Category: केंद्र सरकार

  • पार्टी को बचाने के लिए क्या नवीन हो रहे बीजेपी में शामिल ?

    पार्टी को बचाने के लिए क्या नवीन हो रहे बीजेपी में शामिल ?

    लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और एनडीए को कुनबा बढ़ाने में जुटी है। इस बीच ओडिशा सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी भाजपा के संग जुड़ने की खबरें चल रही है। एनडीए गठबंधन के 400 से ज़्यादा पर सीटों का टारगेट को लेकर भाजपा ये गठबंधन कर रही है। लेकिन एक सवाल जो सबके मन में खटक रहा है वो कि आखिर नवीन पटनायक भाजपा के साथ जाने के लिए क्यों आगे जाने को तैयार है जबकि दो दशक से ज्यादा से समय से वह ओडिशा के सीएम है और लोकसभा में भी वह राज्य में सबसे ज्यादा सीटे जीत रहे है। ऐसे में यह खबरें भी सामने आ रही है की बीजेडी के कुछ सीनियर नेताओं का कहना है कि
    15 साल के बाद भाजपा के साथ आने में यह भी एक मुख्य वजह है कि नवीन पटनायक अपने उत्तराधिकारी के प्लानिंग में लगे हुए है। बात करे नवीन पटनायक
    कि भले हि बीजेडी के प्रमुख नेता बने हुए है। लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए वो इस प्लानिंग में लग गए है। पिछले कुछ समय में बीजेडी के काफी विधयकों ने पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थम लिया है। दरअसल पिछले’काफी समय से नवीन पटनायक काफी सांसद और विधयाक के टिकट काटने की योजना में है वह अब नए चेहरे को शामिल करना चाहते है इसके चलते नेताओ में बेचैनी है इस दौरान उनकी पार्टी चर्चा में है कि वह अपनी पार्टी से अब नए
    उत्तराधिकारी के लिए के वी पांडियन का नाम चल रहा है। जो कि एक नौकरशाह थे फिलहाल वह सीएम की ओर से पूरे प्रदेश में दौरे कर रहे है और अहम फैसले भी ले रहे है। जिसकी वजह से इनकी पार्टी की काफी नेताओं ने बीजेपी में अपना दामन देखना चालू कर दिया है। इस पूरे खेल को देखते हुए उन्होंने बीजेपी के साथ जाने का फैसला लिया है’ उनका ऐसा मानना है की ऐसे करने से बागी नेता क्या करेंगे। इस फैसले से दोनों पार्टी में स्थिरता भी रहेगी और केंद्र में अच्छे रिश्ते भी बने रहेंगे। आने वाले समय में लोकसभा चुनाव में इसका कितना असर होगा ये तो देखने लायक रहेगा ,

  • Shubhakaran’s death in farmers’ movement : परिजनों को पंजाब सरकार देगी 1 करोड़ का मुआवजा ,हरियाणा  सरकार  क्या देगी ?

    Shubhakaran’s death in farmers’ movement : परिजनों को पंजाब सरकार देगी 1 करोड़ का मुआवजा ,हरियाणा सरकार क्या देगी ?

    पिछले काफी दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में किसान अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। बीते बुधवार को किसानों ने दिल्ली कूच करने का प्रयास किया जिसमे पुलिस प्रशाशन की तरफ से आसू गैस के गोले दागे गए। वहीं बात करे खनौरी बॉर्डर कि तो वहां के हालत भी ज़्यदा ठीक नहीं थे एक तरफ किसान शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने का प्रयास कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ कुछ किसान खनौरी बॉर्डर पर दिल्ली मार्च के दौरान हुई हिंसा में किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी. इसके बाद किसानों ने अपने साथी के लिए मुआवजे की मांग की थी और शव के पोस्टमार्टम पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद पंजाब के सीएम भगवत मान ने शुभकरण सिंह के परिवार 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी बहन को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। ऐसे में कई बड़े सवाल खड़े होते नज़र आ रहे है। एक तरफ तो पंजाब सरकार किसान के परिवार को मदद कर के सहानभूति दिखा रही है तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा सरकार किसानों पे मुकदमे दर्ज करने की तैयारी में है। बता दें कि किसानों ने साथ ही उन्हें शहीद का दर्जा देने की भी मांग की थी. इतना ही नहीं शुभकरण की मौत के खिलाफ आज SKM काला दिवस मना रही है. गौरतलब है कि किसान अभी भी शंभु और खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं. इसके बाद शुक्रवार शाम तक किसान नेता सरवन सिंह पंढेर आगे की कार्य योजना बताएंगे. 21 फरवरी को हुई हिंसा के बाद किसानों ने दो दिन के सीज फायर का ऐलान किया है.इस पर ये भी बाते चल रही है कि एक तरफ पंजाब सरकार मदद करने के लिए आगे नजर आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ
    हरियाणा सरकार किसानो पर ही आरोप लगा रही है। जिस पर अब राजनीति ने रुख मोड़ लिया है।
    दरअसल, मुख्यमंत्री भगवत मान ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए इसकी जानकारी दी है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए शुभकरण सिंह के परिवार को पंजाब सरकार की ओर से 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी छोटी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी… दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी… पंजाब सरकार द्वारा शुभकरण के परिवार को मुआवजा दिए जाने के बाद उनके शव के पोस्टमार्टम की संभावना जताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक शुभकरण के परिवार के पास 2 एकड़ जमीन है. उनकी मां की मृत्यु हो चुकी है और उनके पिता मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं. उनकी दो बहनें भी हैं. इनमें से एक बहन की शादी हो चुकी है औ एक बहन अभी अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बहन की शादी कराने के लिए कर्ज भी लिया था. ऐसे में किसानों का अगला कदम क्या होगा क्योंकी आने वाले दिनों में किसान एक बार फिर से अपनी बात रखने का प्रयास करेंगे। देखना ये होगा की केंद्र सरकार किसानों की बात को मानती है या आगे भी कोई बड़े आंदोलन का आगाज़ होगा।

