वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक मोबाइल फोन के पार्ट्स पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी जैसे बैटरी, मेन लेंस और अन्य मैटेरियल आइटम जैसे प्लास्टिक और मेटल की कीमत में 10 फीसद की कटौती हो सकती है। हालांकि सवाल उठता है कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह कदम कैसे फायदेमंद रहेगा? तो बता दें कि भारत में स्मार्टफोन की लागत कम होने से एक्सपोर्ट बढ़ेगा। मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में इजाफा होगा. इससे भारत में नए रोजगार पैदा होंगे, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सही कदम होगा।
भारत में बनते हैं ज्यादातर स्मार्टफोन
रिपोर्ट की मानें, तो सरकार की तरफ से मोबाइल फोन और उसके पार्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाने से हाई एंड स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आएगी। साथ ही ऐपल, सैमसंग, वीवो और ओप्पो के स्मार्टफोन की कीमत घट सकती है। रिपोर्ट की मानें, तो भारत में बिकने वाले 99.2 फीसद मोबाइल फोन देश में ही बने होते हैं। भारत का स्मार्टफोन निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 100 प्रतिशत बढ़कर 11.1 बिलियन डॉलर हो गया। हालांकि भारत सरकार इस नंबर में ज्यादा इजाफा करने की उम्मीद में है।
Indian Stock Market Closing On 23 January 2023: भारतीय शेयर बाजार के लिए मंगलवार का दिन अमंगल साबित हुआ है. बाजार में बैंकिंग, मिडकैप और सरकारी कंपनियों के स्टॉक्स में मुनाफावसूली के चलते बड़ी गिरावट के साथ बाजार बंद हुआ है. स्मॉल कैप शेयरों की आज के सेशन में जमकर पिटाई हुई है. बाजार बंद गहोने पर बीएसई सेंसेक्स 1053 अंकों की गिरावट के साथ 70,370 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 333 अंक गिरकर 21,238 अंकों पर बंद हुआ है. बाजार के मार्केट कैप में 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है.
सेक्टर का हाल
आज के ट्रेड में बैंकिंग स्टॉक्स में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. बैंक निफ्टी 2.26 फीसदी या 1043 अंक गुरकर बंद हुआ है. इसके अलावा ऑटो, आईटी, एफएमसीजी, मेटल्स, मीडिया, एनर्जी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑयल एंड गैस सेक्टर के स्टॉक्स में जोरदार गिरावट रही. केवल हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर के स्टॉक्स तेजी के साथ बंद हुए. मिड कैप और स्मॉल कैप शेयर भी बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए. सेंसेक्स के 30 शेयरों में 5 स्टॉक्स हरे निशान में बंद हुए जबकि 25 लाल निशान में क्लोज हुए. निफ्टी के 50 शेयरों में 10 तेजी के साथ और 40 गिरावट के साथ बंद हुए.
सरकार का क़र्ज़ इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी आमदनी कितनी है और ख़र्चे कितने हैं। अगर ख़र्चा आमदनी से ज़्यादा है तो सरकार को उधार या क़र्ज़ लेना पड़ता है। इसका सीधा असर सरकार के राजकोषीय घाटे पर पड़ता है। आज जो इतना कर्ज़ लिया जा रहा है इसका बोझ सिर्फ़ हमारे और आपके ऊपर नहीं आएगा। भविष्य में इसका बोझ हमारी संतानों पर भी आएगा। अगर अर्थव्यवस्था में उत्पादन नहीं बढ़ेगा, रोज़गार नहीं बढ़ेगा और हमारे देश में अमीर-ग़रीब के बीच असमानता कम नहीं होगी तो आपको क़र्ज़ लेना ही पड़ेगा। और ये दुर्भाग्यपूर्ण है। भविष्य में अगर सरकार का कर्ज कम नहीं हुआ तो निजी कंपनियां ज्यादा ब्याज चुकाने के लिए मजबूर होंगी। तब निवेश और कम हो जाएगा। इसे यूं समझिए अगर अर्थव्यवस्था के मुकाबले विदेशी कर्ज बढ़ता है तो देश की सॉवरेन रेटिंग पर असर पड़ता है। खासतौर से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर इसका ज्यादा असर पड़ सकता है। कर्ज को चुकाने में अगर डिफॉल्ट किया गया तो न सिर्फ देश की सॉवरेन रेटिंग पर असर पड़ेगा, बल्कि विदेशी निवेशकों में भी निगेटिव संदेश जाएगा और इनवेस्टमेंट गिर सकता है। इसका असर उद्योगों और प्रोजेक्ट पर भी पड़ेगा, जिससे रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे।
