Category: अर्थनीति

  • NATO ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ  NATO की टेक्नॉलजी देगा अमेरिका !

    NATO ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ NATO की टेक्नॉलजी देगा अमेरिका !

    भारत और अमेरिका की दोस्ती में चढ़ा नया रंग,मोदी और बिडेन की मीटिंग में हो सकते है कई एहम समझौते ! 

    भारत को NATO प्लस बनाना चाहता था अमेरिका

    मोदी जी के अमेरिका (America) दौरे से पहले यही माना जा रहा है की कई बड़े समझौते संभव है,बताया जा रहा है की अमेरिका जो टेक्नोलॉजी (Technology) NATO देशो के साथ साझा करता है वही वह भारत के साथ साझा करना चाहता है , जैसे स्पेस और परमाणु तकनीक ! अमेरिका के संसद में एक समिति ने हिदुस्तान को नाटो प्लस (NATO PLUS) बनाने की मांग की है ,बताते चले की नाटो प्लस है क्या , इसमे वे देश रहते है जो कार्य-नीति-सम्बन्धी से ना जुड़ कर अपने आप को निष्पक्ष रह कर साझेदारी कायम करना चाहते है ! 6जी टेक्नोलॉजी (6G Tenchology) जैसे एडवांस सर्विलांस  जो की समुद्र और जमीने सुरक्षा को बढ़ाते है , एडवांस AI तकनीक जो अन्य कार्यो में लाभकारी है इसी के साथ क्वांटम टेक्नोलॉजी (Quantum technology) जो अभी के समय की सबसे तेज कंप्यूटर तकनीक है , NASA और ISRO की मैत्री ट्रेनिंग भी शामिल है ! लेकिन भारत ने साफ़ शब्दों मे कहा की वह किसी भी ऐसे संगठन का हिंसा नहीं बनेगा क्यूकि भारत एक गुट निरपेक्ष देश है !

    India US Relations
    India US Relations

    भारतीय NSA और अमेरिकन NSA की होगी मुलाकात

    भारत के राष्ट्र सुरक्षा सलहाकार अजित डोवाल (Ajith Doval) और अमेरिकी सलहाकार जैक सुलीवन (Jack sullvian) के बिच 12-13 जून को एक महवपूर्ण मीटिंग होगी , इससे पहले भी कई अधिकारियो की मीटिंग अमेरिकन अधिकारियो के साथ हो चुके है जैसे अमेरिकन विदेश मंत्री लॉयड आउस्टिंन भारत के दौरे पर आये भारतीय विदेश सचिव पीके मिश्रा (P K Mishra) अमेरिका गए थे वह वे वाणिज्य मंत्री जिना रैमोंडा से मिले थे !

    NATO क्या है?

    NATO का मतलब है नार्थ एटलांटा ट्रीटी आर्गेनाइजेशन (North Atlantic Treaty Organization) यह संस्था 4 अप्रैल 1949 को बानी थी इसके 30 सदस्य थे जो की अब 2023 में बढ़ कर 31 हो गए अभी नया सदस्य फ़िनलैंड (Finland) बना है , इसके मुखिया सदस्य अमेरिका,ब्रिटैन,फ्रांस आदि है , इसका मुख्या कार्य सोवियत संघ की बढ़ती ताकत को रोकना था और मुकाबला करना था, अब यह अपने आप को लोकतंत्र के रक्षक बताते है , NATO के किसी भी सदस्य पर हमला होता है , तो वो सभी देश पर हमला माना जाता है,यदि अभी के समय की बात करे तो नाटो के 31 सदस्य है पर जब इसकी संस्थापना की गयी थी तब इसके केवल 12 ही सदस्य थे,रूस-यूक्रेन के युद्व मे यूक्रेन (Ukraine) नाटो (NATO) का सदस्य बनाना चाहता है !

    Dr. S.Jaishankar
    Dr. S.Jaishankar

    विदेश मंत्री S. जय शंकर ने दिया अमेरिका को साफ़ जवाब

    मोदी जी के अमेरिकन दौरे से पहले जो की 21 से 24 जून को है विदेश मंत्री S. जय शंकर (Dr S.Jaishankar)  ने अमेरिका को साफ़ शब्दों मे कहा है NATO सैन्य संगठन भारत के लिए उपयुक्त नहीं है की उन्होंने ऐसे समय मे ऐसा फैसला आया है जब खुद अमेरिकन कांग्रेस ने मोदी जी को उनकी अध्यक्ष्ता के लिए बुलाया था मगर भारत किसी भी संगठन का हिंसा नहीं बने गए क्यूकि भारत एक गुट निर्पेक्ष देश है और वो किसी भी ऐसे संगठन का साथ नहीं देगा जो किसी भी मामले को सैन्य बल से सँभालने की इच्छा रखता हो,उनका कहना साफ़ है की NATO भारत के लिए उपयुक्त नहीं है!

  • Pakistan Economy: क्या है Pakistan के कंगाल होने की वजह ?

    Pakistan Economy: क्या है Pakistan के कंगाल होने की वजह ?

