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  • Bihar Teacher News : बीएड पास हजारों नियोजित शिक्षकों की नौकरी बचाने में लगी नीतीश सरकार, उठाने जा रही बड़ा कदम

    Bihar Teacher News : बीएड पास हजारों नियोजित शिक्षकों की नौकरी बचाने में लगी नीतीश सरकार, उठाने जा रही बड़ा कदम

    Bihar Primary Niyojit Teacher News : बिहार में प्राइमरी यानी क्लास एक से पांच तक के नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। पटना हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद ये नौकरी के लिए अयोग्य हो गए हैं। ऐसे शिक्षकों की संख्या हजारों में है। अब नीतीश सरकार इनकी नौकरी बचाने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए महाधिवक्ता से राय ली गई है, जो शिक्षकों के फेवर में है।

    पटना। बिहार में हजारों नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। ये वो शिक्षक हैं जो पहली से पांचवी क्लास तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद इनकी नौकरी खतरे में है। लेकिन अब नीतीश सरकार इनकी नौकरी बचाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। इन नियोजित शिक्षकों के लिए बिहार सरकार फिलहाल राहत की खबर ले कर आई है। बड़ी खबर यही है कि ये नियोजित शिक्षक फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। इनकी नौकरी पर आए खतरे को टालने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा कदम उठाने का मन बना लिया है।

    नियोजित शिक्षकों की नौकरी बचाने की तैयारी

    बिहार में क्लास 1 से क्लास 5 तक के वो नियोजित शिक्षक जो बीएड पास हैं, वो फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। ऐसे टीचरों की नौकरी बनाए रखने के लिए पटना हाईकोर्ट के फैसले को नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। इसके लेकर शिक्षा विभाग ने बिहार के महाधिवक्ता से राय भी ले ले ली है। इस राय मशविरे के बाद सरकार ने तय किया है कि वो पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

    पटना HC के फैसले के खिलाफ SC जाएगी नीतीश सरकार

    शिक्षा विभाग की तरफ से आई एक जानकारी के अनुसार बिहार के एडवोकेट जनरल यानी महाधिवक्ता पी के शाही ने बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट में SLP यानी स्पेशल लीव पिटीशन दायर करने की सलाह दी है। इसको लेकर शिक्षा विभाग में भी सहमति बन गई है। आपको ये बता दें कि बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा से पहले बीएड पास शिक्षकों की भर्ती छठे चरण के जरिए हुई थी। इसमें क्लास 1 से क्लास 5 तक के शिक्षकों की तादाद करीब 10 हजार के आसपास है।

    क्या है पटना हाईकोर्ट का आदेश

    दरअसल पटना हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2023 को एक आदेश दिया था। ये आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में ही था। इसमें पटना हाईकोर्ट ने साफ किया था कि बिहार में प्राइमरी स्कूलों में बीएड पास डिग्रीधारी शिक्षक जॉइनिंग के योग्य नहीं होंगे। यानी क्लास 1 से पांच तक के स्कूलों में बीएड डिग्री वाले शिक्षकों की जॉइनिंग पर विचार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि जॉइन कर चुके शिक्षकों के मामले में NCTE के साल 2010 की मूल अधिसूचना के मुताबिक एलिजिबल कैंडिडेट यानी योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति बनी रह सकती है।

    NCTE वाले मामले को समझिए

    आपको बता दें कि NCTE की तरफ से जून 2018 की 28 तारीख को जो नोटिफिकेशन जारी किया गया था उसमें बीएड वाले टीचरों को भी प्राइमरी के योग्य माना गया था। हालांकि इसमें एक शर्त थी कि उन्हें दो साल के भीतर 6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करना होगा, साथ ही खास ट्रेनिंग कराने का भी प्रावधान था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध नहीं माना था। अब बिहार सरकार नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है।

  • बदल गए है ये नियम ,सीधा असर आपकी जेब पर होगा

    बदल गए है ये नियम ,सीधा असर आपकी जेब पर होगा

    दिसंबर का महीना खत्म हो गया। आज से नए साल का आगाज़ हो चूका है। देश में हर महीने की पहली तारीख को कई बदलाव होते हैं। यह बदलाव सीधे आम आदमी की जेब पर असर डालते हैं। ऐसे में आपको इन बदलावों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। 1 जनवरी से कई बदलाव हो चूका है इनका सीधा संबंध आपकी जेब से है।

    सिम कार्ड खरीदने और रखने के नियम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब सिम कार्ड खरीदने पर सिर्फ डिजिटल KYC ही होगी इससे पहले डॉक्यूमेंट्स का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाता था।

    नए साल से नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी (NPCI) नई पॉलिसी लागू कर रहा है। इसके तहत एक या उससे ज्यादा साल से इनएक्टिविट यूपीआई आईडी को ब्लॉक कर दिया जाएगा।

    घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए नया साल 2024 राहत लेकर आएगा? एलपीजी के रेट में अमूमन हर महीने की 1 तारीख को बदलाव होता है। इसी कड़ी में आज (1 जनवरी, 2024) एलपीजी सिलेंडर के नए रेट जारी होंगे. गौरतलब है कि चुनावी साल 2019 में पेट्रोलियम कंपनियों ने उपभोक्ताओं को नए साल का गिफ्ट देते हुए 14 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम 120.50 रुपये कम कर दिए है।

    मार्केट रेगुलेटर सेबी ने म्युचुअल फंड और डीमैट खाता में नॉमिनेशन की आखिरी तारीख बढ़ा दी है। पहले नॉमिनी बताने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर थी। अब 6 महीने का समय और दे दिया गया है। अब नॉमिनेशन की आखिरी तारीख 30 जून, 2024 कर दी गई है।

    अगर आपने अपने जीमेल अकाउंट को 1-2 साल से इस्तेमाल नहीं किया है तो आपका गूगल का जीमेल अकाउंट बंद हो सकता है। गूगल का ये नियम सिर्फ पर्सनल अकाउंट पर होगा ये नियम बिजनेस अकाउंट पर लागू नहीं होगा।