प्रियंका सौरभ
दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का खिताब अपने नाम लिए भारत सरकार और इसके राज्यों पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया है। अगर इसे कम नहीं किया गया तो हमें इस अच्छे मौके का पूरा फायदा नहीं उठा पाएंगे। 2019-20 में महामारी से पहले ही ये कर्ज बढ़ने लगा था जो तब से कम नहीं हुआ है। इस कर्ज के ज्यादा होने का एक कारण ये है कि निजी कंपनियां मुट्ठी ठीक से खोल नहीं रही हैं। वो अर्थव्यवस्था में कम पैसा लगा रही हैं। बैंकों और कंपनियों ने अपने लोन कम कर दिए जिससे निजी निवेश कम हो गया है। इसी वजह से सरकार ने ज्यादा पैसा लगाकर अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की कोशिश की और कर्ज बढ़ता गया। भविष्य में अगर सरकार का कर्ज कम नहीं हुआ तो निजी कंपनियां ज्यादा ब्याज चुकाने के लिए मजबूर होंगी। तब निवेश और कम हो जाएगा। इसे यूं समझिए अगर अर्थव्यवस्था के मुकाबले विदेशी कर्ज बढ़ता है तो देश की सॉवरेन रेटिंग पर असर पड़ता है। खासतौर से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर इसका ज्यादा असर पड़ सकता है। कर्ज को चुकाने में अगर डिफॉल्ट किया गया तो न सिर्फ देश की सॉवरेन रेटिंग पर असर पड़ेगा, बल्कि विदेशी निवेशकों में भी निगेटिव संदेश जाएगा और इनवेस्टमेंट गिर सकता है। इसका असर उद्योगों और प्रोजेक्ट पर भी पड़ेगा, जिससे रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे। इसके अलावा कर्ज डिफॉल्ट होने पर उसे चुकाना महंगा हो जाएगा, जिससे सरकारी खजाने पर भी असर पड़ सकता है और सरकार आम आदमी के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं में कटौती को मजबूर हो सकती है।
सरकार का क़र्ज़ इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी आमदनी कितनी है और ख़र्चे कितने हैं। अगर ख़र्चा आमदनी से ज़्यादा है तो सरकार को उधार या क़र्ज़ लेना पड़ता है। इसका सीधा असर सरकार के राजकोषीय घाटे पर पड़ता है। 1980 के बाद हमें बजट में राजस्व घाटा हो रहा है। राजस्व घाटे का मतलब है जो आपका वर्तमान ख़र्च है वो आपके राजस्व से ज़्यादा है। इसलिए मौजूदा ख़र्च को चलाने के लिए के लिए क़र्ज़ लेना पड़ रहा है। राजस्व घाटे का मतलब है कि जिसके लिए आप उधार ले रहे हैं उस पर रिटर्न नहीं आएगा। जैसे- सब्सिडी या डिफ़ेंस पर होने वाला ख़र्च। बजट का एक बड़ा हिस्सा इन पर ख़र्च होता है और फिर हमारा क़र्ज़ बढ़ता चला जाता है। आज जो इतना कर्ज़ लिया जा रहा है इसका बोझ सिर्फ़ हमारे और आपके ऊपर नहीं आएगा। भविष्य में इसका बोझ हमारी संतानों पर भी आएगा। अगर अर्थव्यवस्था में उत्पादन नहीं बढ़ेगा, रोज़गार नहीं बढ़ेगा और हमारे देश में अमीर-ग़रीब के बीच असमानता कम नहीं होगी तो आपको क़र्ज़ लेना ही पड़ेगा। और ये दुर्भाग्यपूर्ण है। आज का भारत ‘ऋण संकट की समस्या’ का सामना कर रहा है। इस ‘संकट’ को वर्तमान ऋण की मात्रा के संदर्भ में नहीं, बल्कि बढ़ते सरकारी (घरेलू, बाह्य और कॉर्पोरेट) ऋण और अन्य मैक्रो समुच्चय (विकास, रोजगार, मुद्रास्फीति से लेकर वित्तीय ऋण विस्तार तक) के बीच बड़े रुझान और व्यापक आर्थिक संबंध के रूप में देखा जाना चाहिए। सरकार को इन चुनौतियों से निपटने के लिए गंभीर राजकोषीय समेकन उपाय करने की आवश्यकता होगी, बजाय इसके कि आईएमएफ ने जो चेतावनी दी है, उसे नकार दिया जाए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को कर्ज के बारे में आगाह किया है।