    Pakistan Economy: अर्श से फर्श पर तो आपने सुना ही होगा। बस कुछ एसा ही हाल हुआ है हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ। हां ठीक हैं आंकड़ों के हिसाब से भले ही आज पाकिस्तान हमसे ज़्यादा खुश है(latest happiness index pic) लेकिन माली हालत क्या है पाक की, ये सबको पता है । आज पाकिस्तान की economy अपने सबसे बुरे दौर से गु़ज़र रही है। forex reserves इतने भी नहीं है कि एक महिने का गुज़ारा भी ढंग से हो पाए। जहां जनता की चाय पर भी पाबंदियां लगा दि जाए, और दुकानदारों से कहा जाए की भाई, देखो रात 8-8:30 तक अपना काम धंधा बंद कर दो, क्योंकि बिजली का भी संकट है देश में, एसे देश के क्या ही हाल होंगे, और रहे होंगे ये आप समझ सकते है। जी हां….जो भी कुछ आप समझ रहें हैं, बिल्कुल गलत समझ रहे हैं, दरअसल, एक वक्त था, जब भारत यानी बड़ा भाई, पाकिस्तान से पीछे था economy के मामले में, या ये कहें कि पाक की economy आसमान छू रही थी। यकीन नहीं हो रहा,समझ सकते हैं, लेकिन सच है ये। चलिए बताते हैं कैसे?।

    1947: भारत और पाकिस्तान का विभाजन

    साल 1947 में भारत से अलग होकर, पाकिस्तान एक अलग देश बना। यूं तो दोनो देश की एक साझा विरासत है, लेकिन दोनो ही देशों की economy अज़ादी के बाद से बहुत ज़्यादा अलग रही है। महज़ तीन साल में, यानी 1950 में ही, जहां भारत की GDP 481 US dollar(US$841) थी, वहीं पाकिस्तान की GDP 1268 US dollar(US$1268) थी। साल 2007 के बाद से ही भारत की GDP ने एकाएक वृद्धि देखी है, वहीं पाकिस्तान की GDP बर्बादी की ओर बढ़ती चली गई।

    इस चौंका देने वाले matter पर रिसर्च करते हुए ये साफ हुआ कि पाकिस्तान के मौजूदा हाल के 2 मुख्य कारण रहें- एक – मिलिट्री कूप (military coup) और political instability, दूसरा तब के East Pakistan और आज के Bangladesh के साथ किया गया पाकिस्तान का भेद-भाव। तो ये समझने के लिए वक्त को थोड़ा पिछे लेके चलते हैं।

     

    देखें ये वीडियो: Pakistan Economy: क्या है Pakistan के कंगाल होने की वजह ? 

     

    साल 1947 से 1958 (Political instability)

    पाकिस्तान एक एसा मुल्क है जहां किसी भी सरकार ने, किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। और पाकिस्तान की ये आदत साल 1947 से ही शुरु हो गई थी। 1947 से 1958 तक पाकिस्तान में political instability कुछ इस कदर थी, की महज़ 11 साल में पाकिस्तान ने 7 प्रधानमंत्री देखे। ये सिलसिला तब थमा जब साल 1958 में तत्कालिन राष्ट्रपति आयूब खान ने पूरे पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू किया। जिसका मतलब था कि पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियां, सब बर्खास्त कर दी गईं थी। और पाकिस्तान में military rule लागू हुआ।

    Although किसी देश के लिए सैन्य शासन यानी मार्शल लॉ लगना गलत ही होता है, लेकिन फिर भी पाकिस्तान में जब पहली बार सैन्य शासन लगा था तो उसका फायदा पाकिस्तान की economy को बहुत ज़्यादा हुआ था। पाकिस्तान में सैन्य शासन करीब 3 बार लग चुका है-साल 1958-1971, 1977-1988 और 1999-2008। खास बात ये रही कि इन सालों में कुछ हो ना हो लेकिन पाकिस्तान में पॉलिटिक्ल स्टेबिलिटि रही थी।

     Industries

    बात करें पहले मार्शल लॉ की, तो 1958 से 1971 तक, पाकिस्तान की economy के लिए golden period रहा। इस दौरान पाकिस्तान में infrastructure development हुआ, पाकिस्तान में heavy industries setup हुई, देश को पहली oil refinery मिली, automobile industry और साथ ही देश में textile industry भी setup हुई। mid 1960s में पाक में करीब 180 textile units थी जो कराची और पाकिस्तान के पंजाब में थी। पाकिस्तान की economy को liberate किया गया था, exports को बढ़ावा दिया गया था। जिसके बाद, पाकिस्तान में economic prosperity आई। 1960s के दौरान दुनिया तीन blocs में बट गई थी-एक USA, दूसरा USSR और तीसरा NAM(Non Align Movement), जहां भारत NAM के साथ था, वहीं पाकिस्तान ने USA चुना। अब पाकिस्तान की already prosperous economy को USA का साथ भी मिलने लगा । पाक को USA से billions of dollars की मदद मिली।

     Agriculture

    अगर आपको लग रहा है कि पाकिस्तान ने केवल industries के ज़रिए अपनी तरक्की की, तो आप गलत हैं, इसी वक्त पाक ने agriculture पर भी ध्यान दिया था। तभी पाकिस्तान की manufacturing growth 8.5% थी, वहीं agricultural growth 5% थी। उस दौरान पाक में agricultural revolution आया था, जिसमें पाक ने mechanical agricutlural production, water resources, pesticides, fertilizers, और अच्छे wheat or rice seeds में invest किया था। जिसके कारण ही पाक के लिए वो दौर एक golden period के बराबर था।

     Ease of Doing business

    1960s-1980s के दौरान पाक में दूसरा मार्शल लॉ भी लग चुका था। लेकिन फिर भी पाकिस्तान सही तरक्की कर रहा था। उसका कारण था उनकी पॉलिसीस । उस दौर में पाक में business असानी से किया जा सकता था, क्योंकि वहां की economy को liberate किया गया था। अगर किसी को कोई industry setup करनी है business करने के लिए तो वहां सिर्फ Army General की permission की ज़रुरत थी और किसी की नहीं । वहीं same उसी period में India में बहुत से बाबुओं की permission चाहिए होती थी, जिसकी वजह से यहां business करना मुश्किल था। लिहाज़ा इसी period में पाक का growth rate 6% था, लेकिन भारत का growth rate 4% था।