  • किसान आज रेल रोकेंगे, चंडीगढ़ में सरकार के साथ मीटिंग:किसान नेता बोले- केंद्र को आवाज सुननी पड़ेगी,

    किसान आज रेल रोकेंगे, चंडीगढ़ में सरकार के साथ मीटिंग:किसान नेता बोले- केंद्र को आवाज सुननी पड़ेगी,

    किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ के साथ ही पंजाब में गुरुवार को रेलगाड़ियां रोकने का ऐलान कर दिया है। अभी तक इस आंदोलन से दूर चल रहे भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्राहां) ने भी आंदोलन का ऐलान कर दिया है। बीते गुरुवार को बीकेयू ने रेलवे ट्रैक जाम करने का ऐलान कर दिया था। इस संगठन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहां ने कहा कि गुरुवार दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक रेलवे ट्रैक रोके जाएंगे। पंजाब में कहां-कहां रेलवे ट्रैक पर बैठेंगे? इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन कहा गया है कि सात जगहों पर किसान रेल -रेल की पटरियों पर बैठेंगे। बीते बुधवार को हजारों किसान अपनी MSP पर कानून बनाने की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा की दो सीमाओं पर डटे रहे। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि चंडीगढ़ में गुरुवार शाम किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल, नित्यानंद राय के बीच बैठक होगी। दोनों पक्षों के बीच यह तीसरे दौर की बैठक होगी। प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा की सीमा पर लगे बैरिकेड्स तोड़ने की नए सिरे से कोशिश की। अंबाला के पास शंभू बॉर्डर और जींद जिले में दाता सिंहवाला-खनौरी बॉर्डर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए दृढ़ हैं।कई किसानों ने शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड्स हटाने के लिए अपने ट्रैक्टर तैयार रखे हैं। उन्होंने आंसू गैस के असर को कम करने के लिए पानी के टैंकरों की भी व्यवस्था की है। किसानों के एक समूह ने 15 फरवरी को रेल रोको अभियान चलाने की बात कही। देखा जाए ऐसा ही आंदोलन पिछले साल भी किया था। तब सरकार ने किसानों से बातचीत करके किसानों को समझाया था और उनकी समस्या को सुलझाने की बात भी की थी पर इस साल फिर से वहीं माहौल नजर आ रहा है अब देखना ये होगा यह आंदोलन कब तक चलेगा।

  • हल्द्वानी में क्यों और कैसे भड़की हिंसा ,क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी जिस पर चला है बुलडोज़र

    हल्द्वानी में क्यों और कैसे भड़की हिंसा ,क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी जिस पर चला है बुलडोज़र

    उत्तराखंड का हल्द्वानी हिंसा की आग में जल रहा है। नैनीताल जिले में हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में उस वक्त हिंसा की आग भड़क उठी जब नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण हटाओ अभियान चला रहा था। हिंसा की आग इतनी भयावह थी कि पूरा शहर इसकी चपेट में आ गया। इस हिंसा में अब तक पांच लोगों के मारे जाने की खबर है और 300 पुलिस वाले और नगर निगम के कर्मचारी घायल हैं। फ़िलहाल पुरे इलाके में तनाव की इस्थिति बानी हुई है।

    दरअसल ,हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार को नगर निगम ने ‘अवैध’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दिया। इस एक्शन का रिएक्शन ऐसा हुआ कि पूरे इलाके में हिंसक स्थिति पैदा हो गई। माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि तुरंत कर्फ्यू लगा दिया गया और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए। पुलिस की मानें तो घटना में 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। घायलों में हल्द्वानी के एसडीएम (अनुमंडलाधिकारी) भी शामिल हैं। इसने कहा कि शहर के बनभूलपुरा इलाके में हिंसा के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए लगभग 300 से अधिक लोगों में से अधिकांश पुलिसकर्मी और नगरपालिका कर्मचारी हैं, जो एक स्थानीय मदरसे की विध्वंस कार्रवाई में शामिल थे।

    हल्द्वानी डीएम वंदना सिंह ने शुक्रवार को बताया कि अतिक्रमण हटाने से पहले ही टीम पर हमले की प्लानिंग कर ली गई थी। भीड़ ने पहले पत्थर फेंके, जिन्हें फोर्स ने तितर-बितर कर दिया। इसके बाद दूसरा जत्था आया और उसने पेट्रोल बम से हमला किया। मीडिया से बात करते हुए एक महिला पुलिस ने बताया महिला पुलिसकर्मी के मुताबिक, हम बहुत बचकर आए। बचने के लिए हम 15-20 लोग एक घर में घुस गए। लोगों ने पथराव किया, बोतलें फेंकीं। आग लगाने की कोशिश की। चारों तरफ, गलियों, छतों से पथराव हो रहा था। उन्होंने गलियां घेर ली थीं। जिसने हमें बचाया, उन लोगों ने उसे भी गालियां दीं, घर तोड़ दिया। हम लोगों ने फोन किया, लोकेशन भेजी, तब फोर्स आई तो हमें बाहर निकाला।

