिला दोनों ही कर सकते है। पुशअप्स को आप घर या कहीं भी कर सकते हैं। यह जितनी प्रभावशाली एक्सरसाइज है, उतना ही इसे करना आसान है.इसे करने से सीना, कंधा, हाथ, पेट आदि पर खिंचाव आता है। इस एक्सरसाइज को करते समय ध्यान रखना चाहिए कि हाथ कंधे से थोड़ी बाहर की ओर रखे हुए हों, सिर शरीर की दिशा में हो और पेट टाइट रहे। इस एक्सरसाइज को करने शरीर की ताकत बढ़ती है, चेस्ट के मसल्स की ग्रोथ होती है, चेस्ट को शेप मिलता है और कैलोरी बर्न होती है।
    बर्पी :  बर्पी काफी अच्छी बॉडी वेट एक्सरसाइज है, जिसे शरीर के वजन से ही करना होता है. 1 बर्पी करने से 2 कैलोरी बर्न होती है।  इस एक्सरसाइज से स्ट्रेंथ और स्टेमिना बढ़ता है। इस बात को ध्यान रखें कि इस एक्सरसाइज को करते समय मुंह से सांस न लें, नहीं तो अधिक थकान होगी।
    पुल-अप्स : यह भी बॉडी वेट एक्सरसाइज है. और दूसरी एक्सरसाइज के मुकाबले कठिन हो सकती है क्योंकि इसमें अपने शरीर का वजन हाथों से खींचना होता है. इसे एक्सरसाइज को घर की ऊंची रेलिंग, कमरे, हॉल या छत में गेट के ऊपर का निकले हुए हिस्से को पकड़कर किया जा सकता है।   इसे करते समय शुरुआत में इस बात को ध्यान में रखें कि अगर आप पूरे ऊपर नहीं जा पा रहे हैं, तो पहले आधे ऊपर जाएं और उसके बाद धीरे-धीरे शरीर को पूरा ऊपर ले जाने की कोशिश करें।  इसे करते समय यह भी ध्यान रखे की पेट टाइट रहे और हाथ कंधे से बाहर की ओर रहें।
    स्टेयर्स  क्लाइंबिंग : स्टेयर्स क्लाइंबिंग यानी सीढ़ी चढ़ना भी काफी अच्छी होम एक्सरसाइज है. इस एक्सरसाइज से कैलोरी तो बर्न होती ही है, साथ ही साथ पैरों के मांसपेशियां भी  मजबूत होते हैं. इसे करने के लिए घर की ऐसी सीढ़ियां चुनें जिसमें फिसलन न हो। इसे करने का तरीका है की ग्रिप वाले जूते पहनकर जल्दी से उन सीढ़ियों को चढ़ें और फिर उतरें। जल्दी-जल्दी चढ़ने-उतरने से हार्ट रेट बढ़ेगी और अधिक कैलोरी बर्न होगी। इस बात को ध्यान में रखें कि यदि अधिक थकान हो तो धीरे-धीरे इस एक्सरसाइज करें।
    अब जरा आप ये भी समक्षिये की इन एक्सरसाइज से पहले आपको किन किन बातों का ध्यान रखना है। तो सबसे पहले कोई भी एक्सरसाइज करने से पहले 5 मिनट का वार्म अप कर लें। फिर इन सभी एक्सरसाइज को केवल 20 से 25 मिनट तक करना है। और अगर कोई हेल्थ प्रॉब्लम है, शरीर के किसी हिस्से में चोट लगी है या पहली बार एक्सरसाइज को कर रहे हैं तो पहले किसी फिटनेस एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें

  • कोरोना के कारण CBSE के छात्रों के लिए नए निर्देश जारी

    कोरोना के कारण CBSE के छात्रों के लिए नए निर्देश जारी

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। कोरोना की तीसरी लहर के कारण देश में कई परीक्षाएं स्थगित और कुछ परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी है, लेकिन सीबीएसई बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय 10वीं एवं 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं तय समय पर आयोजित करवाने के पक्ष में है।

    यदि किसी कारणवश परीक्षाएं नहीं ली जा सकीं तो पहले चरण की परीक्षाओं के आधार पर 10वीं एवं 12वीं कक्षा के नतीजों की घोषणा की जाएगी।

    हालांकि परीक्षा रद्द होने की संभावना कम है। फिलहाल विशेषज्ञों का मानना यही है कि कोरोना की तीसरी लहर बीत जाने के उपरांत देशभर में लाखों छात्रों के लिए 10वीं एवं 12वीं कक्षा की सीबीएसई बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। सीबीएसई 10वीं एवं 12वीं कक्षा के टर्म 1 की बोर्ड परीक्षा पहले ही ले चुका है। इस वर्ष मार्च-अप्रैल में बोर्ड के दूसरे चरण की परीक्षा आयोजित की जानी है।

    दूसरे चरण की परीक्षा की अवधि 2 घंटे की होगी और इसमें पूछें जाने वाले सभी प्रश्न सब्जेक्टिव टाइप के होंगे।

    सीबीएसई के अकादमिक निदेशक डॉ. जोसेफ इमैनुएली ने दसवीं और बारहवीं की टर्म 2 परीक्षा के लिए नमूना प्रश्न पत्र जारी किए हैं। इमैनुएली ने सीबीएसई से संबंधित सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य को जानकारी देते हुए बताया कि दूसरे चरण की परीक्षा से संबंधित सैंपल प्रश्न पत्र वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं।

