Category: एजुकेशन/जॉब्स

  • सौरभ की लेखनी में पैनी धार है जो सच उगलती है

    सौरभ की लेखनी में पैनी धार है जो सच उगलती है

    (बड़वा के टैगोर शिक्षण संस्थान एवं सिवानी के सेठ राजकीय महाविद्यालय में आयोजित समारोह में भेंट की पुस्तकें)

    द न्यूज 15 

    सिवानी मंडी । बड़वा के टैगोर शिक्षण संस्थान एवं सिवानी के सेठ राजकीय महाविद्यालय में शुक्रवार को एक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें क्षेत्र के ‘लेखक दम्पति’ सत्यवान ‘सौरभ’ एवं प्रियंका ‘सौरभ’ ने अपनी पुस्तकें ‘तितली है खामोश’ और ‘दीमक लगे गुलाब’ की प्रतियां राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य राजकुमार ख़यालिया, एनसीसी इंचार्ज असिस्टेंट प्रोफेसर सुनीता जनावा, एवं बड़वा के टैगोर शिक्षण संस्थान के प्राचार्य वरुण सिंह एवं टैगोर स्कूल के प्रिंसिपल ललित बल्हारा को भेंट की।

    कस्बे के युवा लेखक दम्पति की हाल हमें छह पुस्तकें आई है। जिनमें सत्यवान ‘सौरभ’ की ‘तितली है खामोश’ दोहा संग्रह (हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित), कुदरत की पीर, इश्यूज एंड पेनस और प्रियंका ‘सौरभ’ की ‘दीमक लगे गुलाब’, निर्भयाएं और फीयरलेस शामिल है। सभी पुस्तकें नोशन प्रेस से प्रकाशित हुई है और ऐमज़ॉन एवं फ्लिपकार्ट पर भी उपपलब्ध है। उन्होंने बताया कि उनकी दो पुस्तकें बेस्ट सेलर में भी चल रही है। काव्य क्षेत्र के अलावा आये रोज दोनों लेखकों के लेख हिंदी एवं अंग्रेजी में देश भर के हज़ारों अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में सम्पादकीय पेज पर छपते हैं।

    कॉलेज के प्रिंसिपल राजकुमार ख्यालिया जी बताया कि कोरोना काल का सदुपयोग करते हुए इस युवा दम्पति ने अपनी लेखन कला को नए रंग दिए हैं परिणाम स्वरुप इनकी छह पुस्तकें एक साथ आई और पाठकों की पसंद बनी है। टैगोर शिक्षण संस्थान के प्राचार्य वरुण श्योराण ने कहा कि सोशल मीडिया पर मैं इन दोनों लेखकों कि रचनाएँ पढ़ता रहता हूँ और मुझे इनकी रचनाओं में समाज कि सच्चाई नज़र आती है। मैं बच्चों को भी ऐसा अच्छा साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करूँगा। टैगोर स्कूल के प्रिंसिपल ललित बल्हारा ने इस दौरान सौरभ के लेखन को उनके वार्षिक कैलेंडर के अनुरूप और बहुउपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि दोनों लेखकों कि लेखनी में पैनी धार है जो सच उगलती है।

    इस दौरान दोनों संस्थाओं के छात्र-छात्राओं के अलावा स्टाफ सदस्यों की भी मौजूदगी रही। असिस्टेंट प्रोफेसर ईशु पराशर, अर्जुन सिंह छाबरा, महेन्दर झंडा, संजय,सुनील, सुरेश लाम्बा, सुमन, महिपाल, के साथ-साथ मंडल अध्यक्ष लाल सिंह लालू, चेयरमैन अनिल झाझड़िया, रविंदर गोस्वामी, जोगिन्दर, संगीता, संदीप भाटीवाल, अनिल ‘पृथ्वीपुत्र’ भी मौजूद रहे।