    अभी क्या हैं हालात
    फिलहाल, हालात ये हैं कि हिंसा बढ़ने पर हल्द्वानी की सभी दुकानें बंद कर दी गईं हैं। कर्फ्यू लगने के बाद शहर और आसपास कक्षा 1-12 तक के सभी स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजधानी देहरादून में उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा की तथा अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिए। इलाके में भारी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती है। कुल मिलाकर इलाके में पूरी तरह से लॉकडाउन वाले हालात हैं। केवल जरूरी कार्यों को ही करने की छूट है।

  • नकल करने वाले की खैर नहीं , पेपर लीक के खिलाफ बना सख्त  कानून 1 करोड़ का लगेगा जुर्माना

    नकल करने वाले की खैर नहीं , पेपर लीक के खिलाफ बना सख्त कानून 1 करोड़ का लगेगा जुर्माना

    बजट सत्र की शुरुआत पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों को संभोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सरकार में परीक्षाओं में होनी वाली गड़बड़ी को लेकर युवाओं की चिंताओं से अवगत है। परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है सूत्रों की मानें तो आने वाले सोमवार को संसद में इस से जुड़ा बिल भी पेश हो सकता है। खास बात ये है कि बजट सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति मुर्मू ने भी अपने भाषण में पेपर लीक के खिलाफ भाषण देते हुए जिक्र किया था। खबर है कि इस मामले में 10 साल की जेल और 1 करोड़ तक का जुर्माना जैसे कड़े प्रावधान शामिल हैं। सरकारी नौकरी और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में दाखिल होने के लिए परीक्षाओं में गलत संस्थानों के खिलाफ नए प्रस्ताव की लिए तैयारी है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया कि रिपोर्ट के अनुसार इस प्रस्तावित कानून का मकसकद माफिया समेत ऐसे संस्थानों और लोगो पर कमर कसना है और पता लगाना है जो पेपर लीक किसी और से परीक्षा दिलाने कंप्यूटर हैकिंग में शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार पेपर में नक़ल करना पेपर किसी और से हल करवाना परीक्षा आयोजित करने और परीक्षा में धोखेबाजी करने य नक़ल करने वालो पर 3 साल से 5 साल की सजा हो सकती है साथ ही 10 लाख का जुर्माना हो सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि कंप्यूटर आदरित परीक्षा करा रहा सर्विस प्रोवाइडर अगर गलत काम में पकड़ा जाता है तो 1 करोड़ का जुर्माना भी लग सकता है साथ ही उसपर 4 सालों की परीक्षा आयोजित करने पर भी रोक लग सकती है। अगर ऐसी कंपनी शीर्ष प्रबंधन में लिप्त पाई जाती है तो उस पर भी जुर्माना लगेगा। व तीन साल से 10 साल तक जेल भी हो सकती है।

  • अयोध्या के राम मंदिर से देश को हुआ कितना फायदा ?

    अयोध्या के राम मंदिर से देश को हुआ कितना फायदा ?

    अयोध्या में राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इस पूरे कार्यकर्म की झलक देखने को मिली वही श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से देश की economy में सनातन कारोबार का एक नया अध्याय बहुत ही मजबूती से जुड़ गया है। जिसके तेजी से देशभर में विकास की बड़ी संभावना देखी जा रही है। अकेले 22 जनवरी को ही देशभर में एक लाख से ज़्यादा कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इनमें 2 हजार शोभायात्रा, 5 हजार से अधिक फेरी, 1000 से अधिक श्री राम संवाद कार्यक्रम, 2500 से ज्‍यादा संगीतमय श्री राम भजन और श्री राम गीत कार्यक्रम आयोजित किए गए. 50 हजार से अधिक जगहों पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, अखंड रामायण और अखंड दीपक के कार्यक्रम किए गए तो 40 हज़ार से ज्यादा भंडारे व्यापारियों ने आयोजित किए । देश भर में करोड़ों की संख्या में श्री राम मंदिर के मॉडल, माला, लटकन, चूड़ी, बिंदी, कड़े, राम ध्वज, राम पटके, राम टोपी, राम पेंटिंग, राम दरबार के चित्र, श्री राम मंदिर के चित्र की भी ज़बरदस्त बिक्री हुई. करोड़ों किलो मिठाई और ड्राई फ्रूट की प्रसाद के रूप में बिक्री की गई. यह सब आस्था और भक्ति के सागर में डूबे लोगों ने किया और देश में ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया. Confederation of All India Traders (कैट) ने ये कहा कि एक मोटे अनुमान के अनुसार श्री राम मंदिर के कारण से देश में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का बड़ा कारोबार हुआ जिसमें अकेले दिल्ली में लगभग 25 हजार करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का सामान और सेवाओं के जरिए व्यापार हुआ।