    जनवरी 2024 में अगर आपका बैंक में जाकर कोई काम निपटाने का इरादा है, तो आपको बैंक की छुट्टियों की जानकारी लेकर ही अपनी प्‍लानिंग करनी चाहिए ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्‍योंकि बिना छुट्टियों की जानकारी लिए आप बैंक चले जाएं और उस दिन बैंक बंद हो। जनवरी में अलग-अलग मौकों पर कुल 16 दिन बैंक बंद रहेंगे। आप आरबीआई की वेबसाइट पर जाकर बैंक छुट्टियों की लिस्ट को चेक कर सकते हैं।

    बात खाने पिने की सामान की करें तो 2023 में तुअर दाल 110 रुपए से बढ़कर 154 रुपए किलो पर पहुंच गई। वहीं इस साल चावल 37 रुपए से बढ़कर 43 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।इसी तरह हर घर में रोजाना उपयोग होने वाले सामान जैसे दूध, शक्कर, टमाटर और प्याज जैसी चीजों के दाम भी इस साल बढ़े हैं। हालांकि बीते साल गैस सिलेंडर और सोयाबीन तेल सहित कई अन्य चीजों के दाम में गिरावट भी देखने को मिली है।भारत में महंगाई के कारणों की बात करें तो डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होकर 83 के स्तर के पार पहुंच गया है। डॉलर महंगा होने से भारत का आयात और महंगा होता जा रहा है और इससे घरेलू बाजार में चीजों के दाम भी बढ़ रहे हैं। वहीं कोविड के बाद से सप्लाई चेन अभी तक पूरी तरह से पटरी पर नहीं आई है, जिसने महंगाई को बढ़ाया है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध के कारण भी क्रूड ऑयल और खाने-पीने के सामानों के दाम बढ़े हैं।

  • ‘यादें’ जज्बातों के रंग से रंगी ग़ज़लें

    ‘यादें’ जज्बातों के रंग से रंगी ग़ज़लें

     “देखनी है तो इसकी उमर देखें, गलतियां नहीं इसका हुनर देखें। दबे पैर सोये जज्बात जगाकर, सौरभ की यादों का असर देखें।।”

    मात्र 16 साल की उम्रके पड़ाव पर साल 2005 में कक्षा ग्यारह में पढ़ते हुए डॉ सत्यवान सौरभ ने अपनी पहली पुस्तक ‘यादें’ लिखी थी। जो नई दिल्ली के प्रबोध प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी। प्रख्यात साहित्यकार विष्णु प्रभाकर और रामकुमार आत्रेय की नज़र में सत्यवान सौरभ उस समय इतनी अल्पायु में गजल संग्रह के रचनाकार होने का गौरव प्राप्त करने वाले संभावित प्रथम रचनाकार रहें होंगे। अब 18 साल बाद ‘यादें’ का दूसरा संस्करण 2023 में आया है। प्रस्तुत लेख स्वर्गीय रामकुमार आत्रेय द्वारा लिखी गई ‘यादें’ की समीक्षा है जो साल 2005 में लिखी गई।

     रामकुमार आत्रेय

     

    सत्यवान सौरभ एक ऐसी प्रतिभा का नाम है जिसके पांव पालने में दिखाई देने लगे हैं। यहां मैं पालने शब्द का उपयोग जानबूझकर कर रहा हूं। क्योंकि सौरभ अभी सिर्फ 16 वर्षों 3 माह के ही तो हैं। अभी वरिष्ठ विद्यालय की कक्षा 10 जमा 2 के छात्र हैं और गजलें कहने लगे हैं। सिर्फ कहते ही नहीं पत्र-पत्रिकाओं में ससम्मान प्रकाशित भी होते हैं। ‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ यानी प्रतिभा की पहचान व्यक्ति के आरंभिक चरण से ही अपना प्रदर्शन करना शुरू कर देती है। प्रतिभावान व्यक्ति लम्बे समय तक किसी भी भीड़ से गुम नहीं रह सकता। उसमें छुपी उसकी प्रतिभा एक न एक दिन उसे शोहरत के पथ पर अग्रसर कर ही देती है। यह बात गाँव बड़वा के उभरते कवि, शायर सत्यवान ‘सौरभ’ पर बिल्कुल सटीक बैठती है। छात्रकाल से ही लेखन के क्षेत्र में रूचि रखने वाले इस अदने से कच्ची उम्र के शायर ने अपनी ग़ज़लनुमा कविताओं के माध्यम से ख्यालों-जज्बातों की दुनिया को किसी नई नवेली दुल्हन की तरह इस कदर सँवारा है कि ग़ज़लों में कहीं भी इनकी उम्र का आभास नहीं होता। यादें उनकी गजलों का पहला संकलन है। इस संकलन में अपनी बात में सौरभ गजल के प्रभाव के विषय में खुद कहते हैं-

     

    न बहार, न आसमान न जमीन होती है शायरी,

    जज्बातों के रंगों से रंगीन होती है शायरी।

    कल्पनाओं से लबरेज कविता सी नहीं होती,

    जिंदगी के आंगन में अहसासे जमीन होती है शायरी।।

     

    ठीक कह रहे हैं सौरभ। यह पंक्तियां जज्बातों का एक नमूना है। जज्बात और तर्क का रिश्ता बहुत दूर का होता है। सौरभ आयु के ऐसे पड़ाव पर है जहां जज्बातों का उफनता हुआ समुद्र होता है। इस उफनते हुए समुद्र को वे गजल के सफीन के सारे पार करना चाहते हैं। उस सफीने को सजाये हुए है यादों की रंग बिरंगी झालरों से। यादों में सिर्फ मुहब्बत। उफ़ इतना दर्द! इतनी तड़प! गजल शब्द का अर्थ भी तो मुहब्बत की बात होता है। एक बात अवश्य है कि वह यादें सुखद नहीं है। हर स्थान पर टूटे दिल का इकतारा बजता हुआ सुनाई देता है-

     

    सौरभ खवाबों से हकीकत की ओर आकर तो देख,

    कहीं झूठ तेरी मोहब्बत का आशियाना तो नहीं।

    रखना चाहते थे जो हम जलाकर जीवन भर,

    वह प्यार का दीपक वो बुझाकर चल दिए।।

     

