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  • प्रचंड ठंड पर गाना गाकर शख्स ने सोशल मीडिया पर मचाई सनसनी

    प्रचंड ठंड पर गाना गाकर शख्स ने सोशल मीडिया पर मचाई सनसनी

    पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लोग ठंड से बचने के लिए अलग-अलग उपाय अपना रहे हैं। कोई रजाई में दुबका पड़ा है तो कोई आग के अलाव को जलाकर बैठा हुआ है। कई राज्यों में तो सूर्य देव के दर्शन भी नहीं हो रहे हैं। लेकिन इस ठंड का असर लोगों की जिंदगी पर ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी होता हुआ दिख रहा है। बीते कुछ समय पहले पॉल्यूशन के मुद्दे पर दो लड़कों की गाई व्यंग्य से भरी कव्वाली सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी, जिसके बोल थे..’तुम्हे क्लीन हवा भूल जानी पड़ेगी, दिल्ली एनसीआर में आ कर तो देखो.. अस्थमा, ब्रोंकाइटिस से बच ना सकोगे, बिल हॉस्पिटल का बचा कर तो देखो.’ कुछ इस तरह से लिरिक्स के साथ गाई गई इस कव्वाली के बोल तो कमाल के थे ही, गाने वाले की आवाज भी बेहद सुर में थी. इस वीडियो को देख इंटरनेट पर लोग इनके कायल हो गए थे. अब एक बार फिर इस कड़ी में बाइक चलाता एक शख्स ठंड के ऊपर गाना गाता नजर आ रहा है, जिसे सुनकर लोग कह रहे हैं, ‘वाह..मान गए जनाब.’
    पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने के बाद मैदानी इलाकों में भी ठंड काफी बढ़ गई है. ठंड के बढ़ने के साथ-साथ कोहरा और धुंध भी काफी बढ़ गया है. देशभर में बढ़ती इस ठंड का असर सोशल मीडिया पर भी देखने को भी मिल रहा है. हाल ही में ठंड पर वायरल हो रहे इस गाने के सुर प्रसिद्ध फिल्म और थिएटर अभिनेता, गायक, पटकथा लेखक, गीतकार, संगीतकार और लेखक पीयूष मिश्रा के एक मशहूर गीत संग्रह ‘आरम्भ है प्रचंड’ से लिया गया है, जिसे सुनकर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. गैंग्स ऑफ वासेपुर, मकबूल, गुलाल और पिंक जैसी फिल्मों से सुर्खियां बटोरने वाले पीयूष मिश्रा के गीतों में मिलन की महक भी है और जुदाई की कसक भी. अपनी कई कविताओं में पीयूष वीर रस के उन कवियों की याद दिलाते हैं, जिनकी रचनाओं ने रण के मैदान में जान फूंकने का काम किया. हाल ही में उनके ऐसे ही गीत संग्रह में से एक ‘आरम्भ है प्रचंड’ एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार बोल कुछ अलग हैं.

    वीडियो में बाइक चलाते हुए एक शख्स ठंड के ऊपर गाना गाता नजर आ रहा है. इसी कड़ी में कुछ दिन पहले एक और शख्स इसी तरह ठंड पर गाना गाता नजर आया था, जिसका वीडियो खूब वायरल हुआ था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर यह वीडियो शेयर किया गया है. वीडियो में आप सुन सकते हैं कि शख्स ‘आरंभ है प्रचंड’ की धुन पर ठंड पर एक शानदार गाना बनाया है. गाने की लाइन सुनें तो वह एक-एक शब्द में यह बताने की कोशिश कर रहा है कि, ठंड की गंभीरता कितनी बढ़ गई है. वीडियो में शख्स सबसे मजेदार बात बताते हुए कहता है कि, अगर आप ठंड के मौसम में नहाना नहीं चाहते, तो सिर्फ अपना सिर गीला कर लीजिए और काम हो जाएगा. आगे वह कहता है, स्नान करने वाले को खुद को पवित्र नहीं समझना चाहिए. आप भी सुनिए ये गाना.

  • श्रीनगर के लाल चौक पर पहली बार मनाया गया नए साल का जश्न

    श्रीनगर के लाल चौक पर पहली बार मनाया गया नए साल का जश्न

    साल 2024 का आगमन हो चुका है और पूरा देश जश्न मनाकर नए साल का स्वागत कर रहा है। 31 दिसंबर की रात पूरे देश में जश्न का महौल देखने को मिला। साल 2024 के स्वागत में भारत के ऐसे जगहों पर जश्न मनाया गया, जहां कुछ सालों तक लोग दहशत में शाम 7 बजे के बाद घरों से नहीं निकलते थे। या यूं कहें कि आजादी के बाद यहां पहली बार नए साल का जश्न मना तो कहीं गलत नहीं होगा। अब आप भी सोच रहे होंगे कि पूरे भारत में तो जश्न मनाया जाता है और हम किस जगह की बात कर रहे हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि कहां आजादी के बाद पहली बार नए साल का जश्न मनाया गया। दरअसल हम बात कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और अनंतनाग की जहां पहली बार नए साल का जश्न मनाया गया। श्रीनगर क लाल चौक में रात 12 बजे तक लोग नए साल का जश्न मनाते और झूमते गाते नजर आए। बता दें कि साल 2019 से पहले घंटा घर पर होने वाली सभाएं ज्यादातर विरोध प्रदर्शन या अलगाववादी घटनाओं से जुड़ी होती थीं, लेकिन रविवार का माहौल सबसे अलग और नया था।

