Category: अपराध

  • Himachal: 50 साल की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार

    Himachal: 50 साल की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार

    55 वर्षीय महिला के साथ पहले समूहिक बलात्कार, फिर कर दि हत्या

    तो हम आज ले कर आये है आपके लिए हिमाचल प्रदेश के जोगिंद्रनगर के एक 55 वर्षीय महिला के साथ पहले तो समूहिक बलात्कार फिर हत्या कर दी.

    Himachal
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    Himachal Pradesh के मंडी जिला के जोगेंद्रनगर में 50 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार कर उतारा मौत के घाट और बताया यह भी जा रहा है आरोपी में दो नाबालिग बताये जा रहे है, मगर हम साथ ये भी बता दे की जोगेंद्रनगर पुलिस ने बड़ी सफलता भी हासिल की है.

    महिला के हत्या में तिन मुख्या आरोपी बताये है जिसमे की दो नाबालिग है और वही पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है और बताया यह भी जा रहा है कि 4 संदिग्ध अब भी फरार हैं.

    जिसमे की हम आपको यह भी बताते हुए चले कि इस मामले में जोगेंद्रनगर पुलिस ने 24hr के अन्दर मामला सुलझा कर बड़ी सफलता हसिल की है.

    preliminary investigation के तहत

    Investigation
    Investigation

    preliminary investigation के मुताबिक यह पता चला है कि पहले तो आरोपियों ने मिलकर 50 साल की महिला के साथ बलात्कार करने के बाद उसे जान से मार दिया. साथ ही पुलिस ने यह भी बयान दिया कि जांच के दौरान आरोपियों के साथ-साथ महिला को भि शराब के नशे में धुत पाया गया. सामुहिक ब्लात्कार कर महिला की हत्या की वारदात को अंजाम देने के आरोप में बताया जा रहा है की दो नाबालिगों के साथ पुरे पांच आरोपियों पर शंका जताई जा रही है.

    वहीं दूसरी ओर DSP Padhar Sanjeev Sood ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने सोमवार को मुकदमा दर्ज किया था. और यहाँ पर मामले की जाँच के दौरान यह भी खबर बताई कि देर रात आरोपियों को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया, जब सख्त पूछताछ की तो उस दौरान आरोपियों ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया.

    Himachal Police
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    DSP ने बताया कि पुलिस प्रारंभिक जांच (initial screening) में भी महिला की हत्या मामले में पुलिस को बलात्कार का अंदेशा था कि बलात्‍कार के बाद हत्‍या को अंजाम दिया गया है. डीएसपी पधर संजीव सूद ने बताया कि मौका-ए-वारदात पर पुलिस और फोरेंसिक टीम को जांच के दौरान लाश पर गहरे घाव भि मिले. शरीर के कई हिस्‍सों से कपड़े भी गायब होना भी बलात्कार की संभावना को दर्शाता है. Police Officer मंडी सौम्या सांबशिवन की अगुवाई में स्थानीय पुलिस की कई टीमों हर पहलू को ध्‍यान में रखकर जब जांच को आगे बढाई तो महज 24घंटे के भीतर सफलता मिली.

    डीएसपी ने यह भि बताया कि स्थानीय पुलिस ने मंडी-पठानकोट हाईवे पर लगे सीसीटीवी खंगाल में भि जांच की तो पुलिस को संदिग्‍धों की फुटेज के इनपुट भी मिल गए. मामले में नामजद कुछ लोगों को भी पुलिस ने सोमवार को ही डिटेन कर से पूछताछ भी की थी. उसी के आधार पर पांच आरोपित पुलिस हिरासत में आए है. मामले में आगे की जानकारी को खगाला जा रहा है और पुलिस अब भि जांच में जुटी है .

  • Delhi: NCB Constable की पत्नी समेत दो बच्चे मृत पाए गए

    Delhi: NCB Constable की पत्नी समेत दो बच्चे मृत पाए गए

    Delhi: NCB कांस्टेबल की पत्नी और दो बच्चों की दुखद आत्महत्या

    • 27 वर्षीय एक महिला और उसके दो छोटे बच्चे अपने दक्षिणी दिल्ली स्थित घर में मृत पाए गए, जो स्पष्ट रूप से आत्महत्या का मामला था।
    • महिला की शादी एक एनसीबी कांस्टेबल से हुई थी और घटना की स्थानीय अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है।
    • शवों पर चोट के निशान हैं और एसडीएम कानूनी कार्यवाही की निगरानी कर रहे हैं।
    Delhi Suicide Case
    Delhi Suicide Case

    27 वर्षीय एक महिला और उसके दो छोटे बच्चे अपने दक्षिणी दिल्ली स्थित घर में मृत पाए गए, जो स्पष्ट रूप से आत्महत्या का मामला था। महिला की शादी एक एनसीबी कांस्टेबल से हुई थी और घटना की स्थानीय अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है। शवों पर चोट के निशान हैं और एसडीएम कानूनी कार्यवाही की निगरानी कर रहे हैं।

    पूछताछ के दौरान पुलिस ने बताया की 27 वर्षीय महिला समेत उसके दो बच्चे 8 अक्टूबर की रात को दक्षिण दिल्ली में अपने घर में मृत पाए गए। पुलिस ने जानकारी देते हुए यह भी बताया महिला का पति Narcotics Control Bureau (NCB) कांस्टेबल है।

    पुलिस ने जानकारी दी

    Delhi Police
    Delhi Police

    पुलिस के मुताबिक, सुबह 10:30 बजे किशनगढ़ थाने के मुनिरका गांव में एक महिला द्वारा अपने घर में आत्महत्या करने की सूचना मिली, जिसके बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची.

    एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “मौके पर पहुंचने पर, घर की चौथी मंजिल पर कमरे का दरवाजा अंदर से बंद पाया गया। फायर ब्रिगेड के प्रतिनिधियों ने दरवाजा तोड़ दिया।”

    “उक्त परिसर का निरीक्षण करने पर, तीन शव (एक महिला और दो छोटे बच्चे) गद्दे पर पड़े पाए गए। तीनों शवों की पहचान वर्षा शर्मा और उनके चार और ढाई साल के दो बच्चों के रूप में की गई। ।” अधिकारी ने कहा.

