Category: Bihar

  • पुराने सांसदों को ही मैदान मे उतारने का जदयू ने बनाया मन

    पुराने सांसदों को ही मैदान मे उतारने का जदयू ने बनाया मन

    पटना। एनडीए में सीट शेयरिंग के बाद जदयू ने मंत्रीमंडल विस्तार की तरह अपने पुराने सांसदों को ही मैदान मे उतारने का मन बनाया है। जदयू सूत्रों के अनुसार उम्मीदवार लगभग तय कर लिए है और इसकी औपचारिक घोषणा जल्द ही हो जाएगी। जो नाम तय किए हैं उसके अनुसार,अधिकांश वही उम्मीदवार हैं जिन्हें पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था. जदयू ने इनपर भरोसा जताया है और इस बार भी अधिकतर वही उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं।

    जदयू का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर और बिहार में एनडीए गठबंधन की वजह से परिस्थिति अनुकूल है और उम्मीदवारों को जीतने में मुश्किल नहीं आएगी। साथ ही इस बात की आशंका भी है कि अगर उम्मीदवार ज्यादा बदले गए तो कहीं पार्टी के अंदर विद्रोह वाले हालात ना हो जाएं, जिससे मामला गड़बड़ हो जाए।

    जदयू की इस रणनीति को मंत्रिमंडल विस्तार से भी जोड़ा जा रहा है। जब नीतीश कुमार ने किसी भी नए विधायक को मंत्री बनाने की जगह तमाम पुराने चेहरे को ही मंत्रिमंडल में जगह दे दी थी, ताकि किसी नए विधायक की नाराजगी नहीं हो पाए और पुराने भी नाराज नहीं हों।

    जदयू के संभावित सूची के मुताबिक, वाल्मीकिनगर से सुनील कुमार, भागलपुर से अजय मंडल, मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव, झंझारपुर से रामप्रीत मंडल, सुपौल से दिलेश्वर कामत, जहानाबाद से चंदेश्वर चंद्रवंशी, बांका से गिरधारी यादव, कटिहार से दुलालचंद गोस्वामी, शिवहर से लवली आनंद, किशनगंज से मास्टर मुजाहिद, सीतामढ़ी से देवेश चंद्र ठाकुर उम्मीदवार हो सकते हैं।

    वहीं, मुंगेर से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन लिंह, गोपालगंज से आलोक सुमन, पूर्णिया से संतोष कुशवाहा और नालंदा से कौशलेंद्र कुमार के नाम लगभग तय हैं। जबकि सीवान को लेकर थोड़ी जिच है और यहां से कविता सिंह उम्मीदवार हो सकती हैं, अगर सहमति नहीं बनी तो हो सकता है कि सीवान सीट से कुशवाहा जाति का कोई उम्मीदवार हो सकता है।

  • रविता तिवारी बनी पूसा प्रखंड प्रमुख

    रविता तिवारी बनी पूसा प्रखंड प्रमुख

    अनुमंडल कार्यालय समस्तीपुर में पूसा प्रमुख का हुआ चुनाव 

    समस्तीपुर पूसा । निवर्तमान प्रमुख पर अविश्वास लगने के बाद गुरुवार को अनुमंडल कार्यालय समस्तीपुर में पंचायत समिति सदस्यों की विशेष बैठक बुलाकर निर्वाचन कराया गया। जिसकी अध्यक्षता एसडीओ विकास कुमार ने की। निर्वाचन के दौरान 19 पंचायत समिति सदस्य में 12 पंचायत समिति सदस्यों ने रविता तिवारी के पक्ष में वोट दिया। विपक्ष से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया गया।

    इस प्रकार रविता तिवारी निर्विरोध पूसा प्रखंड प्रमुख पद पर निर्वाचित हो गई। निर्वाचित होने के उपरांत प्रमुख को फूल मालाओं से लाद दिया तथा बधाई देने वालों का तांता लग गया। बधाई देने वालों में मोहम्मद शाहिद खान, डॉक्टर संतोष कुमार, शैलेश झा, चितरंजन राय, अमोद कुमार, दीपक कुमार, राकेश कुमार पुट्टू, बृजनंदन ठाकुर आदि लोगों का नाम शामिल है। सैकड़ों समर्थकों ने माला पहनाकर जीत की बधाई दी।