    पहली बार सार्वजनिक तौर पर मनाया जश्न

    स्थानीय लोगों की मानें तो यहां पहली बार सभी लोग एक साथ मिलकर सार्वजनिक तौर पर नए साल का स्वागत किए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि पहले भी नए साल की पार्टियां नहीं होती थी, लेकिन ज्यादातर लोग घरों में या एक वर्ग तक ही सीमित रहते थे। कुछ साल पहले तक सार्वजनिक स्थान पर नए साल की पार्टी करना अकल्पनीय था लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। उन्होंने कहा, हर कोई जीवन में कुछ मनोरंजन करना चाहता है। चारों ओर देखें और आपको जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग मिलेंगे। आपके पास रूढ़िवादी दृष्टिकोण वाले लोग हैं और आपके पास आधुनिक दिखने वाले लोग भी हैं। वे सभी अच्छा समय बिता रहे हैं। ना सिर्फ शहरवासी, बल्कि घाटी के अन्य हिस्सों से भी कश्मीरी नए साल के जश्न का आनंद लेने के लिए श्रीनगर आए हैं।

    धारा 370 खत्म होने के बाद बदली तस्वीर

    गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था। धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में ताबड़तोड़ परिवर्तन देखने को मिला है। यहां पर्यटन से लेकर स्थानीय कारोबार में भी तरक्की देखने को मिली है। बताया जा रहा है कि इस बार पर्यटकों की पहली पसंद जम्मू-कश्मीर है। जबकि पहले नए साल पर लोग हिमाचल जाना पसंद करते थे।

  • एक महिला ने की पेड़ से शादी , जानिए कैसे शुरू हुई इनकी प्रेम कहानी

    एक महिला ने की पेड़ से शादी , जानिए कैसे शुरू हुई इनकी प्रेम कहानी

    अभी तक आपने कई प्रेम कहानियां सुनी होंगी, कोई सीमा पार कर एक देश से दूसरे देश बिना पासपोर्ट के अपने पेयर के खातिर चले जाते है .. .. तो कभी 60 -70 साल के चाचा को 18 साल की जवान लड़की से प्यार हो जाता है .। कही एक की दूल्हे की 2 दुल्हनो के साथ शादी हो रही है .। और ना जाने कई एसी अजीबो गरीबों प्रेम कहानिया देखने और सुनने को मिलती है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बतायेंगे, जिसे किसी इंसान से नहीं, बल्कि एक पेड़ से प्यार हो गया है। यह सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन सच यही है। कनाडा की रहने वाली सोनजा सेम्योनोवा को ओक के पेड़ से प्यार हुआ है और उन्होंने खुद को ‘इकोसेक्सुअल’ बताया है। इसका मतलब एसे व्यक्ति से है, जो प्रकृति यानि nature को अपने प्रेमी के रूप में मानते है।

    अब क्या है ये पूरा मामला चलिए आपको बताते है ? नमस्कार में सुंबीक और आप देख रहे THE NEWS 15
    45(पैतालीस) साल की सोनजा ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर द्वीप में रहती हैं । वह रोजाना सैर करने बाहर जाती हैं और 2020 में एक दिन उनकी नजर एक बड़े से ओक के पेड़ पर पड़ी। इसके बाद वह हफ्ते में 5 दिन पेड़ के पास ही टहलती थी, जिससे उन्होंने पेड़ के साथ एक संबंध देखना शुरू कर दिया।
    सोजना का यह संबंध धीरे-धीरे गहरा होता गया और एक दिन उन्होंने पेड़ के लिए कामुक भावनाओं यह कह लीजिए sensual फीलिंग आना शुरू हो गई ।

    सोनजा ने बताया कि वह पेड़ के साथ जिस कामुक संबंध का अनुभव करती हैं, वह इंसानों के साथ होने वाली भावनाओं से बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा, “इंसानों के बीच होने वाला यौन संबंध और प्रकृति के साथ कामुकता इकोसेक्सुअल महसूस करना, इन दोनों के बीच काफी समानताएं होती हैं, लेकिन ये समान नहीं हैं। मैं पेड़ के साथ शारीरिक गतिविधियां नहीं करती, बल्कि मेरे लिए बदलते मौसम को देखना एक कामुक भावना है।”

    सोनजा के मुताबिक, वह पेड़ के साथ जो उपस्थिति महसूस करती हैं, वैसी ही वह हमेशा एक साथी में चाहती थी। उन्होंने कहा, “मैं कामुकता की उस ऊर्जा को महसूस करने के लिए तरस रही थी, जो तब आती है जब आप एक नए साथी से मिलते हैं और वह टिकाऊ नहीं होता है।” इसके अलावा सोनजा का मानना है कि प्रकृति के साथ संबंध बनाने से कई जलवायु संबंधी चिंताओं से निपटने में भी मदद मिल सकती है।
    सोनजा यह भी कहती हैं कि बहुत से लोगों में इकोसेक्सुअलिटी पहले से ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ” इकोसेक्सुअलिटी के कारण ही हम पिकनिक मनाने के लिए पार्क जाना पसंद करते हैं, जहां हरियाली होती है और घूमने के लिए ऐसी जगह जाते हैं, जहां प्रकृति से जुड़ाव महसूस होता है। हम बस ये महसूस नहीं करते हैं कि प्रकृति के प्रति हमारी कमुकता के कारण ही हम ऐसी जगहों पर जाना पसंद करते हैं।