    उन्होंने यह भी बताया, “तीनों मृतकों की कलाइयों पर तेज चोटें थीं। एफएसएल और क्राइम टीमों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। पूछताछ के दौरान पता चला कि वर्षा की शादी 2017 में जगेंद्र शर्मा से हुई थी। शर्मा नारकोटिक्स में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे।” नियंत्रण ब्यूरो। हमने किया।” अधिकारी।

    साथ ही, “एसडीएम को जांच करने के लिए सूचित किया गया है और वे कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं।”

     

     

  • Maharashtra: नासिक छापेमारी Rs 5.94cr से अधिक मूल्य की दवाएं हुए जब्त।

    Maharashtra: नासिक छापेमारी Rs 5.94cr से अधिक मूल्य की दवाएं हुए जब्त।

    Maharashtra:छापेमारी के दौरान में Rs5.94cr की दवाएं और प्रतिबंधित वस्तुएं जब्त की गईं

     

    • नासिक पुलिस ने नासिक-पुणे राजमार्ग के पास गोदाम पर छापा मारा, 5.94 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की दवाएं और सामान जब्त किया।
    • एक बड़े ड्रग रैकेट पर मुंबई पुलिस की कार्रवाई के परिणामस्वरूप पूरे महाराष्ट्र में कई गिरफ्तारियां हुईं, जिसमें कथित ड्रग उत्पादन में शामिल एक फैक्ट्री भी शामिल है।
    • जांच जारी रहने पर नासिक के अधिकारियों ने जब्ती के संबंध में मामला दर्ज किया है।
    Maharashtra, Nasik
    Maharashtra, Nasik

    नासिक में एक गोदाम पर छापेमारी के बाद 5.94 करोड़ रुपये की दवाएं और अन्य सामग्री जब्त की गई।

    एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने रविवार को बताया कि महाराष्ट्र में नासिक पुलिस ने नासिक जिले के एक गोदाम में छापेमारी के बाद 5.94 करोड़ रुपये से अधिक की दवाएं और अन्य सामान जब्त किया।

    रिपोर्ट के अनुसार, एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने शनिवार देर रात नासिक-पुणे राजमार्ग के पास शिंदे गांव में एक होटल के पास स्थित एक गोदाम पर छापा मारा।

    मुंबई पुलिस ने पहले 300 करोड़ रुपये का मेफेड्रोन जब्त किया था और एक ऑपरेशन में विभिन्न शहरों से 12 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें नासिक के ही शिंदे गांव के एमआईडीसी Industrial Area में एक दवा निर्माण इकाई पर गुरुवार की छापेमारी भी शामिल थी, जहां से 133 किलोग्राम मेफेड्रोन मिला था। की कीमत 100 रुपये बरामद किये गये. एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि 267 मिलियन क्राउन जब्त किए गए।

    मुंबई पुलिस खुलासा

    Maharashtra Police
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    मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को घोषणा की कि उन्होंने एक बड़े ड्रग रैकेट का भांडाफोड़ किया है और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में कई हफ्तों से चल रहे एक चौतरफा ऑपरेशन में 300 करोड़ रुपये से अधिक की दवाएं जब्त की हैं। पुलिस ने कहा कि वे 12 संदिग्धों को पकड़ने में भी कामयाब रहे जो कथित तौर पर दंगों में शामिल थे। पुलिस ने पहले कहा था कि उन्होंने कथित तौर पर दवा उत्पादन में शामिल एक फैक्ट्री को भी ध्वस्त कर दिया है।

    कुछ दिन पहले शिंदे गांव में मुंबई पुलिस की कार्रवाई के बाद पुलिस ने बंद दुकानों, घरों, गोदामों और अप्रयुक्त स्थानों की तलाशी ली. पुलिस उपायुक्त मोनिका राउत ने संवाददाताओं को बताया कि इसके बारे में जन जागरूकता भी पैदा की गई है।

    शिंदे गांव निवासी 51 वर्षीय व्यक्ति ने दो महीने पहले अपना गोदाम किराए पर दिया था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह बंद था।

    अधिकारी ने कहा, “उन्हें संदेह था कि गोदाम में नशीली दवाओं जैसा पदार्थ बनाया जा रहा था और उन्होंने पुलिस को इसके बारे में सूचित किया। परिणामस्वरूप, नासिक रोड पुलिस ने गोदाम पर छापा मारा।”

    उन्होंने कहा, “छापे के दौरान गोदाम से 5.84 करोड़ रुपये मूल्य का 4.87 किलोग्राम एमडी ड्रग पदार्थ जब्त किया गया। गोदाम से जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थ और अन्य सामग्रियों की कुल कीमत लगभग 5,94,60,300 रुपये है।”

    अधिकारी ने बताया कि इस अपराध में तीन लोगों की संलिप्तता सामने आई है और उनकी तलाश की जा रही है।

    पुलिस ने बताया कि नासिक रोड पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज किया है।

  • Jharkhand, Godda: पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय की पत्नी नर्सिंग कोर्स होने के बाद प्रेमी संग हुई फरार

    Jharkhand, Godda: पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय की पत्नी नर्सिंग कोर्स होने के बाद प्रेमी संग हुई फरार

    Jharkhand, Godda: डिलीवरी बॉय टिंकू यादव ने ढाई लाख कर्ज लिए थे। 

    हम आपको बताते हुए चले की जिस तरीके से यूपी की चर्चित SDM ज्योति मौर्य ने अपने पति को धोखा दे कर फरार हुई थी ठीक बिलकुल उसी तरह दूसरी खबर झारखण्ड के गोड्डा जिले से सामने आयी है.