  • बुराड़ी के कादीपुर वार्ड : स्वराज पाठशाला में बच्चों को दी जा रही मुफ्त शिक्षा

    बुराड़ी के कादीपुर वार्ड : स्वराज पाठशाला में बच्चों को दी जा रही मुफ्त शिक्षा

    नत्थूपुरा में एक और स्वराज पाठशाला की शुरुआत की गई

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली। बुराड़ी के वार्ड नं.6 में पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष नवनीत तिवारी द्वारा स्वराज पाठशाला के अंतर्गत 100 से ज़्यादा बच्चो को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है, इसी श्रंखला में इस वार्ड के नत्थूपुरा में भी एक और स्वराज पाठशाला खोली गई है।
    कोरोना काल मे स्कूल बंद होने से शिक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ा है, पिछले 2 साल से सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है, जिसमें गरीब जनता के पास ऑनलाइन पढ़ाने के साधन उपलब्ध नही है, इसका नुकसान बच्चो की शिक्षा गुणवत्ता निचले स्तर पर आ चुकी है जिससे उन्हें भविष्य की पढ़ाई में इसका नुकसान साफ दिखेगा। स्कूलों में क्लास शुरू की गई है लेकिन दिल्ली सरकार शिक्षा को पहुँचे इस भारी नुकसान की भरपाई के लिए कोई पुख्ता कदम नही उठा रही है।
    इस स्वराज पाठशाला की शुरुआत नवनीत तिवारी जी के द्वारा की गई है, साथ ही संजय राम जी, सुधांशु मंडल जी, मदन मोहन जी तथा अन्य वरिष्ठ लोगों के नेतृत्व में चलाया जाएगा, बच्चो को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पल्लवी व उनके साथियों द्वारा प्रशिक्षण का कार्यभार संभाला जाएगा।

  • शहर के उद्योगपति राजेश केडिया को सौरभ दम्पति ने भेंट की पुस्तकें

    शहर के उद्योगपति राजेश केडिया को सौरभ दम्पति ने भेंट की पुस्तकें

    द न्यूज 15 
    चंडीगढ़/सिवानी मंडी। गाँव बड़वा के युवा साहित्यकार दम्पति सत्यवान ‘सौरभ’ एवं प्रियंका ‘सौरभ’ ने अपनी नव प्रकाशित पुस्तकें  ‘तितली है खामोश’ और ‘दीमक लगे गुलाब’ की प्रतियां  शहर के प्रसिद्ध उद्योगपति राजेश केडिया को भेंट की. विदित रहे की ‘सौरभ दम्पति’ की अभी हाल में छह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनको देश भर में बड़े चाव से ख़रीदा एवं पढ़ा जा रहा है. इस अवसर पर श्री केडिया जी ने ‘सौरभ दम्पति’ के सामाजिक लेखन की खूब प्रशंसा की और कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से सौरभ की रचनाएँ पढ़ता रहता हूँ. इनकी रचनाओं में समाज के हर व्यक्ति का दर्द है, समस्याएं है, इनकी रचनाएँ हर वर्ग की आवाज़ लिए है. इनके संग्रह पाकर मुझे अपार ख़ुशी का अनुभव हो रहा है.
    यही नहीं ये दोनों युवा आये दिन देश-विदेश के समाचार पत्रों में सम्पादकीय पेज पर अपने लेखों के माध्यम से समाज की आवाज़ उठाते हैं; वो और भी ज्यादा काबिलेतारीफ़ और सिवानी क्षेत्र के लिए गर्व की बात है. इस दौरान  भाजपा के मंडल अध्यक्ष लाल सिंह लालू के साथ-साथ समाजसेवी रामस्वरूप घोड़ेला ने  भी ‘सौरभ दम्पति’ के लेखन पर चर्चा की और उन्हें नव प्रकाशित पुस्तकों की शुभकामना दी. उन्होंने कहा कि सिवानी मंडी के प्रसिद्ध उद्योगपति स्वर्गीय हनुमान केडिया के सुपत्र राजेश केडिया जी बाबू जी के पदचिन्हों पर चलकर समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयासरत है.  इस अवसर पर राजेंदर जांगड़ा, सुरेश खन्ना, पूर्व तहसीलदार प्रताप सिंह भाटीवाल, नाहर सिंह तंवर, रविंदर केडिया, गोपाल बंसल, संतलाल अग्रवाल, रोहताश छापोला सहित शहर के कई गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे.
  • हार्वर्ड से जुड़ेगी गोरखपुर यूनिवर्सिटी, DDU की इस पढ़ाई से नेताओं-दलों को भी होगा फायदा 

    हार्वर्ड से जुड़ेगी गोरखपुर यूनिवर्सिटी, DDU की इस पढ़ाई से नेताओं-दलों को भी होगा फायदा 