  • पाकिस्तान के चुनाव में उतरा एक आतंकवादी और एक हिन्दू महिला

    पाकिस्तान के चुनाव में उतरा एक आतंकवादी और एक हिन्दू महिला

    पाकिस्तान में 16वीं नेशनल असेंबली के चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। यह चुनाव 8 फरवरी 2024 को होंगे। बता दें कि ये चुनाव हर बार से कुछ अलग है।2008 में मुंबई अटैक के मास्टरमाइंड और ग्लोबल टेरेरिस्ट हाफिज सईद की पार्टी पाकिस्तान में सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है. चुनावी मैदान में हाफिज का बेटा तल्हा सईद भी उतर गया है. तल्हा अपने पिता और आतंकी हाफिज की पार्टी पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग (PMML) से लाहौर से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. लाहौर सीट पर तल्हा का सीधा मुकाबला पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान से होगा.

    वही जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार कोई हिंदू महिला आम चुनाव लड़ने जा रही है। इनका नाम सेवरा प्रकाश है। सवेरा पीपीपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इन्होंने खैबर पख्तूनख्वा की एक सीट से नामांकन दाखिल किया है। बता दें कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के मुखिया बिलावल भुट्टो जरदारी हैं। वो पाकिस्तान के मौजूदा सरकार का हिस्सा भी हैं। आइए जानते हैं कौन हैं सवेरा प्रकाश?

    सवेरा प्रकाश पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP)महिला विंग के महासचिव के रूप में कार्यरत हैं। सवेरा प्रकाश ने महिला विंग के महासचिव के रूप में काम करते हुए महिलाओं के उत्थान के कई काम किए हैं। सवेरा ने एबटाबाद इंटरनेशनल मेडिकल कॉलेज से 2022 में ग्रेजुएशन किया है। बता दें कि सवेरा प्रकाश के पिता भी पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के मेंबर रह चुके हैं। वह पेशे से डॉक्टर थें,जो कि अब रिटायर हो चुके हैं। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए सवेरा प्रकाश ने चुनाव लड़ने का मन बनाया है।अपने पिता से विरासत में मिली राजनीति को सवेरा आगे बढ़ाने में जुट गई हैं।

    सवेरा प्रकाश ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मानवता उनके खून में है। निर्वाचित विधायक बनने का उनका सपना उनके मेडिकल करियर के दौरान सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था को देखकर उपजा है।

    वही दुसरी तरफ़ हाफिद सईद ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की नींव रखी थी. जिस पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगा दिया था. संयुक्त राष्ट्र ने हाफिज को कई आतंकी घटनाओं का अंजाम देने का आरोपी माना और वह 2019 से जेल में बंद है. अमेरिका ने सईद पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा.

    तल्हा सईद भी अपने पिता के कदमों पर चला. कम उम्र से ही वो आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की तैयारी का हिस्सा बनने लगा. कुछ सालों के बाद आधिकारिक तौर पर वह लश्कर-ए-तैयबा के क्लर्क विंग में काम करने लगा और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की योजना बनाने लगा.

    भारत सरकार की ओर से जारी बयान में तल्हा सईद के बारे में कई जानकारियां दी गईं. तल्हा को भारत, अमेरिका और इजराइल में जिहाद के नाम पर लोगों को भड़काने और गुमराह के लिए जाना गया. कम उम्र से ही पिता के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में आतंकियों की भर्ती का जिम्मेदारी तल्का को दी गई. इसके साथ ही पाकिस्तान में बने लश्कर के केंद्रों का निरीक्षण करने और इसे मजबूत बनाने का काम किया.

    बड़े पैमाने पर आतंकियों की भर्ती के साथ संगठन के लिए पैसा जुटाने की कमान भी तल्का के पास थी. अफगानिस्तान और भारत में आतंकी साजिश रचने में इसका नाम आया. अमेरिका, इजराइल समेत कई देशों में तल्हा नफरत फैलाने का काम करता आया है्.

    भारत में आतंकी साजिश को रचने में मदद करने वाला तल्हा जहर उगलने में अपने पिता हाफिज सईद के नक्शे कदम पर चलता रहा है. उसने कई बयान दिए जो भारत विरोधी रहे. जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठता है. जेहाद फैलाने की बात करता है. 2007 में उसका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो यह कहता हुआ नजर आया कि कश्मीर में हर कीमत पर जेहाद होकर रहेगा.

    साल 2022 में भारत सरकार ने उसे UAPA के तहत आतंकी घोषित किया गया था. इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से अप्रैल 20222 में आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया Set featured imageगया था. भारत की ओर से तल्हा सईद को भारत में लश्कर-ए-तैयबा के हमलों के लिए योजना बनाने और आतंकी घटनाओं के लिए पैसा जुटाने का दोषी बताया था. हालांकि, पाकिस्तान में वह खुले आम घूम रहा है और उस पर कोई पाबंदी नहीं है.

    वहीं पिता और लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद जेल जेल में बंद है और भारत की वाछिंत अपराधिकयों की लिस्ट में शामिल है.