    डिलीवरी बॉय टिंकू यादव ने ढाई लाख कर्ज लेकर अपनी पत्नी को नर्सिंग का कोर्स कराया. लेकिन पत्नी दगा देकर अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई. पत्नी के खुदगर्जी और बेवफाई का मामला चर्चे में है. इस संबंध में टिंकू यादव ने नगर थाना में मामला को लेकर अपनी पत्नी और उसके आशिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

    गोड्डा नगर थाना इलाके के कठौन गांव निवासी पीड़ित टिंकू यादव ने बताया कि उसकी शादी शहर के ही बढ़ौना मोहल्ले की रहने वाली प्रिया कुमारी के साथ हुई थी. शादी के बाद पत्नी आगे पढ़ना चाहती थी और पढ़ने में तेज भी थी. इस वजह से टिंकू ने आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद यह सोचकर उसका यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया कि आगे भविष्य सुधार जाएगा. पत्नी का दाखिला शकुंतला नर्सिंग स्कूल में नर्सिंग कोर्स के लिए करवा दिया. करीब 2.5 लाख रुपए कर्ज लेकर उसकी पढ़ाई पूरी करवाई.

    शादी के डेढ़ साल बाद पढ़ाई के दौरान ही टिंकू की पत्नी अपने पड़ोसी दिलखुश राउत के प्रेम के जाल में फंस गई. प्रेम परवान चढ़ा और कोर्स पूरा होते ही टिंकू की पत्नी उसे छोड़कर अपने प्रेमी संग फरार हो गई. टिंकू को जब इसकी जानकारी हुई, तबतक बहुत देर हो चुकी थी.

       पत्नी प्रिया कुमारी
    पत्नी प्रिया कुमारी

    डिलीवरी बॉय टिंकू यादव ने अपने बयान में कुछ ऐसा कहा….

    टिंकू कुमार ने बताया कि उसने कर्ज लेकर पत्नी को ANM की डिग्री दिलाने के लिए नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन कराया था. दिन-रात मेहनत कर उसके कॉलेज की फीस चुकाई. फिर, एक दिन ऐसा हुआ जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी. पत्नी प्रिया कुमारी 17 सितंबर को कॉलेज की छुट्टी होने के बाद प्रेमी के साथ भागकर दिल्ली चली गई और वहां कोर्ट मैरेज कर शादी की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाल दी. टिंकू को जिसकी खबर पिछले 24 सितंबर को हुई. इस खबर से टिंकू के दिल और दिमाग पर गहरा असर पड़ा और वह अंदर से टूट गया.

    पत्नी की बेवफाई से आहत टिंकू ने नगर थाना पहुंचकर पत्नी और उसके आशिक के खिलाफ आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है. इधर, खबर फैलते ही दोनों परिवारों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया है.

    नगर थाना प्रभारी उपेंद्र महतो ने रिपोर्ट के दौरान बताया कि पुलिस जांच में जुट गई है. मामले में कार्रवाई की जा रही है. आवेदन मिला है दोनों पक्षों से बात की जाएगी. जिनके खिलाफ आवेदन दिया गया है, फिलहाल वो दोनों गोड्डा में नहीं हैं. सभी पहलुओं की जांच और तफ्तीश की जा रही है.

  • Mukhtar Ansari Case: अंसारी के उम्मीदों पर फिरा पानी, मिली उम्रकैद की सजा

    Mukhtar Ansari Case: अंसारी के उम्मीदों पर फिरा पानी, मिली उम्रकैद की सजा

    कांग्रेस नेता अवधेश राय की हत्या के जुर्म में मुख्तार अंसारी को बीते सोमवार वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 1 लाख 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है ये सजा धारा 302 के तहत सुनाई गई है

    पांच बार विधायक रह चुका अपराधी अंसारी को पहले भी हत्या के अन्य मामलों में पांच से दस साल तक की सजा सुनाई गई थी। आइए देखते है इस पर एक रिपोर्ट !

    क्या है मामला !

    3 अगस्त 1991 को कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की वाराणसी में अजय राय के घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना को लेकर मृतक के भाई ने मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, राकेश न्यायिक समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जिसकी जांच बाद में सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी।

    Mukhtar Ansari Case: अंसारी के उम्मीदों पर फिरा पानी
    अंसारी को मिली उम्रकैद की सजा

    मामले में आरोपी भीम सिंह गाजीपुर के जेल में बंद है। वही कमलेश सिंह और अब्दुल कलाम की मौत हो गई है। इसके साथ ही आरोपी राकेश ने अपनी फाइल अलग करवा ली थी। राकेश का मामला प्रयागराज के सेशन कोर्ट में चल रहा है।

    वहीं Criminal king अंसारी को बीते सोमवार वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 1 लाख 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने पर अंसारी की सजा 5 महीने से बढ़ा दी जाएगी।

     Mukhtar Ansari Case: सुनवाई के दौरान ऐसा क्या हुआ?

    सोमवार को वाराणसी एमपी-एमएलएकोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी को बांदा जेल से वर्चुअली पेश किया गया। वहीं केस में पाए गए अन्य आरोपी कोर्ट में फिजिकली पेश किए गए थे। इस दौरान कचहरी परिसर के पास बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रही।

    सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी को बांदा जेल से वर्चुअली पेश किया गया था। वहीं मामलें में पाए गए अन्य आरोपी की पेशी वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट में फीजिकली हुई थी। किसी भी तरह के अनहोनी से बचने के लिए यूपी पुलिस की कड़ी तैनाती भी की गई थी। प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में था। साथ ही गाजीपुर एसपी आफिस के पास बैरिकेड़िंग भी कर दी गई थी। कोर्ट ने सोमवार दोपहर सबसे पहले मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई और उसके 3 घंटे बाद अफजाल अंसारी के सजा पर फैसला सुनाया।

    कौन भरेगा मुख्तार पर लगा जुर्माना?