    यही नहीं सीबीआई ने परीक्षाओं के लिए माकिर्ंग स्कीम भी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी की गई हैं।

    सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज पहले ही कह चुके हैं कि यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि कोविड के कारण दूसरे चरण की परीक्षाएं नहीं हो पाती है तो फिर पहले चरण की बोर्ड परीक्षाओं में हासिल किए गए नंबर ही अंतिम माने जाएंगे और इन्हीं के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाएगा।

    हालांकि यदि ऐसी कोई स्थिति नहीं आती है और दूसरे चरण की परीक्षाएं भी सीबीएसई द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित करा ली गई तो फिर फाइनल रिजल्ट इन दोनों परीक्षाओं के अंक 50 -50 फीसदी के हिसाब से तय किए जाएंगे।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों ही 15 से 18 वर्ष की आयु के छात्रों के टीकाकरण पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं ताकि परीक्षा में शामिल होने वाले ये छात्र कोरोना से लड़ाई में प्रतिरोधी शक्ति हासिल कर सकें।

    सेठ जयपुरिया स्कूल के हेड मास्टर पंकज राठौर ने परीक्षा की तैयारियों और कोरोना की मौजूदा स्थिति को लेकर कहा कि महामारी ने बच्चों को सीखने के हाइब्रिड मोड के लिए अभ्यस्त कर दिया है। स्कूल की आईटी तैयारी हमें मूल्यांकन की पारंपरिक धारणाओं से आगे बढ़ने में मदद करेगी। स्कूलों को स्थिति के साथ बने रहना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि छात्र प्रीबोर्ड और बोर्ड के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं।

    उनका कहना है कि 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के टीकाकरण के बाद इन बच्चों के लिए ऑफलाइन कक्षाओं की योजना बनाई जा रही है। स्कूल परिसर के भीतर टीकाकरण शिविर बच्चों को घर जैसा महसूस कराने में मदद करेंगे। टीकाकरण के बाद कुछ दिनों तक छात्रों का निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

    एक ओर को सीबीएसई 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कराने की तैयारियों में जुटा है। वहीं दूसरी ओर स्वयं शिक्षा मंत्रालय भी छात्रों की परीक्षाओं की तैयारियों को लेकर सतर्क है।

    स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ नामक संवाद कार्यक्रम करने जा रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय भी ‘परीक्षा पे चर्चा’ को लेकर भी उत्साहित है और इसके लिए अधिक से अधिक छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस वर्ष परीक्षा पे चर्चा नामक इस कार्यक्रम का प्रारूप 2021 की तरह ही ऑनलाइन मोड में रखने का प्रस्ताव है। प्रतिभागियों का चयन करने के लिए 28 दिसंबर से 20 जनवरी 2022 तक पर विभिन्न विषयों पर एक ऑनलाइन रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। चयनित विजेताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों को परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

    कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूली छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों का चयन एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से किया जाएगा।

  • ओडिशा में कोविड मामलों का रोजाना आंकड़ा 10 हजार के पार 

    ओडिशा में कोविड मामलों का रोजाना आंकड़ा 10 हजार के पार 

    द न्यूज 15 

    भुवनेश्वर | ओडिशा में कोविड-19 के नए मामलों का रोजाना आंकड़ा गुरुवार को 10,000 के पार चला गया। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान 10,059 नए मामले दर्ज किए गए। राज्य में बुधवार को 8,778 कोविड मामले दर्ज किए गए थे।
    राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अनुसार, ताजा मामलों में से 872 संक्रमित 0 से 18 वर्ष आयुवर्ग के हैं। इसके अलावा, 5,833 संक्रमित लोग आइसोलेशन में हैं। इनमें से 4,226 स्थानीय संपर्क के मामले हैं।
    राज्य के सभी 30 जिलों से मामले सामने आए। खुर्दा जिला 3,188 नए मामलों के साथ संक्रमण सूची में शीर्ष पर बना रहा, इसके बाद सुंदरगढ़ (1348), कटक (870) और संबलपुर (570) हैं। नए मामलों के साथ ओडिशा में सक्रिय मरीजों की संख्या 44,349 तक पहुंच गई।
    राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने वायरस से और तीन लोगों की मौत होने की पुष्टि की है। मौत के मामले अंगुल, केंद्रपाड़ा और नयागढ़ जिलों से सामने आए।
    पिछले 24 घंटों में राज्य में कुल 81,065 नमूनों की जांच की गई। राज्य में दैनिक संक्रमण दर बुधवार को 11.76 प्रतिशत थी, जो अगले दिन बढ़कर 12.40 प्रतिशत हो गई।
    राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक विजय महापात्र ने कहा कि राज्य में संक्रमण की दर बढ़ रही है। अगले कुछ दिनों में अंौर बढ़ने की आशंका है।
    महापात्र ने कहा, “दूसरी लहर की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की दर काफी कम रही। हालांकि, हम अपने स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे, दवा और ऑक्सीजन की आपूर्ति को मजबूत करने की प्रक्रिया जारी रखे हुए हैं।”
    उन्होंने बताया कि राज्य में संक्रमण के मरीज सामान्य बिस्तरों पर 6.51 प्रतिशत, आईसीयू बिस्तरों पर 12.51 प्रतिशत और वेंटिलेटर बिस्तरों पर 3.62 प्रतिशत हैं।