  • मानव तस्करी के शक में फ्रांस में 4 दिन रोक कर रखा गया फ्लाइट मुंबई पहुंचा

    मानव तस्करी के शक में फ्रांस में 4 दिन रोक कर रखा गया फ्लाइट मुंबई पहुंचा

    मानव तस्करी के शक में चार दिनों से फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास एक एयरपोर्ट पर फंसा हुआ विमान आखिरकार आज भारत पहुंच गया है। आज फ्लाइट की मुंबई में लैंडिंग हुई है। एयरपोर्ट पर फ्रांसीसी अधिकारियों ने मानव तस्करी के संदेह के आधार पर हिरासत में लेने के चार दिन बाद एक रोमानियाई विमान आज 303 यात्रियों को लेकर पहुंचा है। रोमानिया की कंपनी का यह विमान ने दुबई से उड़ान भरी थी, वह यात्रियों को लेकर निकारागुआ जा रहा था। मानव तस्करी के शक में विमान को रोका गया था। अब क्या है ये पूरा मामला चलिए आपको बताते है

    नमस्कार में सुंबीक गुप्ता और आप देख रहे THE NEWS 15

    मानव तस्करी के शक में चार दिन पहले फ्रांस में एक प्लेन को रोका गया था. पर अब चार्टर प्लेन आखिरकार मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड हो गया है. इस मामले को लेकर एक अधिकारी ने बताया कि प्लेन 276(छियात्तर ) यात्रियों को लेकर भारत पहुंचा. इस विमान में ज्यादातर भारतीय हैं. उन्होंने आगे बताया कि विमान एयरबस A-340 सुबह चार बजे के आसपास मुंबई पहुंचा. इस विमान ने वहां के टाइम के हिसाब से 2:30 बजे पेरिस के पास वैट्री हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी.

    लेकिन इसमें देरी हुई। बताया गया कि विमान में 50 यात्री लौटना नहीं चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने फ्रांस में रहने के लिए अर्जी दी है। बाद में यह विमान कुछ यात्रियों को छोड़कर मुंबई के लिए निकला। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि विमान में कितने यात्री सवार हैं। माना जा रहा है कि जिन्होंने शरण के लिए आवेदन नहीं किया है, वे कम से कम सवार नहीं हैं।

    रोमानिया की Legend Airlines के इस विमान में 303 यात्री सवार थे, जिनमें ज्यादातर भारतीय हैं। यह विमान दुबई से निकारागुआ के लिए निकला था और तेल भरने के लिए फ्रांस के वाट्री एयरपोर्ट पर गुरुवार को उतरा था। इस दौरान फ्रांस के अधिकारियों को सूचना मिली की इसमें मानव तस्करी के पीड़ितों को ले जाया जा रहा है, तो विमान को उड़ान भरने से रोक दिया गया। रविवार को चार जजों ने एयरपोर्ट परिसर पर ही यात्रियों से पूछताछ की। इसके बाद रविवार को ही फ्रांस के अधिकारियों ने इस A 340 विमान को यात्रा फिर से शुरू करने की अनुमति दी थी।

    फ्रांस के मीडिया ने सोमवार को बताया कि कुछ यात्री सेंट्रल अमेरिका के निकारागुआ की अपनी यात्रा जारी रखना चाहते हैं। दो यात्रियों को यात्री का मंजूरी नहीं मिली है और उन्हें आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। फ्रांस के मीडिया ने कहा कि वे सभी यात्री जो पुलिस हिरासत में नहीं हैं और जिन्होंने शरण के लिए आवेदन नहीं किया है, उनके रवाना होने की उम्मीद है।

    11 भारतीय नाबालिग हैं, जिनके पैरेंट्स साथ नहीं…। 300 भारतीयों में एक 21 महीने का बच्चा और 11 भारतीय नाबालिग हैं, जिनके माता-पिता उनके साथ नहीं हैं। जजों की पूछताछ के दौरान कुछ लोग हिंदी में बात कर रहे थे तो कुछ लोग तमिल भाषा बोल रहे थे। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि प्लेन में साउथ इंडिया के लोग भी मौजूद थे।

    एयरपोर्ट पर ही रहने-खाने का इंतज़ाम कीया गया था फ्रांस ने सभी लोगों के लिए एयरपोर्ट पर ही रहने और खाने की व्यवस्था की थी। बच्चों की पढ़ाई के लिए ट्यूटर रखे गए थे। यहां रोज भारत के अधिकारी उनसे मुलाकात कर रहे थे। वहीं, फ्रांस ने फ्लाइट ऑपरेट कर रहे प्राइवेट जेट के क्रू मेंबर्स से भी पूछताछ की थी। इसके बाद उन्हें आजाद कर दिया गया था।

    एयरलाइंस की वकील ने मानव तस्करी में किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार किया है। फ्रांस में मानव तस्करी के लिए 20 साल तक की सजा का प्रावधान है। खबरों के मुताबिक, यात्रियों ने सेंट्रल अमेरिका के निकारागुआ के जरिए अवैध रूप से अमेरिका या कनाडा में घुसने की योजना बनाई होगी। गुमनाम सूचना पर इसे रोका गया था।

  • West Bengal Panchayat Election: पंचायत चुनाव नामांकन के दौरान बंगाल में भड़की हिंसा

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    पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव नामांकन के पाचंवे दिन भी भारी हिंसा देखने को मिला.राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और विपक्ष के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद स्तिथि नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस बल की सहायता लेनी पड़ी. बंगाल के 24 परगना और बाकुंड़ा जिले में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन होना था. नामांकन के दौरान कोलकाता से तकरीबन 30 किलोमीटीर दूर भांगर इलाके में तृणमूल कांग्रेस और फ्रंट इंडियन सेक्यूलर के बीच झड़प हो गई. हिंसा उग्र होते ही दो गुटों के बीच पत्थरबाजी भी शुरू हो गई. वहीं नामांकन के पहले दिन से ही बंगाल में तनाव का माहौल देखने को मिल रहा था. इससे पहले राज्य के अन्य इलाकों से भी हिंसा की खबर सामने आई थी.

    पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के सिलसिले में नामांकन का दौरान टीएमसी और विपक्ष के कार्यकर्ता के बीच झड़प हो उठी. राज्य के बाकुंड़ा और दक्षिण परगना जिले में टीएमसी और विपक्ष के कार्यकर्ता आपस में भीड़ गए., जिसके बाद स्तिथि काबू करने के लिए पुलिस बल को लाठीचार्ज करनी पड़ी. इस पूरे मामले पर सत्तापक्ष और विपक्ष द्वारा एक दूसरे पर नामांकन दाखिल करने से रोकने का आरोप लगाया गया है. वहीं पुलिस की माने तो इस हिंसा में दोनो पक्षों के कार्यकर्ता के घायल होने की घबर सामने आई है.

    West Bengal Panchayat Election: किस-किस जगह भड़की हिंसा

    बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन का दौर चल रहा है..ऐसे में राज्य के कई जिलों से हिंसा की खबरें सामने आ रही है.यह हिंसा ममता की पार्टी सहित विपक्ष में बैठे फ्रंट इंडियन सेक्यूलर और भाजपा के बीच हुई है. हिंसा के बाद तमाम राजनैतिक पार्टी द्वारा एक दूसरे पर नामांकन दाखिल करने से रोकने का आरोप लगाया गया है. आपको बता दें कि ये हिंसा मुर्सिदाबाद, वीरभूम,पूर्वी मिदनापुर, पूर्वी बुर्द्वान, कूचबिहार और 24 परगना में हुई है. वहीं नामांकन के अखिरी दिन हिंसा में कई लोगों की मृत्यु की खबरें भी सामने आई है. इसके अलावा सीपीएम समेत टीएमसी और आईएसएफ नेता के मरने की बाताई जा रही है.

    मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ली एक्शन

    इस पूरे मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक्शन लेते हुए राज्य में हो रहे ग्राम चुनाव के मद्देनजर केन्द्रीय बल की तैनाती कर दी है, साथ ही कोर्ट ने नामांकन भरने के तय सीमा को बढ़ाने वाली याचिका को भी खारिज कर दी है.

    कलकत्ता हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बातें

    वहीं इस बीच बंगाल सरकार और राज्य की चुनाव आयोग को, सुप्रीम कोर्ट से गहरा झटका लगा है.ममता सरकार सहित राज्य की चुनाव आयोग कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने शीर्ष कोर्ट पहुंची थी, जहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई. साथ ही कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की. जस्टिस बीवी नागरत्ना व जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए उसमें दखल देने से इन्कार कर दिया.

     

    सुप्रीम कोर्ट
    सुप्रीम कोर्ट

    मामले पर क्या है विपक्षी दल का कहना

    कलकत्ता में नामांकन दायर करने के दौरान राजनैतिक पार्टी के बीच हो रही हिंसा पर विपक्षी दलों का आरोप है कि उन्हें चुनाव के लिए हो रहे नामांकन करने से रोका जा रहा है. ISF नेता और भंगार के विधायक नौशाद सिद्धकी का कहना है कि टीएमसी के गुंडे उन्हें नामांकन करने से लगातार रोकने का प्रयास कर रहे है, वहीं टीएमसी ने आईएसएफ के इन आरोपों को सीड़े से खारिज कर दी.टीएमसी राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि आईएसएफ द्वारा इलाके में हिंसा फैलाने की कोशिश की जा रही थी.

    पूर्व पंचायत चुनाव में क्या था माहौल

    इससे पहले 2018 के बंगाल पंचायत चुनाव में टीएमसी 95 प्रतिशत सीटों पर बाजी मारी थी. इस बीच विपक्षों द्वारा ममता सरकार पर एकबार फिर नामांकन में अर्चन डालने का आरोप भी लगाया गया था. वहीं बंगाल में टीएमसी के सत्ता में आने के बाद ऐसी स्तिथि दूसरी बार उत्पन हुई है, जब पंचायत चुनाव में केन्द्रीय बल की तैनाती करनी पड़ी है. इससे पहले 2013 के पंचायत चुनाव में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 20,000 जवानों की तैनाती की गई थी.

  • Opposition unity: पटना में विपक्षी दलों का महाजुटान

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    2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एकबार फिर विपक्षी एकता का गठजोड़ देखने को मिल रहा है.जदयू नेता नीतीश कुमार के पहल पर बिहार की राजधानी पटना में 23 जुलाई को विपक्षी नेता की पहली बैठक होने जा रही है.इस बैठक में कश्मीर से लेकर तमिलनाडू तक के कद्दावर नेता हिस्सा लेने वाले है.वहीं बैठक की मेजवानी बिहार सीएम नीतीश कुमार करेंगे.

    माना जा रहा है कि, इस बैठक में केन्द्र में बैठी मोदी सरकार को सत्ता से विमुख करने की रणनीति तैयार की जाएगी. बिहार के मुखिया, नीतीश कुमार के अथक प्रयास के बाद पटना में ये बैठक होने जा रही है. याद दिला दे कि विपक्षी दलों के इस बैठक के सिलसिले में नीतीश कुमार ने ओडिशा से लेकर दिल्ली भ्रमण भी किया था. तमाम दलों के नेताओं को एक छत के नीचे लाने के बाद ये बैठक होने जा रही है..
    आपको बता दें कि बिहार में इस वक्त अरविंद केजरीवाल भगवंत मान ममता बनर्जी सहित कई अन्य नेताओं के होने की खबर भी सामने आ रही है.