    सौरभ के लिए जो सबसे प्रिय था वह खुशबू की तरह था। तभी तो उसे लगता है कि जैसे उसने गजल सिर्फ उसी को आधार बना कर लिख डाली हो-

    एक-एक शब्द में समाई है तेरी ही खुशबू,

    तुझ पर ही यह ग़ज़ल लिखी हो जैसे।

     

    शायर गजल कह रहा और खत की बात बीच में न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। सौरभ भी अपनी प्रियतमा को चुनौती देते हुए कहते हैं-

     

    जला डालोगे मेरे खत तो क्या हुआ,

    मन से मेरी तस्वीर न हटा पाओगे।

     

    यादों के बीच से गुजरते हुए लगता है कि सौरभ इस आग के दरिया को तैर कर पार निकल आए हैं। बिना डूबे, बिना जले। लेकिन ऐसा संभव ही नहीं है। उनकी देह नहीं डूबी, डूबा है उनका दिल। उनकी देह नहीं जली, जला है उनका दिल। जो स्थूल आंखों से दिखाई देना संभव नहीं। तभी तो वह किसी जुनूनी की तरह घोषणा करते हैं-

     

    दिल नहीं पत्थर है वह हर दिल,

    जो किसी पे मरता नहीं है।

     

    यह मोहब्बत की विरासत है जो उनकी हर गजल में छिपी बैठी है। मोहब्बत और गजल का जुनून सौरभ के सिर पर इस कदर तक सवार है कि उसे अपने ख्वाब भी उन्हीं से सजे दिखाई देते हैं-

     

    सो जाता हूं जब अतीत में गोते लगाकर रातों को,

    चुपके-चुपके आकर पास मेरे ख्वाबों को सजाती है।

     

    एक बात यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि जज्बात जब अपने उफान पर होते हैं तब बहर तथा पैमाने जैसे कायदे-कानून की सीमा में मुश्किल से ही बंध पाते हैं। इसलिए पाठकों को ग़ज़ल छंद की गहराई में न जाकर जज्बातों की रोशनी में इन रचनाओं का आनंद उठाना चाहिए। शायद सौरभ को पहले से ही ऐसा संदेह रहा है इसलिए वह कहते हैं-

     

    समझ न पाए वो मेरे गीत गजलों की बानगी,

    दिल का हर भाव शायरी के जरिए बतलाता रहा मैं।

     

    यह बड़े ही हर्ष का विषय है की सत्यवान सौरभ ने अपने प्रथम गजल संग्रह ‘यादें’ के माध्यम से युवाओं के दिलों के तारों को छेड़ने का प्रयास किया है। जीवन की अनुभूति को सरल भाषा शैली में लिखकर श्री सौरभ ने अपने होने की गजलकारों में दस्तक दे दी है। उम्र, तजुर्बे जैसी तमाम धारणाओं को प्रस्तुत गजल संग्रह आईना दिखाता साबित हो रहा है। सौरभ की दीवानगी इसका जुनून एक-एक ग़ज़ल में सिर चढ़कर बोलता प्रतीत होता है। हालांकि यह सौरभ का साहित्य जगत में प्रथम पदार्पण है लेकिन निष्ठा और मेहनत के साथ यदि सौरभ प्रयासरत रहा तो वह दिन दूर नहीं जब सत्यवान सौरभ किसी परिचय का मोहताज़ नहीं होगा। ख़ूने जिगर से लिखी तमाम ग़ज़लें एक ओर जहाँ सत्यवान ‘सौरभ’ कि पीठ थपथपाती है वहीं दूसरी ओर अन्य नवोदित कलमकारों को भी लेखन के क्षेत्र में उत्साहित करती है। सत्यवान ‘सौरभ’ के प्रथम ग़ज़ल संग्रह ‘यादें’ के लिए मैं इन्हें ढेरों शुभकामनाएं देता हूँ औऱ इसके काव्यमयी उज्ज्वल भविष्य की कामना करने के साथ-साथ यही कहूंगा-

     

    “देखनी है तो इसकी उमर देखें

    गलतियां नहीं इसका हुनर देखें।

    दबे पैर सोये जज्बात जगाकर,

    सौरभ की यादों का असर देखें।।”

     

    अच्छा होता है यदि प्रकाशक प्रूफ की मामूली गलतियों की तरफ भी ध्यान देते तो सोने पर सुहागा होता। आशा है पाठकों को यादें पसंद आएगी।
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    पुस्तक का नाम : यादें
    लेखक : डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’
    लेखकीय पता : परी वाटिका, कौशल्या भवन,
    बड़वा (सिवानी) जिला भिवानी, हरियाणा – 127045
    मोबाइल : 9466526148, 7015375570
    विधा : ग़ज़ल संग्रह
    प्रकाशक : नोशन प्रकाशन समूह, चेन्नई।
    संस्करण : 2023
    मूल्य : ₹ 155/-
    पृष्ठ संख्या : 100
    अमेजन, फ्लिपकार्ट और ऑनलाइन हर जगह उपलब्ध।

  • एजुकेशन ट्रिप पर गए स्टूडेंट-टीचर का हैरान कर देने वाला ‘रोमांटिक’ फोटोशूट हुआ वायरल!

    एजुकेशन ट्रिप पर गए स्टूडेंट-टीचर का हैरान कर देने वाला ‘रोमांटिक’ फोटोशूट हुआ वायरल!