    अंसारी को उम्रकैद के साथ-साथ एमपी-एमएलए कोर्ट ने 1 लाख 20 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया गया है। वही जुर्माना भरने में असफल होने पर अंसारी की सजा पांच महीने बढ़ा दी जाएगी। मुख्तार पर जेल से गैंग चलाने के आरोप है। जिसमे मुख्तार की पत्नी सहित बेटे भाई और करीबी शामिल है। वहीं परिवार में किसी की खोजखबर नहीं है। इस पूरे मामले पर कोर्ट की ओर से परिवार को अपराधी घोषित कर दिया गया है।

    एक तरफ मुख्तार को उम्रकैद तो दूसरी ओर मुख्तार के करीबी की हुई मौत !

    मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाने वाला गैंगस्टर संजीव महेश्वरी की बुधवार को लखनऊ कोर्ट के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस दौरान एक औरत की घायल होने की खबर सामने आई है। हत्या करने वाला वकील के वेषभूषा में मौजूद था। कातिल को मौके पर ही यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया इस पूरे मामले पर पुलिस ने बताया कि गैंगस्टर महेश्वरी मर्डर केस के सुनवाई के लिए कोर्ट लाया गया था।

     

     Mukhtar Ansari Case: कैसे जुड़े है अंसारी के तार संजीव से
    Mukhtar Ansari Case: कैसे जुड़े है अंसारी के तार संजीव से

    कैसे जुड़े है अंसारी के तार महेश्वरी से !

    कुख्यात गैंगस्टार संजीव जीवा मुख्तार अंसारी का करीबी बताया जा रहा है। जिसकी लखनऊ कोर्ट के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी गई। जीवा के तार भाजपा एमएलए कृषनानंद राय मर्डर केस से जुड़े है। मामले में मुख्तार व भाई अफजल को षड्यंत्रकारी बताया गया है।

    आइए जानते है, कौन है संजीव जीवा महेश्वरी !

    संजीव महेश्वरी का जन्म यूपी के शामिली जिला में हुआ था। जीवा ने 90 के दशक में क्राइम की दुनिया में कदम रखा, जिसके बाद संजीव जीवा ने क्राइम का हाथ कभी नहीं छोड़ा। इस बीच संजीव महेश्वरी व मुख्तार एंड गैंग ने एकसाथ मिलकर अपराध का साम्राज्य खड़ा किया।

     

     

  • बिहार के बाहुबली आनंद मोहन के जेल से बाहर आने पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

    बिहार के बाहुबली आनंद मोहन के जेल से बाहर आने पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

    Aanand Mohan: एक वक्त था जब बिहार और उत्तर प्रदेश माफिया राज में नंबर 1 पर आता था। आज जहां उत्तर प्रदेश के हालात में कुछ सुधार हुआ है और माफियाओं में पुलिस का खौफ पैदा हुआ है, वहीं बिहार में माफियाराज खत्म होना तो दूर की बात है एक बार फिर से शुरू होता है नजर आ रहा है। ये हम क्यूं कह रहे हैं, क्योंकि 27 अप्रैल की सुबह तड़के 4.30 बजे पूर्व सांसद और बिहार के बाहुबली आनंद मोहन(Aanand Mohan) की जेल से रिहाई ने बिहार की सियासत में एक भूचाल ला दिया है। हद तब हो गई, जब आनंद मोहन की रिहाई के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेल कानून में ही संशोधन कर दिया। एक ऐसा बाहुबली जो 14 साल जेल की सजा काटने के बाद कानून में संशोधन के ज़रीए रिहा हुआ। अब इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया है, दरअसल, बाहुबली कि रिहाई के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट में DM जी कृष्णैया की पत्नी उमा की अर्जी के बाद, 8 मई को सुनवाई होगी। इन सबके के साथ, लोगो के मन में एक सवाल आता है कि आखिरी आनंद मोहन सिंह है कौन? तो आपको हम बताते हैं आनंद मोहन सिंह का पूरा चिट्ठा। लेकिन सबसे पहले हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें।

    बिहार के जेल कानून में संशोधन के बाद, बिहार के बाहुबली आनंद मोहन के जेल से रिहाई के बाद, बिहार की सियासत में गर्मा- गर्मी तेज़ हो गई थी। बहुत से civil servants के साथ-साथ, बहुत से राजनेताओं ने भी इसके खिलाफ आवाज़ उठाई थी। अब, DM जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट 8 मई को इस केस की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।

    कौन है बिहार के आनंद मोहन सिंह? 

    आनंद मोहन सिंह का जन्म बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव में हुआ था। सिंह के दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक आनंद मोहन का सियासी सफर 17 साल की उम्र में ही शुरू हो गया था। उन्होंने 1974 में जेपी आंदोलन से राजनीति में कदम रखा और इमरजेंसी के दौरान उन्हें 2 साल तक जेल में रहना पड़ा। 1980 में उन्होंने समाजवादी क्रांति सेना की स्थापना की। इसे आनंद मोहन की प्राइवेट आर्मी कहा जाता था। इसके बाद आनंद मोहन का नाम अपराधियों की list में शुमार होता गया।

    आनंद मोहन की 1990 में हुई राजनीति में एंट्री

    आनंद मोहन की कहानी basically उस समय शुरू होती है, जब बिहार में जात की लड़ाई अपने चरम पर थी। आए दिन राज्य में जाति के नाम पर हत्याएं हो रही थीं, और इसी दौर दौर में बाहुबली राजनेता आनंद मोहन का नाम खूब चर्चा में था। 90 का दशक था जब आनंद मोहन को जनता दल ने माहिषी विधानसभा सीट से मैदान में उतारा, और उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद आनंद मोहन ने 1993 में अपनी खुद की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थान की और बाद में समता पार्टी से हाथ मिला लिया। 1994 में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने वैशाली लोकसभा सीट से उपचुनाव जीता। 1995 आते-आते आनंद मोहन का नाम बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर उभरने लगा और नतीजन वह लालू यादव का मुख्य विरोधी चेहरा माने जाने लगे। सन 1995 में आनंद मोहन की पार्टी ने बिहार में ज़बरदस्त प्रदर्शन किया, लेकिन, खुद आनंद मोहन को हार का सामना करना पड़ा। 1996 में आनंद मोहन ने शिवहर लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और समता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की। गौरतलब है कि आनंद का रसूख इतना था कि उस समय जेल में रहते हुए भी उन्होंने जीत हासिल की थी। फिर 1999 में आनंद मोहन ने एक बार फिर जीत हासिल की। यूं तो आनंद मोहन पर हत्या, लूट और अपहरण जैसे कई संगीन मामले दर्ज थे, लेकिन आनंद मोहन का सूर्य तब अस्त होना शुरू हुआ, जब उनका नाम गोपालगंज जिले के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णनैया की हत्या में शामिल हुआ।