    Opposition unity: क्यों है ये बैठक महत्वपूर्ण

    भारत में 2024 का लोकसभा चुनाव करीब आते दिख रहा है.करीब 9 से 10 महीने बाद हिन्दुस्तान में चुनावी मौसम की शुरूआत हो जाएगी.इस बीच कहा जा रहा है, कि विपक्षी दल इसबार किसी भी तरह की गलती करने की गुंजाईंश नहीं रखना चाहते है. पटना के राजनैतिक गलियारों में होने जा रहा विपक्षी बैठक का मुख्य मकसद 2024 के लोकसभा चुनाव में देश को भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विक्लप देना है. साथ ही भाजपा के खिलाफ पड़ने वाले तमाम वोटों को बांटने के जगह जोड़ने की बात भी कही जा रही है. इसी कड़ी में पिछले महीने प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार बंगाल दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक का सफर भी तय किया था.

    बैठक से पहले पटना के गलियारों में छिड़ा पोस्टर वार

    23 जून को होने वाली विपक्षी एकता को लेकर बिहार में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. बैठक से पहले, राज्य में बैठे विपक्ष के तरफ से बैठक में शामिल हो रहे नेताओं सहित नीतीश कुमार पर हमला तेज हो गया है.

    विपक्ष की ओर से इस बैठक को परिवारवाद और भ्रष्टाचार में डुबी पार्टियों का महासम्मेलन करार दिया गया है.
    इसके साथ ही आरोप और प्रत्यारोप घटने के बजाय और तूल पकड़ लिया है.

    बिहार में पोस्टर और होर्डिंग वार की शुरूआत हो गई है.बीजेपी और बीजेपी विरोधी दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते हुए पटना के सड़को पर पोस्टर लगा रहे है. भाजपा द्वारा लगाए गए एक पोस्टर में विपक्षी दलों को ठग्स करार दिया गया है. साथ ही बीजेपी ने सभी विपक्षी नेताओं की तस्वीर होर्डिंग में लगाते हुए ‘खूब जमेगा रंग, जब मिल बैठेंगे ठगबंधन के भ्रष्टाचारी संग’ जैसे शीर्षक भी दिए है.

    वहीं एक पोस्टर में आम आदमी पूछ रहा है- ‘आप में से पीएम का चेहरा कौन होगा?’ तो इसमें विपक्षी एकता जिंदाबाद का बोर्ड लिए नेताओं के आगे खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं- ‘अभी तो मन ही मन हम सब हैं, लेकिन चुनाव बाद आपसी सिर फुटव्वल करके तय कर लेंगे’. इसी तरह एक होर्डिंग में लोकतंत्र के हत्यारे, आज किस मुंह से जेपी की धरती पर आ रहे हैं जैसे शीर्षक दिए गए है.

    इस पोस्टर में तमिलनाडु के सीएम स्टालिन, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की तस्वीरें है.

    पटना के गलियारों में छिड़ा पोस्टर वार
    पटना के गलियारों में छिड़ा पोस्टर वार

     

    इससे पहले भी हुई थी विपक्षी एकता की प्रयास

    ऐसा नहीं कि यह स्थिति पहली बार आई है। साल 2019 में भी विपक्ष की ऐसी गत हो चुकी है जहां चंद्रबाबू नायडू ने इसी तरह तब विपक्षी एकता की अगुआई की थी. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू उस समय बहुमत की सरकार चल रहे थे. विपक्षी एकता का नतीजा यह हुआ कि आंध्र प्रदेश में उनके सांसद घटकर तीन हो गए और महज 23 विधायक जीते.आंध्र प्रदेश की सत्ता तक उनके हाथ से चली गई थी.

    2019 का महागठबंधन
    2019 का महागठबंधन

    महा-मिलन बिहार में ही क्यों

    बिहार हमेशा से क्षेत्रीय और देश की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. बिहार ही था जहां 70 के दशक में विशाल आंदोलन हुआ. इस आंदोलन की धमक ने 1975 से लेकर 1977 तक देश में आपातकाल लगवाया था. वहीं सन् 1977 में पहली बार भारत में कांग्रेस मुक्त सरकार बिहार से ही निकल कर आई थी. मोराजी देसाई के नेतृत्व में भारत को पहली बार गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री मिला.

