Category: अदालत

  • केजरीवाल को हाई कोर्ट से राहत नहीं, जेल में ही रहेंगे दिल्ली के सीएम, याचिका खारिज

    केजरीवाल को हाई कोर्ट से राहत नहीं, जेल में ही रहेंगे दिल्ली के सीएम, याचिका खारिज

    द न्यूज 15 ब्यूरो  
    नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट से राज्य के सीएम अरविंद केजरीवाल को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी नियम के मुताबिक हुई है। जज ने कहा कि ये याचिका जमानत के लिए नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका याचिकाकर्ता को इस आधार पर छोड़े जाने के लिए है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध है।
    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए केजरीवाल के खिलाफ ईडी के आरोपों को अदालत ने दोहराया। कोर्ट ने कहा की ईडी ने जो तथ्य कोर्ट के सामने रखे हैं उससे लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता भी लग रही है। अदालत ने कहा कि मैंने अपने फैसले में PMLA की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों और सीआरपीसी के तहत 164 के दर्ज अप्रूवर के बयानों में अंतर बताया है। जस्टिस शर्मा पहले अंग्रेजी और फिर हिंदी में अपना फैसला पढ़ा। अदालत ने कहा कि कानून पर किसी सरकार का और न ही किसी जांच एजेंसी का नियंत्रण होता है। इससे पहले याचिका में केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड को दी गई चुनौती के मामले में फैसला सुनाएगी, जिसमें मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी गई ।

    बहस के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक ने अपनी गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाया था। केजरीवाल ने कोर्ट में दावा किया था कि बीजेपी उन्हें जेल में डालकर चुनाव को फिक्स्ड मैच की तरह खेलना चाहती है। दूसरी ओर, ईडी ने AAP नेता के आरोपों पर कड़ी आपत्ति जताई है। ईडी ने दावा किया कि कथित अपराध में केजरीवाल व्यक्तिगत और परोक्ष रूप से शामिल हैं। एएसजी एस वी राजू ने उदाहरण देते हुए कहा कि मान लीजिए कोई राजनीतिक व्यक्ति चुनाव से दो दिन पहले हत्या कर देता है। क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा? जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने 3 अप्रैल को दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ईडी ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। वह लगभग 11 दिन तक रिमांड पर रहे। वर्तमान में 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में हैं।

    सीएम को हटाने की मांग वाली याचिका प्रचार पाने का तरीका : HC

    आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक संदीप कुमार ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका प्रचार पाने के लिए दायर की गई थी और याचिकाकर्ता भारी जुर्माना लगाए जाने का हकदार है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कुमार की याचिका को एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की कोर्ट के पास भेजते हुए ये टिप्पणियां की। जस्टिस प्रसाद ने कहा कि यह सिर्फ प्रचार के लिए है। मामला अब 10 अप्रैल को डिविजन बेंच के सामने सुनवाई के लिए लगा है।

  • केजरीवाल को हाई कोर्ट से राहत नहीं, याचिका खारिज, जेल में ही रहेंगे दिल्ली के सीएम

    केजरीवाल को हाई कोर्ट से राहत नहीं, याचिका खारिज, जेल में ही रहेंगे दिल्ली के सीएम

    द न्यूज 15 ब्यूरो  
    नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट से राज्य के सीएम अरविंद केजरीवाल को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी नियम के मुताबिक हुई है। जज ने कहा कि ये याचिका जमानत के लिए नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका याचिकाकर्ता को इस आधार पर छोड़े जाने के लिए है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध है।

    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए केजरीवाल के खिलाफ ईडी के आरोपों को अदालत ने दोहराया। कोर्ट ने कहा की ईडी ने जो तथ्य कोर्ट के सामने रखे हैं उससे लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता भी लग रही है। अदालत ने कहा कि मैंने अपने फैसले में PMLA की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों और सीआरपीसी के तहत 164 के दर्ज अप्रूवर के बयानों में अंतर बताया है। जस्टिस शर्मा पहले अंग्रेजी और फिर हिंदी में अपना फैसला पढ़ा। अदालत ने कहा कि कानून पर किसी सरकार का और न ही किसी जांच एजेंसी का नियंत्रण होता है। इससे पहले याचिका में केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड को दी गई चुनौती के मामले में फैसला सुनाएगी, जिसमें मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी गई ।