    आज के दौर में सोशल मिडिया पर रातों रात कुछ भी वायरल हो जाता है। अभी हाल ही में कर्नाटक के एक सरकारी स्कूल की टीचर का उसके स्टूडेंट के साथ कराया गया रोमांटिक फोटोशूट सोशल मीडिया पर हर जगह तेज़ी से वायरल है। फोटोज में स्टूडेंट-टीचर दोनों एक दूसरे को चूमते हुए और गले लगते हुए दिखाई दे रहे हैं। ये फोटोशूट चिक्कबल्लापुर जिले के मुरुगमल्ला गाँव का है। फोटो में टीचर ने साड़ी पहनी हुई है और छात्र ने पीला कुर्ता-जींस। हैरान कर देने वाली बात यह है कि यह महिला स्कूल की प्रधानाध्यापिका है।

    बता दें ,इस मामले में एजुकेशन ऑफिसर के पास भी शिकायत पहुँचीं। शिकायत में प्रधानाध्यापिका के व्यवहार की जाँच कराने की माँग की गई। अभिभावको ने इस टीचर पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है, जिसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज की और फिर बीईओ के स्कूल पहुँचने की बात भी सामने आई। कहा जा रहा है कि बीईओ की जाँच में पता चला कि प्रधानाध्यापिका ने कुछ तस्वीरों को डिलीट कर दिया था। वहीं वायरल तस्वीर तब खींची गई थी जब स्कूल स्टाफ और छात्र एजुकेशनल ट्रिप पर गए थे। ये तस्वीरें अन्य छात्र द्वारा क्लिक करवाई गई थीं।

    बता दें, इस फोटोशूट ने सबका दिमाग हिला कर दिया है। इस फोटोशूट पर लोग अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोगों ने कहा है कि कलयुग आ गया है और कुछ लोगों ने सोशल मीडिया को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया कि वहां डाली जाने वाली रील्स युवाओं को गलत काम करने पर बहकाती है और कुछ लोग इन सब चीज़ो के आभाव में आकर गलत कदम उठा बैठते है। हालांकि, यहां यह समझना जरूरी है कि ये वास्तविक दुनिया है, कोई इंस्टाग्राम या फेसबुक नहीं।

    बता दें, इस तरह की घटना शिक्षा जगत के लिए बेहद निंदनीय है और ऐसा नही है कि यह कोई पहली घटना है। इस तरह की कई घटना पहले भी सामने आ चुकी है। इससे पहले 2022 में, कक्षा में भोजपुरी गाने पर नृत्य करते एक शिक्षक का वीडियो वायरल हुआ था , जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की गई थी. वीडियो में एक शिक्षिका को साड़ी पहने हुए ‘पतली कमरिया मोरी’ गाने पर नाचते हुए देखा गया था, जिसके बैकग्राउंड में छात्र हाथ हिलाते और उछल-कूद कर रहे थे, जिससे शिक्षा क्षेत्र में चल रहे गलत आचरण को लेकर सवाल उठने लगे।

  • Delhi School Winter Vacation : दिल्ली के सभी स्कूलों में 1 जनवरी से विंटर वेकेशन, सिर्फ इतने दिन होंगी सर्दियों की छुट्टियां

    Delhi School Winter Vacation : दिल्ली के सभी स्कूलों में 1 जनवरी से विंटर वेकेशन, सिर्फ इतने दिन होंगी सर्दियों की छुट्टियां

    Delhi News: दिल्ली के सभी स्कूलों में इस बार की सर्दियों की छुट्टियों की घोषणा कर दी गई है. सर्दियों की छुट्टियां 1 जनवरी से 2024 से शुरू होंगी। इस बार 6 जनवरी तक ही दिल्ली के सभी स्कूलों में विंटर वेकेशन घोषित किया गया है। ऐसे में इस बार सर्दियों की छुट्टियां पिछले सालों की तुलना में कम हैं। दिल्ली सरकार (Delhi Government) की ओर से बुधवार को विंटर वेकेशन को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है।

    इससे पहले नवंबर महीने में प्रदूषण के चलते विंटर वेकेशन की छुट्टियों के कुछ दिन पहले ही इस्तेमाल हो चुके हैं। प्रदूषण के चलते 9 नवंबर से 18 नवंबर तक दिल्ली में स्कूल बंद किए गए थे और इसको विंटर वेकेशन में एडजस्ट करने का आदेश दिया गया था। कुल मिलाकर अब दिल्ली के सभी स्कूल 1 जनवरी से 6 जनवरी तक बंद रहेंगे।

    वायु प्रदूषण की वजह से विंटर ब्रेक की हुई थी घोषणा

    गौरतलब है कि दिवाली से पहले दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने 9 से 18 नवंबर तक स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी थी।  दिल्ली में वायु प्रदूषण सूचकांक 500 के आसपास पहुंचने के कारण शिक्षा निदेशालय ने ‘विंटर ब्रेक’ यानी सर्दियों की छुट्टी घोषित करने का निर्णय लिया था। शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेश के बाद 9 से 18 नवंबर तक दिल्ली के सभी स्कूल बंद रहे।

    राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सरकार ने समय से पहले सर्दी की छुट्टी घोषित करने का निर्देश दिया था। अमूमन यह छुट्टियां दिसंबर-जनवरी में तेज ठंड पड़ने के दौरान दी जाती हैं, लेकिन, दिल्ली में प्रदूषण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पूर्व निर्धारित दिसंबर-जनवरी के विंटर ब्रेक को पहले ही घोषित कर दिया गया। इस निर्णय से पहले 5 नवंबर को सरकार ने 5वीं कक्षा तक के प्राथमिक स्कूल 10 नवंबर तक बंद रखने का निर्णय लिया था।

  • 25 जून 1983, भारत ने की थी पहली ICC Trophy अपने नाम !

    25 जून 1983, भारत ने की थी पहली ICC Trophy अपने नाम !

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    साल था 1983 तारीख थी 25 जून, ग्राउंड था क्रिकेट का मक्का “लॉर्ड्स” , भारत ने इसी दिन ICC World Cup अपने नाम किया था, मुकाबला था उस समय की दुनिया की सबसे मजबूत टीम माने जाने वाली West Indies से जो पिछले 2 बार की विश्व विजेता रह चुकी थी,भारत की ये प्रतियोगिता जितने की कोई भी उम्मीद नहीं थी पर,कपिल देव की अगुवाई वाली टीम ने इस करिश्मे को कर दिखाया,