  • 1983 cricket world cup: कपिल देव की वो धमाकेदार पारी,जिसने देश को जिताया पहला वर्ल्ड कप

    आज ही के दिन 40 साल पहले 18 जून, 1983 को दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव ने धमाकेदार पारी खेलकर इतिहास रचा था। जिम्बाब्वे के खिलाफ हुए इस मैच के शुरूआती में टीम इंडिया भारी संकट में नजर आ रही थी, फिर भारतीय कप्तान ने मोर्चा संभाला और उसके बाद जो हुआ वो हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।

    1983 cricket world cup: वर्ल्ड कप के पहले मैच में भारत ने विंडीज को हराकर की थी जोरदार शुरुआत

    वर्ल्ड कप 1983 में भारतीय टीम बेहद मजबूत थी.खिताब के दावेदारों में उसकी गिनती की जा रही थी.अपने पहले ही मुकाबले में वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीम को हराने के बाद भारत अपने आप को मजबूत स्तिथि में देख पा रहा था.भारत अपने ग्रुप स्टेज के 3 में से 2 मैच जीत चुका था.ऐसे में अपने ग्रुप स्टेज के चौथे मुकाबले में जब उसकी भिड़ंत जिम्बाब्वे से होनी थी तो भारत के लिये जीत ज्यादा मुश्किल नजर नहीं आ रही थी.भारतीय कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर जब पहले बल्लेबाजी चुनी तो लग रहा था कि भारत एक बड़ी जीत दर्ज करेगा.
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    भारत की वो शानदार शुरूआत
    भारत की वो शानदार शुरूआत

    17 रन पर पवेलियन लौट गई थी आधी भारतीय टीम

    इंग्लैंड के लार्डस मैदान में खेले गए वर्ल्ड कप के एक मैच में भारत का सामना जिम्बाब्वे से हुआ था। मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया था। मैच के शुरूआती समय में ही भारतीय टीम के आधे से अधिक खिलाड़ी पवेलियन लौट चुकें थे.अबतक टीम केवल 17 रन ही बटौर पाई थी.फैंस को लगा कि 50 रन भी स्कोरबोर्ड पर लग जाए तो बड़ी गनीमत होगी.

    इस बीच मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर रहे कपिल देव पहुंचते है.एक ओर कपिल का बल्ला गरजने को तैयार था तो दूसरी ओर मैदान पर भारत की स्तिथि नाजूक थी.मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम की ओर से दूसरी छोड़ पर विकेटकीपर बल्लेबाज सैयद किरमानी डटें थे.खेल एकबार फिर शुरू हुआ लेकिन इसबार मैच का रूख कुछ औऱ था.कप्तान कपिल देव मैदान पर उतरते ही ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करना शुरू कर दी.

    सैयद किरमानी के साथ मिलकर कपिल देव लगातार रन बटोरने में लगे रहे.कप्तान मोर्चे को संभालते हुए जिंब्बाबे के गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए.कपिल के बल्ले से निकला 16 चौकें और 6 छक्कें स्टेडियम में बैठे भारतीय टीम के फैंस के लिए खुशी की लहर ला दी थी.एकबार फिर स्टेडियम में भारत के नाम गूंजने लगे थे.

     

    कपिल के शतक ने बदली भारत की हार जीत में
    कपिल के शतक ने बदली भारत की हार जीत में

    कपिल देव की धमाकेदार बल्लेबाजी जारी रही और उन्होंने 138 गेंद पर नाबाद 175 रन जड़ डाले.कपिल की पारी की बदौलत भारतीय टीम ने निर्धारित 60 ओवर में 8 विकेट पर 266 रन बनाए.

     31 रन से मिली थी भारत को जीत

    कपिल देव की धमाकेदार पारी के बाद जिम्बाब्वे की टीम ने 267 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए अच्छी शुरुआत की.टीम की सलामी जोड़ी ने 44 रन की साझेदारी की.लेकिन यहां से जो विकटों का पतन शुरु हुआ वो वह आखिरी तक चलता रहा.यह मैच जिम्बाब्वे की टीम 235 रन पर सिमट गई.इस तरह भारत ने यह मैच 31 रन से जीत लिया.

  • Avtaar 2 : अवतार 2 को मिला भारतीय दर्शको का जबरदस्त रिस्पांस, 100 करोड़ पहुंचा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

    Avtaar 2 : अवतार 2 को मिला भारतीय दर्शको का जबरदस्त रिस्पांस, 100 करोड़ पहुंचा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

    हॉलीवुड मूवी ‘अवतार: द वे ऑफ वॉटर’ को रिलीज़ हुए दो दिन हो चुके है। फिल्म दर्शको के बीच खूब धमाल मचा रही है। इस मूवू को देखने के लिए फेंस सुबह 6 बजे से ही लंबी लाईनो मे खड़े दिखे नज़र आ रहे है। बॉलीवुड की जहां हालत खस्ता है, वहीं अवतार 2 (Avatar: The Way of Water) के दूसरे दिन के भारतीय कलेक्शन ने बॉक्स ऑफिस को हिलाकर रख दिया है। जी हां बताया जा रहा है कि अवतार 2 ने दो दिन मे 100 करोड़ का आकड़ा तय कर लिया है। इस फिल्म को अंग्रेजी और हिंदी के साथ-साथ तमिल, तेलगु और मलयालम भाषा में रिलीज भी रिलीज किया गया है। इस फिल्म मे जेम्स कैमरून की 13 सालें की मेहनत लगी है। फिल्म मे समुंद्र और उसके बीच बसी नावी की नीली दुनिया से रूबरू कराने वाली ‘अवतार: द वे ऑफ वॉटर’ ने दो दिन में ही बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया है।रिपोर्ट्स के मुताबिक 250 मिलियन डॉलर्स में बनी फिल्म को अपना खर्चा निकालने के लिए लंबे समय तक सिनेमाघरों में टिके रहना होगा।

     

     

     

    2 दिन मे इतना रहा अवतार का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

    अवतार: द वे ऑफ वॉटर’ फिल्म को कई रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद की जा रही है। वहीं, पॉजिटिव वर्ड ऑफ माउथ की वजह से फिल्म को और भी बढ़िया रिस्पांस मिल रहा है। जेम्स कैमरून की फिल्म ने ओपनिंग डे पर ही शानदार शुरुआत की और अब वर्ल्डवाइड इसने 1500 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर लिया है।

