Category: अदालत

  • Collegium System : ही कानून है और इसका पूरी तरह से अमल जरूरी है, सरकार को समझाइये, एजी को चेताते हुए बोला-सुप्रीम कोर्ट

    Collegium System : ही कानून है और इसका पूरी तरह से अमल जरूरी है, सरकार को समझाइये, एजी को चेताते हुए बोला-सुप्रीम कोर्ट

    कोर्ट का कहना था कि समाज अपने हिसाब से यह तय करने लग जाए कि कौन से कानूनों की पालना करनी है और कौन से की नहीं तो यह एक ब्रेक डाउन जैसी स्थिति बन जाएगी

    कालेजियम सिस्टम की सिफारिशों को नजरंदाज करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि ये कानून है और इस पर पूरी तरह से अमल करना जरूरी है। अटार्नी जनरल को कड़ी हिदायत देते हुए कहा कि आप सरकार को जाकर समझाइये। अगर संसद के बनाए कानूनों को कुछ लोग मानने से इनकार करते देते हैं तो फिर क्या स्थिति होगी। कोर्ट का कहना था कि समाज अपने हिसाब से तय करने लग जाए कि कौन से कानूनों का पालन करना है और कौन से का नहीं तो एक ब्रेक डाउन जैसी स्थिति बन जाएगी।

    जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने केंद्र को साफ तौर पर हिदायत दी कि वो किसी भी सूरत में संवैधानिक बेंच के दिए फैसले पर नरमी नहीं बरतने जा रही है। उनका कहना था कि समाज के कुछ वर्गांे को कॉलेजियम सिस्टम से दिक्कत से कोर्ट को कोई फर्क नहीं पड़ता। अटार्नी जनरल और वेंकटरमानी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वो मिनिस्ट्री से इस बारे में सलाह करेंगे।
    अटार्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि दो बार खुद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने अपनी ही सिफारिशों में फेरबदल किया था, क्योंकि केंद्र ने उसके सुझाव नाम वापस कर दिये थे। इससे झलक मिली कि कॉलेजियम ने जो सिफारिश की थी वो अपने आप में कहीं न कहीं अधूरी थी। जस्टिम संजय किशन कौल की बेंच ने कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि एक दो बार के उदाहरण से केंद्र को लाइसेंस नहीं मिल जाता कि वो कालेजियम सिस्टम को नजरंदाज करना शुरू कर दे। बेंच का कहना था कि जब इस मसले पर कोर्ट कोई फैसला दे चुकी है तो किसी अगर मगर की जरूरत नहीं रह जाती।

  • 11 रेपिस्टो की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिलकिस बानो, दाखिल की पुनर्विचार याचिका

    11 रेपिस्टो की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिलकिस बानो, दाखिल की पुनर्विचार याचिका

    बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई के उस आदेश को चुनौती देते हुए आवेदन करने की अनुमति दी गई थी।
    अहमदाबाद

    गैंगरेप केस में पीड़िता बिलकिस बानो ने 2002 के गोधरा दंगों के दौरान गैंगरेप और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई के उस आदेश को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका भी दायर की, जिसमें गुजरात सरकार को 1992की छूट नीति के आवेदन करने की अनुमति दी गई थी।
    इस मामले को सूचीबद्ध करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष उल्लेख किया गया था। सीजीआई ने कहा कि वह तय करेंगे कि क्या दोनों याचिकाओं को एक साथ एक ही पीठ के समक्ष सुना जा सकता है।
    गुजरात सरकार ने दी थी रिहाई की मंजूरी
    गैंगरेप मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे इन ग्यारह दोषियों ने गुजरात सरकार के सामने रिहाई की अपील की थी। गुजरात सरकार के पैनल ने उनके आवेदन को मंजूरी दी थी, जिसके बाद 15 अगस्त को उन्हें गोदरा उप जेल से रिहा कर दिया गया था। दोषियों में से एक राधेश्याम शाह के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद गुजरात सरकार ने समय से पहले रिहाई की नीति के तहत दोषियों को रिहा कर दिया था।
    शाह को 2008 में मुंबई की सीबीआई अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी और वह 15 साल चार महीने जेल में बिता चुके थे। मई 2022  में जस्टिस रस्तोगी की अगुआई वाली एक पीठ ने फैसला सुनाया था कि गुजरात सरकार के पास छूट के अनुरोध पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है क्योंकि गुजरात में हुआ था।
    पहले भी दायर हुई थी जनहित याचिका
    लाइव वॉ के मुताबिक इस मामले में दोषियों को दी गई राहत पर सवाल उठाते हुए मामकपा नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल, टीएमसी सांसद महुआ, पूर्व आईपीएस कार्यालय मीरा चड्ढा बोरवंकर और कुछ अन्य पूर्व सिविल सेवक, नेशनल फेेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन आदि ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की थीं।
    याचिकाओं का जवाब देते हुए गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को एक हलफनामे में बताया है कि यह फैसला दोषियों के अच्छे व्यहार और उनके द्वारा 14 साल की सजा पूरी होने को देखते हुए केंद्र सरकारकी मंजूरी के बाद लिया गया था। राज्य के हलफनामे से पता चला कि सीबीआई और ट्रायल कोर्ट (मुंबई में विशेष सीबीआई कोर्ट) के पीठासीन न्यायाधीश ने इस आधार पर दोषियों की रिहाई पर आपत्ति जताई कि अपराध गंभीर और जघन्य है।