    वही बात करे अयोध्या की तो अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है । अयोध्या भक्तों की भीड़ से भर गई है। पहले दिन दर्शन के लिए इतने लोग यहां शामिल हुए कि कई सारे लोग तो दर्शन भी नहीं कर पाए । 4000 संतों का ग्रुप भी आया । रामलला के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिसकर्मियों को पहले दिन दर्शन के लिए 50 हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन, करीब 5 लाख लोग अयोध्या पहुचे । ऐसे में पुलिस की ओर से विशेष योजना तैयार की गई। आनन-फानन में एक हजार सुरक्षाकर्मियों को अयोध्या राम मंदिर की व्यवस्था को संभालने के लिए तैनात किया गया। रामलला के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी है। इसको देखते हुए मंदिर में एंट्री को रोक दिया गया ।

    अब तक राम मंदिर को 5500 करोड़ रुपये का दान मिल चुका है. बता दें इस समय राम मंदिर ट्रस्ट के बैंक खाते 3 PSU बैंक में है. इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक का नाम शामिल है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कुछ समय पहले जानकारी शेयर की गई थी, जिसमें बताया गया था कि मार्च 2023 के आखिर तक बैंक की कुल जमा लगभग 3000 करोड़ रुपये थी. वहीं, ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण के लिए 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं.

    इसी बीच न्यूज एजेंसी PTI ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि के हवाले से जानकारी दी है कि राम मंदिर के निर्माण पर अब तक 1,100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. हालांकि, अभी मंदिर का पूर्ण निर्माण करने के लिए 300 करोड़ रुपए की और जरूरत होगी. वही आपको बताते हैं राम मंदिर को बनाने में किसने कितना दान दिया है. राम मंदिर के निर्माण के लिए संत मोटारी बापू ने 18.6 करोड़ रुपये का दान दिया है । यह महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता भारत से 11.30 करोड़ रूपये, ब्रिटेन और यूरोप से 3.21 करोड़ रुपये और अमेरिका, कनाडा और विभिन्न अन्य देशों से 4.10 करोड़ रुपये के योगदान से एकत्र की गई थी. वेटरन एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने भी राम मंदिर को गुप्त दान दिया है. इसके अलावा अक्षय कुमार समेत कई बॉलीवुड सेलेब्रिटीज ने भी करोड़ों का दान दिया है.

  • बीजेपी की लोकसभा चुनाव पर क्या है रणनीति? सबसे ज़्यादा सीटों पर उतारेगी उम्मीदवार

    बीजेपी की लोकसभा चुनाव पर क्या है रणनीति? सबसे ज़्यादा सीटों पर उतारेगी उम्मीदवार

    भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की तैयारिओं को ज़मीन पर उतारना शुरू कर दिया है। बीजेपी 2019 की तुलना में 2024 में ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।हालाँकि सहयोगी पार्टियों के साथ उसका समझौता रहेगा लेकिन वह उनके लिए ज्यादा लोकसभा सीटें नहीं छोड़ेगी। असल में इस बार भाजपा ने पहले से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। बताया जा रहा है कि भाजपा की आंतरिक बैठकों में इस बात पर चर्चा हुई है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहले चुनाव में 284 और दूसरे में 303 सीटें जीती थीं। कहा जा रहा है कि इस बार 303 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य है। यह तभी होगा, जब पहले से ज्यादा सीटें लड़ेगी। इसके लिए एक एक सीट का हिसाब लगाया जा रहा है।

    जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा इस बार सहयोगी पार्टियों से भी सीटें छुड़ा रही है। उनको विधानसभा में ज्यादा सीट देने का वादा कर रही है। तालमेल खत्म कर रही है या ऐसे हालात बना रही है कि राज्यों की सहयोगियों को अलग चुनाव लड़ना पड़े। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झारखंड में अपनी सहयोगी आजसू को एक सीट दी थी, जिस पर उसका सांसद जीता था। लेकिन इस बार भाजपा राज्य की सभी 14 सीटों पर खुद लड़ना चाहती है। इसी तरह राजस्थान की एक सीट पिछली बार भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ी थी। लेकिन इस बार वे पहले ही अलग हो गए हैं। सो, राज्य की सभी 25 सीटों पर भाजपा अकेले लड़ेगी।

    मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी अपनी पहली सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के नामों की घोषणा करेगी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपनी पहली सूची में पीएम मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की सीटों के नामों का ऐलान किया था। बीजेपी इस बार 70 वर्ष 70 वर्ष से ज्यादा उम्र और तीन बार से अधिक बार जीते लोकसभा सांसदों को टिकट ना देने का मन बना रही है। पार्टी की कोशिश है कि नए चेहरों पर दांव लगाया जाए।

    बीजेपी की पहली सूची में उन 164 सीटों के उम्मीदवारों के नाम भी होंगे, जिन्हें पार्टी अब तक नहीं जीती या 2019 में जीत का मार्जिन बेहद कम रहा है। बता दें कि बीजेपी पिछले दो साल से ऐसी सीटों पर लगातार मेहनत कर रही है और संगठन को मजबूत करने में लगी है. लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 436 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 303 सीटों पर जीत मिली थी। 133 सीटों पर बीजेपी चुनाव हार गई थी।