    East Pakistan/Bangladesh के साथ Discrimination

    West Pakistan का East Pakistan के खिलाफ भेदभाव शुरु से ही था। जैसे अलग देश बनते ही Pakistan की state language उर्दू कर दी गई थी, ये ignore करते हुए, की east pakistan में bengali भाषी ज़्यादा थे। west Pakistan का समान easily east pakistan में बेच सकते थे, लेकिन east pakistan का समान west Pakistan में बेचने के लिए tarrifs लगाए गए थे। East Pakistan से पाक को काफी फायदा हो रहा था,पाक की बहुत सी industries east pakistan में थी, जो अच्छा business दे रही थी, लेकिन फिर भी वहां से कमाया हुआ पैसा, west pakistan में spend किया जाता था। हाल ये थे कि साल 1969-70 में जहां west Pakistan की per capita income पाकिस्तानी currency में 504 रुपय थी, वहीं east pakistan की per capita income 314 रुपय थी। बस इन हालातों में East Pakistan का गुस्सा West Pakistan के खिलाफ बढ़ता रहा, वहीं West Pakistan में अयूब खान के खिलाफ Zulfikar Ali Bhutto ने revolt किया, जिसके बाद अयूब खान के बाद, यायाह खान 1969-71 के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने ।

    जहां East Pakistan में हुकुमत के भेदभाव के चलते गुस्सा उमड़ रहा था, वहीं West Pakistan में तख्तापलट चल रहा था। इसी बीच साल 1970 में east pakistan में एक cyclone आया, जिसमें करीब एक ही रात में nearly 5 लाख लोगों की जान गई थी, लेकिन इतनी बड़ी आपदा के बावजूद पाकिस्तान की सरकार ने कुछ ठोस कदम नहीं उठाए थे,east pakistan के लोगों की जान बचाने के लिए। जिसके बाद East Pakistan के लोगों का गुस्सा और ज़्यादा बढ़ गया था। और यायाह खान की उस दौरान east pakistan के election में भी हार हुई थी। अपनी हार मानने के बजाए, यायाह खान ने East Pakistan में पाक आर्मी भेजी, जिसके बाद लाखों Bengali refugees India में आ गए थे। और लिहाज़ा भारत इस लड़ाई में शामिल हुआ, जिसके बाद 1971 मे Bangladesh, भारत की मदद से एक अज़ाद देश बना।

    Bangladesh के अलग देश बनते ही पाकिस्तान के हाथ से East Pakistan गया, जो तब के Pakistan की economy को तरक्की पर ले जाने के लिए एक अहम role 2 कारणों की वजह से निभा रहा था-

    1. East Pakistan, दरअसल, एक major sea trade route था, जिसके ज़रिए पाकिस्तान दूसरे देशों से trade कर पाता था, और अपनी economy को मज़बूत रखता था।

    2. 1971 से पहले पाकिस्तान की textile का एक बहुत बड़ा हिस्सा तब के east pakistan और अब के बांग्लादेश के पास था। इन textile industries में बंगालियों ने jute factory establish की थी।

    गौरतलब है कि 1971 की जंग में पाकिस्तान को करीब $10 billion का नुकसान हुआ, जिससे साफ तौर पर उनकी economy को झटका लगा।

    बांगलादेश के अलग होते ही, पाक में economy को झटका तो लगा ही, साथ ही एक बार फिर से पाक में Political instability का दौर शुरु हुआ। 1971 से 1973 तक Zulfikar Ali Bhutto ने शासन किया और पाक की liberated economy को socialist economy की तरफ ले गए। मतलब banking system, insurance companies और भी बहुत सी industries nationalised हो गई। जिसके बाद private investment के साथ-साथ foreign investors भी देश छोड़ कर जाने लगे। जिसके बाद 1972- 1977 के बीच पाकिस्तान ने बहुत बुरी inflation झेली।

    1977- एक और मिलीट्री कूप

    1977 में Muhammad Zia-ul-Haq ने bhutto को अरेस्ट किया और 2 साल बाद फांसी की सज़ा हुई। Zia-ul-Haq ने एक बार फिर से private investments को बढ़ावा दिया लेकिन साथ ही उन्होंने पाक economy में islamization को लाया, जिसके बाद पाक की military govt, banks के balances से 2.5% काटती थी और उसे गरीबों में बाटने का काम करती थी, ज़कात कमेटि के through।

    लेकिन zia ul haq के islamization का negative impact ये रहा कि पाक में बहुत सी religious political parties create हुई जो एक दूसरे से compete कर रही थी ये दिखाने के लिए कौन इस्लाम को ज्यादा support कर रहा है। जिस्की वजह से Pakistan में violence बढ़ा और ये देश economy पर focus कर ही नहीं पाया ।

    जहां लंबे वक्त तक पाक की economy prosper करती रही और भारत की economy liberated होने की जगह closed होने की वजह से उतनी तरक्की शुरु में नहीं कर पाई। वहीं पाक में political instability बढ़ते-बढ़ते और military coup के साथ साथ सेना के हाथ economic dominance होने की वजह से पाक की economy 1990 के बाद से गिरती ही जा रही है। आज हाल ये हैं कि भारत की GDP पाक से कई गुना ज्यादा है। आज India के पास करीब 576.761 अरब डॉलर का विदेशी भंडार है जबकि पाकिस्तान के पास करीब 4 अरब डॉलर के फॉरेक्स रिजर्व है, जिससे एक महीना का आयात भी मुश्किल है। वक्त बदलते-बदलते हालात भी बदले और साल 2007 के बाद से भारत की पर कैपिटा GDP पाकिस्तान से लगातार अधिक बनी हुई है। जिसके बाद साल 2021 में भारत की पर कैपिटा GDP 2,256.59 डॉलर और पाकिस्तान की 1505.01 डॉलर थी। आज जहां भारत में make in India, made in India और ease of doing business को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं पाकिस्तान में अस्थिर सरकार, सैन्य तानाशाही, सत्ता के विरोधाभासी केंद्रों और आतंकी संगठनों को समर्थन देने की नीति से पाकिस्तान की इकॉनमी को गहरा झटका लगा है। दुनिया की कोई भी कंपनी वहां कारोबार करने को तैयार नहीं है। अब पाकिस्तान के नेता भी भारत के सिस्टम का लोहा मानने लगे हैं। मौजूदा हाल एसे हैं कि हाल ही में भी जब इमरान खान पर attack हुआ था तो पाक के President Dr. Arif Alvi ने भी पाकिस्तान की political instability को लेके चिंता व्यक्त की थी, और पाक की सरकार को लोगों की economic problems पर focus करने की बात कही थी। इन दिनो पाकिस्तान की सियासत में एक और military coup के भी कयास लगाए जा रहे हैं।