    2022 की ओपनिंग में ‘ब्रह्मास्त्र’ और ‘आरआरआर’ जैसी फिल्मे फेल

    आपको बता दे अवतार: ‘द वे ऑफ वॉटर’ फिल्म ने अपनी धमाकेदार एंट्री के साथ ही 2022 की बॉक्स ऑफिस सुपर हिट फिल्मों को भी पीछे छोड़ दिया है। हालांकि वह यश स्टारर ‘केजीएफ चैप्टर 2’ को मात नहीं दे सकी है। वहीं, जेम्स कैमरून की ‘अवतार 2’ बॉक्स ऑफिस पर 13 साल पहले रिलीज हुई ‘अवतार’ से भी बढ़िया कलेक्शन कर रही है।

     

  • क्या है “Moonlighting” कैसे हुआ Wipro के चेयरमैन साथ धोखा

    क्या है “Moonlighting” कैसे हुआ Wipro के चेयरमैन साथ धोखा

    आजकल “Moonlighting” का मुद्दा काफी गरम चल रहा है और इसी बीच एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है जिसमें पता चला है कि देश की सबसे बड़ी और दिग्गज कंपनी ने इस “मूनलाइटिंग” के चलते हुए अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, सबसे बड़ी हैरानी की बात तो ये है कि उन्होंने कोई तीन या चार लोगों को नहीं निकाला बल्कि 300 लोगों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया है।

    moonlighting
    पिछले कुछ दिनों से देश की दिग्गज (IT) कपनियां “मूनलाइटिंग” को लेकर काफी सख्त हो गई है। विप्रो (Wipro) के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने तो इसे साफ साफ कंपनी के साथ धोखे का करार दे दिया है और विप्रो (Wipro) ने “मूनलाइटिंग” में शामिल 300 कर्मचारियों को बुधवार को नौकरी से निकाल दिया है। सूत्रों के मुताबिक विप्रो ने अपने कर्मचारियों को इसकी चेतावनी बहुत पहले ही दे दी थी।

    रिशद प्रेमजी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए कहा था कि “मूनलाइटनिंग यानी वर्क फ्रॉम होम के दौरान कंपनी के काम के अलावा दूसरा काम करना सीधा धोखा है, खासकर आईटी सेक्टर में”, जिसके बाद काफी लोगों ने इसका विरोध भी किया और चेयरमैन के खिलाफ जाने का उन्हें इतना बड़ा हर्जाना देना पड़ा कि उन्हें अपनी नौकरी से ही हाथ धोना पड़ा।

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    “मूनलाइटिंग” होता क्या है?

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    कोई भी कर्मचारी अगर अपनी एक फिक्स नौकरी के साथ कहीं और भी चोरी छिपे नौकरी करता है तो उसे “मूनलाइटिंग” कहा जाता है। आम भाषा में इसे साइड जॉब भी कहा जा सकता है। ज्यादातर कंपनियां इसे गलत मानती है लेकिन इसके बावजूद भी लोग मूनलाइटिंग करते है।

    इसे मूनलाइट इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि ये काम ज्यादातर रात में या वीकेंड पर करते है। ये काम कोरोना में ज्यादा चला है क्योंकि कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम के कारण लोग दो जॉब्स आसानी से कर पा रहे थे।

    “मूनलाइटिंग” को लेकर IT सेक्टर के दो गुट

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    ज्यादातर कंपनियों ने इसे गलत बताते हुए अपने कर्मचारियों को आगाह किया है कि अगर कोई भी ऐसा करता हुआ पाया गया तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा वहीं कुछ कंपनियों ने इसका खुले दिल से स्वागत किया है। विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने साफ साफ शब्दों में कह दिया है कि ऐसा करना मतलब कंपनी के साथ धोखा करने जैसा होगा।

    इंफ़ोसिस ने भी ये साफ जाहिर कर दिया है कि अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया गया तो वो अपनी नौकरी खो देगा और इसका जिम्मेदार भी वो खुद होगा। लेकिन वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियों का मानना है कि कर्मचारी को इतना हक तो मिलना चाहिए कि अगर अपनी शिफ्ट पूरी करके वो कुछ और करना चाहे तो कर सके। शिफ्ट ओवर होने के बाद कोई क्या काम करता है इससे कंपनी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। वो अपने खाली वक्त का इस्तेमाल कैसे भी कर सकता है।

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    सबसे पहले इस पॉलिसी की घोषणा SWIGGY ने की थी और अब टेक महिंद्रा ने भी इस पॉलिसी का स्वागत खुले दिल से किया है।

    “Moonlighting” के कानून

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    मूनलाइटिंग एक ऐसी सुविधा है जिससे एक आम आदमी की ज़िंदगी में थोड़ी राहत आ जाती है अपने खर्चों को लेकर। ये एक ऐसी पॉलिसी है जिसमे कोई एम्प्लोयी बिना भारत का कानून तोड़े किसी और कंपनी में भी काम कर सकता है। 60 के दशक में इसे अमेरिका (US) में लागू किया गया था। लेकिन भारत में ज्यादातर जो कंपनियाँ है उनमें ये नियम है कि कोई भी कर्मचारी किसी दूसरी कंपनी में काम नहीं कर सकता क्योंकि ये उनके नियमों का उल्लंघन करता है।