    1983 वर्ल्ड कप

    यु तो भारत पिछले 2 बार के World Cup (1975,1979) में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन के साथ सबसे पीछे था पर इस बार का World Cup यानि 1983 का कुछ ख़ास था,इसी खिताब को अपने नाम करने के बाद भारतीय क्रिकेट को एक नया आयाम मिला और सभी भारतीयों को खुसी मिली वो अलग, उन दिनों दुनिया की सबसे मजबूत टीम हुआ करती थी वेस्ट इंडीज , साथ ही इंग्लैंड का और ऑस्ट्रेलिया का भी अपना एक रुतबा था, बताया जाता हैं की जब भारतीय टीम इंग्लैंड में वर्ल्ड कप के लिए पहुंची तो बहुत कम पत्रकारों ने उनसे संवाद करने की कोशिश की थी , इसी एक वाकया से पता चलता हैं की भारत की जीतने की कितनी कम उम्मीद लोग लगाए बैठे थे, उन दिनों भारत में नए-नए colour टीवी आये थे, इसलिए भारतीयों में इस वर्ल्ड कप को एक अलग ही जूनून था,

    Team India 1983
    Team India 1983

    उन दिनों एक दिवसीय क्रिकेट में 60 Overs का हु करते थे,वर्ल्ड कप से पहले के 3 warmup मैच भी हार गयी थी Team India, इस प्रतियोगिता में केवल ट्रॉफी ही नहीं कई रिकॉर्ड भी खलाड़ियो ने अपने नाम करवाए जैसे कपिल देव पहले भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने OneDay Cricket में शतक लगाया और 5 विकेट लिए। उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ नाबाद 175 Runs की पारी खेली। वहीं, Australia के खिलाफ 43 रन देकर 5 विकेट लिए थे।संदीप पाटिल ने सेमी फाइनल मैच में सबसे जल्दी फिफ्टी लगा कर ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय बन गए उन्होंने 32 बॉल्स में 51 Runs बनाये बाद में उनका ये रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर ने 2007 में पीछे छोड़ा उन्होंने वर्ल्ड कप में बरमूडा के खिलाफ 26 गेंद में 50 जड़ी थी !

    कैसा रहा आखिरी मैच में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन ?

    1983 के वर्ल्ड कप में अगर किसी खिलाडी का दबदबा था तो वो थे वेस्ट इंडीज के दिग्गज खिलाडी Viv Richards जो अकेले ही पुरे मैच को जीतने का दम रखते थे , लॉर्ड्स ग्राउंड में जब टॉस होने वाला था तो हल्के-हल्के बादल छाए हुए थे,पर जैसे ही भारतीय कप्तान कपिल देव और वेस्ट इंडीज के कप्तान क्लीवे लॉयड Toss के लिए मैदान पर आये तब सूरज ने बदलो को हटा कर अपनी रौशनी ग्राउंड पर बिखेर दी, टॉस हुआ और वेस्ट इंडीज के हक्क में गिरा कप्तान क्लीवे लॉयड ने फील्डिंग करने का फैसला लिया, भारतीय खिलाड़िओ में सबसे पहले बालेबाज़ी के लिए आये उस समय के Little Master कहे जाने वाले Sunil Goveskar पर वो उस दिन अपना जलवा लॉर्ड्स के मैदान पर देखा न सके और केवल 2 Run बना कर आउट हो गए, दूसरी और उन्ही के साथ उतरे थे कृष्णमाचारी श्रीकांत जिहोने 57 गैंदो में 38 Runs बनाये ,श्रीकांत के 38 Run ही पुरे मैच में दोनों टीमों में सबसे अधिक Runs थे

    Krishnamachari Srikkanth
    Krishnamachari Srikkanth

    संदीप पाटेल सहित मोहिंदर अमरनाथ ने 27 और 26 रन बना कर टीम में सहयोग दिया,उनदिनों वेस्ट इंडीज के Ballers को बहुत ही ज़्यादा खतरनाक माना जाता था,जब आखिर में बलविंदर संधू आये तो वेस्ट इंडीज के तेज तरार बॉलर ने बोउन्सेर उनके सर पर दे मारी हालाकि वो ठीक थे, एम्पायर ने बॉलर से माफ़ी मांगने को भी कहा,किसी तरहा से भारतीय टीम 183 Runs ही बाना पायी थी,वेस्ट इंडीज के सामने ये स्कोर बहुत ही छोटा लगा था, वेस्ट इंडीज के मैनेजमेंट ने भारतीय खिलाड़ियों की पारी ख़तम होते ही अपने सेलिब्रेशन का सामान माँगा लिया था क्योकि उन्हें लगा की ये स्कोर बहुत छोटा हैं , और वो इसे जल्दी ही पूरा कर लेंगे,

    नहीं चला West Indies का जलवा !

    बारी आती है वेस्ट इंडीज की जब वेस्ट इंडीज मैदान पर आयी तो सभी को यही लग रहा था की वेस्ट इंडीज एक विजेता की तरह मैदान में आ रही हैं, पर 12 गेंद खेलने के बाद वेस्ट इंडीज के ओपनर बल्लेबाज़ गॉर्डोन ग्रीनिज को आउट किया बलविंदर संधू ने इस आउट से भारतीयों में एक उम्मीद की लहर दौड़ गयी, Viv Richards को आउट करने का किस्सा सबसे मशहूर हैं,मदन लाल 3 ओवर में मार खाकर कपिल देव से चौथा ओवर चाहते थे पर कपिल किसी और को मौका देना चाहते थे, फिर बाद कपिल ने मोहन को ही ओवर दे दिया, कई लोग कहते है की मदन लाल ने कपिल देव से बॉल को छीन लिया था पर मोहन लाल ने एक इंटरव्यू मे बतया की “कप्तान के हाथ से कोई बॉल नहीं छीन सकता” ,फिर मदन लाल ने पहली बॉल Viv Richards थोड़ी शार्ट डाली और उनके द्वारा लगे शार्ट से निकली बॉल सीधे कपिल देव के हाथ में गयी, वो उनका साइड में लपका catch क्रिकेट के इतिहास में अपना एक अलग मुक्काम रखता हैं,

    विव रिचर्डसका का कैच लेने के बाद कपिल देव
    विव रिचर्डसका का कैच लेने के बाद कपिल देव

    Viv Richards 33 Runs बना के Out हो गए Viv के आउट होने से भारतीय खिलाड़ियों में जोश दो गुना हो गया,भारतीय बॉलर्स में मदन लाल और मोहिंद्र अमरनाथ ने 3-3 विकेट ली और बलविंदर संधू ने 2 विकेट अपने नाम की,उसी के साथ वेस्ट इंडीज का कुल स्कोर रहा 140 रन,