आईएमएफ को अंदेशा है कि मीडियम टर्म में भारत का सरकारी कर्ज बढ़कर ऐसे स्तर पर पहुंच सकता है, जो देश की जीडीपी से ज्यादा हो सकता है। मतलब कुल सरकारी कर्ज देश की जीडीपी के 100 फीसदी से ज्यादा हो सकता है। पिछले तीन वर्षों में पूंजीगत व्यय से प्रेरित सरकारी खर्च ने अधिक पूंजी निर्माण (विकास के लिए निजी पूंजी निवेश को आकर्षित करने के लिए) की अनुमति नहीं दी है। कमजोर सकल स्थिर पूंजी निर्माण आंकड़े इसे दर्शाते हैं। मेरे लिए तो यह और भी बड़ी चिंता का विषय है। यदि सरकार बड़ा खर्च कर रही है और निजी निवेश के माध्यम से विकास को आकर्षित करने/उत्तरोत्तर आगे बढ़ाने के लिए अधिक उधार ले रही है, और ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है (निजी निवेश बेहद कमजोर बना हुआ है), तो सरकार मूल रूप से खर्च करने की कीमत पर अधिक कर्ज अर्जित कर रही है। यह संकट या बड़े पैमाने पर ऋण आवश्यकताओं के लिए भविष्य में उपयोगी उधार लेने की संभावना को बर्बाद करना और खतरे में डालना है। समस्या यह है कि ये सभी बढ़ते खर्च वास्तव में उच्च विकास की ओर ले जा रहे हैं और मानव पूंजी विकास के लिए आवश्यक सामाजिक/कल्याण व्यय की कीमत पर आ रहे हैं। राजकोषीय घाटे से उत्पन्न होने वाले ‘छिपे हुए ऋण’ की संभावना हमेशा बनी रहती है जिसे आधिकारिक आंकड़ों में ‘चुपचाप छिपाया जाता है’ और ‘जिसका हिसाब नहीं दिया जाता है।’ संकट के समय में, ‘छिपे हुए ऋण’ के आंकड़े किसी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकते हैं।
(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर स्मारक डाक टिकट जारी किया है। इसके साथ ही पीएम ने दुनिया भर में भगवान राम पर जारी टिकटों की एक पुस्तक भी जारी की। 48 पेज की इस किताब में 20 देशों के टिकट हैं। पीएम मोदी ने कुल 6 डाक टिकट जारी किए हैं। इनमें राम मंदिर, भगवान गणेश, हनुमान, जटायु, केवटराज और मां शबरी शामिल हैं।
इस दौरान पीएम मोदी ने एक संदेश भी जारी किया। पीएम मोदी ने कहा, नमस्कार, राम राम… आज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अभियान से जुड़े एक कार्यक्रम से जुड़ने का सौभाग्य मिला है। आज राम मंदिर को समर्पित 6 विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए गए हैं। विश्व के अलग अलग देशों में राम से जुड़े जो डाक टिकट जारी हुए हैं। उनका एलबम भी रिलीज हुआ है। मैं सभी रामभक्तों को बधाई देता हूं। पोस्टल स्टैंप का एक काम, उन्हें लिफाफों पर लगाना, उनकी मदद से पत्र, संदेश या जरूरी कागज भेजना, लेकिन ये पोस्टल स्टैंप एक अनोखी भूमिका निभाते हैं।
पीएम मोदी ने कहा, ये पोस्टल स्टैंप विचारों, इतिहास और ऐतिहासिक अवसरों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम भी होते हैं. जब कोई डाक टिकट जारी होता है, जब इसे कोई भेजता है,तो वह सिर्फ पत्र नहीं भेजता बल्कि पत्र के माध्यम से इतिहास के अंश को दूसरे तक पहुंचा देता है। ये सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं है। ये इतिहास की किताबों के रूपों और ऐतिहासिक क्षणों का छोटा रूप भी होते हैं। इनसे युवा पीढ़ी को भी बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलता है। इन टिकट में राम मंदिर का भव्य चित्र है. पीएम मोदी ने कहा, इस काम में डाक विभाग को राम ट्रस्ट के साथ साथ संतों का भी साथ मिला है. मैं संतों को प्रणाम करता हूं।
सुब्रत रॉय की तरह अंतिम दिन गर्दिश में काट रहा है नरेश गोयल
चरण सिंह राजपूत
जेल से अस्पताल में जाने के लिए कोर्ट में गुहार लगाने वाले तो आपने बहुत देखे होंगे। पर क्या ऐसा भी कोई व्यक्ति देखा है जो जेल से अस्पताल न भेजने की गुहार अदालत में लगा रहा हो। जी हां जेट एयरलाइंस के मालिक रहे नरेश गोयल ने हाल ही में कोर्ट से गुहार लगाई है कि उन्हें जेल से अस्पताल न भेजकर उन्हें जेल में भी मरन के लिए छोड़ दिया जाए। दरअसल नरेश गोयल ने मुंबई कोर्ट में हाथ जोड़ते हुए कहा कि वह जीवन की हर उम्मीद खो चुके हैं और अपनी वर्तमान स्थिति में जीने से बेहतर होगा कि वह जेल में ही मर जाएं। गोयल ने कहा कि उनकी उम्र लगभग 75 साल हो चुकी है और उन्हें भविष्य से कोई उम्मीद नहीं है।