     

  • Rouse Avenue Court : दिल्ली के मंत्री सत्येन्द्र जैन को झटका, राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत याचिका खारिज

    Rouse Avenue Court : दिल्ली के मंत्री सत्येन्द्र जैन को झटका, राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत याचिका खारिज

    दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को मनी लांड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। इस मामले में सह आरोपी वैभव जैन और अुंकश जैन की जमानत याचिका भी रिजेक्ट कर दी गई है

    मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन को गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने जैन की जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है। इससे पहले बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने निर्णय टाल दिया था।

    12 जून से जेल में हैं सत्येंन्द्र जैन

    विशेष न्यायाधीश विकास ढुल के कोर्ट ने कहा था कि अभी आदेश तैयार नहीं हुआ है। मंत्री की अर्जी पर गुरुवार को दोपहर दो बजे निर्णय सुनाया जाएगा। मनी लांड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन १२ जून से न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें ३० मई को ईडी ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था।
    प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि जैन ने कई हवाला ऑपरेटरों को नकद मुहैया कराया। जबकि जैन की ओर से ईडी के आरोपों को खारिज कर दिया गया है। इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रखा हुआ है। इस मामले में सह आरोपी वैभव जैन और अुंकश जैन की जमानत याचिका भी रिजेक्ट कर दी गई है।

     

  • Suprim Court : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे होंगे रिहा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

    Suprim Court : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे होंगे रिहा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नलिनी और आरपी रविचंद्रन समेत छह आरोपियों को रिहा करने का निर्देश दिया है।

  • Supreme Court to roll out online RTI portal soon

    Supreme Court to roll out online RTI portal soon

    A bench of Chief Justice of India (CJI) DY Chandrachud and Justice Hima Kohli revealed the same while hearing a petition seeking setting up of an online RTI portal for the apex court.

    The Supreme Court on Friday said that it will soon roll out an online portal which can be used by public to file applications under the Right to Information Act (RTI Act) in relation to the apex court.

    A bench of Chief Justice of India (CJI) DY Chandrachud and Justice Hima Kohli revealed the same while hearing a petition seeking setting up of an online RTI portal for the apex court.

    “I spoke with the officers. RTI portal is ready and will be rolled out soon,” said CJI Chandrachud.

    The Court, therefore, disposed of the plea filed by one Akriti Agarwal in view of the fact that the grievance raised has been addressed.

    “The online portal to streamline responses of Supreme Court under RTI Act is ready for being unveiled. Thus grievance in the petition is duly met,” the Court said in its order.

    Recently, the Supreme Court had dismissed a similar plea seeking online RTI portal for the top court.

    Presently, RTI applications to the Supreme Court have to be filed physically through post office.

    This situation will be remedied once the online portal becomes functional.

  • Supreme Court : विजय माल्या के वकील, उनका कुछ अता-पता नहीं, केस लड़ने से किया इनकार

    Supreme Court : विजय माल्या के वकील, उनका कुछ अता-पता नहीं, केस लड़ने से किया इनकार