  • बजट में रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ का आवंटन

    बजट में रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ का आवंटन

    रेल बजट पर देशभर की निगाहें होंगी। उम्मीद है कि इस बार रेलवे के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और नए आधारभूत ढांचे को विकसित करने पर जोर रहेगा।

    केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण संसद में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट पेश कर रही हंै। इसके साथ ही रेलवे बजट भी देश के सामने रख रही हैं। रेल बजट पर देशभर की निगाहें हैं। बजट में रेलवे के लिए २.४ लाख करोड़ का आवंटन किया गया है। हीं वित्त मंत्री ने रेलवे में निजी क्षेत्रों की भागीदारी बढ़ाने की भी घोषणा की है।
    उम्मीद है कि इस बार रेल बजट में रेलवे के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और नए आधारभूत ढांचे को विकसित करने पर जोर रहेगा। वहीं प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेट्स हाई स्पीड ट्रेन को जल्दी ऑपरेशनल करने भी फोकस होगा।
    सियासी घमासामन ?
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पूरे रेलवे सिस्टम के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए रेल बजट में २०-२५ फीसदी की बढ़ोतरी पर काम कर कर रही है। केंद्रीय बजट २०२२ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पर ध्यान केंद्रित किया था। संभावना है कि इस वर्ष के बजट में भी यही सरकार की प्राथमिकता बनी रहेगी।
    इस वर्ष रेलवे को आवंटित होने वाली धनराशि नई पटरियां बिछाने, सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों की संख्या बढ़ाने, हाइड्रोजन संचालित ट्रेनों के साथ-साथ अहमदाबाद मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना को पूरा करेगी। साल २०१६ में केंद्र सरकार ने रेल बजट को आम बजट में ही मिला था। तब से रेल बजट को अलग से पेश नहीं किया जाता। केंद्रीय वित्त मंत्री ही बजट भाषण के दौरान रेलवे के लिए भी बजट पेश करते हैं।

    भारतीय रेलवे के दो हालिया बड़े सकारात्मक बदलाव

    भारतीय रेलवे का एक प्रमुख विकास भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस का शुभारंभ है। १६० किमी घंटा तक की गति तक पहुंचने वाली इस ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस का शुभारंभ ह। १६० किमी घंटा तक की गति तक पहुंचने वाली इस ट्रेन का निर्माण भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्टरी द्वारा स्वदेशी रूप से किया गया है। इसमें ऑनबोर्ड वाई-फाई जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली और सीसीटीवी कैमरे जैसी कई आधुनिक सुविधाएं हैं। वहीं दूसरे प्रमुख विकास के तौर पर विकास भारतीय रेलवे का सुरक्षा और दक्षता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना है। इसमें ट्रेनों और स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों का उपयोग, ट्रेनों की टक्करों को रोकने के लिए स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली पर अमल और ट्रेनों की रीयल टाइम टैकिंग के लिए जीपीएस आधारित सिस्टम का उपयोग शामिल है।

     

  • MP : मदरसों के कोर्स पर मचा बवाल, MLA ने की सरस्वती शिशु मंदिर की जांच की मांग

    MP : मदरसों के कोर्स पर मचा बवाल, MLA ने की सरस्वती शिशु मंदिर की जांच की मांग

    एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हाल ही मे मदरसों के कोर्स की जांच का आदेश दिया था। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के कुछ मदरसों में आपत्तिजनक पाठन सामग्री के उपयोग का विषय संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने कहा है कि मदरसों मे पढ़ाए जाने वाले कोर्स और कंटेट की जांच होगी। जिसको लेकर अब विवाद छिड़ गया है। गृह मंत्री की इस आदेश पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद भड़क गए। और उन्होंने इस पर पलटवार करते हुए मध्य प्रदेश के सरस्वती शिशु मंदिरों की जांच की भी मांग कर दी। उन्होंने कहा कि पता चलना चाहिए कि वहां पर क्या पढ़ाई चल रही है। क्या मदरसों को किया जा रहा है टारगेट

    मध्य प्रदेश में मदरसों के सिलेबस की जांच पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ मदरसों को टारगेट किया जा रहा है। मदरसों में क्या हालात हैं कम से कम यहां से पता चलेगा। 3 साल से मदरसों को फंड नहीं मिला है।

    मदरसों में कहीं देशद्रोहिता की शिक्षा तो नहीं दी जाती – संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर 

    मदरसों के सिलेबस की जांच के आदेश को लेकर मचे बवाल के बीच संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने आरिफ मसूद के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मदरसों में कहीं देशद्रोहिता की शिक्षा तो नहीं दी जा रही, कहीं मानव तस्करी तो नहीं हो रही इसकी चिंता है। जिन मदरसों को अनुमति नहीं दी गई है उन पर नियंत्रण होना चाहिए।

     