    द न्यूज 15

    गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में उच्चस्तरीय इलेक्शन स्टडी सेल के गठन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। इसके अंतर्गत अब तीन नियमित यूनिवर्सिटी फेलो तैनात किए जाएंगे। जिन्हें, फेलोशिप के तौर पर 40-50 हजार रुपये प्रति महीना प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही ख्यातिलब्ध संस्थान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ करार और सेल के यूनिवर्सिटी भ्रमण की व्यवस्था कराई जाएगी। ताकि, यहां के फेलो वहां जाकर इलेक्शन मैनेजमेंट की बारीकियों को सीख सकें। इसकी विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है। फेलो के द्वारा ही इलेक्शन स्टडी सेल को चलाया जाएगा। शिक्षकों को आगे चलकर केवल सलाहकार के रूप में रखा जाएगा। ये फेलो ही अर्न बाय लर्न के तहत विज्ञान, कला, गणित सहित हर संवर्ग के विद्यार्थियों की एक अनुभवी टीम तैयार कर मैपिंग और सर्वे कार्य को पूरा करेंगे। स्नातक स्तर के छात्रों को भी टीम में शामिल किया जाएगा। एक व्यवस्था बनाई जा रही है कि इन विद्यार्थियों को क्रेडिट के रूप में नंबर भी प्रदान किया जाए।
    बता दें कि कुलपति प्रो. राजेश सिंह के मार्गदर्शन में इलेक्शन स्टडी सेल का गठन किया गया है। सेल की ओर से गोरखपुर शहर, ग्रामीण, फाजिलनगर और देवरिया सदर विधानसभाओं में सर्वे कराया जा रहा है। सात मार्च के बाद चारो विधानसभाओं में कराए गए पोलिंग सर्वे का परिणाम भी जारी करेगा। सेल में सीएसडीएस दिल्ली के विशेषज्ञ प्रो संजय कुमार भी जुड़े हैं। इनके अलावा इलेक्शन सेल के फॉरेन कोऑर्डिनेटर प्रो. मुकुल सक्सेना हैं। जो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट हैं।

  • दिल्ली में आज सभी प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी और पहली क्लास में दाखिले के लिए दूसरी लिस्ट

    दिल्ली में आज सभी प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी और पहली क्लास में दाखिले के लिए दूसरी लिस्ट

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। सोमवार को दिल्ली के सभी PRIVATE SCHOOLS ने नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में दाखिले के लिए दूसरी लिस्ट जारी कर दी गई। जिसकी वजह से राजधानी में अभिभावकों ने राहत की सांस ली है।
    जिन बच्चों का दूसरी सूची में नाम आया है, वे 22 से 28 फरवरी के बीच दाखिला ले सकते हैं।
    सभी गैर सहायता प्राप्त व मान्यता प्राप्त PRIVATE SCHOOLS को निर्देशित किया गया था कि वे दाखिले का एक ऐसा मानदंड अपनाएं जो निष्पक्ष, अच्छी तरह से परिभाषित, सामान, गैर भेदभावकारी और पारदर्शी हो।
    इसके बाद अगर कोई सूची जारी करने की जरूरत पड़ी तो उसे 15 मार्च को जारी किया जाएगा। दाखिले की समूची प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी।
    DoE ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रवेश स्तर पर सीटों की संख्या पिछले तीन शैक्षणिक वर्षों – 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के दौरान प्रवेश स्तर की कक्षाओं में सबसे अधिक सीटों से कम नहीं होगी।
    नियमों के मुताबिक, सभी गैर सहायता प्राप्त व मान्यता प्राप्त निजी स्कूल, प्री स्कूल, प्री प्राइमरी व पहली कक्षा में 25 फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर तबके या वंचित समूह और दिव्यांग बच्चों के लिए आरक्षित रहेंगी।
    प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में संबंधित उप निदेशक (जिला) की अध्यक्षता में प्रत्येक जिले में एक निगरानी समिति का गठन किया गया है।
    उप निदेशक को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि प्रत्येक निजी स्कूल मानदंड और उसके बिंदुओं को ऑनलाइन मॉड्यूल पर अपलोड करता है और आगे यह सुनिश्चित करता है कि स्कूल उन मानदंडों को नहीं अपनाएगा जिन्हें विभाग द्वारा समाप्त कर दिया गया था और दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा बरकरार रखा गया था।

  • महिदपुर के गांव के सरकारी स्कूल में पानी की सुविधायुक्त टॉयलेट्स का निर्माण की मांग 

    महिदपुर के गांव के सरकारी स्कूल में पानी की सुविधायुक्त टॉयलेट्स का निर्माण की मांग 