  • घर में घुंसी अनियंत्रित कार, दीवार और छत ध्वस्त

    घर में घुंसी अनियंत्रित कार, दीवार और छत ध्वस्त

     ध्वस्त दीवार और छत के मलवे में फंसा कार

    राजगीर। नगर परिषद क्षेत्र के राजगीर- बिहारशरीफ मुख्य मार्ग पर स्थित बेलौआ गांव के एक घर में अनियंत्रित चार पहिया वाहन घुस गयी है। इस दुर्घटना में घर की दीवार और छत ध्वस्त हो गयी है। यह घटना बुधवार और गुरुवार के मध्य रात्रि के बाद की है। ग्रामीणों के अनुसार सुरेश चौधरी के पुत्र धर्मेंद्र चौधरी के घर में अनियंत्रित कार के घर में घुसने से बड़ी क्षति हुई है। दीवार और छत के मलवे में कार फंसी है। संयोग से इस दुर्घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। घटना की रात उस घर के कमरे में परिवार का कोई सदस्य सोया हुआ नहीं था।

    विजय चौधरी एवं अन्य ने बताया कि दुर्घटना ग्रस्त कार राजगीर से बिहारशरीफ की ओर जा रही थी। उस अनियंत्रित कार द्वारा पहले उनके घर के बगल के ई-रिक्शा में धक्का मारते हुए उनके घर के दीवारों में आकर टकरा गयी। इस दुर्घटना में उनके घर के आगे की दीवार और छत दोनों ध्वस्त हो गया है। कार में सवार चार में से तीन युवकों को ग्रामीणों ने पड़कर राजगीर थाना पुलिस के हवाले कर दिया है। एक व्यक्ति भागने में सफल हो गया है। ग्रामीणों और पुलिस के अनुसार कार में सवार सभी लोग नशे में धूत थे। पुलिस के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी बीआर- 21- डब्ल्यू 1035 है। पुलिस ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा पकड़े गए तीनों को नशा जांच के बाद जेल भेज दिया गया है। गाड़ी कहां की है और किसकी है। इसकी पड़ताल की जा रही है।

  • महंत प्रेमदास नहीं रहे, शोभायात्रा बाद दी गयी समाधि

    महंत प्रेमदास नहीं रहे, शोभायात्रा बाद दी गयी समाधि

    राजगीर। शहर के निचली बाजार स्थित कबीरपंथ आश्रम के महंत प्रेमदास साहेब का अचानक निधन हो गया है। वे 90 वर्ष के थे। महंत प्रेमदास इस आश्रम के तीसरे महंत थे। बीती रात खाना खाकर सोने के बाद वह नहीं जाग सके। आश्रम के लोगों को विश्वास है कि उनका निधन हृदय गति रूकने से हुई है। गुरुवार की शाम उनके पार्थिव शरीर के साथ शहर में शव शोभा यात्रा निकाली गई। इस शव यात्रा में कबीरपंथी और सनातन परंपरा के सैकड़ों लोग शामिल हुए। नगर भ्रमण के बाद महंत प्रेमदास साहेब की पार्थिव शरीर कबीरपंथी आश्रम वापस पहुंची।

    आश्रम के ही एक कमरे में उन्हें कबीर पंथ परंपरा से समाधि दी गई। महंत प्रेमदास इस आश्रम के तीसरे महंत थे। वह बाल ब्रह्मचारी थे। बचपन से ही वे इस आश्रम की और पंथ की सेवा कर रहे थे। इनके पहले दूसरे महंत रामरूप दास साहेब और पहले महंत मोती दास साहेब यहां के महंत रह चुके हैं। यह कबीरपंथी आश्रम काशी के कबीर चौरा आचार्य गद्दी से जुड़ा है।

    शोभा यात्रा और समाधि के दौरान फतुहा कबीर मठ के महंत परमानंद दास साहेब, नवीन दास साहेब, अक्षय दास साहेब, धर्म देवदास साहेब, शिव सागर दास साहेब, रामानंद दास साहेब, चेतन दास साहेब, बनारस चौरा के सुनील दास साहेब, परमानंद दास साहेब, यदुनंदन दास साहेब, टेका बिगहा, ब्रह्मदेव दास साहेब, सेवक उमराव यादव, देवदास, चेतन दास, रामजी दास, पुरुषोत्तम दास, गोपाल शरण एवं अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे।

  • भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बिहार मधु क्रांति लाने की दिशा में अग्रसर : कुलपति

    भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बिहार मधु क्रांति लाने की दिशा में अग्रसर : कुलपति

    मधु उत्पादकों की सामूहिक सहभागिता जरूरी 

     

    समस्तीपुर पूसा डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित विद्यापति सभागार में राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड प्रायोजित शहद में भौगौलिक उपदर्शन का संवर्धन एवं विकास विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ.पीएस पाण्डेय ने कहा कि भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बिहार ने मधु क्रांति लाने की दिशा में अग्रसर हो चुका है। इस कड़ी को सशक्त और धारदार बनाने के लिए सरकार व विवि के साथ मधु उत्पादको की सामूहिक सहभागिता जरूरी है। शाही लीची की गुणवत्तायुक्त शहद पर जीआई टैग लगवाने का जोरदार प्रयास किया जा रहा है। जो फिलवक्त इसी का एक अहम हिस्सा है। जिसके सहयोग एवं विवि की ब्रांड इमेज से यहां की शहद एक हजार से भी अधिक प्रति किलो की दर से बेचने की योजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका हैै। इसके लिए इसके गुण व विशेषताओं से पहचान बनाने के साथ ही उसकी गुणवत्ता राष्ट्रीय व अर्न्तराष्टीय स्तर की मानक पर खड़ा उतारने की जरूरत है। कुलपति डा पांडेय ने बुधवार को विवि के विद्यापति सभागार में मधु उत्पादक समूहो, किसानो, छात्रों व वैज्ञानिको को संबोधित कर रहे थे।

    उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बिहार के गुणवत्तायुक्त कई उत्पादों पर जीआई टैग की अपार संभावनाएं है। जिसे पूरा करने की दिशा में केंद्रीय कृषि विश्वविधालय की वैज्ञानिक एवं कर्मचारियों सहित छात्र छात्राएं के अलावे किसान भी संबंधित वैज्ञानिकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल चुके है। अब वो दिन दूर नही होगी जब इस विश्वविधालय के द्वारा अनुसंधान किए गए उत्पादों को जीआई टैग मिलना प्रारंभ हो सके। उन्होंने मालभोग व चिनिया केला, गन्ना के उत्पाद समेत कई कृषि उत्पादो की चर्चा करते हुए कहा कि इस दिशा में पहल को गति देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जल्द ही विवि में विश्वस्तरीय नर्सरी के विकास की दिशा में कार्य होगा।

    सीआईएसएच, लखनउ के पूर्व निदेशक डॉ.शैलेन्द्र राजन ने कहा कि जीआई टैग मिलने व उसके बाद उसे स्थाई बनाये रखने में विवि की अहम भूमिका होगी। जीएमजीसी महाराष्ट्रा के प्रो.गणेश हिमगीरी ने कहा कि उत्पादो की गुणवत्ता का प्रदर्शन व बेहतर मार्कटिंग से बेहतर लाभ लिया जा सकता है। एनआरसी लीची, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ.विकास दास ने कहा कि लीची इस क्षेत्र के किसानों के दिल से लगाव रखने वाले उत्पाद है। इसे संभालने की दिशा में किसान एवं वैज्ञानिक एक होकर आगे बढ़ रहे है। स्वागत भाषण करते हुए निदेशक अनुसंधान डॉ.अनिल कुमार सिंह ने कहा कि कुलपति डा पांडेय के समुचित निर्देशन में सतत किसान व कृषि के हित में कार्य संचालित कर रहे है। जिससे किसानों को लाभ भी मिलने की शुरुआत हो गई है।

    संचालन वैज्ञानिक डॉ.कुमारी अंजनी ने की। धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक सह समन्वयक डॉ.रामदत्त ने किया। मौके पर डीन डा कृष्ण कुमार, डा मयंक राय, डा शमीर कुमार, वैज्ञानिक सह मधुमक्खी पालन केंद्र प्रभारी डा नागेंद्र कुमार आदि मौजूद थे।

  • क्या एनडीए दोहरा पाएगा बिहार में पिछले लोकसभा की सीटें ?

    क्या एनडीए दोहरा पाएगा बिहार में पिछले लोकसभा की सीटें ?