    इसके साथ ही 31 अन्य सीटें हैं, जहां पार्टी कमजोर है। इन 164 सीटों का क्लस्टर बनाकर केंद्रीय मंत्रियों और बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह का नाम भी शामिल है। बीजेपी ने इन सीटों को सी और डी कैटेगरी में बांटा है और 80-80 सीटों की दो श्रेणियां बनाई हैं। 45 मंत्रियों को इन सीटों की ज़िम्मेदारी दी है। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला एक या दो लोकसभा सीट मिलने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन भाजपा ने पहले ही उनसे किनारा करना शुरू कर दिया है। ऐसे हालात बन गए हैं कि दुष्यंत चौटाला को अलग लड़ना होगा। गैर जाट राजनीति की पोजिशनिंग के कारण भाजपा ने ऐसी स्थिति बनाई है। अब चौटाला की पार्टी के नेता दुष्यंत को मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगा रहे हैं। इसका मतलब है कि उनकी पार्टी विधानसभा का चुनाव भी अलग लड़ेगी।

    बिहार में चार छोटी पार्टियों से भाजपा का तालमेल है। लेकिन भाजपा उनके लिए नौ-दस सीटों से ज्यादा छोड़ने को तैयार नहीं है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के छह सांसद हैं। एक के नेता पशुपति पारस हैं तो दूसरे के चिराग पासवान। भाजपा दोनों को मिला कर छह सीट दे दे तो बड़ी बात होगी। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के लिए भाजपा एक-एक सीट का प्रस्ताव दे रही है तो दो सीटें मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के लिए रखी है। अगर वे नहीं आते है तो कुशवाहा को एक अतिरिक्त सीट मिल सकती है। अगर नीतीश कुमार की पार्टी से तालमेल होता है तो भाजपा उनको इस बार 10 से ज्यादा सीट नहीं देगी। उधर महाराष्ट्र में भाजपा पिछली बार 25 सीटों पर लड़ी थी और इस बार 30 पर लड़ना चाहती है।

  • संगठन ने ट्रक ड्राइवरों से हड़ताल वापस लेने के लिए क्यों कहा

    संगठन ने ट्रक ड्राइवरों से हड़ताल वापस लेने के लिए क्यों कहा

    बीते दिनों हिट एंड रन कानून को लेकर देश भर में खूब आंदोलन और धरण प्रदर्शन हुए जिस कारण आम जनता को काफी परेशनीय भी हुई लेकिन अब ये आंदोलन अब समाप्त हो गया है, सरकार के आश्वासन के बाद ड्राइवरों ने आंदोलन समाप्त कर दिया है। सरकार के साथ लंबी बातचीत के बाद All India Motor Transport Congress ने आंदोलन खत्म करने की घोषणा कर दी है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने बताया कि हमने ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रतिनिधियों के साथ बात चीत की। सरकार कहना चाहती है कि नया नियम अभी लागू नहीं किया गया है। भारतीय न्याय संहिता 106/2 को लागू करने से पहले हम ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग करेंगे। उसके बाद ही हम कोई निर्णय लेंगे। AIMTC की कोर कमेटी के अध्यक्ष बाल मलकित ने जानकारी दी कि नए कानून लागू नहीं किए गए हैं। इसे ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के परामर्श के बाद ही लागू किया जाएगा।
    भल्ला ने All India Motor Transport Congress और सभी ड्राइवरों से अपने अपने काम पर वापस लौटने की अपील की। गृह सचिव ने कहा कि सरकार और ट्रांसपोर्टर इस बात पर सहमत हुए हैं कि परिवहन कर्मचारी तुरंत अपना काम फिर से शुरू करेंगे। AIMTC ने ट्रक ड्राइवरों से हड़ताल वापस लेने की अपील करते हुए बोले कि सरकार ने आश्वासन दिया है कि उसके सदस्यों के साथ चर्चा के बाद ही ‘हिट एंड रन’ मामलों से संबंधित नए कानून लागू किए जाएंगे।
    AIMTC के अध्यक्ष अमृत लाल मदान ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दस साल की सजा और जुर्माने की सजा को फिलहाल स्थगित कर दिया है। AIMTC आयोजन समिति के अध्यक्ष बाल मंकीत सिंह ने कहा कि ये कानून अभी तक लागू नहीं है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि AIMTC के साथ चर्चा के बाद ही नए कानून लागू किए जाएंगे।

    क्या है ‘हिट एंड रन’ कानून ?

    बता दें कि हिट एंड रन कानून के तहत ऐसे चालकों के लिए 10 साल तक की सजा का प्रावधान है जो लापरवाही से गाड़ी चलाकर भीषण सड़क हादसे को अंजाम देने के बाद पुलिस या प्रशासन के किसी अफसर को दुर्घटना की सूचना दिए बगैर मौके से फरार हो जाते हैं। यह कानून भारतीय न्याय संहिता में भारतीय दंड विधान की जगह लेगा।

    क्यों मचा है इतना हंगामा?

    केंद्र सरकार सख्त नियमों के तहत सड़क हादसों को रोकना चाहती है। हालांकि, ड्राइवरों को लगता है कि सरकार ऐसा करके उनके साथ गलत कर रही है। ड्राइवरों को लगता है कि सरकार उन पर अत्याचार कर रही है। दरअसल, सड़क जाम कर रहे ड्राइवरों का कहना है कि ‘हिट एंड रन’ के प्रावधान में बदलाव विदेशी तर्ज पर किया गया है। इसे लाने से पहले विदेशों की तरह अच्छी सड़कें, यातायात नियम और परिवहन व्यवस्था पर फोकस किया जाना चाहिए।
    कानून को लेकर इंडियन मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा कि इस नियम की वजह से ड्राइवर नौकरी छोड़ रहे हैं। देश में पहले से ही ड्राइवरों की कमी है। ऐसे नियम से ड्राइवर डर जायेंगे और अपना काम छोड़ देंगे। ड्राइवरों का कहना है कि नए नियम में 7 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है, ड्राइवर इतने पैसे कहां से लाएंगे।

    क्या है ड्राइवरों की मांग?

