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  • झारखंड के आईएएस के.के. खंडेलवाल की नि:शुल्क कक्षा में पढ़कर फिर टॉप आईआईटी में पहुंचे पांच छात्र

    झारखंड के आईएएस के.के. खंडेलवाल की नि:शुल्क कक्षा में पढ़कर फिर टॉप आईआईटी में पहुंचे पांच छात्र

    रांची। 5 झारखंड के वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर के.के. खंडेलवाल की नि:शुल्क कक्षा में पढ़ने वाले पांच छात्रों ने एक बार फिर देश के टॉप आईआईटी में दाखिला पाया है। सरकारी सेवा की व्यस्तता के बावजूद खंडेलवाल वक्त निकालकर चुनिंदा बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराते हैं। इस वर्ष उन्होंने सात छात्रों को पढ़ाया था, जिनमें से पांच ने शानदार रैंक हासिल कर देश के शीर्ष आईआईटी में प्रवेश पा लिया है। खंडेलवाल झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी विभाग में अपर मुख्य सचिव के रूप में पदस्थापित हैं और अब तक 15 विद्यार्थी उनसे ‘गुरुमंत्र’ पाकर आईआईटी पहुंच चुके हैं।

    इस वर्ष सफल विद्यार्थियों में वैष्णवी को आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन मिला है, जबकि शशांक कुमार को आईआईटी गुवाहाटी में कंप्यूटर साइंस में बीटेक में प्रवेश मिला है। अलीशा नामक छात्रा को आईआईटी मुंबई में इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच मिली है। इसी तरह यशराज और शुभम सोनी को आईआईटी बीएचयू में एडमिशन मिला है। सफल अभ्यर्थियों में वैष्णवी लड़कियों की कैटेगरी में झारखंड स्टेट टॉपर भी रहीं।

    इसके पहले 2017 में भी उन्होंने छह परीक्षार्थियों को तैयारी करायी थी और सभी ने बेहतरीन रैंक में सफलता हासिल की थी। केके खंडेलवाल गणित और भौतिकी विषय की तैयारी कराते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार सफल हुए बच्चे मार्च 2019 से ही उनकी कक्षा में पढ़ रहे थे। ऑफिस जाने से पहले और ऑफिस से लौटने के बाद जितना समय मिला बच्चों को पढ़ाया। बीच में जब भी समय मिलता रहा, बच्चों को पढ़ाते रहे। लगभग दो साल के दौरान उन्होंने जेईई एडवांस लेवल के 200 टेस्ट पेपर कराये। कोविड लॉकडाउन के दौरान उन्होंने सभी को ऑनलाइन पढ़ाया।

    खंडेलवाल सर की नि:शुल्क कक्षा में पढ़कर आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लेने वाली वैष्णवी बताती हैं कि सबसे अच्छी बात यह रही कि उन्होंने हर डाउट को गहराई में जाकर क्लीयर कराया। इसी का नतीजा है कि रिजल्ट बेहतर रहा। आईआईटी मुंबई में एडमिशन लेने वाली अलीशा बताती हैं कि एक प्रश्न को तीन-चार तरीके से हल करने का तरीका खंडेलवाल सर ने बताया और जो सबसे शॉर्ट तरीका होता, उसे प्रैक्टिस में लाया। आईआईटी बीएचयू में एडमिशन लेने वाले यशराज बताते हैं सही मार्गदर्शन में गुणवत्ता वाली पढ़ाई ने ही हमें सफलता दिलायी।

    सफल विद्यार्थियों और अभिभावकों ने बाद केके खंडेलवाल के आवास पर जाकर उनका आभार जताया। खंडेलवाल के दो पुत्रों तथा एक भांजे ने भी पांच साल पहले उनके निर्देशन में पढ़ाई कर आईआईटी में दाखिला पाया था। उनके पुत्र अनुपम खंडेलवाल को ऑल इंडिया में 9वीं रैंक हासिल हुई थी।