दरअसल सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय और जेट एयरवेज के चेयरमैन रहे नरेश गोयल की दास्तां एक जैसी ही है। सुब्रत राय ने भी शार्ट कट अपनाकर बुलंदी छुई और नरेश गोयल ने भी यही रास्ता अपनाया। सुब्रत राय ने सहारा एयरलाइंस शुरू की तो नरेश गोयल जेट एयरलाइंस की। देखने की बात यह है कि सहारा एयरलाइंस को टेकओवर करने वाले भी नरेश गोयल थे। निवेशकों से ठगी के आरोप में सुब्रत रॉय को भी दो साल जेल में बिताने पड़े थे और नरेश गोयल भी जिंदगी के अंतिम दिनों में मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद हैं। सुब्रत राय के अंतिम दिन बड़े संकट में बीते तो नरेश गोयल के भी अंतिम दिन संकट में बीत रहे हैं। सुब्रत राय के निधन पर उनके खुद के बेटे उन्हें कंधा देने नहीं आये थे और जैसे सुब्रत राय का निधन 75 साल में हुआ ऐसे ही 75 साल की उम्र में नरेश गोयल के दिन जेल में ही बीत रहे हैं और उनकी और उनकी कैंसर से पीड़ित पत्नी की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उनकी खुद की बेटी भी बीमार है।
शारीरिक और मानसिक स्थिति ठीक नहीं : गोयल
बताया जा रहा है कि नरेश गोयल ने कोर्ट में कहा है कि वह अपनी पत्नी अनीता को बहुत याद करते हैं, जो कैंसर की एडवांस स्टेज में हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में रहते हुए नरेश गोयल वीडियो कॉन्फ्रेंस सुनवाई के माध्यम से जमानत के लिए मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत विशेष अदालत में पेश हुए। गोयल ने कहा कि उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।
बिस्तर पर है गोयल की पत्नी
अदालत की रोजाना सुनवाई का रिकॉर्ड के अनुसार नरेश गोयल ने कोर्ट से व्यक्तिगत सुनवाई के लिए कुछ मिनट का समय देने का अनुरोध किया था। वह अपने पूरे शरीर और हाथों में लगातार कंपन के साथ अदालत के सामने आए। हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर ऐसी कांपती हालत में कोर्ट ने कहा कि उनका स्वास्थ्य बहुत खराब और अनिश्चित है। वह किसी को बता नहीं सकते क्योंकि उनकी पत्नी बिस्तर पर है और इकलौती बेटी भी है।
गोयल की दलील दर्ज
विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने दैनिक कार्यवाही की रिकॉर्डिंग में गोयल की दलील दर्ज की।न्यायाधीश ने कहा कि मैंने गोयल को धैर्यपूर्वक सुना और जब उन्होंने अपनी बात रखी तो उस पर ध्यान भी दिया। मैंने पाया कि उनका पूरा शरीर कांप रहा था। उन्हें खड़े होने के लिए भी मदद की जरूरत है। उन्होंने बताया कि कैसे उसके घुटनों में सूजन और दर्द हो रहा है। वह दोनों पैरों को मोड़ने में असमर्थ है। सूजन के कारण उनके घुटनों में भारी दर्द है।
अदालती कार्यवाही के मुताबिक, गोयल ने आगे कहा कि उन्हें बार-बार पेशाब करने के लिए वॉशरूम जाना पड़ता है। आजकल उन्हें पेशाब करते समय बहुत तेज दर्द होता है और कभी-कभी पेशाब के रास्ते खून भी आता है और साथ में असहनीय दर्द भी होता है. उन्होंने आगे कहा कि वह बहुत कमजोर हो गए हैं और उन्हें जे.जे. हॉस्पिटल रेफर करने का कोई फायदा नहीं है. आर्थर रोड जेल से जे.जे. तक की यात्रा के रूप में अस्पताल बहुत परेशानी भरा, व्यस्त और थकाऊ है जिसे वह सहन नहीं कर सकते हैं। सुब्रत राय और नरेश गोयल के अंतिम दिन जिस तरह इस तरह से कष्ट में बीत रहे हैं। उसके अनुसार कहा जा सकता है कि गलत तरह से संपत्ति अर्जित करने वालों का क्या हाल यही होता है।