    विरोध करने वाले ड्राइवर्स का कहना है कि दुर्घटना के बाद अगर वह मौके से फरार होते हैं तो उन्हें 10 साल की सजा हो सकती है और यदि वह मौके पर ही रुकते हैं तो मौजूदा भीड़ उन पर हमला कर सकती है.ड्राइवरों व बस मालिकों का कहना है कि कि केंद्र सरकार की ओर से हिट एंड रन कानून में बदलाव किया गया है. नए बदलाव के तहत अब 7 लाख का जुर्माना और 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. ड्राइवरों को समय पर वेतन नहीं मिलता. ऐसे में इस तरह के कानून और परेशानी बढ़ाने वाले हैं. हिट एंड रन कानून में संसोधन के विरोध में ड्राइवरों ने बसों के संचालन नहीं किया.

    हिट एंड रन पुराना कानून क्या था

    दुर्घटना के बाद ड्राइवर का गाड़ी के साथ मौके से भाग जाना हिट एंड रन का मतलब है. किसी गाड़ी चालक द्वारा किसी को टक्कर मार दी जाती है और घायल की मदद करने के बजाय ड्राइवर गाड़ी को लेकर भाग जाता है तो ऐसे केस हिट एंड रन में काउंट किया जाता है. पहले हिट एंड रन कानून के मुताबिक ड्राइवर को जमानत भी मिल जाती थी और ज्यादा से ज्यादा 2 साल की सजा का प्रावधान था. हालांकि कुछ केस में ड्राइवर से अगर एक्सीडेंट होता है तो ड्राइवर भागने की बजाय घायल की मदद करते हैं और उन्हें अस्पताल पहुंचा देते हैं लेकिन ऐसा मात्र कुछ केस में ही देखा गया है. इसलिए इस कानून में सख्ती कर दी गई है.

  • केंद्र सरकार ने रक्षा उपकरणों की खरीद को दी मंजूरी

    केंद्र सरकार ने रक्षा उपकरणों की खरीद को दी मंजूरी

    भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े रक्षा सौदों में से एक को मंजूरी दे दी है।

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

    भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े रक्षा सौदों में से एक को मंजूरी दे दी है। इस सौदे में सशस्त्र बलों की समग्र लड़ाकू क्षमता को बढ़ावा देने के लिए स्वदेश निर्मित 97 तेजस लड़ाकू विमान और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने का आदेश दिया गया है। यह मंजूरी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने लगभग 26.74 बिलियन डॉलर के सौदों की है।

    जानकारी के अनुसार 97 तेजस विमानों की कीमत लगभग 7 अरब डॉलर यानी कि 650 अरब रुपये होने की उम्मीद है, जिससे यह देश में अब तक का सबसे बड़ा लड़ाकू विमान सौदा बनेगा।

    “30 नवंबर, 2023 को रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 2.23 लाख करोड़ रुपये की राशि के विभिन्न सम्पति अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) के संबंध में मंजूरी दी, जिसमें से, सरकार ने एक बयान में कहा, 2.20 लाख करोड़ रुपये (कुल एओएन राशि का 98%) का अधिग्रहण घरेलू उद्योगों से किया जाएगा। “इससे भारतीय रक्षा उद्योग को ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा।” भारतीय रक्षा भाषा में, आवश्यकता की स्वीकृति (AON) खरीद प्रक्रिया में एक औपचारिक पहला कदम है।

    सेना में शामिल होने में लगेगा समय 

    तेजस हल्का लड़ाकू विमान
    तेजस हल्का लड़ाकू विमान

    हम आपको बता दें  कि एक बार जब डीएसी एओएन के लिए मंजूरी दे देता है, तो रक्षा निर्माताओं के साथ अनुबंध वार्ता शुरू हो जाएगी, जिसमें समय लग सकता है। मूल्य निर्धारण और अन्य आवश्यकताओं पर बातचीत पूरी होने के बाद, प्रस्ताव को मंजूरी के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट समिति को भेजा जाता है। आमतौर पर, सेना में अंतिम रूप से शामिल होने में कुछ साल का समय लग सकता है।

    इसके अलावा DAC ने दो प्रकार के anti-tank हथियारों, एरिया डेनियल म्यूनिशन (ADM) टाइप – 2 और टाइप -3 की खरीद के सौदों को भी मंजूरी दे दी है, जो टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के वाहक और दुश्मन कर्मियों को बेअसर करने में सक्षम हैं।

    “अपनी सेवा अवधि पूरी कर चुकी इंडियन फील्ड गन (IFG) को बदलने के लिए, अत्याधुनिक टोड गन सिस्टम (TGS) की खरीद के लिए एओएन प्रदान किया गया है, जो भारतीय सेना के तोपखाने बलों का मुख्य आधार बन जाएगा। ”