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली। काश मेरे बारे में भी किसी ने सोचा होता,
    स्कूलों में मेरी सुरक्षा से जुड़े इंतज़ाम किए होते,
    मेरे स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी प्रदान की होती,
    कम से कम साफ़ टॉयलेट व पानी की सुविधा दी होती,
    तो आज शायद मैं भी 10वीं बोर्ड की परीक्षा देकर
    अपने लिए एक ख़ूबसूरत भविष्य की नींव रख रही होती! ”सुप्रिया (बदला हुआ नाम), 2016 तक अपने गाँव के प्राथमिक स्कूल से पढ़ी और माध्यमिक स्कूल के लिए अपने गाँव से बाहर जाना पड़ा। शुरूआती 2 साल अपनी ज़िन्दगी और समस्याओं से जूझते तालमेल बैठाते वह पढ़ पाई किन्तु जब उसे माहवारी शुरु हुई तो उसके सामने असंख्य मुश्किलें थीं। न किसी का मार्गदर्शन, न कोई जानकारी या सहयोग जो उसे पहले से मिला हो, स्कूल से उसे इसमें से कुछ नहीं मिल पाया लेकिन घर से सहेलियों से ज़रूर कुछ जानकारी और जुगाड़ मिल गया था उसे। जब स्कूल के टॉयलेट्स में पानी नहीं था तो वह माहवारी के दिनों में घर ही रहती थी और जब ऐसे वह ज्यादा घर रहने लगी तो घर वालों का काम करना होता था। घर के कामों में उलझी सुप्रिया की पढाई छूटने लगी और जल्द उसके माता-पिता ने उसकी पढ़ाई पर पूर्णविराम लगा दिया!”
    यह केवल एक लड़की की कहानी है जो महिदपुर तहसील के एक छोटे से गाँव में रहती है और उसके माँ-बाप अब उसके लिए लड़का खोज रहे हैं ताकि उसकी शादी हो जाए कुछ सालों में और उसका भविष्य सुरक्षित हाथों में चला जाए!
    उज्जैन जिले की एक तहसील महिदपुर में गाँव के सरकारी स्कूल में पढाई छोड़ने वाली लड़कियों का प्रतिशत 2019 में 17% था जो कोरोना के बाद बढ़कर 60% के नजदीक पहुँच गया है. लड़कियों के स्कूल छोड़ने के पीछे 4 कारण प्रमुख हैं. पहला स्कूल में पानीकी सुविधायुक्त टॉयलेट्स का न होना, दूसरा मासिकधर्म के बारे में जानकारी और संसाधन का अभाव, तीसरा बाल-विवाह और अंतिम माँ-बाप के मन में लड़कियों की सुरक्षा की चिंता।
    महिदपुर तहसील के 7 गाँव में सर्वे के दौरान हमने पाया कि केवल 2 स्कूल ही RTE 2009 के मानकों पर खरे उतरते हैं. अन्य सभी स्कूल में या टॉयलेट्स में पानी की सुविधा नहीं है, या दरवाजे नहीं है या उनकी सफाई ही नहीं होती है और  इस वजह से स्कूल की लडकियाँ उनका इस्तेमाल नहीं कर पाती है चाहे फिर वे आम दिन हों या पीरियड्स के दौरान!
    हम वर्तमान में गाँव की लड़कियों के ज़रिये वहाँ की शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए सरकारी स्कूल के कक्षा 3 से 5 के बच्चों के साथ सामुदायिक शिक्षा केंद्र के माध्यम से काम कर रहे हैं.हमारी मुहीम का लक्ष्य है कि महिदपुर तहसील के BEO इन गाँव में RTE के प्रावधानों के मापदंडो के अनुसार ग्रामीण स्कूल में टॉयलेट्स बनवाने के लिए कार्य करें और यह सुनिश्चित करें कि अगले तीन महीनों में इन सभी स्कूल के टॉयलेट्स में पानी की सुविधा हो और यह बच्चियों के लिए सुरक्षित बनें।
    अगर यह मुहीम पूरी होती है और टॉयलेट्स सुचारू हो जाते हैं तो 7 गाँव की 300 से अधिक लडकियाँ अपनी पढ़ाई को जारी रख सकेंगी और अपने साथ साथ अपने परिवार की भी सूरत बदल सकेगी. इस पेटीशन पर हस्ताक्षर करके हमें सहयोग कीजिये कि जल्द जल्द हम गाँव की लड़कियों को इस समस्या से निजात दिला पाएं!
  • तितली है खामोश पुरातन और आधुनिक समन्वय का सार्थक दोहा संकलन