    बहस के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक ने अपनी गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाया था। केजरीवाल ने कोर्ट में दावा किया था कि बीजेपी उन्हें जेल में डालकर चुनाव को फिक्स्ड मैच की तरह खेलना चाहती है। दूसरी ओर, ईडी ने AAP नेता के आरोपों पर कड़ी आपत्ति जताई है। ईडी ने दावा किया कि कथित अपराध में केजरीवाल व्यक्तिगत और परोक्ष रूप से शामिल हैं। एएसजी एस वी राजू ने उदाहरण देते हुए कहा कि मान लीजिए कोई राजनीतिक व्यक्ति चुनाव से दो दिन पहले हत्या कर देता है। क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा? जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने 3 अप्रैल को दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ईडी ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। वह लगभग 11 दिन तक रिमांड पर रहे। वर्तमान में 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में हैं।

     

    सीएम को हटाने की मांग वाली याचिका प्रचार पाने का तरीका : HC

     

    आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक संदीप कुमार ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका प्रचार पाने के लिए दायर की गई थी और याचिकाकर्ता भारी जुर्माना लगाए जाने का हकदार है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कुमार की याचिका को एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की कोर्ट के पास भेजते हुए ये टिप्पणियां की। जस्टिस प्रसाद ने कहा कि यह सिर्फ प्रचार के लिए है। मामला अब 10 अप्रैल को डिविजन बेंच के सामने सुनवाई के लिए लगा है।

  • दिल्ली तीस हजारी कोर्ट ने किया निवेशकों के साथ  न्याय…  

    दिल्ली तीस हजारी कोर्ट ने किया निवेशकों के साथ  न्याय…  

    स्वपना रॉय पत्नी सुब्रत रॉय, ओपी श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों अलख सिंह और एस बी सिंह की याचिका ख़ारिज

    द न्यूज 15 ब्यूरो 
    नई दिल्ली। निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर पैसे हड़पने के जुर्म में स्वपना रॉय पत्नी सुब्रत रॉय, ओपी श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों अलख सिंह और एस बी सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया गया है।
    दरअसल नियाज़ अहमद ने सहारा इंडिया के नाम पर सहारा इंडिया (पार्टनरशिप फर्म) के फ्रेंचाइजी ऑफिस करोल बाग और ऑफिस पहाड़गंज और काश्मीरी गेट  में फिक्स डिपॉजिट योजना  में 5 वर्ष,6 वर्ष और 10 वर्ष के लिए पैसा जमा कराया था, जब समय पूरा हुआ तो सहारा इंडिया (पार्टनरशिप फर्म) के मैनेजरों व अधिकारियों ने उसके पैसे न देकर हड़पने के उद्देश्य से  टालमटोल करने लगे  और फिर से नए कंपनी के नाम पर बांड ले जाने को बोलने लगे, और पैसा न देकर गुमराह करने लगे जिसकी शिकायत उसने स्थानीय प्रशासन करोल बाग को 2021 में दिया, जिसपर प्रशासन द्वारा कोई कारवाई नही  किया गया तब वो थककर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और धोखाधड़ी कर पैसे हड़पने में शामिल लोगों पर FIR करवायी, जिसकी सुनवाई लगातार न्यायालय में जारी रहा, जिस पर  पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले स्थानीय दो मैनेजरों ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई जिसमें वादी द्वारा स्वास्थ्य ठीक नही रहने के कारण विरोध नही दर्ज कराया गया उसके बाद सहारा इंडिया के उच्च अधिकारियों द्वारा भी अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई जिसमें बाद में वादी और कंपनी के बीच  विवाद में समझौता हो गया मगर वादी का कुछ रुपया कंपनी के वकीलों द्वारा नही चालाकी  दिखाते हुए रोक दिया गया कि बाद में दे देंगे,जबकि वादी द्वारा विश्वास दिलाया गया कि पैसा लेने के बाद समझौता से मुकरेगा नही फिर भी कंपनी के वकीलों द्वारा चालाकियां दिखाकर भुगतान रोका गया। तबतक दिल्ली परिक्षेत्र के अन्य निवेशकों और एजेंटों को भी कंपनी के उच्च अधिकारियों द्वारा लगाई गई अग्रिम जमानत की भनक लग गई जिसमे बुराड़ी ब्रांच के 20 एजेंट और उस्मान पुर ब्रांच के कई निवेशक और एजेंटों ने  पूर्व रिजीनल मैनेजर के आंदोलन में भाग लेने और सहयोग देने के कारण तीस हजारी कोर्ट ने सभी ने लगभग 4 करोड़ की राशि से पीड़ित लोगो ने वकील के साथ विरोध याचिका लगाई जिसपर लगातार 12 बार सुनवाई की गई जिसमें केस को उच्च मूल्यवर्ग की राशि के धोखाधड़ी के कारण EOW को हस्तांतरित किया गया और अग्रिम जमानतकर्ताओं श्रीमती स्वपना रॉय,ओपी श्रीवास्तव, अलख सिंह और एस बी सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी।