    भगोड़े विजय माल्या के वकील ने उसका केस लड़ने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान माल्या के वकील ईसी अग्रवाल ने काह कि माल्या का कुछ पता नहीं है और कोई संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उसका केस लड़ना संभव नहीं है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ से वकील ईसी अग्रवाल ने कहा कि मैं इस मामले से डिस्चार्ज होना चाहता हूं। मुझे इस व्यक्ति से कोई निर्देश नहीं मिल रहा है।
    बेंच भारतीय स्टेट बैंक के साथ मौद्रिक विवाद के संबंध में माल्या द्वारा दायर दो विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार कर रही थी। पीठ ने वकील को मामले में डिस्चार्ज करने के लिए प्रक्रिया का पालन करने की अनुमति दी और उसे अदालत की रजिस्ट्री को माल्या के ई-मेल आईडी और वर्तमान आवासीय पते के बारे में सूचित करने के लिए कहा। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में विजय माल्या को आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में कोर्ट की अवमानना करने के आरोप में चार महीने कैद की सजा सुनाई थी।
    अदालत ने सरकारी अधिकारियों को भारत में विजय माल्या की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का भी निर्देश दिया। उस मामले में भी माल्या के वकील को डिस्चार्ज करने की अनुमति दी गई थी। अदालत ने एक एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था क्योंकि माल्या पेश नहीं हुए थे। वहीं भारत सरकार के कहने पर ब्रिटेन में प्रत्यर्पण की कार्यवाही का सामना कर रहे माल्या को अवमानना मामले में सजा काटने के लिए भारत मे पेश होना बाकी है।
    शीर्ष अदालत ने पांच साल पहले माल्या को कोर्ट की अवमानना का माना था दोषी
    ज्ञात हो कि जिस केस में शीर्ष अदालत में माल्या को लेकर सुनवाई चल रही है। यह मामला साल २०१७ का है। सुप्रीम कोर्ट ने ५ साल पहले ९ मई २०१७ को विजय माल्या को कोर्ट के आदेश की अवमानना का दोषी मानते हुए उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी। विजय माल्या ने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा उन बैंकों और संबंधित प्राधिकरणों को नहीं दिया था, जिनसे उसने करोड़ों अरबों का कर्ज लिया था।

  • फिल्म प्रोड्यूसर कमल किशोर गिरफ्तार, पत्नी पर कार चढ़ाने का है आरोप

    फिल्म प्रोड्यूसर कमल किशोर गिरफ्तार, पत्नी पर कार चढ़ाने का है आरोप

    फिल्म निर्माता कमल किशोर का कथित वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपनी पत्नी पर कार चढ़ाते दिख रहे हैं। इस संदर्भ में अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। फिल्म प्रोड्यूसर कमल किशोर मिश्रा को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उन पर कथित रूप से कार से पत्नी को कुचलने का आरोप है। मामले में शिकायत के बाद पहले अंबोली पुलिस ने उन्हें 27 अक्टूबर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। अब गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने कमल मिश्रा के खिलाफ धारा 279 और 338 के तहत मुंबई के अंबोली थाने में केस दर्ज किया है।
    वहीं कमल मिश्रा की पत्नी गंभीर रूप से घायल है। ज्ञात हो कि फिल्म निर्माता ने अपनी पत्नी यास्मीन को कार से टक्कर मारते हुए उसे जान से मारने का प्रयास किया था। जिसे लेकर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था। ये घटना 19 अक्टूबर की है।

    कौन है कमल किशार मिश्रा

    कमल किशोर मिश्रा बॉलीवुड इंडस्ट्री के जाने माने फिल्म निर्माता हैं। कमल उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उनका जन्म गोंडा में हुआ था। फिल्म मेकर ने लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज से स्नातक किया है। इसके साथ ही उन्होंने साल 2019 में बालीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्हें फ्लेट नंबर 420 और शर्मा जी की लग गई, जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। फिल्म खल्ली बल्ली को भी कमल ने ही प्रोड्यूस किया था। इस फिल्म में धर्मेंद्र, राजपाल यादव, हेमंत पांडे, विजय राज, मधू, किनायत अरोड़ा और रजनीश दुग्गल जैसे सितारों ने काम किया था। अभी हाल ही में उन्होंने देहाती डिस्को के नाम से एक फिल्म बनाई थी। जो काफी पसंद की गई थी। इसमें कोरियोग्राफर गणेश आचार्य नजर आये थे। दरअसल 19 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया। इस वीडियो में कमल मिना अपनी कार से पत्नी को टक्कर मारकर उसे जमीन पर गिरा देता है, जिसकी वजह से उसके हाथ, पैर व सिर में गहरी चोट लगी हैं। कमल किशोर की पत्नी यासीन ने कई आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि कमल किशोर नई नई लड़कियों के साथ अफेयर करते हैं। फिर वह उन्हें अपनी धन सपंत्ति के बारे में बताते हैं।

     

  • Mumbai court : लड़की को आइटम कहना यौन शोषण से कम नहीं, मुंबई की अदालत ने परेशान करने पर पड़ोसी को भेजा जेल

    Mumbai court : लड़की को आइटम कहना यौन शोषण से कम नहीं, मुंबई की अदालत ने परेशान करने पर पड़ोसी को भेजा जेल