    तितली है खामोश पुरातन और आधुनिक समन्वय का सार्थक दोहा संकलन

    ललित गर्ग
    नई दिल्ली। सत्यवान सौरभ हरियाणा के जुझारू एवं जीवटवाले लेखक और कवि हैं। खुशी की बात है कि उनका रचनाकार जिंदगी के बढ़ते दबावों को महसूस करता हुआ, उनसे लड़ने की ताब रखता है, उनसे संघर्ष करता है। हाल ही में उनका ‘तितली है खामोश’ दोहा संकलन प्रकाशित हुआ है। 725 दोहों का यह संकलन अनूठा है और ये दोहें समय की शिला पर अपने निशान छोड़ते चलते हैं। इतना ही नहीं वे इस कठिन समय से मुठभेड़ भी करते हैं। यही मुठभेड़ उनके दोहों की ताकत है और मौलिकता है जो जनभावनाओं का जीवंत चित्रण है।
    किसी ने कहा है कि जिस समाज, देश में जितनी अव्यवस्था, गिरावट, संघर्ष एवं नैतिक/चारित्रिक मूल्यों का हनन होगा उस समाज में साहित्य उतना ही बेहतर लिखा जाएगा। साहित्य साधना और रचनाधर्मिता कठिन तपस्या होती है और जो इसके साधक होते हैं, वे ही साहित्य को गहनता प्रदत्त करते हैं। साहित्य साधक सौरभ का प्रस्तुत दोहा संकलन ‘तितली है खामोश’ न केवल व्यक्ति, परिवार बल्कि समाज, राष्ट्र और विश्व के संदर्भ में कवि की प्रौढ़ सोच की सहज और स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। संकलन के दोहे कुछ ऐसे हैं कि मन की आंखों के सामने एक चित्र-सा खींच जाता है। चीजों को बयां करने का उनका एक खास अंदाज है। फिर चाहे वह कुदरती नजारे हों या प्रेम, विश्वास, आस्था, आशा को अभिव्यक्ति देते दोहें। यह उनका नवीनतम संकलन है। सत्यवान सौरभ के दोहों में न सिर्फ उनकी, बल्कि हमारी दुनिया भी रची-बसी नजर आती है। जिन्हें पढ़कर सत्यवान सौरभ के मूड और मिजाज का बखूबी अंदाज लगाया जा सकता है। दोहों के विचार, भाव, बिम्ब, रूपक एक नया आलोक बिखेरते हैं, जो पाठकों के पथ को भी आलोकित करता है।
    हरियाणा में वेटनरी इंस्पेक्टर पद पर रहते हुए भी सत्यवान सौरभ लेखन के लिए समय निकाल लेते हैं, यह उनकी विशेषता है। उनके दोहों में सरलता, सहजता एवं अर्थ की गहराई हमें सहज ही आकर्षित करती है। वे भावों को इस सहजता से अभिव्यक्त करने में समर्थ है कि ऐसा लगता है कि वे सिर्फ सौरभजी के भाव नहीं बल्कि हर पाठक के मन की छिपी भावनाएं हैं, संवेदनाएं हैं। उनकी पैनी कलम से कोई भाव अछूता नहीं रहा। परिस्थितियों को देखने की उनकी अपनी विशिष्ट दृष्टि है। उनके दोहें सीधे हृदय से निकलते जान पड़ते हैं।
    हिन्दी साहित्य में दोहों का विशिष्ट स्थान है। दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं। विशेषतः दोहे आध्यात्मिक और उपदेशात्मक रंग में रंगे होकर इसके पहले और तीसरे (विषम) चरणों में 13-13 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे (सम) चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं। अन्त में गुरु और लघु वर्ण होते हैं। तुक प्रायः दूसरे और चौथे चरण में ही होता है। दोहा अर्द्ध सम मात्रिक छन्द का उदाहरण है। तुलसीदासजी से लेकर महाकवि कबीर तक रहीम, रसखान से लेकर बिहारी तक दोहों का एक विस्तृत आध्यात्मिक परिवेश भारतीय साहित्य को समृद्ध करता रहा है। आधुनिक युग में रचे जाने वाले दोहों में इन्हीं महापुरुषों का प्रभाव देखने को मिलता है। सौरभ के दोहों में आधुनिकता और पुरातन का एक अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है जो दोहा छंद की सार्थकता को सिद्ध करता है।
    तितली है खामोश’ के दोहों में काव्य सौंदर्य के साथ-साथ प्रवहमान गतिशीलता भी है। ये दोहें अर्थवान है, अंतकरणीय भावों के रस-रूप में प्रस्फुटित शब्द सुषमा का संचरण करते हंै। ये दोहें चेतना के स्पंदन का सम्प्रेषण करते हंै। दोहों में कवि के शाश्वत प्रभाव की छवि परिलक्षित होनी चाहिए, यह कवि के कविता कर्म की कसौटी होती है। प्रस्तुत संकलन के दोहे उस कसौटी पर कस कर जब देखता हूं तो सत्यवान सौरभ की छवि सामाजिक सजग प्रहरी के साथ-साथ एक संवेदनशील रचनाकर्मी के रूप में उभरकर सामने आती है। कविता, गीत, गजल आदि साहित्यिक विधाओं के साथ विभिन्न विषयों पर समसामयिक लेख एवं फीचर लिखने वाले सौरभ को दोहा लेखन में विशेष सफलता मिली है। इसका श्रेय वे हरियाणा के ही प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. रामनिवास मानव को देते हैं। सौरभ को दोहाकार बनाने में उनकी प्रेरणा विशेष उल्लेखनीय है।