    1983 and 2011 World Cups

    1983 and 2011 World Cups

    भारत ने वेस्ट इंडीज जो की पिछले 2 बार की विश्व विजेता थी भारत ने वेस्ट इंडीज को 43 से हराया, भारतवासिओ के भीतर खुसी की लहर दौड़ गयी,बताया जाता हैं की इंडियन क्रिकेट टीम ने Celebration का कोई सामान नहीं मंगाया था, जब बाद में इंडिया जीती तो वो वेस्ट इंडीज के ड्रेसिंग रूम से 2 चेंगपिओन की बोतल ले आये थे,इस तरहा भारत ने अपना पहला ICC World Cup अपने नाम किया,इस का सीधा टेलीकास्ट इंडिया में BBC की हड़ताल की वजह से नहीं हो पाया था, केवल रेडियो पर ही लोगो को खबर मिल रही थी,1983 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने 28 साल बाद 2011 ICC World Cup को MS Dhoni की कप्तानी में जीता था,

     

     

  • आदर्श विद्या निकेतन इंटर कॉलेज ताहरपुर हाई स्कूल का रिजल्ट रहा 100 फीसदी 

    आदर्श विद्या निकेतन इंटर कॉलेज ताहरपुर हाई स्कूल का रिजल्ट रहा 100 फीसदी 

    विद्यालय रिजल्ट हाई स्कूल 100%एवं इंटरमीडिएट 98% बच्चों, शिक्षकों, प्रधानाचार्य देवेंद्र सिंह की कड़ी मेहनत एवं विद्यालय में बनी अनुशासन व्यवथा का ही फल है : प्रबधक धर्मेंद्र सिंह राजपूत

    दीपक कुमार इंटरमीडिएट प्रथम स्थान

     

    किरतपुर (बिजनौर) ।  किरतपुर ब्लॉक के अंतर्गत आदर्श विद्या निकेतन इंटर कॉलेज किरतपुर -मौजमपुर नारायण रोड तहारपुर का रिजल्ट गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी रहा बंपर रहा।  बच्चों, शिक्षकों, प्रधानाचार्य की मेहनत एवं प्रबंधन द्वारा बनाई गई अनुशासन व्यवस्था रंग लाई ।

    आर्यन राजपूत हाई स्कूल प्रथम स्थान

    हाई स्कूल में प्रथम स्थान आर्यन राजपूत पुत्र नरेंद्र कुमार निवासी ग्राम पाडली प्राप्तांक 532 रिजल्ट 88,16%। द्वितीय स्थान स्वाति पाल पुत्री हेमराज निवासी ग्राम रायपुर प्राप्तांक 525 रिजल्ट 87,50%। तृतीय स्थान जिया राजपूत पुत्री सुनील कुमार निवासी ग्राम बरमपुर प्राप्तांक 514 रिजल्ट 85,66%। एवं इंटरमीडिएट प्रथम स्थान दीपक कुमार पुत्र वेद प्रकाश निवासी ग्राम रायपुर प्राप्तांक 446 रिजल्ट 85,27 प्रतिशत।

    द्वितीय स्थान नेहा रानी पुत्री  अरुण कुमार निवासी ग्राम ज्वाला चंडी प्राप्तांक 436 रिजल्ट 87,27 प्रतिशत। तृतीय स्थान नेहा पुत्री सौपाल निवासी ग्राम रायपुर प्राप्तांक 433 रिजल्ट 86,6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर बढ़ाया विद्यालय का गौरव।बात करने पर विद्यालय प्रबंधक धर्मेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि हम विद्यालय के रिजल्ट से पूर्ण संतुष्ट हैं। आगे कोशिश करेंगे कि इससे भी अच्छे रिजल्ट ला सकें, ये रिजल्ट बच्चो एवं शिक्षकों, प्रधानाचार्य की कड़ी मेहनत एवं विद्यालय में बनी अनुशासन व्यवस्था का ही फल है।

  • Education Budget 2023- एजुकेशन सेक्टर में इस साल क्या कुछ होगा नया,देखें

    Education Budget 2023- एजुकेशन सेक्टर में इस साल क्या कुछ होगा नया,देखें

    Education Budget 2023– किसी भी इकॉनॉमी सेक्टर में एजुकेशन सेक्टर का विशेष महत्व होता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतीरमण ने आज यानी 1 फरवरी को वर्ष 2023-24 का आम बजट लोकसभा में पेश किया है। इस दौरान उन्होंने शिक्षा,रोजगार, कौशल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण घोषणा की है। वहीं एजुकेशन सेक्टर के लिए भी इस साल के बजट में क्या कुछ नया है इसके बारे में भी स्टूडेंट्स जानना चाहते हैं। तो आज की इस वीडियो में हम आपकों बताएंगे इस साल एजुकेशन सेक्टर के क्षेत्र में क्या कुछ नया है तो एंड में बने रहियेगा…

    157 नए नर्सिंग कॉलेज खुलेंगे

    केंद्रीय वित्त मंत्री ने आज देश का आम बजट पेश कर दिया है ! इस बार के बजट में एजुकेशन सेक्टर को विशेष महत्व दिया गया ! वित्त मंत्री ने अपने बजट में बच्चों और किशोरों के लिए नेशनल लाइब्रेरी की स्थापना करने की घोषणा की! बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि देश में शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए नए प्रोग्रामों कीं शुरूआत की जायेगी! प्रादेशिक और अंग्रेज़ी भाषा में किताबें दी जाएँगी ! NGO को बढ़ावा दिया जायेगा ताकी साथ मिलकर साक्षरता पर काम किया जा सके !अगले तीन सालों में 38 हज़ार टीचर्स और स्पोर्ट्स टीचर्स की भर्ती की जाएगी! क्योंकि इन स्कूलों के माध्यम सें 3.5 लाख आदिवासी छात्रों को भी शिक्षा दी जाती है ! फार्मा सेक्टर में रिसर्च गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नई रिसर्च योजना का ऐलान भी किया गया है। जिला स्तर पर शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।

    एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में बनेंगे एआई सेंटर

    टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले जाएंगे. इसमें लीडिंग इंडस्ट्री प्लेयर्स पार्टनर होंगे जो रिसर्च में हेल्प करेंगे, नए एप्लीकेशन डेवलेप करने में मदद करेंगे और हेल्थ, एग्रीकल्चर आदि से संबंधित समस्याओं के हल निकालने में सहायता देंगे.