    पटना । बिहार में पांच वर्ष पहले विपक्ष को करारी शिकस्त देने वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन इस लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीट पर जीत हासिल करने की उम्मीद कर रहा है। हालांकि इनमें से लगभग एक-चौथाई सीट ऐसी हैं, जो राजग के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं।लोकसभा चुनाव 2019 में ‘मोदी की सुनामी’ में भाजपा, जनता दल यूनाइटेड और दिवंगत राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को संयुक्त रूप से 39 सीट पर जीत मिली थी। राज्य में राजग का मत प्रतिशत 53 से अधिक था, जो विपक्षी ‘महागठबंधन’ को मिले मतों से लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा था.
    हालांकि राजग को मिली प्रचंड जीत के बीच कुछ सीट ऐसी थीं, जहां भाजपा को इस बार परेशानी हो सकती है. पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की कम से कम छह सीट पर जीत का अंतर एक लाख मतों से कम था और इनमें से चार सीट गंगा के दक्षिणी क्षेत्र में हैं।

    इनमें से एक लोकसभा सीट जहानाबाद है, जहां जद (यू) के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे, लेकिन जीत का अंतर मात्र 1,751 मतों का था। जहानाबाद सीट पर उपविजेता रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव ने पूर्व में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।

    इस बार राजद ने एक समय अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के साथ गठबंधन किया है। दोनों दलों ने विधानसभा चुनावों में जहानाबाद और आसपास के क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था।

    विधानसभा चुनाव 2020 में राजद-भाकपा (माले) गठबंधन ने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी सीट पर जीत हासिल की थी।

    लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजग और ‘महागठबंधन’ दोनों ही माथापच्ची में जुटे हैं और यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार किसे उम्मीदवार बनाया जाए।

    इस बार पटना साहिब से सटे पाटलिपुत्र में भी कड़ा मुकाबला देखे जाने की उम्मीद है हालांकि ज्यादातर शहरी आबादी भाजपा समर्थक मानी जाती है।

    विधानसभा चुनावों में औरंगाबाद और काराकाट लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली सीट पर भी ‘महागठबंधन’ ने एकतरफा जीत हासिल की थी। राजग 2009 से इन दोनों लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करती आ रही है।

    लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण बिहार की दो अन्य सीट, जिन पर भाजपा ने आसान जीत दर्ज की थी उनमें आरा और सासाराम क्षेत्र शामिल हैं लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल रहा था। आरा से मौजूदा सांसद केंद्रीय मंत्री आर के सिंह हैं। सासाराम (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र को कभी पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम का गढ़ माना जाता था।

    राजग को गंगा के उत्तरी क्षेत्र में किशनगंज लोकसभा सीट पर अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजग गठबंधन को इसी सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।

    राजग को कटिहार, छपरा, सीवान और महाराजगंज लोकसभा सीट पर भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जहां विधानसभा चुनावों में गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया था।

  • राजग में सीट शेयरिंग फार्मूले से कई सांसदों का हो सकता है पत्ता साफ

    राजग में सीट शेयरिंग फार्मूले से कई सांसदों का हो सकता है पत्ता साफ

    राम नरेश ठाकुर/अभिजीत पांडेय 

    पटना । बिहार में केवल सीट शेयरिंग की घोषणा भर से एनडीए के कई सांसदों के टिकट पर संकट के बादल छा गए हैं। ऐसे नेताओं को या तो किसी दूसरी तरह सेट किया जाएगा या फिर इनका पत्ता कट सकता है।

    ऐसे सांसदों मे शिवहर से बीजेपी सांसद रमा देवी ,
    गया से जेडीयू सांसद विजय कुमार मांझी,
    काराकाट से जेडीयू सांसद महाबली सिंह ,
    नवादा से सांसद चंदन सिंह ,हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस , समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज , वैशाली से सांसद वीणा देवी , खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर के नाम शामिल हैं। जिनका
    गठबंधन से या तो टिकट कट गया है या पत्ता साफ होने वाला है।

    गौरतलब है कि भाजपा ने अपनी परंपरागत शिवहर लोकसभा सीट जेडीयू को दे दी है. इस तरह इस सीट से तो अब भाजपा सांसद रमा देवी का पत्ता तो कट ही गया. अब यह भाजपा पर निर्भर करता है कि वह रमा देवी को कैसे सेट करती है या कोई और जिम्मेदारी देती है.