    सत्यवान सौरभ ने अपने दैनन्दिन जीवन के हर कटु-तिक्त और मधुर अनुभव को, यहां तक कि चित्त में मंडराते चिंतन के हर फन को भी दोहों में बांधा है। उनके दोहें उनके निजी संसार से उपजे हैं तो कहीं उनमें देश और दुनिया के व्यापक परिदृश्य भी प्रस्तुत हुए हैं। इन दोहों में समाज में व्याप्त विसंगतियों एवं विडम्बनाओं का स्पष्ट चित्रण हैं तो पारिवारिक जीवन के टीसते दंश और द्वंद्व एवं अपने इर्द-गिर्द के जीवन की समस्याओं के भाव दोहों के रूप में ढलकर सामने आते हैं। संभवतः दोहों का आधार भी यही है। अपने परिवेश से गहरा सरोकार उनकी शक्ति है। उनके दोहें इतने सशक्त एवं बेबाक है कि जो इन्हें साहित्य जगत में उल्लेखनीय स्थापत्य प्रदान करेंगे। मेरी मान्यता है कि कोई भी साहित्यकार युगबोध से निरपेक्ष होकर कालजयी साहित्य का सृजन कर ही नहीं सकता, विधा चाहे कोई भी हो। साहित्यकार का मन तो कोरे कागज जैसा निश्छल, निरीह, दर्पण सा पारदर्शी होता है। यथा-
    सूनी बगिया देखकर, तितली है खामोश।
    जुगनू की बारात से, गायब है अब जोश।।
    सत्यवान सौरभ स्वांत सुखाय की भावना से ही पिछले सोलह वर्षों से रचना करते रहे हैं। वे इतने संयमी रहे कि अपनी अभिव्यक्ति को पाठकों के सामने लाने की या छपास होने की लालसा से दूर रहें। सृजन में शोर नहीं होता। साधना के जुबान नहीं होती। किंतु सिद्धि में वह शक्ति होती है कि हजारों पर्वतों को तोड़कर भी उजागर हो उठती है। यह कथन सत्यवान सौरभ पर अक्षरशः सत्य सिद्ध होता है। सौरभ की प्रस्तुत कृति बेजोड़ है। उनकी लेखनी में शक्ति है। भाषा पर उनका असाधारण अधिकार है। प्राजंल और लालित्यपूर्ण भाषा में वे जो कुछ भी लिखते हंै, उसे पढ़कर पाठक अभिप्रेरित होता है। वे जितना सुंदर, सुरुचिपूर्ण और मौलिक लिखते हैं, उससे भी अच्छा उनका जीवन बोलता है। इन विरल विशेषताओं के बावजूद भी वे कभी आगे नहीं आना चाहते। नाम, यश, कीर्ति और पद से सर्वथा दूर रहना चाहते हैं। प्रस्तुत दोहा संकलन को पढ़ते हुए सहज ही कहा जा सकता है कि इसमें व्यक्त विचार अनुभवजन्य है। जो व्यक्ति यायावर होता है, धरती के साथ भावात्मक रिश्ता स्थापित करता है, वहां की सभ्यता, संस्कृति और परंपरा को करीब से देखता है और उसे अभिव्यक्ति देने की क्षमता का अर्जन करता है वही व्यक्ति कलम की नोंक से व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के यथार्थ को कुशलता से उकेरने में सफल हो सकता है। प्रस्तुत संकलन के दोहों की सार्थकता या तो भावाकुल तनाव पर निर्भर है या धार-धार शिल पर। उनकी रचनाओं में विविधता है, प्यार है, दर्द है, संवेदनाएं हैं यानी हर रंग के शब्दों से उन्होंने दोहों को सजाया है।
    हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित प्रस्तुत कृति के संदर्भ में स्वयं लेखक का मंतव्य है कि ‘तितली है खामोश’ का शीर्षक अपने आप में एक सवाल है और दोहे हमेशा तीखे सवाल ही करते हैं।’ इस दृष्टि से कवि के दोहों में तीखे सवाल खड़े किये गये हैं तो उनके समाधान भी उतने ही प्रभावी तरीके से दिये गये हैं। इस दृष्टि से उनके रचना धरातल के समग्र परिवेश को और उनके दार्शनिक धरातल को समझने में यह पुस्तक महत्वपूर्ण है।
    पुस्तक और कलम को अपनी विवशता मानने वाले सत्यवान सौरभ विचार के साथ-साथ शब्दों के सौन्दर्य की चितेरे हैं। उनके हर शब्द शिल्पन का उद्देश्य मनोरंजन और व्यवसाय न होकर सत्य से साक्षात्कार कराना है। सत्यं शिवं और सुंदरमं की युगपथ साधना और उपासना से निकले शब्द और विचार एक नयी सृष्टि का सृजन करते हैं और उसी सृजन से सृजित है प्रस्तुत दोहा संकलन ‘तितली है खामोश’। प्रस्तुत कृति के दोहें समाज और राष्ट्र को सुसंस्कृत बनाते हैं, उन्हें राष्ट्रीय और सामाजिक अनुशासन में बांधते हैं, खण्ड-खण्ड में बिखरे रिश्ते-नातों को एक धागे में जोड़ते हैं और अंधेरों के सुरमयी सायों में नया आलोक बिखेरते हैं। संस्कृति और संवेदना के प्रति आस्था जगाने का काम करती हुई यह कृति पाठकों के हाथ में विश्वास की वैशाखी थमाती है। यह पूरी कृति और उसके विधायक भावों का वत्सल-स्पर्श समाज की चेतना को भीतर तक झकझोरता है। 124 पृष्ठों पर फैली कवि की रचनादृष्टि ने इस पुस्तक को नायाब बनाया है।
    यह काव्य कृति व्यक्ति, समाज और देश के आसपास घूमती विविध समस्याओं को हमारे सामने रखती है, साथ ही सटीक समाधान भी प्रस्तुत करती है। पुस्तक की छपाई साफ-सुथरी, त्रुटिरहित है। आवरण आकर्षक है। पुस्तक पठनीय एवं सग्रहणीय है।
    (पुस्तक का नाम: तितली है खामोश
    लेखक :सत्यवान ‘सौरभ’
    प्रकाशक: हरियाणा साहित्य अकादमी
    पंचकूला (हरियाणा)
    मूल्य: 200 रुपये,  पृष्ठ : १२४
    उपलब्धता : अमेज़न और फ्लिपकार्ट)