    PMPBTG विकास मिशन होगा शुरू

    मौजूदा वित्त वर्ष में ये 7 फीसदी है जबकि साल 2023-24 में 6 से 6.8 फीसदी विकास का अनुमान जताया है. बजट पेश करते हुए हुए उन्होंने कहा कि विशेष रूप से जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो इसके लिए PMPBTG विकास मिशन शुरू किया जाएगा, ताकि पीबीटीजी बस्तियों को मूलभूत सुविधाएं मिल सके। और उनके जीवन स्तर में विकास हो. आपको बता दें अगले 3 वर्षों में योजना को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे.

    बजट 2023 महत्वपूर्ण स्कीम

    सरकार ने बजट में अगले तीन साल में 47 लाख युवाओं को राष्ट्रीय प्रशिक्षुता योजना यानी नेशनल अप्रेंटिस स्कीम का लाभ देने की बात की है।
    इसके अलावा सरकार लाखों केंद्रीय कर्मचारियों को स्किल सुधारने का मौका देगी। इसके तहत कर्मचारियों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए मिशन कर्मयोगी योजना का एलान किया गया है। इस साल शिक्षा पर मेन फोकस रखते हुए सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के तीन उत्कृष्टता केंद्र यानी सेंटर ऑफ इंटेलीजेंस देश के बड़े विश्वविद्यालय खोलने की बात कही है।

    डिजिटल लाइब्रेरी का मिलेगा लाभ

    केंद्र सरकार ने आम बजट में शिक्षा के क्षेत्र में काफी जोर देने का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके तहत टीचर्स ट्रेनिंग और बच्चों और किशोरों के लिए नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने की घोषणा की है। लेकिन इससे पहले हम आपको बता दे डिजिटल लाइब्रेरी आखिर होता क्या है? एक डिजिटल लाइब्रेरी एक पुस्तकालय है जिसमें उपलब्‍ध किताबों के डिजिटल वर्जन मौजूद होते हैं. साथ ही साथ इसमें इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल वर्जन मौजूद होते हैं. साथ ही साथ इसमें इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल फॉर्मेट में टेक्स्ट, फोटो, वीडियो या ऑडियो भी शामिल होते हैं. डिजिटल लाइब्रेरी को कहीं से भी एक्‍सेस किया जा सकेगा जिससे देश के हर कोने में स्थित छात्रों को इससे लाभ मिलेगा. डिजिटल लाइब्रेरी की संरचना में एक हाई स्पीड  लोकल नेटवर्क रिलेशनल डेटाबेस, विभिन्न प्रकार के सर्वर और डॉक्‍यूमेंट मैनेजमेंट सिस्‍टम शामिल हैं।

    बजट 2022-23

    में सरकार ने एजुकेशन सेक्टर के लिए एक लाख चार हजार 277 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. जो कि पिछले सालों के मुकाबले काफी अधिक था. शिक्षा बजट में समग्र शिक्षा अभियान के लिए 37,383 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इसके अलावा आईआईटी के लिये 8,494 करोड़ रुपये, यूजीसी और एआईसीटीई के लिए 5320 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. बजट में डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए फंड का प्रावधान किया गया था.

    2023-24 के शिक्षा बजट में क्या है बदलाव

    बीते कुछ सालों में शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव किए गए हैं (Education Budget 2023-2024). नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने से भी एजुकेशन सेक्टर में काफी बदलाव देखा गया है. ऐसे में इस साल के आम बजट में शिक्षा के क्षेत्र पर ज्यादा जोर दिए जाने की उम्मीद की जा रही है. लोगों का मानना है कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए खर्च बढ़ाया जाना चाहिए.

     

     

     

  • MP : मदरसों के कोर्स पर मचा बवाल, MLA ने की सरस्वती शिशु मंदिर की जांच की मांग

    MP : मदरसों के कोर्स पर मचा बवाल, MLA ने की सरस्वती शिशु मंदिर की जांच की मांग

    एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हाल ही मे मदरसों के कोर्स की जांच का आदेश दिया था। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के कुछ मदरसों में आपत्तिजनक पाठन सामग्री के उपयोग का विषय संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने कहा है कि मदरसों मे पढ़ाए जाने वाले कोर्स और कंटेट की जांच होगी। जिसको लेकर अब विवाद छिड़ गया है। गृह मंत्री की इस आदेश पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद भड़क गए। और उन्होंने इस पर पलटवार करते हुए मध्य प्रदेश के सरस्वती शिशु मंदिरों की जांच की भी मांग कर दी। उन्होंने कहा कि पता चलना चाहिए कि वहां पर क्या पढ़ाई चल रही है। क्या मदरसों को किया जा रहा है टारगेट

    मध्य प्रदेश में मदरसों के सिलेबस की जांच पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ मदरसों को टारगेट किया जा रहा है। मदरसों में क्या हालात हैं कम से कम यहां से पता चलेगा। 3 साल से मदरसों को फंड नहीं मिला है।

    मदरसों में कहीं देशद्रोहिता की शिक्षा तो नहीं दी जाती – संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर 

    मदरसों के सिलेबस की जांच के आदेश को लेकर मचे बवाल के बीच संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने आरिफ मसूद के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मदरसों में कहीं देशद्रोहिता की शिक्षा तो नहीं दी जा रही, कहीं मानव तस्करी तो नहीं हो रही इसकी चिंता है। जिन मदरसों को अनुमति नहीं दी गई है उन पर नियंत्रण होना चाहिए।

     