Vibrant Gujarat Global Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व की तारीफ चारों ओर हो रही है। देश से लेकर विदेश तक उनकी तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे हैं। चाहे अमेरिका हो, रूस हो, ब्रिटेन हो या फिर फ़्रांस सभी देश में पीएम की तारीफ सुनी जा रही है। देश में भी नेता, अभिनेता और पूंजीपतियों तक एक मुंह से मोदी की तारीफ सुनी जा रहे है। अब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बुधवार को वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। मुकेश अंबानी ने कहा कि जब पीएम मोदी बोलते हैं तो पूरी दुनिया सुनती है। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का आयोजन राज्य की राजधानी गांधीनगर में हो रहा है, जहां व्यापार जगत के दिग्गज पहुंचे हुए हैं।
वाइब्रेंट गुजरात समिट के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अंबानी ने समिट की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया। गुजरात वाइब्रेंट समिट का आयोजन मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान से ही हो रहा है। इस समिट की शुरुआत 2003 में हुई थी. पहले समिट में 700 डेलीगेट्स इसका हिस्सा बने थे, लेकिन अब इसमें हिस्सा लेने वाले डेलीगेट्स की संख्या 1 लाख से ज्यादा हो गई है।
पीएम मोदी को बताया सबसे महान ग्लोबल लीडर
मुकेश अंबानी ने कहा, ‘मैं भारत के ‘प्रवेश द्वार’ के शहर मुंबई से आधुनिक भारत के विकास के ‘प्रवेश द्वार’ गुजरात तक आया हूं। मुझे गुजराती होने पर गर्व है, जब विदेशी लोग नए भारत के बारे में सोचते हैं, तो वे नए गुजरात के बारे में भी सोचते हैं। यह बदलाव कैसे हुआ? इस बदलाव की वजह एक नेता हैं, जो हमारे समय के सबसे महान ग्लोबल लीडर के रूप में उभरे हैं. इस नेता का नाम पीएम मोदी है, जो भारत के इतिहास में सबसे सफल पीएम हैं.’
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट की बात करते हुए अंबानी ने कहा, ‘इस तरह का कोई भी अन्य समिट 20 सालों तक लगातार जारी नहीं रहा है। मगर ये समिट हर साल और भी ज्यादा मजबूत होता जा रहा है। ये पीएम मोदी की दूरदर्शिता और निरंतरता का नतीजा है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं उन कुछ भाग्यशाली लोगों में शामिल रहा हूं, जिन्होंने वाइब्रेंट गुजरात के हर समिट में हिस्सा लिया है.’
दिसंबर का महीना खत्म हो गया। आज से नए साल का आगाज़ हो चूका है। देश में हर महीने की पहली तारीख को कई बदलाव होते हैं। यह बदलाव सीधे आम आदमी की जेब पर असर डालते हैं। ऐसे में आपको इन बदलावों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। 1 जनवरी से कई बदलाव हो चूका है इनका सीधा संबंध आपकी जेब से है।
सिम कार्ड खरीदने और रखने के नियम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब सिम कार्ड खरीदने पर सिर्फ डिजिटल KYC ही होगी इससे पहले डॉक्यूमेंट्स का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाता था।
नए साल से नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी (NPCI) नई पॉलिसी लागू कर रहा है। इसके तहत एक या उससे ज्यादा साल से इनएक्टिविट यूपीआई आईडी को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए नया साल 2024 राहत लेकर आएगा? एलपीजी के रेट में अमूमन हर महीने की 1 तारीख को बदलाव होता है। इसी कड़ी में आज (1 जनवरी, 2024) एलपीजी सिलेंडर के नए रेट जारी होंगे. गौरतलब है कि चुनावी साल 2019 में पेट्रोलियम कंपनियों ने उपभोक्ताओं को नए साल का गिफ्ट देते हुए 14 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम 120.50 रुपये कम कर दिए है।
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने म्युचुअल फंड और डीमैट खाता में नॉमिनेशन की आखिरी तारीख बढ़ा दी है। पहले नॉमिनी बताने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर थी। अब 6 महीने का समय और दे दिया गया है। अब नॉमिनेशन की आखिरी तारीख 30 जून, 2024 कर दी गई है।
अगर आपने अपने जीमेल अकाउंट को 1-2 साल से इस्तेमाल नहीं किया है तो आपका गूगल का जीमेल अकाउंट बंद हो सकता है। गूगल का ये नियम सिर्फ पर्सनल अकाउंट पर होगा ये नियम बिजनेस अकाउंट पर लागू नहीं होगा।