    आरोपी लड़की को छेड़ते हुए आइटम शब्द को करता था उपयोग, स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने 25 साल के बिजनसमैन को डेढ़ साल जेल की सजा सुनाई है।

    मुंबई की एक विशेष पोक्सो अदालत ने हाल के एक आदेश में एक नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले में एक व्यक्ति को 1.5 साल जेल की सजा सुनाई और कहा कि लड़की को आइटम के रूप में संबोधित करना केवल उसे यौन इरादे से ऑब्जेक्टिफाई करने के लिए किया जाता है। लड़की के पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति पर यह आरोप लगा था कि 2015 में जब पीड़िता 16 साल की थी तब वह उसे स्कूल जाने के दौरान छेड़ता था। 14 जुलाई 2015 को जब पीड़िता स्कूल से लौट रही थी तो आरोपी ने उसे रोका ओैर उससे पूछा क्या आइटम किधर जा रही हो ? जब लड़की ने उसे ऐसा करने से मना किया तो उस शख्स ने उसे गाली देना शुरू कर दिया और उसके बाल खींच लिये। इसके बाद लड़की ने पुलिस हेल्पलाइन नंबर १०० पर कॉल कर मदद मांगी। पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन आरोपी वहां से भाग चुका था। लड़की ने घर जाकर अपने पिता को इस घटना के बारे में बताया जिसके बाद शहर के पश्चिमी उप नगर के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (यौन उत्पनीड़न) धारा 354 (डी) (पीछा करना) 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 504 (जान बूझकर अपमान) और बच्चों के संरक्षण के प्रासंगिक आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने आरोपी को अन्य आरोपी से बरी कर दिया लेकिन उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 354और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप में सबूत मिले।

    लड़की को आइटम कहकर बुलाना यौन शोषण से कम नहीं

    कोर्ट फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी ने आइटम शब्द का उपयोग करके लड़की को संबोधित किया था। जो आम तौर पर लड़कों द्वारा अपमानजनक तरीके से लड़कियों को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है क्योंकि यह उन्हें यौन तरीके से ऑब्जेक्ट करता है लड़की को आइटम कहकर बुलाना यौन शोषण से कम नहीं है, अदालत ने स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने २५ साल के बिजनस मैन को डेढ़ साल की सजा सुनाई, अदालत ने कहा कि आरोपी पर नरमी नहीं दिखाई जा सकती क्योंकि मामला सड़क पर एक नाबालिग लड़की के उत्पीड़न से जुड़ा है। लड़की को आइटम कहकर बुलाना यौन शोषण से कम नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए मुंबई की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने २५ साल के बिजनसमैन को डेढ़ साल जेल की सजा सुनाई। १६ साल की किशोरी पर अश्लील कमेंट करने पर आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिया गया। घटना २०१५ की है जब पीड़िता अपने स्कूल से घर लौट रही थी।

    आरोपी ने कोर्ट में दी दलील

    आरोपी ने दावा किया है कि उसे गलत फंसाया गया है। उसके वकील ने दलील दी कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लड़की के पैरंट्स उनकी दोस्ती के खिलाफ थे। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग ने इस तरह की बात से इनकार किया है और आरोपी ने भी अपनी दलील में यह सब न कहा और न ही किसी गवाह ने इसका समर्थन किया।

     

  • Law of India : पैरोल और फरलो का विशेषाधिकारी

    Law of India : पैरोल और फरलो का विशेषाधिकारी

    राजेश बैरागी 
    आपने अपने आसपास पैरोल या फरलो पर आए हुए कितने दोषसिद्ध अपराधियों को देखा है? मेरा अनुभव शून्य है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश के कारागारों में उनकी क्षमता से कई गुना कैदी बंद हैं। सजायाफ्ता कैदियों को समय पूर्व रिहा करने पर विचार किया जा रहा है। फिर भी प्रयास यही है कि समाज और देश के लिए संकट उत्पन्न करने वाला कोई बंदी रिहा नहीं किया जाना चाहिए। सजा पाए कैदियों को मानसिक संतुलन व सामाजिक परिवेश से जोड़े रखने के लिए पैरोल और फरलो की व्यवस्था की गई है। फरलो कैदी का अधिकार है जबकि पैरोल प्रदान करना प्रशासन का विवेकाधिकार है। परंतु दोनों ही सुविधाएं कितने लोगों को प्राप्त होती हैं।