  • Irony of Students : प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामले

    Irony of Students : प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामले

    जब तक देश की परीक्षा संस्कृति से इस कुत्सित व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जाता है, तब तक छात्रों में आत्महत्या की दर को रोकने के मामले में कोई प्रत्यक्ष परिवर्तन नहीं देखा जाएगा। सरकार को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए, अगर वास्तव में हम सोचते है कि “आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। जबरन करियर विकल्प देने से कई छात्र बहुत अधिक मात्रा में दबाव के आगे झुक जाते हैं, खासकर उनके परिवार और शिक्षकों से उनके करियर विकल्पों और पढ़ाई के मामले में। शैक्षिक संस्थानों से समर्थन की कमी के चलते बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिए सुसज्जित नहीं है और मार्गदर्शन और परामर्श के लिए केंद्रों और प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी है। प्रारंभिक पाठ्यक्रमों और तृतीयक शिक्षा की अत्यधिक लागत छात्रों पर बोझ के रूप में कार्य करती है और उन पर जबरदस्त दबाव डालती है।

    प्रियंका सौरभ

    नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि आत्महत्या से छात्रों की मौत की संख्या में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक मौतें हुईं, इसके बाद मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों से छात्रों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे कारणों में बेरोजगारी दर बहुत अधिक है। सिक्किम में, राज्य की लगभग 27% आत्महत्याएँ बेरोजगारी से संबंधित थीं और 21 से 30 वर्ष की आयु के बीच सबसे आम पाई गईं। परीक्षा केंद्रित शिक्षा से भारत में छात्रों की आत्महत्याओं में अंक, अध्ययन और प्रदर्शन के दबाव के साथ अकादमिक उत्कृष्टता की तुलना करना महत्वपूर्ण कारक हैं।

    ऐसा क्या है जो छात्रों को आत्महत्या के लिए इतना प्रवृत्त करता है? भारत में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे किसी भी छात्र के साथ एक साधारण साक्षात्कार, चाहे वह जेईई, एनईईटी या सीएलएटी हो, यह प्रकट करेगा कि छात्रों के बीच मानसिक संकट का प्रमुख स्रोत उन पर दबाव की असहनीय मात्रा है जो लगभग हर एक द्वारा डाला जाता है। उन कुछ वर्षों की अवधि के दौरान जो हम छात्र एक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए अलग रखते हैं, हर शिक्षक, हर रिश्तेदार और हर चाची या चाचा कठिन अध्ययन और एक अच्छे कॉलेज में प्रवेश पाने के महत्व को दोहराते हैं। जबकि छात्र स्कूल से स्नातक होने के बाद क्या करने की आकांक्षा रखता है, या जहां उसकी रुचियां हैं, उसके बारे में सहज पूछताछ की बहुत सराहना की जाती है और यहां तक कि हमें प्रेरित भी करती है, विशेष रूप से कुछ माता-पिता, कई रिश्तेदारों और अधिकांश कोचिंग क्लास के हाथों लगातार होने वाली बहस प्रशिक्षकों का निश्चित रूप से हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

    इससे यह सवाल उठता है कि छात्रों के दिमाग से दबाव को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है। इस प्रश्न का उत्तर इतना जटिल नहीं है और वास्तव में यह हमारी आंखों के सामने है। प्रवेश परीक्षाओं के व्यावसायीकरण पर अंकुश लगाने के लिए पहला कदम उठाने की जरूरत है। इन सभी परीक्षाओं की अत्यधिक जटिल प्रकृति (सभी नहीं) का अनिवार्य रूप से मतलब है कि उन्हें पास करने के लिए माता-पिता को अपने बच्चों को प्रतिष्ठित कोचिंग सेंटरों में दाखिला दिलाने का सपना पूरा करना होगा, इससे छात्र के लिए एक से अधिक तरीकों से समस्या बढ़ जाती है क्योंकि वह कोचिंग पर माता-पिता द्वारा खर्च किए गए पैसे को चुकाने के लिए अब परीक्षा को पास करने का दबाव बढ़ गया है और उसे कोचिंग संस्थान के अतिरिक्त दबावों का भी सामना करना पड़ता है।

    जब तक देश की परीक्षा संस्कृति से इस कुत्सित व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जाता है, तब तक छात्रों में आत्महत्या की दर को रोकने के मामले में कोई प्रत्यक्ष परिवर्तन नहीं देखा जाएगा। सरकार को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए, अगर वास्तव में हम सोचते है कि “आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। जबरन करियर विकल्प देने से कई छात्र बहुत अधिक मात्रा में दबाव के आगे झुक जाते हैं, खासकर उनके परिवार और शिक्षकों से उनके करियर विकल्पों और पढ़ाई के मामले में। शैक्षिक संस्थानों से समर्थन की कमी के चलते बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिए सुसज्जित नहीं है और मार्गदर्शन और परामर्श के लिए केंद्रों और प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी है। प्रारंभिक पाठ्यक्रमों और तृतीयक शिक्षा की अत्यधिक लागत छात्रों पर बोझ के रूप में कार्य करती है और उन पर जबरदस्त दबाव डालती है।

    दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘हैप्पीनेस करिकुलम’ पारंपरिक शिक्षा पाठ्यक्रम में ध्यान, मूल्य शिक्षा और मानसिक अभ्यास को शामिल करके समग्र शिक्षा पर केंद्रित है। इसे अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए। भारत में परीक्षा केंद्रित शिक्षा प्रणाली में सुधार करना महत्वपूर्ण है। पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए जो मानसिक व्यायाम और ध्यान के महत्व पर जोर दे। आत्महत्या के जोखिम कारकों को कम करने के लिए शिक्षकों को द्वारपाल के रूप में प्रशिक्षित करना और परीक्षा के नवीन तरीकों को अपनाया जाना चाहिए। छात्रों की सराहना करने की आवश्यकता है और यह बदलना महत्वपूर्ण है कि भारतीय समाज शिक्षा को कैसे देखता है। यह प्रयासों का उत्सव होना चाहिए न कि अंकों का।

    छात्रों की चिंताओं, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को दूर करने के लिए सभी स्कूलों/कॉलेजों/कोचिंग केंद्रों में प्रभावी परामर्श केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए। बढ़ते संकट को दूर करने के लिए अतीत की विफलताओं से सीखना और छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, संस्थानों और नीति निर्माताओं सभी हितधारकों को शामिल करने वाले तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

    (लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
    कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)