    नवादा सीट भाजपा के खाते में आ गई है। अब भाजपा यहां से अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी। अभी तक नवादा सीट लोजपा के खाते में थी और चंदन सिंह 2019 में यहां उम्मीदवार चुने गए थे।लोजपा को एनडीए में एक भी सीट नहीं दी गई है। संभावना है कि पशुपति कुमार पारस अगर महागठबंधन में जाते हैं तो वहां से चंदन सिंह एक बार फिर ताल ठोक सकते हैं.

    काराकाट सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू के महाबली सिंह ने रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा को हराया था. इस चुनाव में यह सीट उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को मिल गई है।
    गया लोकसभा सीट इस बार जीतनराम मांझी की पार्टी को दी गई है। पिछली बार इस सीट से जेडीयू के ही विजय कुमार ने मांझी को बुरी तरह हराया था । अब यह सीट मांझी के पास चली गई है।
    चिराग पासवान की पार्टी को 5 सीटें दी गई हैं-वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई।
    वैशाली सीट पर पिछली बार लोजपा की वीणा देवी ने राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया था। जिन्होंने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत की थी और बाद में वापस आ गई है।

  • किसानों को भी प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने की जरूरत, बायो-फर्टिलाइजर्स – जैविक खेती का आधुनिक आयाम

    किसानों को भी प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने की जरूरत, बायो-फर्टिलाइजर्स – जैविक खेती का आधुनिक आयाम

    समस्तीपुर पूसा । आधुनिक कृषि में बायो-फर्टिलाइजर्स का महत्व बढ़ता जा रहा है। ये विशेष तरह की खाद्य पदार्थ हैं जो प्राकृतिक तत्वों से बनाए जाते हैं और खेती में उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। बायो-फर्टिलाइजर्स में मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए प्राकृतिक तत्वों का बड़ा हिस्सा होता है, जो फसलों को उत्तम रूप से पोषण प्रदान करते हैं। इसके अलावा, बायो-फर्टिलाइजर्स पौधों के लिए आवश्यक जीवाणुओं को बढ़ावा देते हैं, जो पोषण अवस्था को सुधारने में मदद करते हैं। उक्त बातें डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित पौधा सूत्रकृमि विज्ञान विभाग के तकनीकी सहायक विवेक कुमार पटेल एवं सुभाषी कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि बायो-फर्टिलाइजर्स का उपयोग करने से कृषि प्रणालियों में समृद्धि और सुधार होती है। इसके साथ ही, बायो-फर्टिलाइजर्स का उपयोग किसानों के स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखता है बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग कृषि प्रणालियों को स्थायी और पर्यावरण संरक्षण के दिशा में तकनीकी बढ़ावा देता है। इसके अलावा, इसका प्रयोग प्राकृतिक संसाधनों को भी संरक्षित रखता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी होता है, बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग आधुनिक कृषि को संवेदनशील और स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे भविष्य में कृषि क्षेत्र में सुधार हो सके। बायो-फर्टिलाइजर्स विभिन्न प्रकारों में उपलब्ध होते हैं, जो जैविक खेती के लिए महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान करते हैं,जैसे कंपोस्ट यह एक प्रकार का खाद का गद्दा होता है जो जीवाणुओं, जैविक सामग्री और कृषि अपशिष्टों का संयोजन होता है। यह मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है और पौधों को पोषण प्रदान करता है। दूसरा वर्मी कॉम्पोस्ट इसमें केंचुआ के जीवाणुओं का संयोजन होता है, जो मिट्टी की गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाता है। तीसरा जैविक खाद जो की यह शुद्ध जैविक सामग्री से बनी होती है। जो पौधों को संतुलित पोषण प्रदान करते हैं और मिट्टी की जलवायु को बेहतर बनाते हैं, अन्य जैसे दाल वाली फसल ये वनस्पतियों के रूप में काम करते हैं, जो नाइट्रोजन को मिट्टी में उत्पन्न करते हैं, जिससे अन्य पौधों को पोषण प्रदान किया जा सकता है l ये बायो-फर्टिलाइजर्स जैविक खेती के लिए महत्वपूर्ण उपाय हैं जो उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करते हैं और स्वस्थ खाद्य उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं।