    सन 1994 में बिहार पीपल्स पार्टी के नेता ओर गैंगस्टर छोटन शुक्ला को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। जिसके बाद उसकी शवयात्रा में हजारों लोग इकट्ठा हुए, और इसी भीड़ का नेतृत्व खुद आनंद मोहन कर रहे थे। भीड़ को संभालने की जिम्मेदारी तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैय्या की थी। इसी दौरान दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और डीएम को उनकी सरकारी कार से बाहर खींच लिया गया और पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई। आपको बता दें कि 1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे। भीड़ को कथित रूप से भड़काने का आरोप आनंद मोहन पर लगा, और ये मामला अदालत में पहुंचा, जिसके बाद आनंद को निचली अदालत ने 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। आजाद भारत के वह ऐसे पहले नेता थे, जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, एक साल बाद 2008 में पटना हाईकोर्ट ने सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। तब से लेकर अब तक आनंद मोहन जेल की सलाखों के पीछे थे, लेकिन जेल नियम में बदलाव होने का बाद 24 अप्रैल को आनंद मोहन जेल से रिहा हो गए। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, बिहार सरकार ने उनकी रिहाई का आदेश जारी किया और इसके साथ 27 अन्य कैदियों को छोड़ने के प्रस्ताव पर सहमति बनी।

    आनंद मोहन की रिहाई पर किसने क्या कहा? 

    आनंद मोहन की रिहाई के बाद से जी कृष्णैया के परिवार समेत बहुत से सिविल सर्वेंटस और विपक्ष के नेता लगातार नीतीश सरकार के इस फैसले पर विरोध जता रहे हैं। आनंद मोहन की रिहाई को जी कृष्णैया की बेटी ने दुखद बताया, उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अन्याय है। वहीं जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा था, ”जनता आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करेगी, उसे वापस जेल भेजने की मांग करेगी। आनंद मोहन को रिहा करना गलत फैसला है। सीएम नीतीश को इस तरह की चीजों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। अगर वह (आनंद मोहन) चुनाव लड़ेंगे तो जनता को उनका बहिष्कार करना चाहिए। मैं उन्हें (आनंद मोहन) वापस जेल भेजने की अपील करती हूं।”

    AIMIM चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी 

    AIMIM चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर कहा कि ये दूसरी बार कृष्णैया की हत्या है। कहा कि 5 दिसंबर 1994 को एक दलित आईएएस की हत्या की गई, जब वह महज 37 साल का था. उन्होंने कहा कि आखिर अब कौन सा आईएएस अधिकारी बिहार में जान जोखिम में डालेगा. कृष्णैया ने मजदूरी कर पढ़ाई की थी. उन्होंने कहा कि वह कृष्णैया के परिवार के साथ हैं और ये भी उम्मीद करते हैं कि एक बार फिर इस मामले को लेकर सोचा जाएगा।

    IAS एसोसिएशन ने जताई निराशा 

    भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) एसोसिएशन ने आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार की निंदा करते हुए कहा कि ये फैसला सही नहीं है। आईएएस एसोसिएशन ने ट्वीट किया कि आनंद मोहन को रिहा किए जाने का फैसला बहुत ही निराश करने वाला है. उन्होंने (आनंद मोहन) जी. कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी. ऐसे में यह दुखद है. बिहार सरकार जल्दी से जल्दी फैसला वापस ले. ऐसा नहीं होता तो ये न्याय से वंचित करने के समान है।

  • गैंगस्टर केस में सांसद अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा, लोकसभा सदस्यता जाना तय

    गैंगस्टर केस में सांसद अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा, लोकसभा सदस्यता जाना तय

    गैंगस्टर एक्ट मामले में कोर्ट ने अफजाल अंसारी को चार साल जेल की सजा सुना दी है। दो साल से ज्यादा की सजा पर संसद की सदस्यता चली जाती है। ऐसे में अफजाल की सदस्यता जानी भी तय है।

    मुख्तार अंसारी केस में आज कोर्ट सुनाएगी फैसला, गैंगस्टर एक्ट और हत्या के प्रयास का आरोप

    गाजीपुर ।गाजीपुर की MP MLA कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई है। इस सजा के बाद अफजाल अंसारी की सदस्यता जाना तय है। पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और भाई बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी के लिए शनिवार का दिन बड़ा रहा। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दर्ज केस के आधार पर अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर का केस दर्ज हुआ था। वहीं, मुख्तार अंसारी के खिलाफ भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और नंदकिशोर गुप्ता रुंगटा की हत्या के मामले में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज है। दोनों भाईयों के खिलाफ मोहम्मदाबाद थाने में 2007 में क्राइम नंबर 1051 और 1052 दर्ज हुआ था। यहां जानिए इस फैसले से जुड़े अपडेट:

    – भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय का बयान सामने आया है। उन्‍होंने कहा कि मैं न्यायपालिका में विश्वास करती हूं। गुंडों, माफियाओं का शासन (राज) खत्म हो गया है। ये या तो जेल में रहेंगे, नहीं तो ऊपर चले जाएंगे। दूसरी ओर, अफजाल अंसारी कोर्ट पहुंच गए हैं और मुख्तार अंसारी वर्चुअल पेशी पर हाजिर होंगे।