  • Lucknow: इनकम टैक्स के डिप्टी कमिश्नर को क्यों भेजा जेल, जाने वजह

    Lucknow: इनकम टैक्स के डिप्टी कमिश्नर को क्यों भेजा जेल, जाने वजह

    प्रियंका रॉय

    • इनकम टैक्स विभाग के डिप्टी कमिश्नर हरीश गिडवानी की मुसीबते बढ़ी
    • 7 दिनों तक रहेंगे जेल मे बंद

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इनकम टैक्स विभाग के डिप्टी कमिश्नर हरीश गिडवानी को अवमानना के मामले में 7 दिन के लिए जेल भेजने की सजा सुना दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने हरीश गिडवानी पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से आयकर विभाग में हड़कंप मच गया है। याची का कहना था कि उसे लखनऊ में इनकम टैक्ट विभाग ने साल 2011-12 के लिए करीब 52 लाख रुपये का मूल्यांकन नेाटिस भेज दिया था, जबकि उन्होंने अपना आयकर दिल्ली से भरा था। कोर्ट के आदेश के बावजूद इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर बकाया नोटिस सात महीने तक चलता रहा, जिससे उनके सम्मान पर काफी चेाट लगी। गिडवानी पर आरोप है कि उन्होंने परेशान करने की नीयत से जानबूझकर वेबसाइड से पोस्ट डिलीट नहीं किया। जिसकी भरपाई के लिए उन्हें जेल जाना जरूरी है।

    22 दिसंबर को कोर्ट के सामने होगी पेशी

    जुर्माना नही चुकाने पर डिप्टी कमिश्नर को जेल में एक दिन अतिरिक्त बिताना पड़ सकता है। कोर्ट ने अधिकारी को आदेश जारी किया है कि उन्हें 22 दिसंबर को दोपहर तीन बजे कोर्ट के सीनियर रजिस्ट्रार के सामने पेश हों, जहां से उन्हें जेल भेज दिया जायेगा।

    52 लाख रुपये का भेजा था नेाटिस

    लखनऊ में इनकम टैक्ट विभाग ने साल 2011-12 के लिए करीब 52 लाख रुपये का मूल्यांकन नेाटिस भेज दिया था, जबकि उन्होंने अपना आयकर दिल्ली से भरा था। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2015 को नेाटिस और अन्य आदेश रद कर दिए थे।

  • DELHI- वॉशिगटन DC मे फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर क्या बोले मुख्यमंत्री केजरीवाल ? फ्री सेवाओं पर भाजपा सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आमने-सामने है

    DELHI- वॉशिगटन DC मे फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर क्या बोले मुख्यमंत्री केजरीवाल ? फ्री सेवाओं पर भाजपा सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आमने-सामने है

    प्रियंका रॉय

    अरविंद केजरीवाल की फ्री योजनाओं पर बीजेपी से लेकर कांग्रेस पार्टी तक में जंग छिड़ी है। विपक्षी पार्टिया AAP को घेंरने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और भाजपा सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आमने-सामने है।

    केजरीवाल ने बीजेपी पर साधा निशाना 

    अरविंद केजरीवाल की फ्री योजनाओं पर बीजेपी से लेकर कांग्रेस पार्टी तक ने जंग छिड़ी है। विपक्षी पार्टी AAP को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ती । इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और भाजपा सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आमने-सामने है। आप की निशुल्क मेडिकल सेवा पर तो बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने ये तक कह दिया कि केजरीवाल दिल्ली को कंगाल कर रहा है। दरसअल हाल ही में एक समाचार लेख को शेयर करते हुए लिखा था कि वाशिंगटन डीसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट को हमेशा के लिए मुफ्त कर रहा है, इस पर मुख्यमंत्री ने रिएक्ट करते हुए लिखा कि ‘क्या इसका मुफ्त की रेवड़ी कहकर मजाक उड़ाया जाना चाहिए? या नहीं। अपने नागरिकों पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ डाले बिना सार्वजनिक सेवाएं मुफ्त प्रदान करना ये दर्शाता है कि वहां पर एक ईमानदार और संवेदनशील सरकार का शासन है जो जनता के पैसे बचाती है और लोगों को सुविधाएं प्रदान करती है।

    फ्री रेवड़ी पर आम आदमी ने किया पीएम मोदी का धेराव

    आपको बतां दे आम आदमी पार्टी ने पीएम मोदी पर दोस्तावाद को लेकर निशाना साधते हुए कई आरोप लगाएं थे। उन्होंने 9 अगस्त को AAP ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा “PM Modi ने दोस्तवाद के लिए देश का खाली किया खजाना” इसके साथ ही आप ने एक पोस्ट भी शेयर की थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि “मोदीराज में मित्रों के 11 लाख करोड़ के लोन माफ”। जिस तरह बीजेपी आम आदमी पर तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड़ती। ठीक उसी तरह आप बीजेपी को घेंरने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देती।

  • DELHI: क्या फ्री सेवाओं से केजरीवाल कर रहे हैं दिल्ली को कंगाल, क्या मुख्मंत्री के पास नहीं बचे डॉक्टर को देने तक के पैसे

    प्रियंका रॉय

    क्या केजरीवाल खाली कर रहे है दिल्ली का खजाना

    क्या मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों को नही मिल रही तनख्वाह