    नई तकनीकों के उपयोग से बायो-फर्टिलाइजर्स का उत्पादन और उपयोग और भी अधिक प्रभावी और उत्कृष्ट बनाया जा सकता है। आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ, नए जैविक तत्वों को शोध और विकसित किया जा रहा है, जो कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, बायो-फर्टिलाइजर्स के उपयोग से पर्यावरण को भी हानि नहीं पहुंचती है और संभावित प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकती है। नई तकनीकियों का प्रयोग करके, हम आधुनिक कृषि की दिशा में एक नई क्रांति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग कृषि उत्पादकता में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन खाद्य पदार्थों में विभिन्न प्राकृतिक तत्व होते हैं जो मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने और पौधों के पोषण को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
    बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करने से मिट्टी का संतुलित निर्माण होता है, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों का सही संग्रह मिलता है। ये पोषण संग्रहण पौधों की सेहत और विकास को बढ़ावा देता है, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है। बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करने से पौधों की प्रतिरक्षा शक्ति भी बढ़ती है, जिससे वे रोगों और कीटों से अधिक सुरक्षित रहते हैं। इसके साथ ही, ये बायो-फर्टिलाइजर्स पर्यावरण को भी हानि नहीं पहुंचाते हैं और प्राकृतिक संसाधनों को भी बचाते हैं। बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करने से किसानों को एक समृद्ध और सशक्त भविष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने में मदद मिलती है। ये खाद्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं और मिट्टी को संतुलित करके पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों का सही संग्रह और प्रदान करते हैं। बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करना मिट्टी के उपयोग को सही और प्राकृतिक रूप से करता है। ये खाद्य पदार्थ पौधों को पोषण प्रदान करने में मदद करते हैं और उत्पादकता को बढ़ाते हैं। इसके साथ ही, बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग प्राकृतिक संसाधनों का सही और यथासंभव उपयोग करता है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सकता है। बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करने से किसान अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं और उनके उत्पादों की गुणवत्ता को भी बढ़ा सकते हैं। बायो-फर्टिलाइजर्स किसानों के लिए महत्वपूर्ण सहायक हैं जो उन्हें प्राकृतिक तरीके से खेतों की देखभाल करने में मदद करते हैं। ये खाद्य पदार्थ पौधों को सही पोषण प्रदान करते हैं और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। इन्हें उपयोग करके, किसान अपने उत्पादों की उत्पत्ति और गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।इसके अलावा, ये किसानों को पौधों की उत्पत्ति और विकास की देखभाल करने में मदद करते हैं, जिससे उन्हें अधिक मात्रा में उत्पाद दर्ज करने में सक्षम बनाते हैं, इसके सात साथ बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करने से किसान भी प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रख सकते हैं और अपने खेतों को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। इस प्रकार, बायो -फर्टिलाइजर्स के प्रयोग से कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है और किसानों को साथ ही स्वस्थ और सुरक्षित उत्पादों का उत्पादन करने में मदद मिलती है।बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करने से किसान उत्पादकता में वृद्धि कर सकते हैं और समृद्धि की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इसके अलावा, बायो-फर्टिलाइजर्स पर्यावरण को भी हानि नहीं पहुंचाते हैं और स्वस्थ खाद्य उत्पादन में मदद करते हैं। इसलिए, ये किसानों के लिए बुनियादी सहायक होते हैं जो उन्हें सुरक्षित और समृद्ध खेती का संदेश देते हैं।
    बायोफर्टिलाइजर वास्तव में जैविक या जीवात्मक मृदा संयंत्रों से प्राप्त की जाने वाली उपयोगी जैविक वस्तुओं का एक संयोजन है। यह मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने, मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने और पौधों की संवृद्धि को प्रोत्साहित करने में मदद करता है।बायोफर्टिलाइजर का उपयोग कृषि में खाद्य उत्पादन को बढ़ाने, बीमारियों को रोकने, पौधों की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने, और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।इसके साथ ही, यह वायरल, बैक्टीरियल, या फंगल संयंत्रों के रूप में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सूक्ष्मजीव को प्रोत्साहित कर सकता है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। इसका नियमित उपयोग प्राकृतिक तरीके से उत्पादन को बढ़ावा देता है और खेती को सततता प्रदान करता है, जिससे कृषि क्षेत्र में वृद्धि और सामर्थ्य बढ़ता है।