    – बांदा जेल में बंद मुख्‍तार अंसारी जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी में शामिल होगा। वहीं उसका भाई अफजाल अंसारी कोर्ट में पहुंच चुके हैं। कोर्ट परिसर में हलचल बढ़ गई है। थोड़ी देर में एमपी/एमएलए कोर्ट का फैसला आने वाला है।

    – फैसले के मद्देनजर गाजीपुर के एमपी एमएलए कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद है। हर गेट पर सुरक्षाकर्मी चौकस नजर आ रहे हैं। कोर्ट में अंदर आने वालों को पूरी तलाशी के बाद ही जाने दिया जा रहा है। 15 साल बाद आने जा रहे इस फैसले पर सबकी नजर है। पहले यह फैसला 15 अप्रैल को ही आने वाला था पर बाद में डेट बढ़ा दी गई थी।

    – 2019 में अफजाल अंसारी गवाहों के मुकर जाने के चलते कृष्णानंद राय हत्या के मामले में बरी हो चुके हैं। जबकि मुख्तार अंसारी कृष्णानंद राय और नंदकिशोर रुंगटा दोनों ही हत्याकांड में बरी हो गया था। दोनों भाई गवाहों के अपने बयान से मुकर जाने के चलते बरी हुए थे।

    15 साल पुराना है मामला

    कृष्णानंद राय की 2005 में हुई हत्या के मामले में 2019 में कोर्ट ने दोनों भाइयों को बरी कर दिया था। जबकि नंदकिशोर रूंगटा की हुई हत्या के मामले में 2001 में मुख्तार अंसारी बरी हो गया था।

    गवाहों के मुकरने से बढ़ी मुश्किलें

    इसके बावजूद गैंगस्टर केस में मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि कोर्ट गवाहों के मुकरने की वजह से बरी होने के आधार पर कड़ा फैसला सुना सकती है।

  • अतीक अहमद के बेटे अली पत्र सोशल मीडिया पर वायरल, लिखा पिता और चाचा की मौत की ज़िम्मेदार भाजपा और सपा दोनों

    अतीक अहमद के बेटे अली पत्र सोशल मीडिया पर वायरल, लिखा पिता और चाचा की मौत की ज़िम्मेदार भाजपा और सपा दोनों

    नहीं दें दोनों को वोट, यह डर भी जताया

     

    अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है ,अब खबर है कि अतीक अहमद के बेटे का लेटर सोशल मीडिया पर खूब तेज़ी के साथ वायरल हो रहा है खबर के मुताबिक बताया जा रहा है कि अतीक अहमद के बेटे अली का एक लेटर शुक्रवार को तेजी से वायरल हुआ। जिसमें उसने एनकाउंटर में मारे गए अपने भाई असद और पिता अतीक अहमद और चाचा अशरफ की हत्या के मामले में योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को इसका जिम्मेदार ठहराया है। अली अभी नैनी जेल में बंद है। साथ ही लेटर के माध्यम से लोगों से नगर निकाय चुनाव में सपा और भाजपा को वोट न देने की भी बात कही गई है।


    लेटर में कहा गया है कि ‘मैं अली अहमद अतीक अहमद का लड़का, आप लोगों ने देखा कि कैसे मेरे पिता (अतीक अहमद), चाचा अशरफ और भाई असद को मार दिया गया और अब मुझे भी मारने की कोशिश की जा रही है। पुलिस अब मेरी मां शाइस्ता के एनकाउंटर के लिए उसकी तलाश कर रही है। आप लोग मेरा साथ दीजिए और गुजारिश है कि आप लोग मेरी इन बातों पर गौर दीजिए’।
    सपा और भाजपा का नाम लेकर ये कहा
    पत्र में कहा गया है कि इस सब के पीछे जितना हाथ सीएम योगी आदित्यनाथ का है उतनी ही समाजपार्टी यानी अखिलेश यादव का है। पत्र में आगे लिखा है कि आप लोगों से गुजारिश करता हूं कि आप एक हो जाएं और आगामी चुनाव में आप लोग भाजपा और समाजवादी पार्टी को वोट न दें।

  • बिलकिस बानो, मलियाना, नरोदा, मेरठ दंगों के आरोपियों की रिहाई के मायने

    बिलकिस बानो, मलियाना, नरोदा, मेरठ दंगों के आरोपियों की रिहाई के मायने

    लोग मानने लगे हैं कि अब अदालतों में भी न्याय मिलना मुश्किल, लोकतंत्र के चौथे.  खंबे पर सत्ता दल का हमला तो यही बताता है*