    नए याचिकाकर्ता उर्मिला गुप्ता (उस्मान पुर),बच्चा  मिश्रा (बुराड़ी) शबाना,सरवर अली, प्रमोद टंडन आदि ने जोरदार मेहनत की।
    सबसे बड़ी खास बात ये है कि सहारा इंडिया (साझेदारी फर्म)को बैंक की तरह आम जनता से पैसे लेने का और किसी अन्य कंपनी से बांड जारी करने का कोई अधिकार नही है फिर सहारा इंडिया के मैनेजरों ने ऑफिस और फ्रेंचाइजी ऑफिस खोलकर पैसे लिए और कई सोसायटियों के नाम और कंपनियों के नाम का बांड जारी कर लोगो के साथ धोखाधड़ी किये। जब पैसे लौटाने की बारी आती है किसी अन्य कंपनी में फिर से निवेश करने को दबाव बनाने लगते हैं।
  • संविधान के पक्ष में खड़े हुए सीजेआई, कहा – पार्टियों नहीं, संविधान के लिए रहें वफादार  

    संविधान के पक्ष में खड़े हुए सीजेआई, कहा – पार्टियों नहीं, संविधान के लिए रहें वफादार  

    डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा – सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने से पहले वकीलों को सोचना चाहिए, क्योंकि वे आम आदमी नहीं हैं, उनका बयान मायने रखता है 
    ज्यूडिशरी सिस्टम को लेकर चीफ जस्टिस ने कही बड़ी बात

    द न्यूज 15 ब्यूरो 
    नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वकीलों और जजों को संविधान के प्रति वफादार होना चाहिए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि जजों को गैर-पक्षपातपूर्ण होना‌ जरूरी है.

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नागपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के शताब्दी समारोह में कहा, “हमारे जैसे जीवंत और तर्कपूर्ण लोकतंत्र में, ज्यादातर लोगों का झुकाव किसी न किसी राजनीतिक विचारधारा की तरफ होता है। अरस्तू ने कहा था कि मनुष्य राजनीतिक प्राणी हैं, और वकील कोई अपवाद नहीं हैं. हालांकि, बार के सदस्यों को अदालत और संविधान के साथ पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए।

     चीफ जस्टिस ने कही बड़ी बात

    देश के चीफ जस्टिस ने भारत की ज्यूडिशरी सिस्टम को लेकर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।  उन्होंने कहा कि न्यायपालिका बार-बार अपनी अपनी स्वतंत्रता और गैर-पक्षपातपूर्ण, कार्यपालिका, विधायिका और निहित राजनीतिक हितों से शक्तियों के अलगाव के लिए आगे आई है। हालांकि हमको यह नहीं भूलना चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बार की स्वतंत्रता के बीच गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि एक संस्था के रूप में बार की स्वतंत्रता “कानून के शासन और संवैधानिक शासन की रक्षा के लिए नैतिक कवच” के रूप में कार्य करती है।

     

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने वालों को नसीहत

     

    सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठों के फैसले कठोर कार्यवाही, संपूर्ण कानूनी विश्लेषण और संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा, “एक बार फैसला सुनाए जाने के बाद, यह सार्वजनिक संपत्ति हो जाता है। एक संस्था के रूप में, हमारे कंधे चौड़े हैं। हम तारीफ और आलोचना, दोनों को स्वीकार करते हैं। यह तारीफ और आलोचना, भले ही पत्रकारिता, राजनीतिक टिप्पणी या सोशल मीडिया के माध्यम से ही क्यों न हो। हम अगर कुछ कहते हैं तो उसका असर बड़ा होता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि बार एसोसिएशन के सदस्यों और पदाधिकारियों, वकीलों को अदालत के फैसलों पर प्रतिक्रिया करते समय आम लोगों की तरफ टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर की सुनवाई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर की सुनवाई

    कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित

    ऋषि तिवारी
    नई दिल्ली। सीएम अरविंद केजरीवाल की तरफ से अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख दिया, बुधवार को हाई कोर्ट में इस पर लंबी सुनवाई की गई है और सुनवाई के दौरान कोर्ट में खूब बहस हुई है। हालांकि ईडी और अरविंद केजरीवाल दोनों के ही वकीलों की दलीलें पूरी हो गई हैं और कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

     

     

     

    ‘इस मामले में केजरीवाल भूमिका’

     