    बीजेपी ने मुख्यमंत्री पर कया कटाक्ष

    अपनी फ्री सेवाओ को लेकर एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीजेपी के निशाने पर आ गई है। दरसअल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने छोटी सरकार बनाने के बाद दिल्लीवासियों को नये साल का तोफा देने का ऐलान किया है। नये साल पर केजरीवाल ने दिल्लीवासियों को 450 तरह की फ्री हेल्थ सेवा प्रदान करने की घोषणा की है। इससे पहले भी सीएम ने दिल्लीवासियों को कई फ्री सौगाते भेंट की थी । जिसमें फ्री बस सेवाएं, फ्री योगा क्लास, छात्रों को फ्री कोचिंग व कई सेवाएं शामिल है। केजरीवाल का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर सभी का हक है। कई लोग निजी स्वास्थ्य सेवा का खर्च नहीं उठा सकते, यह कदम ऐसे सभी लोगों की मदद करेगा। अधिकारियों के अनुसार, शुरूआती चरण में, परीक्षण शहर भर के मोहल्ला क्लीनिकों में उपलब्ध होंगे और बाद में यह सुविधा सरकारी अस्पतालों में भी दी जाएगी।

    आपको बता दें केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अंहम प्रस्ताव को मंजूरी दी है ।इससे पहले दिल्ली मे 212 तरह के टेस्ट निशुल्क किये जाते थे,जिसमें और दूसरे टेस्टो को भी जोड़ दिया गया है । लेकिन इस विषय में अभी तक कोई लिस्ट जारी नहीं की गई है। इस पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए केजरीवाल को एक बार फिर आरोपो के कटघरे मे खड़ा कर दिया है। उनका आरोप है कि केजरीवाल दिल्ली का खजाना खाली कर रहे है। केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री के दावे सिर्फ सुनने में अच्छे लगते है। भाजपा के विधायको ने कई मोहल्ला क्लीनिक मे जाकर पड़ताल की है। सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नही है। केजरीवल दिल्ली को खोखला कर रहा है और कुछ ही दिन में दिल्ली की जनता को ये सबक भी मिल जायेगा।

  • याराना पूंजीवाद की पराकाष्ठा

    याराना पूंजीवाद की पराकाष्ठा

    संदीप पांडेय 
    पिछले पांच वर्षों में विभिन्न कंपनियों द्वारा बैंकों से रु. 10,09,510 करोड़ का जो ऋण लिया गया वह माफ कर दिया गया है। इसे बैंक की भ्रमित करने वाली भाषा में नॉन परफार्मिंग एसेट (अनुपयोगी सम्पत्ति) कहा जाता है। सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया ने ही अकेले रु. 2,04,486 करोड़ का कर्ज माफ किया है। कुल माफ की गई राशि का 13 प्रतिशत ही वसूला जा सकता है।

    ऋण माफी का लाभ प्राप्त करने वाली कंपनियों का नाम उजागर नहीं किया जाता। जबकि यदि कोई किसान ऋण लेता है और अदा नहीं कर पाता तो उसका नाम तहसील की दीवार पर लिखा जा सकता है और उसे तहसील में 14 दिनों की हिरासत में भी रखा जा सकता है, जो अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। बड़े पूंजीपति बैंकों का पैसा लेकर देश से पलायन कर जाते हैं। उनके भागने की आशंका होते हुए भी सरकार उनका पासपोर्ट कभी नहीं जब्त करती जैसे वह शासक दल से अलग राय रखने वाले उन बुद्धिजीवियों का कर लेती है जिनके खिलाफ फर्जी मुकदमे भी दर्ज हो जाते हैं।

    अब राजनीतिक दलों को चुनावी बांड के माध्यम से चंदा देने वाला मामला देखा जाए। चंदा देने वाले का नाम लाभार्थी राजनीतिक दल को चुनाव आयोग व आयकर विभाग को बताने की जरूरत नहीं है। 2018 में जब से चुनावी बांड योजना शुरू हुई तब से वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंत तक भारतीय जनता पार्टी को रु. 4,028 करोड़ रु. चुनावी बांड में चंदे के रूप में मिले जो उसे मिले कुल चंदे का 63 प्रतिशत है और अज्ञात मिले चंदे का 92 प्रतिशत है। इस दौर में कांग्रेस पार्टी को रु.731 करोड़ चुनावी बांड से चंदा मिला, जिससे इस बात का अंदाजा लगता है कि कांग्रेस खुलकर चुनावी बांड योजना का विरोध क्यों नहीं कर रही।

    अभी तक रु. 10,791.47 करोड़ के चुनावी बांड खरीदे गए हैं। 2020-21 के अंत तक सभी राष्ट्रीय दलों को चुनावी बांड से मिले चंदे का 80 प्रतिशत चंदा भाजपा को मिला और सभी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय दलों को मिलाकर मिले चंदे का 65 प्रतिशत भाजपा को मिला। जाहिर है कि भाजपा चुनावी बांड योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी है और उसके कुल चंदे का लगभग दो तिहाई अब चुनावी बांड के माध्यम से आ रहा है।

    क्या कंपनियों का जो ऋण माफ किया जा रहा है उनके नाम गोपनीय रखने व जो कंपनियां चुनावी बांड के माध्यम से चंदा दे रही हैं उनके नाम गोपनीय रखने में कोई संबंध है?
    सेवानिवृत्त कमोडोर लोकेश बत्रा को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त एक जवाब से यह मालूम हुआ है कि चुनावी बांड के माध्यम से जो चंदा दिया गया है उसमें से 93.67 प्रतिशत चंदा रु. 1 करोड़ के बांड, जो सबसे बड़ा बांड है, में खरीदा गया है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनावी बांड के माध्यम से ज्यादातर बड़ी कंपनियां, जिनमें कुछ बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी हो सकती हैं, चंदा दे रही हैं जो इस देश में आम लोगों की दृष्टि से नीति निर्माण और लोकतंत्र के हित में नहीं है।

    शक इसलिए भी पैदा होता है कि 2018 से, जब से चुनावी बांड की योजना लागू हुई है, कंपनियां जो पहले अपने पिछले तीन साल के औसत मुनाफे का 7.5 प्रतिशत तक ही चुनावी चंदा दे सकती थीं अब उनके लिए कोई पाबंदी नहीं है। यानी अब कोई घाटे में चल रही कम्पनी भी चुनावी बांड से चंदा दे सकती है। जिन कंपनियों का ऋण माफ किया जा रहा है वे तो शायद घाटे में ही हैं, इसीलिए ऋण अदा नहीं कर पा रही हैं।