  • डीयू खुला लेकिन दिल्ली से बाहर के छात्रों की बढ़ी मुश्किलें, ऑनलाइन याचिका पर लिखी अपनी परेशानी

    डीयू खुला लेकिन दिल्ली से बाहर के छात्रों की बढ़ी मुश्किलें, ऑनलाइन याचिका पर लिखी अपनी परेशानी

    द न्यूज 15

    नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा के साथ दिल्ली के बाहर के वह छात्र जिन्होंने दिल्ली में दाखिला लिया है उनकी और उनके अभिभावकेां की चिंता बढ़ गई है। बड़ी संख्या में छात्र अपने प्रिंसिपलों को मेल लिखकर अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। डीयू की इस घोषणा के 12 घंटे के अंदर 20 हजार से अधिक दिल्ली के बाहर के छात्रों ने ऑनलाइन याचिका पर लिखी अपनी परेशानी लिखी और डीयू से अपनी इसके समाधान के बारे में कहा।
    डीयू के मिरांडा हाउस में बीए अंतिम वर्ष में पढ़ने वाली पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर निवासी छात्रा हर्षिता का कहना है कि हम डीयू खोलने का विरोध नहीं करते हैं लेकिन डीयू को हमारी परेशानियों के बारे में भी सोचना होगा। हम हाइब्रिड मोड में कक्षाओं के संचालन का समर्थन करते हैं। मैं अंतिम वर्ष की छात्रा हूं डेढ़ महीने की कक्षा के बाद फिर परीक्षाएं हैं। ऐसे में इतने कम समय के लिए हमारे जैसे हजारों छात्रों को घर छोड़कर दिल्ली में अस्थाई व्यवस्था करना न केवल खर्चीला है बल्कि परेशान करने वाला भी है।
    ऑनलाइन याचिका में मणिपुर में रहने वाले छात्र मघिला तेंजग का कहना है कि डीयू ने काफी कम समय दिया है। मैं यहां से अगर दिल्ली जाता हूं तो मुझे अपने लिए हास्टल या पीजी खोजने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में डीयू को दिल्ली से बाहर के लोगों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प और देना चाहिए।
    – कोविड की वर्तमान समस्या की वजह से छात्र भारी मात्रा में प्रभावित हुए हैं, इन्हीं आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी संकटों के बीच उन्हें अब इतने कम समय के लिए अपने रहने-खाने की व्यवस्था करने और बार-बार विश्वविद्यालय तक आने-जाने के कारण घोर आर्थिक क्षति का सामना भी करना पड़ेगा। हमें यह आश्वासन भी नहीं मिल रहा कि यह गम्भीर स्थिति पुनः पैदा नहीं होने पाएगी, तब हम आपसे इस विषय पर कुछ सहानुभूति की उम्मीद करते हैं।
    – प्रथम वर्ष के बच्चों की परीक्षाएं 11 मार्च से हैं, जिनकी तैयारी करते हुए ही उन्हें अपने लिए विश्वविद्यालय के पास आवासीय सुविधाओं का प्रबंध भी करना पड़ेगा, यह उनके लिए अत्यंत परेशानी का विषय है।
    – इस महामारी के दौरान छात्रों के साथ-साथ उनके परिवारों को मानसिक और आर्थिक रूप से दिल्ली आने-जाने का बोझ वहन करना कठिन है। मौजूदा स्थिति का छात्रों की मानसिक स्थिति पर बहुत गम्भीर प्रभाव पड़ेगा, साथ ही उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होगी।
    – बहुत से छात्र, विशेष तौर पर स्नातक व परास्नातक अंतिम वर्ष की पढ़ाई करने वाले छात्र अपने घर पर रहकर ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कोचिंग में जुटे हुए हैं, जो उनका भविष्य तय करती हैं। ऐसे में कोचिंग बीच में छोड़कर केवल डेढ़ महीने के लिए विश्वविद्यालय आकर कक्षाएं करना अव्यवहारिक है।
    – दिल्ली विश्वविद्यालय में विदेश से आने वाले भी काफ़ी बच्चे मौजूद हैं। उनके लिए इस स्थिति में विदेश से आकर कक्षाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करना असंभव होगा। उन्हें वीज़ा, पासपोर्ट, एक दूसरे देश में आना, कोविड-गाइडलाइन्स आदि का अनुसरण करना होगा।
    – वर्तमान में महंगाई बढ़ चुकी हैं। ऐसे में प्राइवेट हॉस्टलों और पीजी में छात्रों को डेढ़ महीने के लिए मनमाने ढंग से किराए की मांग कर रहे हैं जिसके लिए हम बच्चे तैयार नहीं हैं। बहुत सारे बच्चों ने कोविड के दौरान अपने माता-पिता भी खोए हैं, वे आर्थिक रूप से तंगी झेल रहे हैं, ऐसे में उनके लिए इन सबका समुचित प्रबंध कर पाना बिल्कुल असंभव है।
    – ओमिक्रोन भले ही कम घातक माना जा रहा है लेकिन यह लोगों को संक्रमित तो कर ही रहा है ऐसे में दिल्ली से बाहर का छात्र यहां आता है उसे संक्रमित होने का भी खतरा है। उसके साथ उसके परिवार के लोग भी नहीं हैं जिनसे उनको मदद मिल सके।
    क्या है डीयू का पक्ष : डीयू के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो.पंकज अरोड़ा का कहना है कि जब छात्र रेगुलर डिग्री कोर्स कर रहे हैं और स्थितियां सामान्य हो रही हैं तो उनको कॉलेज या विश्वविद्यालय आना पड़ेगा। प्रतिकूल परिस्थितियों में ऑनलाइन पढ़ाई हुई है।

  • कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने किया सत्यवान ‘सौरभ’ के दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ का विमोचन

    कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने किया सत्यवान ‘सौरभ’ के दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ का विमोचन

    द न्यूज 15 

    सिवानी मंडी। हरियाणा के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जयप्रकाश दलाल ने गाँव बड़वा में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित युवा कवि सत्यवान ‘सौरभ’ के दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ का विमोचन किया। इस दौरान जन संपर्क अधिकारी बलवान सिंह ने सत्यवान सौरभ के कृतित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और उनके साहित्यिक प्रयासों की सराहना की। सौरभ की सराहना करते हुए कहा कि उनका दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ मील का पत्थर है। ‘तितली है खामोश’ के सभी दोहे पढ़ने के काबिल हैं। खासकर युवा पीढ़ी को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए।
    नव प्रकाशित दोहा संग्रह ‘तितली है ख़ामोश’ में विभिन्न विषयों पर 750 दोहे हैं। सभी दोहे प्रभावित करने वाले हैं। इस मौके पर ‘सौरभ’ ने बताया कि उन्हें यह पुस्तक लिखने की प्रेरणा कैसे मिली। उन्होंने बताया कि उन्हें शुरू से ही उन्हें विरासत से जुड़ी विभिन्न चीजों का अध्यन करने का शौक था। बदलते दौर में जो देखा, अनुभव किया उसे पुस्तक का रूप दिया।
    भाजपा के सिवानी मंडल अध्यक्ष लाल सिंह लालू ने नई पुस्तक के लिए उन्हें बधाई दी। इस मौके पर उपमंडल के सभी विभागों के अधिकारियों के साथ पूर्व चेयरमैन रमेश वर्मा, अनिल झाझड़िया, मुकेश डालमिया, डॉ नोकरम, परविंदर सिंह तंवर, डॉ रोहताश जांगड़ा, फूलसिंह गैदर, ज्ञानीराम शर्मा, प्रह्लाद शर्मा, टोनी तंवर, मास्टर राजबीर बेनीवाल, भागीरथ जांगड़ा, घनश्याम गर्ग, संदीप भाटीवाल, रायचंद गैदर, दलीप सिंह, संजय स्वामी, दीपक दीप, संदीप गढ़वा सहित आस-पास के क्षेत्र के हज़ारों लोग उपस्थित थे। रमेश वर्मा ने आमंत्रित मेहमानों का धन्यवाद किया। मंच संचालन मास्टर महेन्दर भाटी ने किया।