  • आचार संहिता लागू होते ही शहर में उतारे जा रहे बैनर-पोस्टर

    आचार संहिता लागू होते ही शहर में उतारे जा रहे बैनर-पोस्टर

    राजगीर। लोकसभा चुनाव की दुंदुभी बज गई है। पार्टियां चुनाव जीतने के लिए शतरंज की मोहरा बैठाने लगी है।लेकिन कैंडिडेट का नाम की घोषणा नहीं होने से प्रचार प्रसार और चर्चा नहीं हो रही है। आदर्श आचार संहिता लागू हो गया है। शहर से गांव तक जिला और अनुमंडल प्रशासन द्वारा निषेधाज्ञान लगा दी गई है। प्रशासन आचार संहिता को अक्षरसः अनुपालन करने की दिशा में एक्शन में है। इसके तहत प्राथमिक तौर पर राजनीतिक दलों से जुड़े बैनर, पोस्टर, झंडा आदि को हटाने का काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं शिक्षण संस्थानों के होर्डिंग और बैनर भी सड़क और बिजली के खंभे पर से हटाए जा रहे हैं। नगर परिषद भी एक्शन मोड में है।

     

    लोकलुभावन संदेश हटाया गया

     

    पर्यटक शहर राजगीर में लगे राजनीतिक पार्टियों से संबंधित बैनर, पोस्टर, होर्डिंग आदि को हटाया जा रहा है। नगर परिषद और नगर पंचायत की मुख्य सड़कों तथा चौक – चौराहों पर लगे राजनीतिक बैनर, पोस्टर को हटा दिया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी संतोष कुमार के आदेश पर राजनीतिक बैनर -पोस्टर तो हटाया ही गया है. शिक्षण संस्थानों एवं अन्य तरह के प्रचार प्रसार के होर्डिंग्स, बैनर, पोस्टर भी सड़क किनारे से और बिजली खंभों पर से हटाया जा रहा है।

     

    दीवार लेखन को भी मिटाया जाएगा

     

     

    विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही अपने पक्ष में और विरोधी के खिलाफ दीवार लेखन कराया था। अधिकांश स्थलों पर के दीवार लेखन को हटाने और मिटाने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा आरंभ किया गया है। दीवार पर अंकित स्लोगन को मिटाया जाएगा।

     

    बारीकी से मुआयना कर रहा प्रशासन

     

    आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ इसका अनुपालन भी सख्ती से सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन पूरी तरह तत्पर दिख रहा है। एसडीओ कुमार ओमकेश्वर के निर्देश पर इस काम में जुटे बीडीओ मुकेश कुमार द्वारा इसकी बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है। फिलहाल शहर के प्रमुख चौक – चौराहा, मुख्य सड़कों पर यह अभियान चलाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों और पंचायत स्तर पर भी यह अभियान चलाया जाएगा। शहर से लेकर गांव तक किसी भी सार्वजनिक स्थल पर बैनर -पोस्टर व बाल पेंटिंग को हर हाल में हटाया जाएगा।

     

    लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथी एक्टिव मोड में पुलिस

     

    चुनाव की घोषणा के साथ ही राजगीर अनुमंडल की पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड में है। शहर से लेकर गांव तक पुलिस द्वारा दस्तक दी जा रही है। जगह-जगह वाहनों की तलाशी ली जा रही है। दूसरे जिले से जुड़े अनुमंडल की सीमा पर गहन जांच पड़ताल की जा रही है। आने जाने वालों पर पुलिस द्वारा पैनी नजर रखी जा रही है। एक तरफ जहां पुलिस यातायात नियम का उल्लंघन करने वालों से जुर्माना वसूल रही है। वहीं दूसरी ओर शराब तस्करों पर नकल कसने की पूरी तैयारी कर ली है। डीएसपी प्रदीप कुमार के निर्देश पर थानों द्वारा लगातार छापामारी की जा रही है।

     

     शांति में खलल डालने वालों पर कसा जा रहा शिकंजा

     

    निष्पक्ष में शांतिपूर्ण चुनाव को लेकर पुलिस ने बदमाशों का सत्यापन शुरू कर दिया है। चिन्हित किए गए बदमाशों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। इसके अलावा जमानत पर बाहर आए बदमाशों की गतिविधि का पता लगाया जा रहा है, ताकि वह किसी तरह चुनाव में खलल नहीं डाल सके। विशेष रूप से वैसे बदमाश और सामाजिकतत्व जो चुनाव के दौरान शांति व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं। उन पर कानूनी शिकंजा कसने की कवायद तेज कर दी गई है। डीएसपी के निर्देश पर सभी थाना की पुलिस इस विशेष अभियान में जुट गई है।