    क्या यह सम्भव है कि कुछ कंपनियां बैंकों से ऋण लेकर चुनावी बांड के माध्यम से चंदा दे रही हों और अपना ऋण माफ करा ले रही हों?
    हमें इस बारे में पता ही नहीं चलेगा क्योंकि पूरी व्यवस्था अपारदर्शी है जिसे सूचना अधिकार के दायरे से भी बाहर रखा गया है। चुनावी बांड से चंदा देने व ऋण माफी की व्यवस्थाएं गोपनीय रखना सूचना अधिकार अधिनियम की भावना के ही खिलाफ है जिसने शासन-प्रशासन के कार्य में 2005 से एक पारदर्शिता लाने की कोशिश की है। बिना सूचना के अधिकार की मदद के कारपोरेट-निजी कंपनियों की मिलीभगत को उजागर नहीं किया जा सकता। लेकिन भाजपा सरकार ने एक और जन-विरोधी जो काम किया है वह सूचना के अधिकार अधिनियम को 2019 में एक संशोधन के माध्यम से कमजोर किया है। अन्यथा यूपीए की सरकार मेें केंद्रीय सूचना आयोग ने सभी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त दलों को अपने चंदे की जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश पारित कर दिया था।

    तमाम गोपनीयताओं के बावजूद यह जगजाहिर है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के सबसे बड़े लाभार्थी गौतम अडानी हैं। नरेन्द्र मोदी उनसे अपने संबंध छुपाने की कोशिश भी नहीं करते। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए प्रधानमंत्री की शपथ लेने नई दिल्ली आए तो अडाणी के हवाई जहाज से आए। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले जिन गौतम अडाणी को गुजरात से बाहर शायद ही कोई जानता हो आज दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं।
    पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री की तस्वीर निजी कंपनियों जैसे जिओ व पेटीएम के विज्ञापनों में दिखाई दी। नरेन्द्र मोदी 2014 में मुकेश अंबानी के निजी अस्पताल का उद्घाटन करने गए। संघीय सरकार ने दो चुनी हुई कहानियों अडार पूनावाला की सीरम व भारत बायोटेक को कोरोना का टीका बनाने के नाम पर क्रमशः रु. 3,000 व रु.1,500 करोड़ रुपए अनुदान दिए। प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता, जिसका मुख्यालय लंदन में है, के मालिक अनिल अग्रवाल भी साथ जाते हैं। सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि किन कंपनियों ने चुनावी बांड के माध्यम से भाजपा को चंदा दिया होगा।

    नरेन्द्र मोदी अपने आप को एक फकीर के रूप में प्रस्तुत करते हैं किंतु उनका रहन सहन काफी खर्चीला दिखाई देता है। लोग देख रहे हैं कि कैसे वे एक ही दिन में कई बार अपनी पोशाक बदलते हैं। हरेक पोशाक काफी महंगी होती है। उन्होंने 2015 में जो कोट पहना था, जिसपर उनका नाम कई बार लिखा था, को नीलामी में रु. 1.21 करोड़ रुपए में खरीदा गया। वे अपने आप को डॉ. मनमोहन सिंह की तरह ईमानदार बता सकते हैं क्योंकि शायद उनके भी खाते में अधिक पैसा न होगा लेकिन जो आरोप मनमोहन सिंह पर नहीं लग सकता वह यह है कि हम कैसे मान लें कि गौतम अडाणी ने जो सम्पत्ति बनाई है वह बेनामी नहीं है?

  • Economic Crisis : देश में वित्तीय असुरक्षा से जूझ रहे 69 फीसद भारतीय

    Economic Crisis : देश में वित्तीय असुरक्षा से जूझ रहे 69 फीसद भारतीय

    देश में भले ही बड़े बड़े दावे किये जा रहे हों, कितने विकास और रोजगार देने की बात हो रही हो पर जमीनी हकीकत यह है कि कोरोना महामारी के बाद देश में वित्तीय असुरक्षा की असामान्य स्थिति पैदा हो गई है। हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार देश के करीब 69 फीसदी परिवारों को वित्तीय असुरक्षा की चिंता सता रही है।

    कोरोना महामारी के बाद तो कमाई पर कुछ ज्यादा ही असर देखा जा रहा है। यह बात मनी-9 फाइनेंशियल सिक्योरिटी इंडेक्स में भारतीय नागरिकों की कमाई, खर्च और बचत के आंकड़ों में देखने को मिली है। सर्वे के अनुसार देश के 4.2 सदस्यों वाले परिवार की औसत मासिक कमाई 23 हजार रुपये है। चिंता वाली बात यह है कि देश के 46 फीसद परिवारों की मासिक कमाई 15 हजार रुपये से भी कम है। यह सर्वे देश के 20 राज्यों के 1,154 शहरी वार्ड और 100 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े 31,510 हजार परिवारों पर किया गया है। मनी-9 ने यह सर्वे मई से सितंबर, 2022 के बीच किया है।

    सर्वे के अनुसार, देश में सिर्फ 3 फीसद ही परिवार ऐसे हैं, जिनकी कमाई उच्च वर्ग में आती है, और वे लग्जरी लाइफ जीते हैं। सर्वे यह भी बताता है, कि कोरोना काल में यह खाई और ज्यादा चौड़ी हो गई है। इस दौरान लाखों नौकरियां छूट गईं तो कई नए कारोबार पैदा हुए। इसके अलावा उद्योग जगत के कई सेक्टर की कमाई में भी बंपर उछाल देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 70 फीसद लोग बचत के लिए बैंक एफडी, बीमा, पोस्ट ऑफिस सेविंग और गोल्ड पर भरोसा करते हैं। इसमें से सबसे ज्यादा बचत बैंक और पोस्ट ऑफिस योजनाओं में करते हैं। इन दोनों विकल्पों में ही 64 फीसदी लोग पैसे लगाते हैं। सर्वे में बताया गया है, कि आकांक्षी लोगों के पास बचत की सबसे ज्यादा कमी है।