    बता दें कि के के खंडेलवाल मूल रूप से झारखंड के गिरिडीह जिले के रहनेवाले हैं। उन्होंने खुद आईआईटी से पढ़ाई की है। 1981 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में उन्हें ऑल इंडिया में 52वीं रैंक मिली थी। लेकिन लक्ष्य यहीं तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना देखा। वर्ष 1988 में यूपीएससी में सफल परीक्षार्थियों की सूची में आठवां स्थान हासिल किया। टॉप रैंकिंग के कारण होम कैडर भी मिला। वह झारखंड सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग, उद्योग विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, भवन निर्माण विभाग, योजना सह वित्त विभाग, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग, परिवहन तथा नागरिक उड्डयन विभाग, वाणिज्य कर विभाग आदि विभागों में सचिव और अन्य उच्च पदों पर रह चुके हैं।

  • डीयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने स्वीकार किए शिक्षक भर्ती के नए प्रावधान

    डीयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने स्वीकार किए शिक्षक भर्ती के नए प्रावधान

    नई दिल्ली | दिल्ली विश्वविद्यालय ने विरोध के बावजूद सहायक प्रोफेसर्स की नियुक्ति के लिए नई प्रक्रिया अपनाने का निर्णय लिया है। बहुमत के आधार पर यह निर्णय शुक्रवार शाम दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल में लिया गया। एग्जीक्यूटिव काउंसिल में चुने हुए सभी 6 सदस्यों ने इस प्रावधान का विरोध किया लेकिन बहुमत के आधार पर नए नियम को स्वीकार कर लिया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य अशोक अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने से सहायक प्रोफेसर के साक्षात्कार के लिए उम्मीदवारों की संख्या पर स्क्रीनिंग और कैपिंग के संबंध में एड आइटम 5.1 पर असहमति जताई।

    दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय में 5 दिसंबर 2019 को चर्चा के बाद तय किया गया था कि सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के दौरान 5 सभी सेवारत तदर्थ शिक्षकों को साक्षात्कार के लिए उपस्थित होने की अनुमति होगी। यह स्क्रीनिंग मानदंड के माध्यम से एडहाक शिक्षकों का बहिष्करण करने के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।

    दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के मुताबिक एग्जीक्यूटिव काउंसिल में रखा गया कार्यसूची मद 5.1 उन शिक्षकों को नियुक्ति से बाहर करने का एक तरीका है जो साक्षात्कार से पहले से काम कर रहे हैं। साथ ही इससे चयन समिति के हाथों में 100 फीसदी वेटेज आ जाएगा। शिक्षकों को यह तथ्य अस्वीकार्य हैं।

    सहायक प्रोफेसर्स की नियुक्ति को लेकर डीयू के नए वीसी को शिक्षक संगठनों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को शिक्षक संगठन डूटा ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दिवसीय हड़ताल की। डूटा ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी है कि नियुक्ति प्रक्रिया में 4 हजार तदर्थ शिक्षकों की अनदेखी न की जाए।

    दिल्ली विश्वविद्यालय में शुक्रवार 29 अक्टूबर को विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक हुई। इस बैठक के लिए तय किए गए कुछ एजेंडा प्रावधानों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा ने आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि इस आपत्ति के बावजूद सहायक शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित एजेंडे का प्रावधान 5.1 स्वीकार कर लिया गया है।

    दिल्ली विश्वविद्यालय एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने कहा कि इस दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अंबेडकर यूनिवर्सिटी के साथ मिलाने का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया गया।

    दरअसल दिल्ली सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट को अंबेडकर विश्वविद्यालय के साथ मिलाने की सिफारिश विश्वविद्यालय के समक्ष रखी थी। इसके लिए 6 सदस्य एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया था।

    इस कमेटी में अपनी सिफारिशों में दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए विलय के प्रस्ताव को खारिज करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि कॉलेज ऑफ आर्ट दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ ही बना रहना चाहिए। यहां कॉलेज ऑफ आर्ट में इस वर्ष अभी तक दाखिले भी शुरू नहीं किए जा सके हैं। समिति का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय को पहल करते हुए न केवल कॉलेज ऑफ आर्ट को अपने साथ बनाए रखना चाहिए बल्कि अपने स्तर पर यहां दाखिले शुरू करने चाहिए।

    इस बीच दिल्ली विश्वविद्यालय ने शुक्रवार शाम नॉन कॉलेजिएट वूमेन एजुकेशन बोर्ड यानी एनसी वेब की पहली कट ऑफ लिस्ट जारी की है। इस कट ऑफ लिस्ट के आधार पर 1 नवंबर से दाखिला प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।