जनवरी 2024 में अगर आपका बैंक में जाकर कोई काम निपटाने का इरादा है, तो आपको बैंक की छुट्टियों की जानकारी लेकर ही अपनी प्लानिंग करनी चाहिए ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि बिना छुट्टियों की जानकारी लिए आप बैंक चले जाएं और उस दिन बैंक बंद हो। जनवरी में अलग-अलग मौकों पर कुल 16 दिन बैंक बंद रहेंगे। आप आरबीआई की वेबसाइट पर जाकर बैंक छुट्टियों की लिस्ट को चेक कर सकते हैं।
बात खाने पिने की सामान की करें तो 2023 में तुअर दाल 110 रुपए से बढ़कर 154 रुपए किलो पर पहुंच गई। वहीं इस साल चावल 37 रुपए से बढ़कर 43 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।इसी तरह हर घर में रोजाना उपयोग होने वाले सामान जैसे दूध, शक्कर, टमाटर और प्याज जैसी चीजों के दाम भी इस साल बढ़े हैं। हालांकि बीते साल गैस सिलेंडर और सोयाबीन तेल सहित कई अन्य चीजों के दाम में गिरावट भी देखने को मिली है।भारत में महंगाई के कारणों की बात करें तो डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होकर 83 के स्तर के पार पहुंच गया है। डॉलर महंगा होने से भारत का आयात और महंगा होता जा रहा है और इससे घरेलू बाजार में चीजों के दाम भी बढ़ रहे हैं। वहीं कोविड के बाद से सप्लाई चेन अभी तक पूरी तरह से पटरी पर नहीं आई है, जिसने महंगाई को बढ़ाया है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध के कारण भी क्रूड ऑयल और खाने-पीने के सामानों के दाम बढ़े हैं।
देश के सबसे पुराने कारोबारी घराने में से एक टाटा ग्रुप अपने निवेशकों के लिए शानदार योजना लेकर आई थी। साल के आखिरी में टाटा ग्रुप, एक साल मे ही इन्वेस्टमेंट डबल वाली योजना से अपने निवेशकों को मालामाल कर रहा है। कंपनी है ट्रेंट लिमिटेड है. जिसमें 5 लाख रुपये लगाने वाले निवेशकों की रकम एक साल में ही डबल यानी 10 लाख रुपये से ज्यादा हो गई। सबसे खास बात रही कि टाटा का ये शेयर बीते कुछ सालों से फायदा का सौदा ही साबित हुआ है जिसका कोई नेगेटिव इम्पैक्ट देखने को नही मिला।
बात करे इससे जुड़े ब्रांड्स की तो जूडियो और वेस्टसाइड सबसे आगे है और यह कहने में कोई हर्ज़ नहीं कि कुछ सालो से जूडियो और वेस्टसाइड की मांग देश भर मे तेज़ी से बड़ी है। देश भर में इनके 500 से ज्यादा स्टोर है. आज कल की पीढ़ी इन ब्रांड्स की ओर काफी प्रभावित रहती है.
आपको बता दें, Tata Group की कंपनी ट्रेंट लिमिटेड रिटेल फैशन और ब्यूटी से सम्बंधित है।टाटा की ये कंपनी एक लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाली लिस्ट में शामिल है। बीते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को Trent MCap 1.05 लाख करोड़ रूपए दर्ज किया गया था। वहीं कंपनी का शेयर मामूली बढ़त के साथ 29,68 रुपये के लेवल पर क्लोज हुआ था।
साल 1998 मे टाटा ग्रुप ने Trent Ltd की स्थापना की थी और करीब 10 साल पहले 13 दिसंबर 2013 को इस कंपनी के एक शेयर की कीमत महज 101 रुपये थी, जो बीते शुक्रवार 29680 रूपए के लेवल पर पहुँच गई। पिछले कुछ सालो में कंपनी के शरहोल्डर्स में जबरदस्त इजाफ़ा हुआ है।
ऐसा बोला जाता है कि शेयर बाज़ार में काफ़ी उतार- चढ़ाव रहते है, लेकिन कई ऐसे स्टॉक्स है जो अपने निवेशकों का काफी ख्याल रखते है जिसमे टाटा ग्रुप बेहद एहम माना जाता है
बीजेपी के लिए अच्छी खबर है कि देश की जीडीपी ग्रोथ रेट आरबीआई के अनुमानों को भी पार कर गई है। आम चुनाव से पहले इकॉनमी के लिए यह एक अच्छा संकेत है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के शुरुआती अनुमानों के अनुसार भारत की जीडीपी ग्रोथ (India GDP Groeth Rate) जुलाई से सितंबर 2023 तिमाही में 7.6 फीसदी रही है। यह ग्रोथ रेट अनुमान से अधिक है। दूसरी तिमाही की भारत की यह जीडीपी ग्रोथ रेट पिछली तिमाही के 7.8% की तुलना में थोड़ी सी कम है। हालांकि, यह आरबीआई के अनुमान 6.5% से काफी अधिक है।
किस सेक्टर में आई तेजी?