    रामस्वरूप मंत्री
    देश में लोकतंत्र के चौथे खंभे के रूप न्यायपालिका को माना जाता है लेकिन अब उस न्यायपालिका की हालत भी यह हो गई है कि वह सत्ताधारी दल की ना केवल चाटूकार बन गई है बल्कि सरकार के इशारे पर सीधे-सीधे अपराधियों को बरी करने और सजा पाए लोगों को छोड़ने का काम करती है मेरठ, मलियाना , मुजफ्फरपुर ,गुजरात के नरोदा हो या दाहोद सभी जगह के दंगों के आरोपियों को एक-एक कर छोड़ा जा रहा है ।बिलकिस बानो के सामूहिक रेप और वहां हुए दंगों के आरोपियों को भी सजा के बाद छोड़ दिया जाता है । अदालतों से अपराधियों की रिहाई के बाद इनका एक हीरो की तरह भगवा ब्रिगेड द्वारा स्वागत किया जाना भी कहीं ना कहीं न्याय प्रिय लोगों के मन में न्यायपालिका के प्रति भरोसे को डिगाता है । आखिर सामूहिक नरसंहार, सांप्रदायिक दंगों के आरोपियों को बाकायदा निर्दोष साबित करने के लिए न्यायालयों के ये फैसले क्या न्यायपालिका से लोगों का भरोसा खत्म नहीं करेगे । देश की तमाम अदालतों में चाहे वह हाई कोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट या निचली अदालतें ,इनमें पिछले दिनों जिस तरह से अपराधियों को सजा मुक्त करने का काम हुआ है ,वह न्यायपालिका से भरोसा उठा रहा है । हालांकि केंद्र की ओर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों की हरकतों से लोगों ने मान लिया है कि अब अदालतों में भी सच की सुनवाई मुश्किल है। इसलिए अब जरूरी है की जनता सड़कों पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म किए जाने की कोशिशों के खिलाफ लामबंद हो ।
    1947 के बाद से देश में हज़ारों साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं जिनमें हज़ारों लोग मारे गये हैं और लाखों परिवार तबाह हुए हैं। दंगों में हुए जानोमाल के नुक्सान के ज़ख़्म तो वक़्त के साथ भरने भी लगते हैं, लेकिन इंसाफ़ न मिलने और हत्यारों व बर्बर अपराधियों को बार-बार बचा लिये जाने के ज़ख़्म कभी नहीं भरते हैं।
    वैसे तो अधिकांश दंगों में पुलिस-पीएसी और प्रशासन की भूमिका सन्दिग्ध रही है या खुल्लमखुल्ला बहुसंख्यक दंगाइयों के पक्ष में रही है, लेकिन कुछ ऐसी शर्मनाक घटनाएँ रही हैं जो “दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र” होने का दम भरने वाले इस देश की शासन व्यवस्था पर हमेशा एक भद्दे कलंक की तरह बनी रहेंगी। इनमें से एक है मलियाना की घटना जिसका एक और शर्मनाक अध्याय हाल में लिखा गया है।
    पिछले तीन दशकों के दौरान चले “न्याय के नाटक” के दौरान 800 से भी ज़्यादा सुनवाइयों के बाद मेरठ के ज़िला न्यायालय ने इस सामूहिक हत्याकाण्ड के सभी 40 अभियुक्तों को “अपर्याप्त सबूतों के अभाव में” बरी कर दिया। मलियाना मामले में मूल रूप से 93 अभियुक्त शामिल थे। बाद के 36 वर्षों में कई अभियुक्तों की मृत्यु हो गई, जबकि कई अन्य का “पता नहीं लगाया जा सका” और अब इन बचे हुए 40 को भी छोड़ दिया गया है। फिर वही कहानी दोहरायी जा रही है कि मलियाना के 72 मुसलमानों को “किसी ने भी नहीं मारा!”
    हालाँकि, न्याय के नाम पर इस अश्लील मज़ाक की शुरुआत तो 36 साल पहले फ़र्ज़ी एफ़आईआर लिखे जाने के साथ ही हो गयी थी!
    22 मई को मेरठ के हाशिमपुरा मुहल्ले में पीएसी पहुँची और बड़ी संख्या में लोगों को ट्रकों में भरकर ले गयी और घरों और दुकानों में लूटपाट करके आग लगा दी। उठाये गये कुछ लोगों को मेरठ और फ़तेहगढ़ की जेलों में भेज दिया गया, लेकिन 42 मुसलमानों को गाज़ियाबाद के मुरादनगर में ऊपरी गंगा नहर और उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा के पास हिंडन नदी के पास ले जाकर गोली मार दी गयी और उनके शवों को पानी में फेंक दिया गया। इस बीच मेरठ और फ़तेहगढ़ जेल में बन्द 11 लोगों की पिटाई से हिरासत में मौत हो गयी।
    अगले दिन पीएसी पास के मलियाना में पहुँची। कई चश्मदीद गवाहों ने कहा है कि 44वीं बटालियन के कमाण्डेण्ट आर.डी. त्रिपाठी समेत वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में पीएसी ने 23 मई, 1987 को दिन के लगभग 2.30 बजे मलियाना में प्रवेश किया और 72 मुसलमानों को मार डाला। पीएसी की टुकड़ी के साथ बंदूकों और तलवारों से लैस सैकड़ों स्थानीय लोग भी थे। क़त्लेआम मचाने से पहले इलाक़े में आने-जाने के सभी पाँच रास्तों को बन्द कर दिया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, “हर तरफ़ से मौत बरस रही थी। हत्यारों ने बच्चों और महिलाओं सहित किसी को भी नहीं बख्शा।”
    जब ख़ुद पुलिस इस बर्बरता में शामिल थी तो एफ़आईआर लिखे जाने का तो सवाल ही नहीं उठता था।
    जिस ढंग से यह मुक़दमा चल रहा था और जिस ढर्रे पर ऐसे तमाम हत्याकाण्डों के मुक़दमे चलते रहे हैं, उसमें देरसबेर सब बरी हो जाते तो कोई हैरानी नहीं होती। लेकिन इस वक़्त आनन-फ़ानन में लाया गया यह फ़ैसला आरएसएस और भाजपा सरकार के दबाव में हुआ है, यह सन्देह करने के पर्याप्त आधार हैं। यह उसी सिलसिले की एक और कड़ी है जिसके तहत गुजरात में बिलकिस बानो बलात्कार और हत्याकाण्ड के अभियुक्तों को बरी किया गया और देशभर में मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपराधों में लिप्त लोगों को छोड़ा और बचाया जा रहा है। इस सबके ज़रिए भाजपा अपने समर्थकों को क्या संकेत दे रही है समझना क़तई मुश्किल नहीं है।
    मलियाना का मुक़दमा 36 साल से घिसट-घिसटकर चल रहा था लेकिन अभी जब अचानक यह फ़ैसला सुनाया गया तब तक कानूनी कार्रवाई ही पूरी नहीं हुई थी। 36 पोस्टमार्टमों पर सुनवाई नहीं हुई थी और दण्ड विधान की धारा 313 के तहत अभियुक्तों से जिरह भी नहीं हुई थी। यहाँ तक कि गवाहों से पूछताछ भी पूरी नहीं की गयी थी। 10 से भी कम चश्मदीद गवाहों को अदालत में पेश किया गया था जबकि कुल 35 गवाह मौजूद थे। सरकारी वकील के मुताबिक़ सबको बरी किये जाने का आधार यह था कि पुलिस ने अभियुक्तों की पहचान परेड तक नहीं करायी थी,
    अप्रैल 2021 में वरिष्ठ पत्रकार क़ुरबान अली और पूर्व आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके 23 मई 1987 की घटनाओं के लिए विशेष जाँच टीम गठित करने और निष्पक्ष तथा त्वरित सुनवाई कराये जाने की अपील की। इस याचिका के अनुसार एफ़आईआर सहित मुकदमे के कई ख़ास दस्तावेज़ रहस्यमय ढंग से ग़ायब हो चुके हैं और पुलिस तथा पीएसी के लोग पीड़ितों और गवाहों को बार-बार धमकाते रहे हैं। हाशिमपुरा हत्याकाण्ड के मुक़दमे में 2018 में आये फ़ैसले में 16 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया था और उसमें मारे गये 42 मुसलमानों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये मुआवज़ा मिला था। लेकिन मलियाना के हत्याकाण्ड में तो पुलिस का नाम भी नहीं आया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जवाबी हलफ़नामा दायर करने का आदेश दिया था। हालाँकि जनहित याचिका अभी भी हाई कोर्ट में लम्बित है लेकिन अब मेरठ की अदालत द्वारा सभी अभियुक्तों को बरी किये जाने के बाद पूरी सम्भावना है कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय से यह मामला बन्द करने के लिए कहेगी।इसी तरह 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुए नरोदा कांड के सभी 67 आरोपियों को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया। 21 साल बाद आए फैसले में कोर्ट को आरोपियों का दोष साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले।  28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के पास नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गए थे।
    अदालतों और जाँच आयोगों की रिपोर्टों में दफ़ना दिये गये अनेक मामलों की तरह मलियाना, नरोदा, हाशिमपुरा,या बिलकिस बानो   मामले  भले ही बन्द कर दिये जाये, मगर  इस देश के इंसाफ़पसन्द लोग कभी भी ऐसे झूठे फ़ैसलों को स्वीकार नहीं करेंगे। ये मामले एक बार फिर हमें याद दिलाते है किसी भी रंग के झण्डे वाली चुनावबाज़  पार्टियाँ न तो साम्प्रदायिक दंगों को रोक सकती हैं और न ही उनके आरोपियों को सज़ा दिला सकती हैं।  जनता का आन्दोलन ही इसके लिए दबाव बना सकता है और सच्चे सेक्युलर आधार पर समाज के नवनिर्माण का रास्ता खोल सकता है।
    (लेखक इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार एवं सोशलिस्ट पार्टी इंडिया की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष हैं)
  • Operation Shaista : यहां छिपी है अतीक की पत्नी शाइस्ता, तलाश में गली-गली घूम रही हैं STF की 5 टीमें