    “एओएन को 155 मिमी आर्टिलरी गन में उपयोग के लिए 155 मिमी नबलेस प्रोजेक्टाइल के लिए भी मंजूरी दी गई थी जो प्रोजेक्टाइल की घातकता और सुरक्षा को बढ़ाएगी। भारतीय सेना के ये सभी उपकरण खरीद (INDIAN – IDDM) श्रेणी के तहत खरीदे जाएंगे।”

    ये है अब तक की सबसे बड़ी डील 

    97 Tejas jets
    97 Tejas jets
    Tejas Aircraft
    Tejas Aircraft

     

     

     

     

     

    तेजस विमान और प्रचंड हेलीकॉप्टर दोनों सरकार द्वारा संचालित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किए गए हैं।

    TejasMK-1A हल्का लड़ाकू विमान स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जो आक्रामक वायु समर्थन, नजदीकी युद्ध और जमीनी हमले की भूमिका आसानी से निभाने में सक्षम है।

    यह एईएसए रडार, ईडब्ल्यू सुइट जिसमें रडार चेतावनी और सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमिंग, डिजिटल मैप जेनरेटर (DMG), स्मार्ट मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले ( SMFD), कंबाइंड इंटेरोगेटर और ट्रांसपोंडर (CIT), एडवांस्ड रेडियो अल्टीमीटर और अन्य एडवांस फीचर्स से लैस है। .

    प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है। इसे रेगिस्तान और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

  • भारत में सरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या सरकार !

    भारत में सरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या सरकार !

    कोई अगर आप के घर आकर वंहा पर किराये पर रहने लगे और फिर धीरे-धीरे वंहा कब्ज़ा कर ले तो आप की प्रतिक्रिया क्या होगी, ऐसा फिलहाल हमारे देश में हो रहा हैं जंहा पहले ही हमारे देश की जनसँख्या 140 करोड़ हो गयी हैं,जिस कारण से देश को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं,जैसे बेरोजगारी और स्वास्थ्साम्बन्धि वही अगर कोई बाहर का आकर के आपका हक्क छीन ले,आपकी जानकारी बता दे की ऐसा हो रहा हैं,म्यांमार और बंगलदेश से आये रोहिंग्या मुसलमानों जो भारत में सरणार्थीयों के रूप में आये पर अब वे यंहा कब्ज़ा कर बैठे हैं ,

    भारत में रोहिंग्या मुसलमान .

    बीते दिनों पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ एक गुप्त मुहिम चलायी जिसके चलते सभी गैरकानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्यायों को पकड़ा गया,बहुत दिनों से सरकार को उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों से ये सुचना मिल रही थी की वाहा गैरकानूनी रूप विदेशी रह रहे हैं,जिसमे मेरठ,हापुड़,अलीगढ,मथुरा,सहारनपुर और भी कई जिले शामिल हैं,मिली जानकारी के अनुसार 74 रोहिंग्यायों को पकड़ा गया हैं जिनमें 55 आदमी,14 महिला,और 5 बच्चे शामिल हैं !
    उत्तर प्रदेश सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ एक गुप्त मुहिम चलायी
    उत्तर प्रदेश सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ एक गुप्त मुहिम चलायी

    वही 40 रोहिंग्यायों को तो मथुरा के अल्ल्हपुर से पकड़ा गया था,मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार अल्ल्हपुर मिया तक़रीबन 100 रोहिंग्यायों के मुसलमान रहते हैं,जंहा वे शरू-शुरू में यानी की आज से 15 से 20 साल पहले जमीन किराये पर ली थी पर धीरे-धीरे वे एक परिवार से बहुत सारे परिवार हो गए,,यंहा उन्होंने अपने कच्चे घर बना रखे हैं,और कुछ घर पक्के भी हैं,साथ यंहा कोई बिजली की व्यवस्ता तो नहीं हैं,पर वे सरकारी बिजली को चुरा कर के अपने घरो को रोशन करते हैं !

    अगर साफ़ शब्दों में कहे तो न ही उनके पास पक्के कागज़ हैं,न ही पक्का घर और न ही पक्का मीटर,,,पर फिर भी ये लोग इतने दिनों से यंहा रह रहे थे,साथ ही जो 15-20 साल पहले जो बच्चे थे,वे अब व्यसक हो गए हैं और यही यानी की हिंदुस्तान में ही विवाह कर रहे हैं,वही आपको बता दे की उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई लोगो से पूछ-ताछ कर के छोड़ दिया,वही अभी जानकारी नहीं मिली है की बाकी बचे लोगों के साथ क्या करा जायेगा ,

    भारत में रोहिंग्या मुसलमान
    भारत में रोहिंग्या मुसलमान

    वही अगर इनके काम की बात करे तो इनका मुख्य काम कूड़ा बिन्ना हैं,और जगह-जगह सफाई करना भी,ये बात तो हुई उत्तर प्रदेश की वही भारत में अलग-अलग जगह पर ये लोग बास्ते जा रहे हैं,जैसे दिल्ली के बवाना की JJ कॉलोनी में जंहा हजारों की संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं,और आस-पास बहुत ज़्यादा गन्दगी फैलाते हैं,जिस कारण से गांव के रहने वाले लोगों को बहुत समस्या का सम्मना करना पड़ रहा हैं,वही दिल्ली के जहांगीरपुरी और साहिनबाग़ का भी यही हाल हैं,वही आये दिन वेस्ट बंगाल सहित नार्थ-ईस्ट के कई रजियों में रोहिंग्यायो के पकडे जाने की खबर आती रहती हैं,,

    इनका मुख्य काम कूड़ा बिन्ना हैं,और जगह-जगह सफाई करना
    इनका मुख्य काम कूड़ा बिन्ना हैं,और जगह-जगह सफाई करना

    क्यों आते हैं रोहिंग्या शरणार्थी हिंदुस्तान में .