मैन्यूफैक्चरिंग GVA पिछले साल की दूसरी तिमाही में 4% घट गया था। उस समय कुल GVA 5.4% बढ़ा था। इस बार जुलाई से सितंबर के बीच मैन्यूफैक्चरिंग जीवीए में 13.9% की ग्रोथ दर्ज हुई है। यह नौ तिमाहियों में सबसे तेज ग्रोथ है। उधर माइनिंग जीवीए में भी 10 फीसदी की ग्रोथ रेट रही है। दूसरी तिमाही में कंस्ट्रक्शन जीवीए 13.3 फीसदी उछला है। जबकि बिजली, गैस, वाटर सप्लाई और दूसरी यूटिलिटी सर्विसेज की परफॉर्मेंस पिछले साल की तुलना में 10.1 फीसदी अधिक रही है। इससे ओवरऑल ग्रोथ नंबर में उछाल आया है।
GVA ग्रोथ 7.4% रही
एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर के साथ-साथ कंज्यूमर स्पेंडिंग में स्पष्ट ग्रोथ डाउनटर्म (मंदी) के बावजूद अच्छी जीडीपी ग्रोथ रही है। वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में इकॉनमी में ग्रोस वैल्यू एडेड (GVA) ग्रोथ Q1 के 7.6 फीसदी से थोड़ा गिरकर दूसरी तिमाही में 7.4% रही। लेकिन एग्रीकल्चर सेक्टर में जीवीए ग्रोथ पहली तिमाही के 3.5 फीसदी से तेजी से गिरकर 1.2 फीसदी पर आ गई। जबकि यह ट्रेड, होटल और ट्रांसपोर्ट जैसे सर्विस सेक्टर्स के लिए आधी से भी कम रह गई। यह पहली तिमाही के 9.2 फीसदी से घटकर 4.3 फीसदी पर आ गई।
अनुमान से ज्यादा रह सकती है पूरे साल की ग्रोथ रेट
2023-24 की पहली छमाही में GDP में 7.7% की ग्रोथ दर्ज की गई थी, जिसमें GVA में 7.6% की ग्रोथ रही थी। कई सेक्टर्स में अच्छी ग्रोथ के चलते पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अच्छी रही। पहली तिमाही में कंस्ट्रक्शन में 10.5% और मैन्यूफैक्चरिंग में 9.3% की ग्रोथ रही थी। एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि मजबूत पहली छमाही के आंकड़ों के चलते वर्तमान अनुमानों की तुलना में पूरे साल की परफॉर्मेंस 0.1% से 0.2% तक बढ़ जाएगी।
सालाना ग्रोथ रेट 6.7% रहने का है अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार को इस साल GDP में 6.5% ग्रोथ की उम्मीद है। EY इंडिया के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डी.के. श्रीवास्तव ने कहा, ‘RBI Q3 और Q4 में GDP ग्रोथ क्रमशः 6% और 5.7% रहने की उम्मीद कर रहा है। इसलिए सालाना ग्रोथ रेट 6.7% रहने का अनुमान है।’
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु युद्ध की तैयारी करते हुए, बेलारूस में तेहनात की परमाणु बम की मिसाइल्स , जिनका कंट्रोल रूस के पास ही होगा बता दे की ऐसा 32 साल बाद पहली बार हुआ है की रूस ने अपने परमाणु मिसाइल्स कही और तेहनात की हैं !
Russia-Ukraine war, Europe, Russia, Ukraine
पुतिन का परमाणु खेल !