    सर्वे के अनुसार, देश में सिर्फ 22 फीसदी भारतीय ही स्टॉक, म्यूचुअल फंड, यूलिप और फिजिकल एसेट में पैसा लगाते हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा 18 फीसद को रियल एस्टेट में पैसा लगाना पसंद है। अभी सिर्फ 6 फीसद भारतीय ही म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, जबकि 3 फीसद को ही शेयर बाजार में पैसा लगाना पसंद है, और 3 फीसद ही बीमा योजना यूलिप के जरिये निवेश करते हैं। ऐसा नहीं है, कि भारतीय सिर्फ कमाई के मामले में ही पीछे चल रहे हैं। बैंक लोन लेने में भी भारतीय काफी पीछे हैं। सर्वे में खुलासा किया है कि सिर्फ 11 फीसद परिवारों के पास बैंक का लोन है। इसमें भी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पर्सनल लोन की है, जबकि होम लोन उसके बाद आता है। 42 फीसद परिवार अपनी वित्तीय सुरक्षा को लेकर मुश्किलों में हैं। इसमें कम कमाई वालों को जोड़ा जाए तो यह संख्या 69 फीसद पहुँच जाती है। (साभार : समता मार्ग)

  • Elon Musk’s big action : ट्वीटर के 50 प्रतिशत कर्मचारियों की होगी छुट्टी

    Elon Musk’s big action : ट्वीटर के 50 प्रतिशत कर्मचारियों की होगी छुट्टी

    एलन मस्क ट्वीटर के 50 फीसदी कर्मचारियों की छुट्टी कर सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 4 नवम्बर को एक इमेल भेजकर ट्वीटर अपने कर्मचारियों को बताएगी कि उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। इसके साथ ही एक मेल में यह भी बताया गया है कि फिलहाल अस्थाई तौर पर कंपनी अपने ऑफिस को बंद कर रही है और स्टाफ को फिलहाल आने की जरूरत नहीं है। ज्ञात हो कि एक ट्वीटर को अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने खरीदा है। इस बीच दुनियाभर के कई यूजर्स को ट्वीटर चलाने में परेशानी हो रही है। कई ट्वीटर यूजर माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट को एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं।

    ट्वीटर पर आज से शुरू होगी कर्मचारियों की छंटनी

    माइक्रोब्लॉगिंग मीडिया कंपनी ने अपने स्टाफ को भेजे एक मेल में कहा कि कंपनी शुक्रवार को सुबह ९ बजे (पैसिफिक टाइम) अपने कर्मचारियों को स्टाफ कट के बारे में जानकारी देगी। एक समाचार एजेंसी के अनुसार मेल में कहा गया है कि ट्वीटर को सही रास्ते पर ले जाने के प्रयास में हम शुक्रवार को दुनियाभर के अपने वर्कफोर्स को कम करने की कठिन प्रक्रिया से गुजरेंगे। ट्वीटर ने कहा कि आफिस अस्थाई तौर पर बंद रहंेगे और सभी बैज एक्सेस को फिलहाल सस्पेंड किया जाएगा, ताकि हर कर्मचारी और ट्वीटर सिस्टम व कस्टमर डेटा को सुरक्षित रखने में मदद मिल सके। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने यह भी कहा है कि जिन ट्वीटर कर्मचारियों की नौकरी नहीं जा रही है, उन्हें वर्क ईमेल एड्रेस पर इसकी जानकारी दे दी जाएगी। मेमो में कहा गया है कि जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है, उन्हें पर्सनल ईमेल पर जानकारी दे दी जाएगी। ब्लमबर्ग की एक रिपोर्ट में इस मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि लागत में कटौती के लिए ट्वीटर इन डॉट के लगभग ३७०० कर्मचारियों की छुट्टी हो सकती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सोशल मीडिया साइट में काम करने की नीतियों को बदलने के लिए भी मस्क पूरी तरह तैयार हैं।

    एलन मस्क ने खुद को बनाया ट्वीटर का सीईओ

    दरअसल एलन मस्क द्वारा पिछले हफ्ते से ट्वीटर के टेकओवर के बाद कॉस्ट कटिंग करने और काम करने के नये नियमों की मांग की गई थी। मस्क ने पहले ही ट्वीटर के शीर्ष अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मस्क ने चीफ एग्जिक्युटिव और टॉप फाइनेंस और लीगल एग्जिक्युटिव की छुट्टी कर दी है। इसके अलावा मस्क ने ट्वीटर के डायरेक्टर बोर्ड को भंग कर खुद को कंपनी का सीईओ भी घोषित कर दिया है।

    आफिस न आएं और घर लौट जाएं

    रायटर्स को दो कर्मचारियों ने बताया कि ट्वीटर कर्मचारियों को जैसे ही स्टाफ कट से जुड़ा ईमेल मिला, वैसे ही सैकड़ों ने कंपनी के सलेक चैनल पर गुडबाय कहना शुरू कर दिया। इसके अलावा मस्क को भी यह चैनल ज्वााइन करने के लिए किसी ने इनवाइट भेजा। गुरुवार को ट्वीटर ने कर्मचारियों को ईमेेल भेजकर कहा, अगर आप आफिस में हैं या आफिस आ रहे हैं तो कृपया घर वापस लौट जाएं।