    ईडी ने एचसी में कहा गया है कि शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल की भूमिका दोहरी है, व्यक्तिगत तौर पर भी और आप के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी है। क्योंकि रिश्वत के लिए नीति में बदलाव किया गया, रिश्वत ली गई, उस पैसे का इस्तेमाल चुनाव में किया गया । इसीलिए यह कहने का कोई आधार नहीं है कि मेरे पास से कुछ नहीं मिला। क्योंकि पैसा आया और खर्च हो गया। अपराध में शामिल होना भी अवैध है। ईडी के वकील एसवी राजू ने कहा कि अगर चुनाव से दो दिन पहले कोई राजनेता कोई अपराध करता है तो क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। क्रिमिनल लॉ में किसी को इम्यूनिटी हासिल नहीं है। यह बिल्कुल बेतुकी दलील है कि चुनाव होने वाले है इसीलिए मुझे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था।अदालत जांच अधिकारी की जगह नहीं ले सकती है। यह तय करने का अधिकार पूरी तरह से जांच अधिकारी का होता है कि किसे, कब और क्यों गिरफ्तार करना है।

     

    ईडी के वकील ने जताई आपत्ति

     

    लंच ब्रेक से पहले अरविंद केजरीवाल के वकील सिंघवी ने अपनी दलीलें पूरी कर ली थी। उन्होंने कोर्ट से कहा कि सीनियर एडवोकट अमित देसाई को दलीलें रखने के लिए 5 मिनट दे दिए जाएं, उसके बाद एएसजी अपनी दलीलें रख सकते हैं। ईडी की ओर से एएसजी एस वी राजू ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के लिए एक ही वकील पेश हो सकता है। आप प्रभावशाली, अमीर व्यक्ति होंगे जो कई बड़े टॉप वकीलों को हायर कर सकते हैं पर क्रिमिनल लॉ सबके लिए बराबर है। आप आम आदमी होने का भले ही दावा करते हैं, पर हैं नहीं। जिसके बाद जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने देसाई से कहा कि वह लिखित में अपनी बात अदालत को सौंप दे। ब्रेक के बाद कोर्ट ईडी की दलीलें सुनेगी।

     

    जस्टिस सर्वण कांता ने किया सिंघवी से सवाल

     

    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने सिंघवी से सवाल किया है, आपने जो दो जजमेंट रेफर किए, उनमें आवेदक को दोषी ठहराया जा चुका था। एक मामला जिसमें दोषी ठहराया जा चुका है और दूसरा केस जिमें चार्जशीट फाइल तक नहीं हुई है, मैं मामले को संपूर्ण तौर पर अदालत के सामने रखने की कोशिश कर रहा हूं। सरथ रेड्डी के बयानों का जिक्र करते हुए सिंघवी ने हाई कोर्ट से कहा कि उसके 13 से ज्यादा बयान दर्ज किए गए, जिसमें से 11 बयानों में मेरे खिलाफ कोई बयान नहीं है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने संजय सिंह को दी बड़ी राहत, छह महीने बाद मिली जमानत

    सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने संजय सिंह को दी बड़ी राहत, छह महीने बाद मिली जमानत

    ईडी ने नहीं किया जमानत का विरोधकोर्ट ने कहा – राजनीतिक गतिविधियां जारी रख सकते हैं पर केस के बारे में कोई बयान नहीं देंगे 

    द न्यूज 15 ब्यूरो 

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में आप सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी। जस्टिस संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने मंगलवार को छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को जमानत देने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि अगर आप नेता को मामले में जमानत दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को रिहा करने का आदेश दिया।पीठ ने कहा कि आप नेता अपनी राजनीतिक गतिविधियां जारी रख सकते हैं, लेकिन इस मामले के संबंध में कोई बयान नहीं दे सकते। हालांकि, बेंच ने साफ किया कि संजय सिंह को दी गई जमानत को ‘मिसाल’ के तौर पर नहीं लिया जाएगा। तीन जजों की बेंच ने कहा कि सिंह पूरे मुकदमे के दौरान जमानत पर बाहर रहेंगे और उनकी जमानत की शर्तें विशेष अदालत तय करेगी। ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी. राजू ने कहा कि उन्होंने जांच एजेंसी से निर्देश ले लिए हैं और अगर सिंह को जमानत दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।
    ईडी से पूछा था सवाल

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा था कि क्या सिंह को और कुछ समय के लिए हिरासत में रखने की जरूरत है? सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा था कि अगर दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में आप नेता संजय सिंह की हिरासत की जरूरत है तो लंच ब्रेक के बाद इससे उसे अवगत कराया जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने कहा था कि आप नेता संजय सिंह छह महीने जेल में बिता चुके हैं और उनके खिलाफ दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। इन आरोपों की जांच ट्रायल के दौरान की जा सकती है।