रूस(Russia) और बेलारूस की दोस्ती का नया रंग दुनिया के सामने आ रहा हैं, हाल ही की तजा खबरों के मुताबिक रूस ने अपने कई टैक्टिक्स (Tactics) परमाणु मिसाइल्स बेलारूस में लगा दी हैं, जिनका मुँह यूक्रेन की तरफ कर दिया हैं, बता दे की 15 महीने पहले भी रूस (Russia) ने बेलारूस को ही रूस-यूक्रेन युद्ध में लॉन्च पैड की तरह इस्तेमाल किया था,क्युकी बेलारूस की सीमा रूस(Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के साथ की लगती हुई हैं ,ये खबर तब सामने आयी जब बेलारूस (Belarus) के राष्ट्रपति ने बेलारूस (Belarus) के सरकारी न्यूज़ चैनल से हुए इंटरव्यू में कहा की इन हथियारों को रखने के लिए सोवियत संघ के समय के छह परमाणु ठिकानों को ठीक किया गया हैं । लुकाशेंको ने ये भी कहा हैं कि वो रूस के परमाणु हथियारों को अपने बॉर्डर वाले इलाकों पर तैनात करेंगे। लुकाशेंको ने कहा, अगर जरूरत पड़ी तो हम इन हथियारों का इस्तेमाल करने से हिचकिचाएंगे नहीं। इसकी मंजूरी के लिए मुझे सिर्फ पुतिन (Putin) को फोन करने की जरूरत होगी ! पुतिन ने एक सम्हारो के वक़्त कहा की ‘यह उन सभी लोगों के खिलाफ एक निवारक उपाय है जो रूस और उसकी रणनीतिक हार के बारे में सोचते हैं ‘ !
Putin planting missiles
32 साल बाद बेलारूस की धरती पर फिर परमाणु बम !
राष्ट्रपति पुतिन (Putin) के बयांन से इस बात पर मोहर मानी जा रही हैं, की बेलारूस कि धरती पर रूस (Russia) की परमाणु बम का ज़खीरा पहुंच गया हैं ,1991 के बाद पहली बार रूस (Russia) ने विदेशी धरती पर परमाणु हथियार तैनात किए हैं, लुकाशेंको (Lukashenko) की बात करें तो वह लगभग 30 साल (1994) से सत्ता में बने हुए हैं. 2020 में लुकाशेंको लगातार छठवीं बार बेलारूस के राष्ट्रपति चुने गए थे, हालांकि उनके इस चुनाव को लेकर बहुत विवाद हुआ और जनता में आक्रोश भी देखने को मिला था , साथ इस परमाणु मिसाइल्स को लेकर बेलारूस की Opposition की नेता स्वेतलना ने कहा की “रूस के लोगो ने एक पागल सनंकी को अपने देश की सत्ता दे दी हैं, जो दुनिया को मिटने की सनक रखता हैं” 1991 अलेक्जेंडर लुकाशेंको (Aleksandr Lukashenko) एक लोते ऐसे नेता थे जो सोवियत संघ (Soviet Union) से टूटने के विरोधी थे !
American nuclear weapon in europe
और कहा-कहा मौजूद हैं परमाणु मिसाइल्स ?
जब सोवियत संघ (Soviet Union) एक था, तो उसके परमाणु हथियार सदस्य देशों में तैनात थे. 1991 में सोवियत संघ (Soviet Union) के टूटने के बाद यूक्रेन, बेलारूस (Belarus) और कजाकिस्तान समेत बाकी सदस्यो ने अपने परमाणु हथियार वापस दे दिए थे, जिसके बाद रूस की सीमा से बाहार कभी भी अपने परमाणु बम नहीं भेजे थे ,परमाणु अप्रसार संधि पर सोवियत संघ ने भी दस्तखत किए थे. ये संधि कहती हैं कि कोई परमाणु संपन्न देश किसी गैर-परमाणु देश को न तो परमाणु हथियार दे सकता हैं और ना ही उसकी टेक्नोलॉजी दे सकता हैं, रूस (Russia) का इस पर कहना हैं की उसने किसी भी प्रकार की संधि का उलंधन नहीं किया हैं, उन मिसाइल्स को वहा प्लांट किया गया हैं जिसका रिमोर्ट सिर्फ और सिर्फ रूस के पास ही होगा ! वही अमेरिका ने भी यूरोप (Europe) के कई देश जैसे इटली, जर्मनी, तुर्की, बेल्जियम और नीदरलैंड्स में अपनी मिसाइल्स प्लांट की हैं, न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इन हथियारों का वजन 0.3 से लेकर 170 किलो टन तक हैं , वही बता दे की जो बम जापान में 1945 को डाला गया था , वह केवल 15 kg ton का था ! बता दे की ये सभी मिसाइल्स टेस्टिकल्स (Tactics) हैं !
cold war के बाद अमेरिका और रूस (Russia) , दोनों ने ही अपने परमाणु हथियारों की संख्या कम की थी, लेकिन अब भी दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार इन्हीं दोनों देशों के पास है , फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट का अनुमान है कि रूस के पास 5,977 और अमेरिका के पास 5,428 परमाणु हथियार हैं !