  • दक्षिण भारत में दुकानों और मकानों पर हिन्दी में भी नाम-पट्टिका लगायी जाएगी : डा. सुरेंद्रन

    दक्षिण भारत में दुकानों और मकानों पर हिन्दी में भी नाम-पट्टिका लगायी जाएगी : डा. सुरेंद्रन

    पटना । केरल में हिन्दी के प्रचार-प्रसार और हिन्दी-साहित्य के मलयालम अनुवाद पर पर्याप्त बल दिया जा रहा है। केरल के सभी शिक्षित लोग हिन्दी समझते और बोलते हैं। वहाँ हिन्दी से भी उतना ही प्रेम किया जाता है, जितना मलयालम से। अब दक्षिण भारत के राज्यों में दुकानों और मकानों पर हिन्दी में भी नाम पट्टिकाएँ लगायी जाएँगी।

    यह आश्वासन केरल से आए १२ साहित्यकारों के एक समूह ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित ‘हिन्दी-मलयालम साहित्य समागम’ में, बिहार के हिन्दी-सेवियों को दिया। पर्यटक-समूह का नेतृत्व कर रहे हिन्दी और मलयालम के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा आर सुरेंद्रन ने कहा कि हिन्दी के माध्यम से सभी भाषाओं को जोड़ने का काम केरल में विशेष रूप से किया जा रहा है। देश के सभी राज्यों के साथ एक भावनात्मक एकता के लिए भी हिन्दी का उपयोग आवश्यक है। देश में भाषा की विभिन्नता के कारण, भावनात्मक एकता बाधित होती है। एक संपर्क भाषा यह बाधा दूर कर सकती है। इसलिए पूरे देश में हिन्दी का देश की मुख्य-भाषा के रूप में तीव्रगति से विकास किया जाना आवश्यक है। डा सुरेंद्रन ने केरल के विशेष सम्मान से सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ को विभूषित किया।

    इस अवसर पर सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने डा सुरेंद्रन समेत केरल के १२ कवियों और कवयित्रियों तथा झारखंड के तीन साहित्यकारों को सम्मानित किया। इनमे डा के सी अजय कुमार, डा एम के प्रीता, प्रो के जे रामाबाई, डा षीना ईपन, के राजेंद्रन, ओ कन्नीक्कणारन, सलमी सत्यार्थी, के पी सुधीरा, डा प्रसन्ना कुमारी एन, एम हरिदास, पी आई अजयन, डा मोहित कुमार दूबे, डा उषा, डा अमित कुमार सुमन और डा प्रदीप कुमार दूबे के नाम शामिल हैं।

    समागम की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि दक्षिण-भारत के प्रांतों में हिन्दी के प्रति प्रेम बढ़ा है। केरल में दक्षिण के अन्य प्रांतों की तुलना में हिन्दी की स्थिति सबसे अच्छी है। दक्षिण के नगरों में नाम-पट्टिकाएँ प्रायः स्थानीय भाषाओं में और अंग्रेज़ी में लिखी मिलती हैं। हिन्दी में नाम-पट्टिकाओं के अभाव में ऐसा प्रतीत होता है कि हम भारत में नहीं, किसी अन्य अपरिचित देश में आ गए हों। यह परितोष की बात है कि केरल के साहित्यकारों ने आश्वस्त किया है कि वहाँ की हिन्दी संस्थाएँ प्रेरित कर दक्षिण के दुकानों और मकानों पर स्थानीय भाषाओं के साथ हिन्दी में लिखी नाम-पट्टिकाएँ भी लगायी जाएँगी।

    इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। सम्मानित कवियों और कवयित्रियों के अतिरिक्त वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, प्रो इंद्रकांत झा, डा जंग बहादुर पाण्डेय, कुमार अनुपम, डा पूनम आनन्द, सागरिका राय, चितरंजन लाल भारती, डा रेणु मिश्रा, जय प्रकाश पुजारी, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, ई अशोक कुमार, डा शालिनी पाण्डेय, डा प्रतिभा रानी, मीरा श्रीवास्तव, डा पुष्पा जमुआर, डा सुधा सिन्हा, रौली कुमारी, अटविंद अकेला, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, अर्जुन सिंह आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानंद पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।