  • व्यास तहखाने में जारी रहेगी पूजा

    व्यास तहखाने में जारी रहेगी पूजा

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘आदेश से प्रभावित नहीं हुई नमाज’

    ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पर रोक से मना कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने 

    अब जुलाई के तीसरे सप्ताह में होगी याचिका पर सुनवाई 

     

    द न्यूज 15 ब्यूरो

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ज्ञानवापी परिसर के व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पर रोक से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि 31 जनवरी के आदेश के चलते नमाज प्रभावित नहीं हुई है।

    सुप्रीम कोर्ट ने तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद पक्ष की याचिका पर निचली अदालत के याचिकाकर्ता शैलेंद्र व्यास को नोटिस जारी किया। ज्ञानवापी परिसर में व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ लगाई गई याचिका पर अब जुलाई के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।

    ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने किस आधार पर दी थी फैसले को चुनौती?

    ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि निचली अदालत ने आदेश लागू करने के लिए 1 सप्ताह का समय दिया, लेकिन सरकार ने उसे तुरंत लागू कर दिया।  हाई कोर्ट ने भी हमें राहत नहीं दी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा पर तुरंत रोक लगाई जाए।

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने व्यास तहखाने में पूजा रोकने पर क्या कहा?

    सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘तहखाने का प्रवेश दक्षिण से और मस्जिद का उत्तर से है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते हैं। हम यह आदेश दे सकते हैं कि फिलहाल पूजा और नमाज दोनों अपनी-अपनी जगह जारी रहें.’

    सुनवाई में व्यास परिवार के वकील श्याम दीवान ने औपचारिक नोटिस जारी करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अभी निचली अदालतों में मामले का पूरी तरह निपटारा नहीं हुआ है। इस समय सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत नहीं है। हालांकि, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ SC पहुंची मस्जिद कमेटी

    अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदुओं को पूजा की अनुमति देने वाले निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया।  कमिटी वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करती है। निचली अदालत ने 31 जनवरी को अपने आदेश में हिंदुओं को तहखाने में पूजा करने की इजाजत दी थी।

  • एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को उम्रकैद की सजा

    एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को उम्रकैद की सजा

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनाया बड़ा फैसला
     
    लाखन भैया एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने शर्मा को बरी करने के सेशन कोर्ट के 2013 के फैसले को रद्द कर दिया
    हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को पाया दोषी 

    द न्यूज 15 ब्यूरो 
    मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को 2006 में मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ के मामले में मंगलवार को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की एक बेंच ने शर्मा को बरी करने के सेशन कोर्ट के 2013 के फैसले को गलत और नहीं टिकने लायक करार देते हुए रद्द कर दिया।

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि लोअर कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध पर्याप्त सबूतों को नजरअंदाज कर दिया। सबूत मामले में उनकी संलिप्तता को साफ तौर से साबित करते हैं। बेंच ने शर्मा को तीन सप्ताह में संबंधित सत्र अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों सहित 13 व्यक्तियों को निचली अदालत की ओर से दोषी ठहराने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाने को भी बरकरार रखा और छह अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया।

     

    22 लोगों पर हत्या का आरोप

     

    13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया था। वर्ष 2013 में सत्र अदालत ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी कर दिया था और 21 आरोपियों को दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 21 आरोपियों में से दो की हिरासत में मौत हो गई।

     

    सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में की थी अपील

     

    आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की। वहीं अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्मा को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दायर की। विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने दलील दी कि वर्तमान मामले में, जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे स्वयं एक निर्मम हत्या में लिप्त थे।

     

    2006 फर्जी एनकाउंटर केस

     

    मामले में शर्मा को दोषी ठहराने का अनुरोध करने वाले अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि पूर्व पुलिसकर्मी अपहरण और हत्या के पूरे अभियान का मुख्य साजिशकर्ता था। 11 नवंबर 2006 को, एक पुलिस दल ने गुप्ता उर्फ लखन भैया को पड़ोसी वाशी से इस संदेह पर पकड़ा था कि वह राजन गिरोह का सदस्य है। उसके साथ उसके दोस्त अनिल भेड़ा को भी पकड़ा गया था। गुप्ता को उसी शाम उपनगरीय वर्सोवा में नाना नानी पार्क के पास एक फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया था।

  • Azam Khan को सात साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना

    Azam Khan को सात साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना

  • एसबीआई को बख्शने को तैयार नहीं सुप्रीम कोर्ट, हुआ सख्त 

    एसबीआई को बख्शने को तैयार नहीं सुप्रीम कोर्ट, हुआ सख्त