    Operation Shaista : यहां छिपी है अतीक की पत्नी शाइस्ता, तलाश में गली-गली घूम रही हैं STF की 5 टीमें

    पुलिस सूत्रों के मुताबिक शाइस्ता प्रयागराज और कौशांबी के ही मुस्लिम बहुल इलाकों में छिपी हो सकती है. यही वजह है पुलिस और एसटीएफ की टीमों इन इलाकों में गली-गली जाकर उसकी तलाश कर रही है.

    Operation Shaista Atiq Ahmed wife Shaista hiding 5 STF teams conducting search up police ann Operation Shaista: यहां छिपी है अतीक की पत्नी शाइस्ता, तलाश में गली-गली घूम रही हैं STF की 5 टीमें

    Operation Shaista: अतीक अहमद की मौत के बाद से यूपी पुलिस और एसटीएफ की टीमें उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन की तलाश में प्रयागराज और उसके आस-पास के मुस्लिम बहुल इलाकों में लगातार छापेमारी कर रही है. शाइस्ता उमेश पाल मर्डर केस में आरोपी है और यूपी पुलिस ने शाइस्ता की खबर देने वाले पर 50 हजार रुपये का ईनाम रखा है.

    पुलिस सूत्रों की मानें तो उनको मुखबिरों से खबर मिली है कि शाइस्ता प्रयागराज और कौशांबी में ही छिपी हो सकती है. STF की 5 टीमें शाइस्ता की तलाश में गली -गली सर्च ऑपरेशन चला रही है लेकिन शाइस्ता की कोई जानकारी नहीं मिल रही है. पुलिस सूत्रों की माने तो गद्दी मुस्लिम समाज के लोग शाइस्ता की छिपने में मदद कर रहे हैं.

    गद्दी समाज से जुड़े हुए लोग प्रयागराज और कौशाम्बी में ही रहते हैं जिसको लेकर कौशांबी के सराय अकील इलाके में एक बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया गया था.

    किस महिला ने की थी अतीक से मुलाकात?

    शाइस्ता की तलाश के बीच माफिया अतीक अहमद को लेकर यूपी पुलिस ने एक और खुलासा किया है. पुलिस सूत्र अतीक से जुड़ी एक और महिला की तलाश कर रहे हैं जो साबरमती जेल में उमेश पाल हत्याकांड से ठीक पहले मिलने आई थी. यह महिला पहले भी कई बार अतीक से जेल में मुलाकात कर चुकी है.

    इस महिला ने अतीक से न सिर्फ साबरमती बल्कि देवरिया, बरेली और प्रयागराज की जेलों में भी मुलाकात की थी. पुलिस जांच में यह सामने आया है कि यह महिला प्रयागराज के करेली इलाके की रहने वाली है.

    पुलिस के सूत्र बताते हैं कि इस महिला और उसके परिवार पर अतीक की तमाम मेहरबानियां रही हैं. अतीक जेल में रहते हुए इस महिला से अक्सर लंबी बातचीत किया करता था. जांच एजेंसियों को महिला के उमेश पास शूटआउट केस से ठीक पहले साबरमती जेल जाने के वीडियो भी मिले हैं. मोबाइल फोन के कॉल डिटेल से भी पुलिस को अहम जानकारियां मिली हैं.