    वही आप की जानकारी के लये बता दे की रोहिंग्या लोग आम तौर पर मुसलमान होते हैं, लेकिन अल्पसंख्या में कुछ रोहिंग्या हिन्दू भी होते हैं। वही म्यांमार के 2016 के संकट के बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्यायों को उनके देश से भार निकल दिया गया,,पूरी जानकारी के अनुसार 1982 म्यांमार राष्ट्रीयता क़ानून के तहत रोहिंग्या लोगों को म्यांमार में नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबन्धित है।इसके बावजूद इन्हें म्यांमारी क़ानून के आठ “राष्ट्रीय समूहों” में से वर्गीकृत नहीं है।उन्हें न तो आंदोलन की स्वतंत्रता हैं,न ही वे राज्य में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और न ही नागरिक सेवा में काम कर सकते हैं,

    बौद्ध लोग जो रोहिंग्यायों को पसंद नहीं करते !
    बौद्ध लोग जो रोहिंग्यायों को पसंद नहीं करते !

    ऐसा इसलिए हैं क्युकी के मयन्मारके बौद्ध लोग और वहाँ की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती हैं। इन रोहिंग्या लोगों को म्यांमार में बहुत अत्याचार का सामना करना पड़ा है। बड़ी संख्या में रोहिंग्या लोग बांग्लादेश और थाईलैंड की सरहदों पर बहुत बुरी स्तिथि में रहते हैं,

    बौद्ध लोग जो रोहिंग्यायों को पसंद नहीं करते हैं उनका सबसे ख़ास कारण हैं म्यांमार के सुप्रसिद बोध भिक्षु ‘अशीन विराथू’ उनके नेतृत्व में न जाने कितने मुसलमानों को मारा गया,इसी छवि के कारण से विश्व प्रसिद्व TIME MAGZINE ने थे ‘THE FACE OF BUDHHIST TERROR’ लिख कर छापा,आंकड़ों के अनुसार म्यांमार में क़रीब 8 लाख रोहिंग्या लोग रहते थे,

    म्यांमार के सुप्रसिद बोध भिक्षु 'अशीन विराथू' !
    म्यांमार के सुप्रसिद बोध भिक्षु ‘अशीन विराथू’ !

    वही बीते 2021 म्यांमार में सेना का तख्ता पलट के बाद इन लोगो पर गाज गिर गयी थी,क्युकी तख्ता पलट के बाद जो रोहिंग्या शरणार्थी कैंपों में रह रहे थे उनके साथ बहुत बुरा होने लगा,आपकी जानकारी के लिए बता दे की म्यांमार की सेना ने तख्ता पलट Anug san sun kyi के खिलाफ किया था,

    Anug san sun kyi
    Anug san sun kyi

    तो इतनी जानकारी के बाद आप को पता चल गया होगा की ये लोग हिंदुस्तान क्यों आते हैं,साफ़ है बेहतर शिक्षा के लिए बेहतर रोजगार के लिए ,वे यंहा आ कर के किराये पर रहते हैं,और साथ ही कुछलोग थोड़े से पैसे के लिए बिना किसी जाँच पड़ताल के किराये पर रख भी लेते हैं,

    भारत क्या करता हैं सरणार्थीओं के साथ .

    भारत का रिकॉर्ड सरणार्थीओं के मामले में बहुत ज़्यादा ही शानदार रहा हैं क्युकी,भारत में आज ही है बहुत सालों से ही शरणार्थी आते रहे हैं ,जैसे 1947 के विभाजन से पाकिस्तान से शरणार्थी,वही वर्ष 1959 में तिब्बती शरणार्थी साथ ही वर्ष 1960 के दशक की शुरुआत में अभी के बांग्लादेश से 1971 में अन्य बांग्लादेशी शरणार्थी,वर्ष 1980 के दशक में श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी,हाल ही में म्याँमार के रोहिंग्या शरणार्थी !

    भारत में शरणार्थी !
    भारत में शरणार्थी !

    वही अधिनियम 1946 की विदेश शरणार्थी निति के अनुसार,भारत का संविधान मनुष्यों के जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा का भी सम्मान करता है,साथ ही इसका उद्धरण आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग vs स्टेट ऑफ अरुणाचल प्रदेश (1996) मामले से ले सकते हैं जिसमे Suprem court ने कहा कि “सभी अधिकार नागरिकों के लिये उपलब्ध हैं, जबकि विदेशी नागरिकों सहित सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार और जीवन का अधिकार उपलब्ध है।”

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 21 में शरणार्थियों को उनके मूल देश में वापस नहीं भेजे जाने यानी ‘नॉन-रिफाउलमेंट’ (Non-Refoulement) का अधिकार शामिल है।नॉन-रिफाउलमेंट, अंतर्राष्ट्रीय कानून के अंतर्गत एक सिद्धांत है, जिसके अनुसार अपने देश से उत्पीड़न के कारण भागने वाले व्यक्ति को उसी देश में वापस जाने के लिये मजबूर नहीं किया जाना चाहिये।