    इसीलिए आम सजायाफ्ता कैदियों को बामुश्किल ही पैरोल या फरलो पर घर आते देखा जाता है। परंतु वह आम आदमी नहीं है।उसे इसी वर्ष एक फरलो 21 दिन और दो पैरोल 30 व 40 दिन के लिए मिल चुकी हैं। उसपर हत्या, दुष्कर्म के दोषसिद्ध आरोप हैं। वह 2017 से जेल में हैं। क्या उसे जेल में अन्य कैदियों जैसी सजा काटनी पड़ रही है? इसकी पुष्टि कौन कर सकता है। परंतु सरकार की मेहरबानी उसे हासिल है। उसके अनुयाई मतदाता भी हैं। इसी बूते वह जब चाहे अपने ठिकाने पर चला आता है। हत्यारे और दुष्कर्मियों को फूटी आंख न देखने का दावा करने वाले मुखिया के राज्य की पुलिस उसके लिए रक्षा प्रबंध करती है।मेरी आंखें बुलडोजर की राह देखते उनींदी हो चली हैं। इसलिए मैं सिर नीचा करके जपनाम-जपनाम का उच्चारण करने लगा हूं।

  • Haryana Panchayat Election : हरियाणा पंचायत चुनाव और आदमपुर उप चनाव में है गुरमीत राम रहीम की जरूरत, आएंगे पैरोल पर बाहर

    Haryana Panchayat Election : हरियाणा पंचायत चुनाव और आदमपुर उप चनाव में है गुरमीत राम रहीम की जरूरत, आएंगे पैरोल पर बाहर

    कुछ भी हो राजनीतिक दल वोट के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यदि पार्टी सत्ता में हो तो फिर कहने ही क्या ? जी हां अब जब हरियाणा पंचायत चुनाव और आदमपुर विधानसभा उप चुनाव होने वाले हैं तो वोट के लिए डेरा एक साध्वी के यौन शोषण के दोषी सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की याद आने लगी है। उसे पैरोल पर बाहर लाया जा रहा है। कौन पार्टी बाहर ला रही है बताने की जरूरत नहीं है। मतलब चुनाव के लिए देश में कुछ भी करा जा सकता है। किसी भी अपराधी को सुविधाएं दी जा सकती है। कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है।

    दरअसल हरियाणा पंचायत चुनाव और आदमपुर विधानसभा उप चुनाव से पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह जो बलात्कार और हत्या के आरोप में कारावास की सजा काटरहा है वह बार-बार फिर पैरोल पर रिहा होगा। डेरा प्रमुख राम रहीम के परिवार ने एक महीने की पैरोल की मांग करते हुए जेल अधिकारियों को एक आवेदन पत्र दिया था।
    हरियाणश की जेल मंत्री रंजीत सिंह ने 11 अक्टूबर को आवेदन की जांच करने के दौरान कहा था पैरोल आवेदन की संबंधित अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है। निर्णय कानून के अनसार लिया जाएगा। डेरा प्रमुख राम रहीम फिलहाल रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह सिरसा या राजस्थान में डेरा के परिसर मे रहेंगे। इसके लिए डेरा प्रशासन ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है।
    गुरमीत राम रहीम सिंह ने 2021 में तीन बार और 2022 में दो बार पैरोल पर बाहर आया था। फरवरी 21 दिन और जून में एक महीने के लिए वै पैरोल पर आया था। जेल अधिकारियों के अनुसार वह 31 दिसंबर 2022 से पहले कम से कम 40- दिनों के पैरोल की मांग कर सकते हंै। कानून एक अपराधी को (जिसने अपने कारावास के कुछ निश्चित वर्ष पूरे कर लिये हैं) साल में 90 दिनों के लिए जेल से बाहर रहने की अनुमति देता है।
    वीआईपी सुरक्षा पाने का कौन होता है हकदार और क्या होती है प्रक्रिया ?
    बता दें कि 2017 से साधवी यौन शोषण मामले में राम रहीम सजा काट रहे हंै। वहीं राम रहीम को पत्रकार छत्रपति और रणजीत हत्याकांड में भी सजा हो चुकी है। राम रहीम को इस साल पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 7 फरवरी को 21 दिन की फरलो मिली थी। उसके तीन महीने बाद 27 जून को फिर से राम रहीम को 30 दिन की पैरोल मिली थी।
    वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने राम रहीम को पैरोल पर ऐतराज जताया है। उन्होंने सरकारों को राम रहीम पर हमदर्दी दिखाने के आरोप लगाए हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव प्रताप सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार राम रहीम को एक बार फिर 40 दिन के पैरोल देने जा रही है। पहले भी कर्स बार पैरोल हो चुकी है। सरकार राम रहीम के साथ हमदर्दी दिखा रही है, जो सही नहीं है।